Tadap Ishq ki - 33 books and stories free download online pdf in Hindi

तड़प इश्क की - 33

आगे...........

वैदेही हैरानी से इधर उधर देखते हुए कहती हैं...." यहां तो कोई नहीं है जिसे आपकी सहायता चाहिए , , ..."

माणिक मुस्कुराते हुए कहता है...." आप नहीं समझेंगी , चलिए आपको वृषपूर छोड़ देते हैं...."

वैदेही उसे शकी नजरों से देखती हुई कहती हैं...." क्या यही जंगलों में वृषपूर राज्य है....?..."

माणिक हंसते हुए कहता है..…" नहीं , हम आपको यहां जंगलों में नहीं छोड़ेंगे , आप हमारा हाथ पकड़ लिजिए..."

वैदेही मुंह बनाते हुए उसे देखने लगती है , जिसे देखकर माणिक उसकी तरफ और आकर्षित हो रहा था , , अपनी नजरों को उसके चेहरे पर से हटाते हुए कहता है....." आप किस राज्य है...?..."

वैदेही इठलाती हुई कहती हैं..." सिहालीपुर , , जो औषिधियो के लिए विख्यात है ,..."

माणिक कुछ सोचते हुए कहता है....." आपके राज्य के कुछ ही दूरी पर कुंदनवन है , ..."

" हां , है ...सुना है बहुत ही सुंदर राज्य है , ..."

" क्या आप वहां पर गई है...?.."

" नहीं हम कभी अपने राज्य की सीमा पार करके वहां नहीं गए , , ..."

माणिक एक राहत भरी आवाज में कहता है..." अच्छा है , आप जैसी भोली भाली लड़की वहां नहीं गई..."

" ऐसा क्यूं कह रहे हैं आप...?..."

माणिक बात को घुमाते हुए कहता है..." तो आप जल्दी से हमारा हाथ पकड़ लिजिए हम अपनी स्थानांतरण मणि से आपको आपके गंतव्य तक पहुंचा देते हैं...."

वैदेही तिरछी नजरों से देखते हुए कहती हैं....." आप हमें पहले ही अपनी मणि से हमें वृषपूर छोड़ सकते थे फिर इतना चलवाया क्यूं...?..."

माणिक प्यार भरी नजरों से देखते हुए धीरे से कहता है....." अगर हम आपको मणि के जरिए पहुंचा देते तो आपके साथ कुछ पल कैसे बीता पाते..."

वैदेही उसे धीरे से बुदबुदाते हुए देखकर कहती हैं....." हमने कुछ कहा आपसे , आप इतनी धीरे बोलेंगे तो हमें समझ कैसे आएगा....?...."

माणिक मुस्कुराते हुए कहता है...." आप चलिए फिर..."

वैदेही सवालिया नज़रों से उसे देखते हुए , उसके हाथ को पकड़ लेती है....

माणिक स्थानांतरण मणि के जरिए उसे लेकर वृषपूर पहुंच चुका था.....

" हम वृषपूर पहुंच चुके हैं , अब आप जा सकती है , ...."

वैदेही अपना हाथ छुड़ाकर, , धन्यवाद कहती हुई वहां से चली जाती हैं..... माणिक उसे जाते हुए देखकर कहता है......" आज का ये पल हमारे जीवन में एक नई उम्मीद लेकर आया है , , हम उम्मीद करते हैं आप हमेशा के लिए हमारी हो जाए , ..." माणिक अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहता है...." आपके छुने का एहसास हमें आपकी तरफ ही आकर्षित कर रहा है वैदेही , आपका ये एहसास हमें जीने नहीं देगा.. हम आपसे प्रेम करने लगे हैं ... इसलिए हम आपसे मिलने अवश्य आएंगे...."

इतना कहकर माणिक वहां से चला जाता है और विक्रम भी अपने ख्यालों से बाहर आ चुका था , उसका फोन रिंग हो रहा था , जिसपर डैड नाम फ़्लैश कर रहा था....

विक्रम काॅल रिसीव करते हुए कहता है..." येस डैड ...."

दूसरी तरफ से चिंता भरी आवाज आती है....." कहां हो बेटा ...?... कबसे काॅल कर रहा हूं...."

