Ishq hai sirf tumse - 11 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | ईश्क है सिर्फ तुम से - 11

ईश्क है सिर्फ तुम से - 11

सुलतान ऑफिस से निकलते हुए अपने चचा चाची के घर की ओर निकल जाता है । रग्गा गाड़ी चलाते हुए बार बार आगे के कांच से सुलतान की ओर नजर करते हुए अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा था की सुलतान का मुड़ कैसा है! । सुलतान आंख बंद करते हुए सोया हुआ था लेकिन जब उसे लगा की बार बार रग्गा उसे देख रहा है.. तो वह बिना आंखे खोले कहता है ।

सुलतान: रघुवीर! ।
रग्गा: यस बॉस ( बौखलाते हुए )।
सुलतान: क्या हुआ!? क्या मसला है!? ।
रग्गा: ( सुलतान ने रघुवीर कहां मतलब वह बात कर सकता हैं। ) वो... बॉस.. एक ऑर्डर आया है! सुपारी का!? ।
सुलतान: तो!? ।
रग्गा: बॉस मैंने बात तो कर ली है! पर उन लोगों को! मेरी बात पर भरोसा नहीं आ रहा की मैं संभाल लूंगा! तो वो लॉग आपसे बात करना चाहते है ।
सुलतान: केंसल कर दो! ।
रग्गा: बॉस! ( चौंकते हुए ) ।
सुलतान: ( आंखे खोलते हुए ) उनसे कहना की सुलतान के आदमी पर शक करना यानी सुलतान पर शक करना!। ये डील नहीं होगी! ।
रग्गा: पर... बॉस... ! ।
सुलतान: केंसल! ( आंखे बंद करके फिर से सो जाता हैं। ) ।
रग्गा: ( थोड़ी देर ठहरकर ) पर बॉस.. ५०० करोड़ की डील है! ।
सुलतान: मुझे बात फिर से दोहराना पसंद नहीं है रग्गा!।
रग्गा: ( सिर को हां में हिलाते हुए ) जानता हूं! बॉस पर एक तो डील अच्छी है और..! । ( सुलतान की ओर कांच में से देखते हुए )।
सुलतान: और क्या रह गया है!? ।
रग्गा: और अनंत अनजानी का खेल खत्म भी हो जाएगा!। तो हमारा काम भी आसान हो जाएगा।
सुलतान: ( थोड़ी देर सोचते हुए ) फिर भी आई डोंट लाइक इट! । कई ! अनंत अनजानी की जगह उनका खेल खत्म हो जाए! ।
रग्गा: ( डर की वजह से थूक से गला तक करते हुए! वह जानता था ये उन लोगो और रग्गा दोनो के लिए वॉर्निग थी। ) जानता हूं! बॉस गलती हुई है उन लोगो से! पर क्या आप बात नहीं कर सकते!? सिर .... सिर्फ ३० सेंकड ही सही ।
सुलतान: ( आंखे खोलते हुए गुस्से में रग्गा की ओर दांत भींचकर देखता है । )
रग्गा: सॉरी बॉस जानता हूं! लिमिट से बाहर गया हूं! पर दोनो तरफ से हमारा ही फायदा है! ।
सुलतान: कई बार ज्यादा फायदा! नुकसान का संकेत होता है ।
रग्गा: प्लीज... बॉस! ।
सुलतान: ( गुस्से में आंखे मिचते हुए ) तुम आज कुछ ज्यादा ही गलतियां कर रहे हो! रग्गा।
रग्गा: सॉरी बॉस! ।

तभी थोड़ी देर बाद रग्गा कार का दरवाजा खोलते हुए! सुलतान के बाहर आने का इंतजार करता है। सुलतान अपने चश्मे पहनते हुए कहता है । " आइंदा एसी गलती ना हो तो ही बेहतर है! " ( रग्गा के कंधे पर हाथ रखते हुए ) । रग्गा सिर को झुकाते हुए! हां कहता है। सुलतान तेज कदमों के साथ अपने चचा चाची के घर में दाखिल हो जाता है । जब वह देखता है तो सब लोग डाइनिंग हॉल में इकट्ठा हुए थे । सुलतान उस तरफ चलते हुए कहता है ।

