Sath Zindgi Bhar ka - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

साथ जिंदगी भर का - भाग 14

कुँवरजी .... आस्था ने थकी आवाज मे सुखे गले से कहा और अपना हाथ उसकी और बढ़ा दिया .... उसका चेहरा पुरी तरह से मुरझा गया था .... हलक सुख गया था .....

सामने का ठीक से दिखाई देने मे भी प्रॉब्लम हो रहा था .. एकांश ने उसका हाथ थाम लॉय और उसके सामने आ गया आस्था .... हमे आपसे ये उम्मीद नही थी ....

कैसा कर सकती हे ये आप .. आपको कुछ समझ हे या नही .... इस तरह से उपवास रखना .....

और फिर पता नही कितना पैदल चलना ..... उतना काफी नही था की ..... अब ये सीढ़ियाँ भी चढनी थी ....

कुछ समज हे या नहीं है ..... एकांश आखों ने बेशुमार फिक्र और प्यार लिये जैसे जैसे उसे डांट ... रहा था वैसे वैसे आस्था की आखों से आंसू बह रहे थे

अब रो क्यु रही हे .... एकांश ने गुस्से मे चीखकर पुछा हमे .... हमे चक्कर आ रहे हे ....

सामने का कुछ दिखाई भी नही दे रहा .... आस्था ने किसी तरह से कहा और

अगले ही पल एकांश ने उसे अपनी बाहों के घेरे मे बंद कर दिया ..... रुद्र जो वहा एकांश को देखने आया था वो वैसे ही वापस चला गया आस्था ....

हमे पता नही था की आप इतनी पागल हे .... जो ये सब किया .... एकांश ने शांती से कहा हम पागल नही हे ....

ये तो हमारी आस्था है .. हमारे शिवजी के लिये .... •

आस्था ने बेहद मासूमी से उसके बाहों मे रहकर ही लेकिन सर उठाकर कहा और उसकी वो आखें ...

एकांश हर बार की तरह उनमे कैद हो गया आस्था की आस्था .... एकांश कहकर मुस्कुरा दिया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया ये आप क्या कर रहे हे ....

आस्था आप चल सकती हे .... एकांश ने उसकी आखों मे देखते हुये कहा . और आस्था ने ना मे सर हिला एकांश खुद को दिया .....

फिर अब भी कुछ कहना है .. आस्था ने हा मे सर हिलाया .... कहिये ......

मुस्कुराने से नही रोक पाया किसी ने देखा तो .... आस्था कुछ नही कहेंगा ....

एकांश और आपके हाथों में दर्द हुआ तो .. आस्था इतनी सी हे आप .... बिल्कुल भी दर्द नहीं होंगा ..

एकांश हम्म .. आस्था ने भी अच्छे बच्चे की तरह सर हिला दिया वैसे आप कुछ खाती हे या नही .....

जब आप को पहली बार उठाया था तब भी इतना ही वेट था .... या फिर इससे ज्यादा .....

एकांश ने कहा और आस्था आखें बडी करते हुये उसे देखने लगी .....

क्या .... एकांश ने उसके एक्सप्रेशन को देखकर कहा आपने हमे कब गोद में उठाया .

आस्था एक बार नहीं दो बार आप हमारे बाहों मे थी ..

एकांश क्या sss . आस्था

लेकिन अपसोस .... दोनो बार बेहोश थी . एकांश ओह .... आस्था कहकर खामोश हो गयी ....

उसने अपना सर एकांश के सिने से लगा लिया ....

अब उसमे कुछ बोलने की भी हिम्मत नही थी ....

आखें बंद किया वो एकांश के दिल की धड़कन सुन रही थी ....

आप ठीक तो है ना आस्था .... एकांश उसकी बंद आखें देख घबरा गया .... ठीक है ....

आस्था ने अपनी बाहें उसकी गले मे दाली और उसे पैक पकड़ लिया ..... एकांश ने भी अपनी बाहें कस ली ....

दिल के हाथो मजबुर कहे या वक़्त की जरूरत .. लेकिन दोनों एक दुसरे के करीब थे ....

कही ना कही दोनों को भी इस करीबी से दूर होने की नहीं थी ..... ऐकांश आस्था को लिये मंदिर पहोच गया ....

और सब उन दोनों के पास आ गये .. उसने उसे एक जगह ठीक से बीठा दिया आप ठीक तो है ना आस्था ....