विक्रम उखड़े मन से कहता है...." बस पांच मिनट में पहुंच रहा हूं...."

विक्रम कार ड्राइव करते हुए वहां से चला जाता है और इधर एकांक्षी को नार्मल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था , जहां उसे कोई भी मिल सकता था....

सावित्री जी उसे देखकर इमोशनल हो जाती है और जल्दी से उसे गले लगाते हुए कहती हैं....." मिकू , , तू ठीक हो गई , तुने मुझे कितना डरा दिया था , , ..."

एकांक्षी सावित्री जी को समझाते हुए कहती हैं...." मां मैं बिल्कुल ठीक हूं , आप टेंशन मत लो...भाई समझाइए न मां को..."

राघव मजाकिया अंदाज में कहता है..."" हां , मां अगर तुम उसे ऐसे ही पकड़े रहोगी तो बेचारी सांस कैसे लेगी ... क्यूं मिकू.."

राघव की बात सुनकर सब हंस जाते हैं लेकिन सावित्री जी उसे घूरकर देखते हुए एकांक्षी से हट जाती है....राघव एकांक्षी के गालों पर हाथ रखते हुए कहता है...." अपना ध्यान रखा कर , , .."

एकांक्षी हां में सिर हिलाते हुए कहती हैं...." भाई विक्रम गया क्या....?..."

अचानक एकांक्षी के मुंह से विक्रम का नाम सुनकर किरन और आद्रिक हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखते हैं लेकिन राघव अपने गुस्से को शांत करते हुए कहता है...." हां , गया वो और दोबारा तुझे परेशान नहीं करेगा...."

" नहीं भाई , लेकिन आज तो उसने मुझे बचाया है न..."

राघव हैरानी से उसे देखते हुए कहता है...." हां , लेकिन तुझे कैसे पता ....?..."

" भाई , जब मुझे होश आया था तो डाक्टर ने मुझे उसके बारे में बताया था , .."

राघव उसकी बातों को काटते हुए कहता है..." छोड़ इन बातों को , मैं तेरे जूस लेकर आता हूं , , ...." इतना कहकर राघव वहां से चला जाता है और किरन और आद्रिक उसके पास आते हैं , किरन उसके पास रखी चेयर पर बैठती हुई कहती हैं...." एकांक्षी तुझे क्या हुआ था...?... मतलब तू अचानक बेहोश कैसे हो गई...?."

एकांक्षी कुछ याद करते हुए कहती हैं......" किरन मुझे ठीक से याद नहीं , , हम पार्टी में थे , उसके बाद अचानक क्या हुआ मुझे कुछ ध्यान नहीं....."

" चल कोई बात नहीं... " तभी आद्रिक उससे कहता है..." मुझे पता है ये सब मेरी वजह से हुआ है.... मुझे अपना गिटार प्ले नहीं करना चाहिए था...."

एकांक्षी उसे देखते हुए कहती हैं....." इसमें आपकी कोई ग़लती नही , , आपका म्यूजिक अच्छा है , उससे किसी की तबीयत क्यूं खराब होगी...."

किरन आद्रिक की तरफदारी करते हुए कहती हैं...." पता है एकांक्षी , ये बेचारा कबसे तुम्हारी कंडिशन के लिए कितना गिल्ट फील कर रहा था , ..."

एकांक्षी मुस्कुराते हुए कहती हैं..." नहीं इसमें , आपके कोई ग़लती नही है.....

आद्रिक मुस्कुराते हुए कहता है...." फिर ठीक है , , वैसे ये फूलों का बूके आपके लिए , आपकी फ्रेंड ने बताया था आपको फ्लोवर बहुत पसंद है , , एंड स्पेशली ये यलो फ्लोवर..."

एकांक्षी जैसे ही उन फूलों को लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाती उससे पहले ही किसी ने आद्रिक के हाथों से फूल छिन लिये थे......




.................to be continued..............

किसने आद्रिक के हाथों से फूल छिने ....?

जानने के लिए जुड़े रहिए......

आपको कहानी कैसी लग रही है मुझे रेटिंग करके जरुर बताएं.…...