gruhasth sannyasi - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

गृहस्थ संन्यासी - भाग 2

ऐसे ही दिसंबर महीने में उसकी प्रशिक्षण की तैयारी शुरू कर दी जाती हैं और वे जनवरी से अपनी नौकरी की शुरुआत करती है। अब जब वे नौकरी जाने लगती है, तो उसका सुमित से बात करना कम हो जाता है। पुरादिन वे नौकरी पर और रात को थकी हुई होने से सो जाती हैं, अब इस तरफ बात कम होती है और उसी के दफ्तर में आते हुए एक कर्मचारी से मुलाकात होती हैं रोज़ नोकरी की वजह से दोनो का मिलना बढ़ रहा था और यहां बात कम और जगड़े बढ़ रहे थे कुछ ही दिनों में उसने सुमित को शादी करने से मना कर दिया और उसी अपने दफ़्तर के कर्मचारी से शादी करली।
सुमित इस बात से बहुत टूट चुका था। मगर फिर भी उसने खुद को समझा कर खुद को वापस से अपने कामों में व्यस्त कर दिया। ऐसे ही कुछ महीने बीतने के पश्चात फिर एक लडकी कि बात लेकर पंडित पधारे। जिसे देख कर सुमित समझ गया कि अब किसी और की बात लेकर के पंडित जी आए है, मगर पहले की चोट ने उसे अभि तक छोड़ा नहीं था, वे हा भी करदेता है, उस लड़की का नाम सुनंदा होता है। मगर अब वे इस लडकी से ज्यादा बात नहीं करता है, बस खुदको अच्छी नौकरी की तलाश में जोड़ देता है, तकरीबन एक महीना बीत जाने पर उसे एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक की नोकरी का प्रस्ताव आता है। वे खुशी खुशी उसे अपना लेता है, मगर फिर भी उसे उससे अच्छी नौकरी की तलाश थी, जिसे वे जारी रखता है, उसी दौरान उसकी शादी हो जाती है, अब पहली बात मुकर जाने की वजह से परिवार के सदस्य इस बार जल्दी से जल्दी शादी करदेते हैं, यहां आने के बाद सुनंदा भी नौकरी की तैयारी शुरू कर देती है और वे कलेक्टर की परीक्षा में उत्तीर्ण होती हैं, अब उसकी नौकरी और सुमित की नौकरी दोनो अलग अलग जगह पर थी तो दोनो को अलग होना पढ़ता है, एक महीना निकल जाता है और इस लडकी को वहा बहुत सी तकलीफे जेलनी पड़ती हैं, जिस वजह से सुमित के घरवाले उसे अपनी नौकरी छोड़कर अपनी पत्नी के पास जाने की ओर वही नौकरी करने की सलाह देते हैं।
अब की जब सुमित के पास सरकारी नौकरी तो थी नहीं तो वे अपनी शिक्षक की नौकरी छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहने लगाता है और वही रह कर अपनी नौकरी पाने की तैयारी में जुट जाता है ऐसे ही कुछ समय वे घर पर सब काम संभालता है और पास ही की एक स्कूल में वे फिर से शिक्षक की नौकरी शुरू करता है, और साथ में घर का भी काम दोनों साथ में संभालते हैं। एक दिन सुनंदा बीमार पड़ जाती हैं, वे दोनो अस्पताल जाते है, तो वहा डॉक्टर ख़ुशी की ख़बर देता है, ये खबर सुनकर दोनों बहुत खुश होते है।सुमित सुनंदा का ख्याल रखने के लिए सुमित अपनी जोब छोड़ कर घर के काम संभालता है, ऐसे ही समय गुरजराता है और एक साल बाद उस घर में बच्चे की किकियारिया गूंज ने लगती है। उसे एक बेटा हुआ था, जिसका नाम पल्लव रखते हैं। सुमित अपनी बहुत सी ख्वाइशों को छोड़कर पल्लव को संभाल ने में लग जाता है। ऐसे ही कुछ समय बीतने के बाद उस की पत्नी को अपने वहा काम करते एक कर्मचारी से मुलाकात होती हैं, वे सब कुछ अपने पति से छुपा कर रखती है, मगर सुमित का ग्रुप शहर मे ऐसा था कि उसे सारे शहर की मालूमात होती है, एक दिन दोनो में किसी बात को लेकर बहस हो जाती है, तब सुमित उसे कटाक्ष भरे शब्दों में आगाह करते हुए कहता है कि तुम जो कर रही हो उससे तुम्हे आगे जा कर पछताना ना पड़े! मगर वे उसकी कोई बात कोई ध्यान नहीं देती है और नाही मानती है, अपनी पहली फिक्स की हुई बात पर जैमिनी के मुकर जाने पर सुमित अपनी जिन्दगी में बहुत शांत हो गया था, वे कुछ ना कहकर अपने कामों में व्यस्त रहने लगा और अपने संबंध को बचाने की कोशिश करने लगा लेकीन उसकी पत्नी सुनंदा ने सुधारने की ओर बढ़ने की जगह और बेकाबू होने लगी जब एक रोज़ वे इस कर्मचारी के साथ जब दूसरी बार सोकर आई तब वे उसे दरवाज़े पर ही रोक कर उसे पूछता है, की तुम कहा गई थी, वे उसे बताते हुए कहती है,की अभि तो अपनी नौकरी से आ रही हु। ये सुनकर वे उसे गिन भरे शब्दों में कहता है की मुझसे से ज्यादा मज़ा नही आया लगाता है इस लिए मुंह उतारा हुआ है ओर ये सुनकर वे गभरह जाती है, और उल्टा भड़कती है, कि तुम मुजपर शक कर रहे हों! ओर सुनते हुए कहती हैं कि तुम मेरे टुकड़ों पर पलते हो खुद तो कुछ करते नहीं हो ओर मुझे भी घर बिठाना चाहते हो ये सुनकर सुमित को बहुत गुस्सा आता है मगर वे गुस्सा न करते हुए शांत स्वर में उसे बताता है की जब तुम पहली बार जाकर आई थी तब मैने तुम्हे कहा था कि तुम जो कर रही हो उसका भुगतान करना पड़ेगा। इस बार फिर तुम सोकर आई हो तो जाओ और उसी के साथ अपनी बाकीकी जिन्दगी बिताओ। ये कहकर वो अपने बेटे के साथ जाने लगाता है, तब वे अपने बेटे से पूछती है, तुम्हे मेरे पास रहना है कि अपने पापा के साथ। अब पल्लाव बालक था तो वो अपनी मां के पास आता है, अब वो अपने अभिमान में इतनी डूब चुकी थी कि वो उसे रोक कर कहती है कि तुम क्या हो! कोन रहेगा तुम्हारे साथ! और है क्या तुम्हारे पास! ये सब कुछ मेरा है, तुम कुछ नही ले जा सकते। वे अपने गुस्से को शांत करके अपना बैग और समान वही छोड़ कर जाने लगाता है, बाहर जाने पर उसके पास कुछ ना होने की वजह से वह एक चाय बेचने वाले के पास जाता है।

आगे जानने को बेताब तो होंगे ही मगर इंतजार भी जरूरी है थोड़ा सा इंतजार करें की क्या होगा अब उसके साथ और इन हालात में वो केसे रहेगा। देखते ब्रेक k बाद बने रहिए मातृभारती एप्लीकेशन पर मौलिक पारिख के साथ।।