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अंतरा - भाग 1

अंतरा
लेखक - आस्था रावत


दोस्ती भी कितनी अजीब चीज है न, कब, कहां, और किससे हो जाए कुछ पता नही।

मेरी और अंतरा की दोस्ती भी कुछ ऐसे ही हुई थी।
जानते है कहां

एक सिंगिंग ऐप पर…

गाते गाते पता नहीं हम दोनो कब दोस्त बन गए।
गाने का मुझे बहुत शौक था।
समय निकाल कर
गाने बजाने में ही लगी रहती।

लता दीदी, आशा भोसले , श्रेया घोषाल के गानों से तो मेरी पूरी प्लेलिस्ट भरी पड़ी थी।
कभी शमशाद बेगम के कुछ नगमों का भी लुत्फ उठाती और उन्हें भी इत्मीनान से गाती।
कभी “मेरे पिया गए रंगून”
तो कभी

"कभी आर कभी पार लगा तीर ऐ नज़र”


एक दिन ऐसे ही सिंगिंग ऐप के एक ऑनलाइन कंपीटिशन में मुझे बतौर निर्णायक जज नियुक्त किया गया
उसी में
मेरी मुलाकात एक बहुत सुरीली आवाज़
से हुई ।
ये आवाज कभी लता मंगेशकर की तरह सौम्यता भरे गीत गाती।
कभी आशा जी जैसे चंचल से मस्ती भरे गीत गाती


ये सुरीली आवाज थी अंतरा की।
जो इस कंपीटीशन के बाद मेरी एक बहुत अच्छी सहेली बन गई थी।


अंतरा की आवाज मुझे बहुत पसंद आई।


और अन्य दो निर्णायक भी उससे बहुत खुश हुए।
सो अंतरा ही कंपीटीशन की विजेता रही


धीरे धीरे हम दोनो में बातों का सिलसिला शुरू हुआ
अंतरा बहुत मिलनसार थी लगता था नाजने कितनी पुरानी सहेली है।
उसने मुझे बताया वो इंदौर रहती है।
में उस समय नोएडा रहती थीं।


हम दोनो एक दूसरे से कभी मिले तो नहीं थे।
मगर मुझे ऐसा कभी लगा ही नहीं
उसकी बातें ही कुछ ऐसी होती लगता नजाने कब से मुझे पहचानती हैं।

सब कुछ बता डालती।


और उसकी बातें तो,
पूछो मत,
एक एक पल की खबर घंटो मुझे फ़ोन पर बताया करती।


कभी तो हफ्तों तक न कॉल करती न उठाती और कभी हर आधे घंटे में कॉल।


हाल ही के कुछ दिनों में शायद अंतरा की तबीयत खराब थी।
न उसने मुझे काफी दिनो से फोन किया न कोई मेसेज



लगभग एक महीने बाद आज उसका कॉल आया


जैसे ही मैंने फ़ोन उठाया,
मेरी आवाज सुनते ही अंतरा चिल्लाने लगी।



अच्छा जी…. यही थी तुम्हारी दोस्ती
में यहां हॉस्पिटल में पड़ी थी और मैडम का एक कॉल तक न आया।
पता नही यार तुम कैसी दोस्त हो…..


में उसका गुस्सा देख कर थोड़ा चुप रही
फिर मैंने सोचा इससे अभी माफी मांगने में ही भलाई है।


सॉरी , आई एम रियली सॉरी अंतरा

सच में मैंने तो तुम्हे बहुत कॉल किए थें मगर तुम्हारा फ़ोन हमेशा बंद ही आता है।
मैने तो एक बार सोचा इंदौर आ जाऊं मगर तुम्हारा एड्रेस भी तो नही पता न मुझे।



हां हां अब बहाने बंद करो।
में सब जानती हूं..

नाराज तो मैं तुमसे बहुत हूं।
लेकिन एक महीने बाद बात हुई है
तो इसे गुस्सा निकालने में समय बर्बाद नहीं करूंगी।



ये सब छोड़ अंतरा तू ये बता तुझे हुआ क्या था? अब कैसी है? अब ठीक तो है ना। मैने अंतरा से कहा।


अरे बाबा एक साथ इतने सवाल।
में अभी बिल्कुल ठीक हूं।
तुम तो जानती हो न ये मेरा सर दर्द

पता नहीं क्यों तेज सर दर्द हुआ
आंखों के आगे बिल्कुल अंधेरा छा गया।
उसके बाद पता नहीं,
सीधे खुद को हॉस्पिटल में ही पाया।


खैर वो तो डॉक्टर मृदुल है जिन्होंने फिर से मेरी जान बचा दी।
कह रहे थे थोड़ी कमजोरी है।
ठीक हो जाएंगी।
और ज्यादा स्ट्रेस भी मत लीजिए।



तुम तो जानती हो।
में कहां चिंता करती हूं और किसकी चिंता करूं.
अंतरा मायूस सी होकर बोली।




अरे बाबा डॉक्टर तो ऐसा कहते ही है अंतरा बस तुम अपना ध्यान रखो।
चलो मैं अभी रखती हूं।



