Sath Zindgi Bhar ka - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 12

अप्रतिम ... महागुरु ने चाय की चुस्की लेते हुये कहा ये तो कुछ नहीं हे

गुरुजी ..... आस्था के हाथों मे स्वयं माँ अन्नपूर्णा बसती है ..... बहोत ही लाजवाब खाना बनाती है

वो .. दादासा ने हमेशा की तरह उसके खाने की तारीफ की ।

हम भी आपके हाथो का स्वाद जरूर चखेंगे आस्था बेटा .... लेकिन आज नही .. आज हमारा उपवास है सिर्फ फल आहार करेंगे . महागुरू गुरुजी ..... हम उपवास का ही खाना बनाने वाले हैं अगर आप ....

आस्था कहते कहते रुक गयी हम अवश्य खायेंगे ..... महागुरू ने कहा और आस्था किचन में चली गयी वो बहोत खुश थी ....

हर साल वो और उसकी माँ इस दिन साधू संत को खाना खिलाते ....

इस बार तो इतने बड़े गुरु और उनके शिष्यों को खाना खिलाने का सौभाग्य उसे जो मिला था .....

उसने खाना बनाया ....

और पुरे दिल से सभी को खाना खिला भी दिया .. आस्था कमरे मे आ गयी .

आस्था .... आपने खाना क्यु नही खाया . दाईमाँ ने अंदर आते हुये कहा आज हम निर्जला उपवास करते हे

दाईमाँ ... शाम की महाआरती के बाद कुछ खायेंगे .... और तभी पानी भी पियेंगे .. आस्था नही दाई माँ .... ! ठीक है .... लेकिन अब आप कोई काम नही ....

सिर्फ आराम किजीये ..... दाईमाँ करेंगी . हम मंदिर जा रहे हे ..

आस्था लेकिन .... चलिये ठीक हे हम ड्राईवर से कह देते है । वो आपको छोड़ आयेंगे .....

क्यु के 11 बजे हमे कुलदेवता के मंदिर भी तो जाना हे .... दाईमाँ दाईमाँ .... हमे पैदल मंदिर जाना हे .....

हम हर साल चलकर ही जाते थे .. आस्था नही आस्था ..... मंदिर यहा से 5km दूर हे ....

और आप पैदल ....बिल्कुल भी नही .. बिल्कुल भी नही ........ दाईमाँ

दाईमाँ प्लीज .... हम जल्दी आ जायेंगे .. आस्था मे बहोत ही क्यूट फेस करते हुये कहा . जिसपर दाईमाँ भी कुछ नहीं कह पायी .. आस्था मंदिर के लिये निकल गयी ..... ' क्युकी उसे जल्दी वापस आना था इसी लिये वो जल्दी जल्दी चल रही थी .....

मंदिर जाकर .... दर्शन लेकर उसे बहोत सुकून मिला ..... वो अपनी माँ की बहोत याद कर रही थी ..... लेकिन ....

वो आज उसके साथ नही थी ..... अपने आप को समझाकर वो जल्दी से वापस लौट आयी ..

आस्था .... रुकिये .... बड़ी दादीसा ने कहा और घर की सारी बडी लेडिस भी वही थी जी ......

आस्था को हैरानी हुयी . हुयी ... ये आपके लिये ....... आज आप यही पहनेगी .. मृणाल ने उसे एक बड़ी सी थाल दी जिसमे लाल कलर की खुबसुरत साडी .. .ज्वेलरी . और मृणाल सुहाग की सारी निशानियाँ थी

ये .... ये किसलिए .. आस्था ने बड़ी हिम्मत कर के पुछा ये इसलिये ..... की आप इस घर को बहू हे .. बडी दादीसा ऐसे मत देखिए .. आस्था हैरानी से आखें बडी करते हुये उन्हें देखने लगी ....... मानते हे हम ने पहले आपको क्यु की हमे लगता था आप हमारे नही आप्नाया . एकांश के काबिल नही हे ....

जहा उन्हें एक हमसफर की उनके प्यार की साथ की जरूरत है । वही वो आपकी जिम्मेदारी उठा रहे है ... जहा उनकी पत्नी को उन्हें संभालना चाहिये वही उन्हे आपको संभालना पड़ रहा है ... बस यही वजह थी की हम सबने आपसे ऐसा व्यवहार किया .. लेकिन हम गलत थे ......

आप उम्र में भले ही कम मगर बहोत जिम्मेदार हे .... बहोत अच्छे से खयाल रखती है उनका .. बड़ी दादीसा ने कहा ये सब चीजे जो आप देख रही हे ना .... हम पहले ही आपको देने वाले थे .... लेकिन मौका ही नही मिला ..... इसिलिए अब दे रहे हे .....

आज पूजा मे यही साडी पहनिये ..... वो भी पुरे साज शृंगार के साथ . दादीसा जी जरुर .... आस्था ने खुशी से कहकर सबका आशीर्वाद ले लिया .....

सबने भी उसे प्यार से गले लगा लिया .... आस्था की आखें हल्की नम थी . ओह ही आस्था .... ये आसू क्यु ..... अनिता . जल्दी जाईये और तयार और नही तो क्या .... होइये .... कुछ देर मे हमे निकलना है ..... सुनीता

जी .... छोटी माँ .... हम कह सकते हे ना .. आस्था जी बिल्कुल ..... सुनीता जी ने उसके गाल को थपथपाया .. और हमे बडी माँ कहिये ..... मृणाल जी ने भी कहा • हम्म आस्था ने खुशी से हा मे सर हिलाया और अप्ने रुम मे चली गयी

दीदी .. की . अनिता कितनी प्यारी स्माइल हे ना आस्था और वो भी कितनी प्यारी समझदार हे ..

