Dream--Don't Forget-2 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | स्वप्न--भुलाए नही भूलता-2 स्वप्न--भुलाए नही भूलता-2 540 1.1k बापू का पत्र आने के बाद कुछ दिनों के लिए वह सपना दिखना बन्द हो गया।कुछ दिन बेहद आराम और चेन से गुजरे।लेकिन कुछ दिनों के अंतराल के बाद फिर वो ही डरावना ,ख़ौफ़ज़दा कर देने वाला सपना मुझे फिर से दिखने लगा।और फिर एक दिन बापू का पत्र आया था।मेरा एक कजिन आबूरोड में हमारे साथ ही रहता था।उसे बापू ने लोको शेड में एडहॉक पर नौकरी पर लगवा दिया था।उसके भी नवजात शिशु की मृत्यु का समाचार पत्र में लिखा था।बापू आबू से गांव बसवा और बांदीकुई भी गए थे।पत्र में उन्होंने वहां के समाचार भी लिखे थे।इस पत्र के बाद मुझे फिर सपना दिखना बन्द हो गया था।और मैं फिर से आम और चैन रहित जीवन गुजारने लगा।और उस डरावने सपन से मुक्ति मिली थी।लेकिन कब तक?केवल एक सप्ताह तक।एक सप्ताह बाद फिर वो ही डरावना सपना नींद में आकर मुझे डराने लगा।सपना देखते ही मैं पसीने पसीने हो जाता और न फिर सो पाता न दिन में आराम से रह पाता।और फिर एक सप्ताह बाद बापू का पत्र मिला था।मेरे जीजाजी-घनश्याम जी -मेरे बसवा वाले ताऊजी गणेश प्रशाद की बेटी द्रौपदी के पति के भाई मारवाड़ जंक्शन में पार्सल क्लर्क थे।उनकी अचानक म्रत्यु हो गयी थी।उनकी मृत्यु का दुखद समाचार उस पत्र में था।घनश्याम जीजाजी से मेरी काफी आत्मीयता थी।उस पत्र के मिलने के बाद पहले की तरह मुझे सपना दिखना बन्द नही हुआ।अक्टूबर का महीना आते आते वह डरावना भयानक सपना जो मुझे केवल रात में ही दिखता था।दिन में भी दिखने लगा।दिन में नींद में नही।जगने पर भी वह सपना दिखने लगा।दिन में खाना खाते समय,पढ़ते समय या बैठा हूँ तब बापू की अर्थी सामने दिखने लगतीऐसा देखते ही मेरा दिल बुरी तरह घबराने लगता।भय,डर,अनिष्ट की आसंका डराने लगती।यह सपना ऐसा था जिसके बारे में किसी को न बता सकता था।न राय ले सकता था।न बापू से या अन्य रिश्तेदार से बात कर सकता था।मेरे सिर पर जिनका हाथ था।उन्ही के अनिष्ट का सपना में देख रहा था।और मैं घुट घुट कर जी रहा था।एज एक दिन भारी था।और जैसे तैसे दिन गुजरते हुए अक्टूबर का अंतिम सप्ताह आ गया।जैसा मैंने पहले लिखा है।मैं जोधपुर में पढ़ रहा था।मैंने एन सी सी में भाग ले रखा था।दो साल के बाद एन सी सी का 10 दिन का केम्प अटेंड करना जरूरी होता है।उस साल यानी 1969 में एन सी सी का कैम्प माउंट आबू में लगना था।मैं एन सी सी के दूसरे साल में था।इसलिए मुझे भी इस कैम्प में जाना था।और निश्चित दिन 3 बसों में एन सी सी के कैडेट माउंट आबू के लिए रवाना हुए थे।जोधपुर से माउंट आबू का बस से रास्ता उन दिनों सिरोही होकर था।अक्टूबर में सर्दियां शुरू हो जाती है।कैम्प दस दिन का होता है।हमे दस दिन तक माउंट आबू में रुकना था।माउंट आबू हिल स्टेशन है।यहां पर देलवाड़ा के जैन मंदिर,नक्की झील और अन्य दर्शनीय स्थल के साथ सन सेट पॉइंट भी है।इसके अलावा ब्रह्मा कुमारिज का आश्रम भी है।और हमारी बसे जगह जगह रुकती हुई शाम के समय माउंट आबू पहुंची थी।एन सी सी कैडेट के लिए पहाड़ियों में जगह जगह टेंट लगा दिए गए। ‹ Previous Chapterस्वप्न--भुलाए नही भूलता-1 › Next Chapterस्वप्न--भुलाए नही भूलता-3 Download Our App Rate & Review Send Review Be the first to write a Review! More Interesting Options Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Kishanlal Sharma Follow Novel by Kishanlal Sharma in Hindi Anything Total Episodes : 5 Share You May Also Like स्वप्न--भुलाए नही भूलता-1 by Kishanlal Sharma स्वप्न--भुलाए नही भूलता-3 by Kishanlal Sharma स्वप्न--भुलाए नही भूलता-4 by Kishanlal Sharma स्वप्न--भुलाए नही भूलता - अंतिम भाग by Kishanlal Sharma