दादासा जी .... ठीक हे . हो रही थी ..... उसने किसी तरह कहा .. ...... आस्था को आखें अब भी बंद आस्था ....

ये लिजिये .... पानी पीजिए . एकांश नही हम .... आस्था आगे बोलने से पहले ही एकांश ने कहा

पानी पीजिए आस्था . और फिर आपको खाना भी खाना है ...... और अब हमे आपसे ना नही सुनना है ......

एकांश कुँवरजी ..... प्लीज .... आस्था ने बहोत होप से उसकी तरफ देखा करिये जो करना है ....

एकांश को अब गुस्सा आ रहा था .

कुँवरसा शांत हो जाइये .. हम अभी पूजा शुरु करते है .... और पूजा के बाद आप कुँवराणीसा को खाना खिला दिजीएंगा ....

एकांश ने सिर्फ हामी भरी ....

वो दोनो और पुरा परिवार पूजा में बैठ महागुरू ने पूजा थोडा जल्दी ही खत्म की ....

क्यु की आस्था की हालत उनसे भी देखी नही जा रही थी . गये .. ने

हवन कुंड में आहुति दालते वक़्त गलती से आस्था का हाथ भी जलने वाला था लेकिन एकांश ने समय रहते उसे पीछे कर लिया .. अब उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था ....

आस्था ने अपना शरीर बेजान कर एकांश के उपर छोड़ दिया .. आस्था ....

एकांश ने कहा ठीक उसी समय महागुरू ने भी पूजा समाप्त हुयी कहा ..... एकांश ने जल्दी से आस्था को पानी पिलाया ..... और उसे अपनी बाहों मे उठाकर निचे ले आया ..

आकाश .... डॉक्टर अरेंज किजीये .. एकांश लिफ्ट मे आ गया ..... गाडी मे बिठाकर वो वही मौजुद उनकी हवेली मे आ गया ...

आस्था अब एकांश के कमरे मे बेजान सी बिस्तर पर लेटी हुयी डॉक्टर उसे चेक कर रहे थे ....

डॉक्टर ने उसे इन्जेक्शन दे दिया और कुछ इंस्ट्रक्टशन देकर चले गये एकांश खामोशी से उसके सिरहाने बैठ कर उसे देख रहा था ....

वो उसके करीब आया और अपने ओठ उसके सर पर रख दिये ..... एकांश ने फिर उसके आखों को किस किया ....

उसकी नजर अब उसके ओठो पर थी ....

आस्था के सुखे ओठ देखकर एकांश की आखों से आसू की बूँद लुढ़कर उसके ओठो पर गिर गयी ....

कुँवरजी .... आस्था ने थकी आवाज में कहा हम्म .... कहिये ना आस्था .... कुछ चाहिये क्या आपको .....

एकांश ने उसके सर को प्यार से सहलाते हुये कहा पा ... णी ... आस्था अभी देते हे ....

एकांश उठने लगा तब तक ही आस्था ने उसका हाथ पकड़ लिया ..... बेहोशी के हालात में भी उसे उसके कुँवरजी का साथ चाहिये था ....

मत जा . ईए ना . आस्था नही जा रहे हे कही .....

आपके साथ ही हे हम .... पानी लेते हे सिर्फ .. एकांश ने कहा और

आस्था .... ने उसे और कस के पकड लिया एकांश ने वैसे ही बैठे हुये टेबल पर से पानी का ग्लास लिया और उसे पिला दिया .....

हमारा व्रत .. आस्था पुरा हो चुका है ... : फिक्र मत किजीये .. एकांश आस्था उससे और बिलग के सो गयी ...

आज उसे उसके माँ की बहोत याद आ रही थी .. और एकांश का प्यार भरा स्पर्श उनकी कमी को पुरा कर रहा ....

एकांश मे भी उसे अपने बाहों के घेरे मे कस लिया और उसके पास सो गया ..

आज कितने महिनो बाद आस्था चैन की नींद सो .मगर एकांश .... उसकी नींद तो पुरी रही थी .

तरह उड चुकी थी ..... वो किसी तरह सोने की कोशिश कर रहा था .... बट नींद है की उसे आ ही नही रही थी ....

Aastha ..... i think am falling love with you ..... yes aastha ..... i fill for you ..... i love you . एकांश ने कहा और अपने लबो की मोहर उसके सर पर दे दी .....

🤩🤩🤩

Gud nyt guys happy lohri app sabhi ko

अब मिलते हे अगले पार्ट मे .....

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

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To be continued .......... .......... .......

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