Pyari Duniya - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यारी दुनिया... - 18 - नानू के घर जाना है ....

एपिसोड 18 ( नानु के घर जाना है .... )
बेहोश रिया को वीर ने अपनी गोद में उठाया ओर अपने ऑफिस में बने एक रूम में रिया को लेजाकर ... वहां बेड पर लेता दिया | ना जाने क्यूँ ... वीर रिया को किसी परिशानी में नहीं देख सकता था | वीर रिया को जनता नहीं था ... पर फिर भी उसे रिया से मिलने के बाद ,,,, ऐसा लगता था .. मनो दोनों जन्मो जन्मो के साथी हों ....
वहीँ दूसरी तरफ कायर्व ... अपनी माँ का बदला लेने के लिए तैयार था | वो सब लंच कर रहे थे | तभी अचानक से कनिका का फ़ोन बजने लगा | एक अनजान नम्बर देख .. कनिका ने फ़ोन उठा लिया ओर बोली |
कनिका :हेल्लो ... कनिका हियर ...
दूसरी तरफ से कनिका के पापा बोला |
मिस्टर शर्मा :: कनु बेटा ....
अपने पापा की आवाज़ पुरे 3 साल बाद सुनने के बाद ... कनिका की आँखें लाल हो गईं थी | इस दुनिया में कनिका का कोई नहीं था | सिर्फ एक रिश्ता था ... जिसके सहारे कनिका ने इतनी हिम्मत करके .... खुद को संभाला हुआ था | अपनी माँ की आँखों में आंसू देख .... जहाँ कायरा परेशान हो गई .. वहीँ कायर्व की भौएँ तन गईं |
कनिका : ( रूवांसी आवाज़ में ) पापा ....
मिस्टर शर्मा :: कुछ मत बोलो ... मुझे तुमसे मिलना है |
कनिका :: पर पापा ....
मिस्टर शर्मा ::: प्लीज़ बेटा .... एक आखिरी बार ....
कनिका अपने पापा को मना नहीं कर पाई .... वो आगे कुछ ओर बोल पाती उससे पहले ही मिस्टर शर्मा आगे बोला ...
मिस्टर शर्मा :: ओर हाँ ... मेरे नाती नातिन को अपने साथ लाना मत भूलना |
कनिका तो हैरान ही रह गई | वो सोचने लगी .. की उसके पापा को इन दो शैतानों के बारे में कैसे पता | पर फिर उसे खुद पर ही हसी आई | क्यूँ नहीं पता होगा .... कनिका के पापा एक जाने माने वील हैं .... उनके लिए ये सब पता लगवाना .... किसी चुटकी बजाने के बराबर है |
कनिका :: जी पापा ... मैं आज ही आती हूँ |
ये कहने के बाद .. कनिका ने अपना फ़ोन रखा .. ओर अपने दोनों बचों की तरफ देखा ..... कायरा अपनी बड़ी बड़ी आँखों से कनिका की तरफ देख रही थी ..तो कनिका बोली ..
कनिका :: आज शाम को हमे कहीं जाना है ...
कायरा :: हम कहाँ जा रहे हैं ममा ...?
कायर्व :: ननु के पास ...
कनिका ने हैरानी से अपने बेटे की तरफ देखा ....
कनिका :: कायर्व ... तुम्हे कैसे पता की हम कहा जा रहे हैं ?
कायर्व :: वो सब छोड़ो .... मुझे जाना है |
कनिका आगे कुछ बोल पाती .... कायर्व वहां से चला गया | रूम में जाते ही कायर्व ने अपना फ़ोन निकाला ओर किसी को फ़ोन करने लगा |
वहीँ वीर अपने ऑफिस में बैठा था | तभी अचानक से वहां फ़ोन बजने लगा | ये रिंग टोन वीर के फ़ोन की नहीं थी | उसने अपने आसपास नजरें फेरीं तो देखा की ... रिया का फ़ोन बज रजा था | वीर ने कॉलर का नाम देखा .. तो वहां लिटिल बॉस लिखा हुआ आ रहा था | ये देख ... वीर के चेहरे पर मुस्कान आ गई | उसे फ़ोन उठाया ओर बोला |
वीर :: क्या हुआ बोलो ...
कायर्व ने जब रिया के फ़ोन पर किसी आदमी की आवाज़ सुनी ... तो वो गुस्से में बोला |
कायर्व :: मासी कहाँ है ...?
वीर ::: अरे अरे शांत हो जाओ ... लिटिल डेविल |
कायर्व ::: मासी कहाँ हैं ...?
वीर :: वो बस ...किसी काम से बाहर गई है | फ़ोन मेरे ऑफिस में ही छूट गया | कुछ काम है तो .. मुझे बता सकते हो |
कायर्व :: मुझे पलक की जानकारी भेजो |
ओर वीर की आगे बिना कोई बात सुने ही कायर्व ने फ़ोन काट दिया | वीर मन ही मन सोचना लगा |
वीर :: “:दोनों बाप बेटे एक जैसे है | अपना काम निकल जाए ... तो हमे भूल गये ...”
फिर वीर अपनी चेयर से उठा ओर रिया के पास गया | रिया अभी भी बेहोश थी .... अब वीर को रिया की फ़िक्र होने लगी थी | वीर रिया के पास बैठा ... ओर उसे निहारने लगा | बड़ी बड़ी पलकें .... छोटे होंठ .... वीर तो मानो रिया में खो सा गया हो | उसे पता ही नहीं लगा ... की उसे बहुत टाइम हो गया ... यहाँ बैठे हुए | थोड़ी ही देर में रिया को होश आ गया |
वीर जल्दी से बेड पर से उठ गया | ताकि रिया कुछ गलत न समझ ले | जब रिया ने अपनी पलकें खोलीं ... तो अपने सामने वीर को पा डर गई ... रिया कुछ बोल पाती ... उससे पहले ही वीर बोला |
वीर :: देखो .. कुछ गलत मत समझना ... तुम बेहोश हो गई थी | तो बस मैं ...
रिया ने एक गहरी सां ली ... ओर खुद को शांत किया | फिर धीरे से वीर से बोली ..
रिया :: धनयवाद सर ...
वीर :: तुम अब कैसा महसूस कर रही हो ... कहो तो डॉक्टर के पास चल सकते हैं ....
रिया अपने आसपास देखने लगी ..... वीर समझ गया ... की रिया क्या देख रही है | तो वो बोला |
वीर :: राहुल यहाँ नहीं है रिया |
वीर के मुह से राहुल का नाम सुन ... रिया ने वीर की तरफ देखा | मनो पूछ रही हो .. की तुम्हे कैसे पता .. की मैं क्या सोच रही हूँ |
पर वीर कुछ बोला नहीं | उसने पास में रखा पानी ... रिया को पिने के लिए दिया | ओर बोला |
वीर :: अगर तुम ठीक हो तो ... चलें .. अभी बहुत काम है | रिया :: हाँ हाँ चलते हैं |
ये कह ... दोनों अपने अपने काम में लग गये |
वहीँ कनिका आज बहुत घबराई हुई थी | पुरे तीन साल बाद .. वो अपने घर जा रही थी | वाही घर जहाँ उसने अपना बचपन जिया था | पर ऐसा नहीं था वो खुश नहीं थी | पर फीर भी थोड़ी डरी हुई थी | वो यही सोच रही थी ... की उसकी सौतेली माँ ओर पलक कैसे रियेक्ट करेंगे |
शाम को वो सब कनिका के ग्घ्र पहुंच गये | कायर्व बार बार अपने पीछे देख रहा था | ओर खुश हो रहा था |