खूबसूरत भी तो हे वो बहोत ..... उनका नैन नक्ष भी बहोत प्यारा हे .... सिर्फ रंग ....

सुनीता जी कहते हुये चुप हो गयी क्यु की दादीसा और बड़ी दादीसा उन्हे ही घुर रही थी ।

नही माँसा .... हम तो बस .. • सुनीता जी डर से चुप हो गयी

ऐसे ही खामोश रहिये ..... हमे उनके रंग से उनके रूप से कोई फर्क नही पढता ..... हम सिर्फ इतना जानते है की हमारे एकांश उनके साथ खुश है .. भले ही वो एक नही हुये .. ,

लेकिन जो सुकून आस्था के आने के बाद हमने एकांश क्व चेहरे पर देखा ना .... बस हम उसिमे खुश हे .... और हा आधे घण्टे मे हमे जाकर तयार हो जाईये .. निकलना हे .. की और बढ़ गयी .. .... ।

. दादीसा ने कहा और अपने कमरे बाकी सब भी अपने अपने कमरे मे चले गये

कुछ देर बैंड सभी जेन्ट्स घर की लेडिस का इन्तज़ार कर रहे थे .. महागुरू उनके सेवक के साथ दादासा और अजिंक्य जी पहले ही चले गये थे ... एक एक कर सभी लेडिस आ गयी .... जो वो अपनी अपनी पत्नी और बच्चो को लिये आगे बढ गया .... अब सिर्फ वहा एकांश बडी दादीसा और दादीसा ही थे जो आस्था को लेकर जाने वाले थे

कुँवरसा ...... हम जीजी और दाईमाँ के साथ निकलते हे .... आप आस्था के साथ आ जाईयेगा ..... दादिसा ने कहा और बिना कोई

जवाब सुने ही आगे बढ गये . एकांश कुछ बोल ही नही पाया .... या शायद वो बोलना ही नही चाहता था .. ऐसा क्यु हो रहा है । उसे भी समज नहीं आ रहा था .. गुम .. तंद्रा टूटी ..... .......... इन्ही खयालो मे आस्था के पायल के आवाज से उसकी सुर्ख लाल साडी ..... बालो का बड़ा सा बन .. और उसमे ढेर सारे गजरे .....

गले मे भारी हाल ..... बड़े झुम्के और बड़ासा मांग टिका ..... हाथ भर के लाल चुडियाँ और उसके आगे पीछे कड़े .. कमर और चलते वक़्त होने वालो उसके पायल कांश अपनी बंध .. की मीठी सी आवाज ..... उफ्फ . नजरे उसपर से हटा नहीं पा रहा था .. स .... सब कहा हे ..... आस्था ने धीरे से कहा .....

एकांश के इस तरह देखने से उसे शर्म आ रही थी ..... ये किस तरह की फीलिंग हे उसे समझ नही आ रहा था ..... और समझेंगा भी कैसे वो महस सोला साल की ही तो थी .... प्यार मोहब्बत जैसे जज्बातो से कोसो दूर .... एकांश के कानो तक उसकी आवाज ही नही पहोची ......

कुँवरजी ..... आस्था शर्म से पानी पानी हो रही थी । हम्म .. हा कुछ कहा . हुये कहा ....... एकांश ने होश मे आते वो .... वो .... आस्था समझ नहीं पा रही थी की क्या कहे चले

चले .... एकांश ने उसकी और हाथ बढाया या फिर दिल के हाथो मजबूर होकर उसके ही नासमज उससे ये हो गया ..... लेकिन अब .. अब उसे फिक्र हो रही थी .... क्या आस्था थामेंगी हमारा हाथ .. हमे ऐसे नहीं करना चाहिये था .....

एकांश के दिल और दिमाग दोनो कह रहे थे .... वो अपना हाथ पीछे लेने लगा लेकिन तब तक ही आस्था ने अपना नाजुक हाथ उसके हाथो मे दे दिया ।

अगर वो नजरे उठाकर देखती तो देख पाती ... एकांश के चेहरे पर की वो मिलियन डॉलर वाली स्माइल .....

आस्था .... i promise .... जितने विश्वास से आपने ये हाथ थामा हे ना ..... उतने ही विश्वास से हम हमारा ये रिश्ता निभायेंगे ..... आपको कभी भी अकेला नही छोडेंगे .... और हा .... हमे पता है आपका आज जन्मदिन है .....

सुबह ही विश करने वाले थे ..... जब आपके चेहरे पर हल्की नाराजगी देखी थी .... लेकिन क्या करे ..... रात का सरप्राइज जो खराब हो जाता .....

बट डोंट वरि .. आपको आज बहोत ही अच्छा सरप्राइज मिलेंगा ..... एकांश दिल ही दिल मे बातें किया जा रहा था ..

एक दुसरे का हाथ थामे कब वो गाडी मे बैठ गये और कब मंदिर पहोचे उन्हे ही पता नहीं लगा . लेकिन एक बात थी .... ना एकांश ने आस्था का हाथ छोड़ा और नाही आअथा ने अपना हाथ उसके हाथो से छुडवाया ....

💞💞💞💞

आप

सभी के कहने पर मने word लिमिट बड़ा

बड़ा दी है

आई नो पार्ट लेट हो गया .. और मैने सस्पेंस भी रिविल नही किया है

. स्केडुल बहोत ही बिजी था .. बट ट्राई करूंगी की रोज के रोज पार्ट दे पाऊ ..

So happy reading . comment kijiye ..... अप जितने ज्यादा कमेंट ****** and please

अब मिलते हे अगले पार्ट मे .....

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और इस डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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