सुलतान: बड़ी अम्मी! ।
बड़ी अम्मी: तुम्हे पता भी है! कब से इंतजार कर रहे है! हम सब ।
सुलतान: माफ कर दीजिए! आने में थोड़ी देर हो गई ।
दिलावर: चलो कोई नहीं! अब जल्दी से बैठो! खाना ठंडा हो रहा है।
सुलतान: ( टिस्सू से हाथ साफ करते हुए ) जी! ।
बड़ी अम्मी: ( सुल्तान को खाना परोसते हुए ) कितने दुबले हो गए हो! बस काम काम! करते रहते हो! ना खुद का ध्यान रखते हो! ना खाने पीने का!.।
सुलतान: ( मुस्कुराते हुए चम्मच से एक निवाला खाते हुए ) अब हर जगह आप जैसा ध्यान रखने वाला भी तो नहीं होता ना बड़ी अम्मी! ।
बड़ी अम्मी: हां तो कितनी बार कहा है की रुक जाया करो यहां पर! ।
सुलतान: ( चम्मच को साइड में रखते हुए ) आप जानती है! एसा पॉसिबल नहीं फिर बार बार! ।
दिलावर: ( मुस्कुराते हुए ) इसकी शादी करवा दे बड़ी अम्मी! फिर देखिए कैसे घर से बाहर जाने का नाम भी नहीं लेगा ।
सुलतान: ( बड़ी आंखे करते हुए ) जी चचा जान!? ।
दिलावर: अब वैसे भी तुम्हारी उम्र भी हो रही है । और महरीन की कॉलेज भी खतम होने वाली है! तो हम लॉग सोच रहे थे ।
सुलतान: ( बात को काटते हुए ) चचा जान मैने पहले ही कहां है! अभी नहीं तो प्लीज बात को फिर से मत दोहराए! और ( महरीन की ओर गुस्से में देखते हुए ) मैने महरीन से बात कर ली! उसे कोई दिक्कत नहीं है! हैं ना महरीन! ( दांत भींचते हुए ) ।
महरीन: ( सुलतान की ओर चौंककर देखती है) हां!?..… आ हां..! ।
सुलतान: सी! तो प्लीज अभी मुझे बिजनेस में ही फॉक्स करना है! । ( वह खाना खाने लगता है ।) ।
बड़ी अम्मी: ( हंसते हुए ) क्या है! तुम दोनों भी छोटी सी बात पे सीरियस हो जाते हो! । इतने वक्त बाद मिले है तो चैन की सांस लो ना की! ।
सुलतान: ( सिर को हां में हिलाते हुए हामी भरता है । ) ।
दिलावर: खैर! जाने दे ।

और फिर हंसते हुए बातो में व्यस्त हो जाते है । सुलतान बात तो कर रहा था लेकिन अभी भी उसके दिमाग में शादी से कैसे भागे यह बाते दौड़ रही थीं। जब खाना खाके वह अपने कमरे की ओर जा रहा था तभी उसकी नजर महरीन पर पड़ती है । वह उससे बात करने जाने ही वाला था की सुलतान का फॉन बजता है। वह देखता है रग्गा का था! वह अपने कमरे में दाखिल होते हुए दरवाजा लॉक कर देता है। फॉन उठाते हुए कहता है ।

सुलतान: बोलो!? ।
रग्गा: अज्जू का कॉल आया था! आगा खान आपको १० बजे कॉल करने वाले है।
सुलतान: ओके!? । ( सुलतान कॉल काट देता है। ) ।

सुलतान अलमारी खोलते हुए! एक बॉक्स निकलता है! जिसमे एक फोन था! वह मोबाइल को ऑन करते हुए! टाइम देखता है तो! अभी दो मिनिट का वक्त था । यह फोन कुछ खास तालुकात के लिए था! । बाकी फॉन की तरह इस फोन में भी सुलतान कहां है! किस जगह पर है! यह ट्रेस नहीं कर पाता । लेकिन यह फॉन नंबर सिर्फ कुछ ही खास डील के लिए है । तभी फॉन की रिंग बजती है।
सुलतान कॉल उठाते हुए कहता है।

सुलतान: हेलो! ।
आगा: असलामु अल्यकुम! खैरियत! ।
सुलतान: हम्म..! कैसे याद किया आपने मुझे!? ।
आगा: लूसी के आने की खबर मिली है! ।
सुलतान: कब!? ।
आगा: कुछ दिन पहले! पाकिस्तान आने वाला है! ।
सुलतान: और!? ।
आगा: रोमानो... ने उसे बचाया था! । एसा पता चला है!।
सुलतान: विक्टर रोमानो! ने!? ।
आगा: हां! इस साल यहां पर मीटिंग होगी! ।
सुलतान: ओके! ।
आगा: खुदा हाफ़िज़ ।

सुलतान सिर को हां में हिलाते हुए कॉल काट देता है । वह कुछ देर सोचता है! फिर रग्गा को कॉल करते हुए कहता हैं।

सुलतान: वो डील कैंसल हो गई!? ।
रग्गा: नहीं! मैं उन्हें फॉन करने ही वाला था।
सुलतान: उनसे कह दो मैं खुद इस काम को अंजाम दूंगा।
रग्गा: बॉस!? ।
सुलतान: मैं कल पाकिस्तान जा रहा हूं! ।
रग्गा: बॉस! ? ।
सुलतान: मुझे कुछ काम है! तो अनत अनजानी का काम भी मैं ही तमाम करूंगा।
रग्गा: जी बॉस! ।

सुलतान कॉल काटते हुए! मोबाइल को बेड पर फेक देता है और बालकनी की ओर चला जाता है । वह सिगरेट को जलाते हुए एक कश लेते हुए कल के बारे में सोचता है की क्या करेगा!? कैसे करेगा! । और लूसी को मिलने के बाद आगे क्या प्लान करना है यही बात उसके दिमाग में घूम रही थी । इस बात से अनजान की शायद कल वह जो सोच रहा है उससे विपरीत भी कुछ हो सकता है ।

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Nikita Patel

Nikita Patel 6 months ago

Uplakshya Patel

Uplakshya Patel 6 months ago

nice story but you getting more time