हे रूको…….
वो कुछ मुसकुराते हुए बोली

तुम जानती हो डॉक्टर मृदुल पिछले एक महीने से मेरी ही सेवा में लगे हुए हैं।
और वो मेरे गाने के भी इतने दीवाने हैं की पूछो मत।

कहते है


“आप बहुत प्यारा गाती हैं
जब ठीक हो जाएंगी तो मैं जरूर आपसे गाना सुनूंगा”


हम्मम्मम्म ये तो बड़ी अच्छी खबर है
लगता है डॉक्टर साहब को भी तुम्हारे गाने में दिलचस्पी बढ़ने लगी है।



हां और नही तो क्या।


बातों बातों में समय का कुछ पता ही नहीं चला।


अंतरा के किस्से तो मानो कभी खत्म हो न हो।

डॉक्टर मृदुल को ही ले लो
अंतरा ने बताया की कैसे वो बेचारी डॉक्टर साहब को कितना पसंद करती हैं।
लेकिन एक डॉक्टर साहब हैं जो उसके दिल को समझते ही नहीं …..





शाम का 6 बज गए थे।
अंतरा को हॉस्पिटल से घर जाना था।

अचानक से अंतरा के रूम का दरवाजा खुला।
और अंतरा यकायक नींद से जाग गई।

डॉक्टर मृदुल धीमे धीमे कदमों से अंदर आए और अंतरा के पास बैठ गए।

ओह सॉरी मैने आपको जगा दिया।
डॉक्टर धीरे से बोले


नही डॉक्टर कोई बात नही वैसे भी घर भी तो जाना है।


क्यों आपको यहां पसंद नहीं आया।
घर जाना ही है क्या
घर पर तो कोई है ही नहीं। फिर,

डॉक्टर मुस्कराते हुए स्टेथस्कॉप अंतरा की हार्टबीट चेक करते हुए कहते रहे।



घर पर कोई हो या न हो पर हॉस्पिटल से तो बेहतर ही होगा ना डॉक्टर।



यहां भी तो अच्छा है देखिए कितनी नर्स है डॉक्टर है हम है सभी तो आपकी सेवा में लगे हैं और क्या चाहिए।


आप सब है ही लेकिन यहीं थोड़े ना रहना है घर जाऊंगी। अपनी सहेली से बात करूंगी। म्यूजिक को बहुत मिस करती हूं।
थोडी देर अपने संगीत को दूंगी।


अगर आप यही चाहती हैं तो ठीक है,
मगर अपनी दवाईयां टाइम से लीजिएगा
और दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं पड़ना चाहिए।


ओके डॉक्टर।
लेकिन मैं पूरी तरह ठीक तो हूं ना।


हां ठीक है लेकिन पूरी तरह भी नहीं।
अभी चलिए
निकलते हैं।


डॉक्टर ने इशारे से एक नर्स को बुलाया
वो अंतरा के पास आई और उसकी बांह अपने कंधे में टिकाकर उसके बाहर ले जाने लगी।


डॉक्टर क्या आप मुझे छोड़ रहे हैं।
अंतरा डॉक्टर को देखते हुए बोली।


हां मैं ड्राप कर दूंगा।
डॉक्टर बोले।



हॉस्पिटल के बाहर निकलते ही अंतरा ने सुकून की सांस ली।

मौसम काफी सर्द था ठंडी हवाएं चल रही थी।

इन ठंडी हवाओ ने अंतरा के अंदर ताज़गी सी भर दी।


नर्स अंतरा को कार की पिछली सीट पर बिठा कर अंदर चली गई।

अंतरा विंडो से बादलों को देख रही थी।

जो धीरे धीरे काले होते जा रहे हैं।

आसमान पूरा काला पड़ रहा है
लग रहा मानो आधी रात हो गई हो।

“लगता है बहुत बारिश होगी”



क्या फुसफुसा रही है अंतरा।
डॉक्टर कार में घुसते हुए बोले।

वो ड्राइविंग सीट पर बैठे और मिरर एडजेस्ट करके उसमे अंतरा को देखने लगे।


कुछ ख़ास नहीं डॉक्टर मैं कह रही थी शायद आज बारिश हो।


खास क्यों नहीं ये तो बहुत स्पेशल है।
जानती हैं मौसम की पहली बारिश होगी।


डॉक्टर ने गाड़ी स्टार्ट कर दी…


क्या पहली बारिश डॉक्टर सब एक जैसी ही होती हैं पहली हो या फिर आखिरी।



रहने दीजिए आप नही समझेगी..
आप गाना सुनिए
मेरा फेवरेट,
डॉक्टर ने झट से रेडियो ऑन किया
और एक गाना चला दिया...


अभी न जाओ छोड़ कर..
ये दिल अभी भरा नहीं,
अभी अभी तो आई हो बहार बनके छाई हो…
हवा ज़रा महक तो ले नज़र ज़रा बहक तो ले ..
ये शाम ढल तो ले ज़रा,
ये दिल सम्भल तो ले ज़रा,
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ नशे के घूँट पी तो लूँ………….


अगले भाग में….