Vaimpire Attack - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

वैंपायर अटैक - (भाग 2)

अगले तीन दिन शहर के लिए खौफ भरे थे....चांदनी चौक से लेकर बसन्त बिहार तक हर इलाके में लोगो की निर्ममता के साथ हत्याएं होती चली जा रही थी।

पुलिस के साथ इन तीन दिनों में इस वैम्पायर की कई मुठभेड़ हुई पर इसका अंजाम कई पुलिस वालों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।

यह खूनी वैम्पायर दिन प्रतिदिन और अधिक शक्तिशाली एवं भयंकर होता चला जा रहा था, डर के मारे लोगो ने घरों से निकलना ही बंद कर दिया था।

इंस्पेक्टर हरजीत सिंह के नेतृत्व में अत्याधुनिक हथियारों से लैस एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया, इसका एक मात्र उद्देश्य इस वैम्पायर को नष्ट करना था.....

आखिरकार रात के ठीक साढ़े बारह बजे एक सुनसान गली में अपने शिकार की तलाश में घात लगाए उस दरिंदे को पुलिस ने घेर लिया था.....इस बार पुलिस फोर्स पूरी तैयारी के साथ आया था।

वैम्पायर को हमला करने का मौका ही नही दिया गया,रॉकेट लॉन्चर के धमाके ने उसके जिस्म को कई मीटर दूर फेंक दिया ...अगर कोई साधाहरण इंसान होता तो इस धमाके के बाद उसके शरीर के चिथड़े बिखर जाते पर इस वैम्पायर पर बहुत मामूली सा प्रभाव ही पड़ा था।

आज इंस्पेक्टर हरजीत सिंह हर हाल में ही इस खतरे को हमेशा के लिए मिटा कर शहर में अमन कायम कर देना चाहते थे... तभी तो उनके साथ मौजूद एक सैकड़ा पुलिस कर्मियों की टीम का एक एक जवान बड़ी मुस्तैदी के साथ इस शैतान के साथ मोर्चा संभाले हुए थे..…..एक के बाद एक लगातार हो रहे हमलों से वैम्पायर के कदम लड़खड़ा रहे थे।

तभी पुलिस यूटिलिटी वैन से फेंके गए खूंखार जानवरो को पकड़ने वाले लोहे के मजबूत जाल ने वैम्पायर को अपनी गिरफ्त में ले लिया था, जीत की ओर लगातार बढ़ते कदमो की वजह से पुलिस वालों के हौंसले सातवें आसमान पर थे....

पर उनकी कुछ सेकण्ड्स की यह खुशी फुर्र होते जरा भी देर न लगी....
पुलिस टीम पर हमला हुआ था....एक जबरदस्त हमला...अचानक से आये कम से कम बीस वैम्पायर एक साथ पुलिस वालों पर टूट पड़े थे.....सबका एक जैसा हुलिया...वही लम्बे दांत...मुर्दो जैसी आंखे.....चेहरे पर अजीब सा वहशीपन.....पर यह दिखने में पहले वाले वैम्पायर से अलग लग रहे थे.....यह सभी आम इंडियन्स की तरह ही दिख रहे थे....जैसे कि वैम्पायर के कई सारे इंडियन वर्जन को एक साथ लांच कर दिया गया हो।

पुलिस वालों ने पहले तो इनसे लड़ने का प्रयास किया....इन पर गोलिया चलाई..गोलियों की बौछार से कुछ वैम्पायर नष्ट भी हो गए....शायद ये पहले वाले जितने शक्तिशाली नही थे........पर इनकी संख्या ज्यादा होने की वजह से पुलिस टीम को इनके कहर से गुजरना पड़ा.....खून के प्यासे इन दानवों ने पुलिस वालों को पकड़ कर उनकी गर्दनों पर अपने दांत गड़ाना शुरू कर दिया था।

इतना समय पर्याप्त था पहले वाले वैम्पायर को सम्भलने के लिए..... क..डा..क की तेज आवाज के साथ लोहे का जाल टूट कर हवा में बिखर गया था और अगले ही क्षण दांतो को भींचता हुआ यह शैतान पुलिस वैन की छत पर खड़ा था।

लॉन्चिंग पैड पर राकेट लॉंचर दागते हुए इंस्पेक्टर हरजीत सिंह अपनी विवशता भरी आंखों के सामने अपने साथियों को नीचे गिरता हुआ देख रहे थे....

"दयाल सिंह...." अपने ड्राइवर दयाल सिंह को ठीक बगल में औंधे मुंह गिरता देख हरजीत सिंह की चीख निकल गई..... दयाल सिंह को उठाने के लिए जैसे ही सहारा दे कर उसको पलटा तो एक बड़े आश्चर्य का सामना करना पड़ा हरजीत सिंह को.......उसका चेहरा एक नया रूप ले चुका था....लम्बे,नुकीले दांत....मुर्दे जैसी आंखे....और चेहरे पर वहशियाना मुस्कान।

दयाल सिंह झटके से उठ खड़ा हुआ और अपने इंस्पेक्टर साहब पर ही झपटा....गर्दन में दांत गड़ाने को आतुर....हरजीत सिंह ने किसी तरह खुद को बचाया....

हरजीत सिंह को कुछ नही सूझ रहा था.....कि आखिर यह हो क्या रहा है.....जो पुलिसकर्मी वैम्पायरो के हमले के बाद धराशायी हो चुके थे वो सभी उठ खड़े हुए थे एक नए रूप के साथ....और अब अपने साथियों के ही खून के प्यासे हो गए थे.......शायद वो भी वैम्पायर बन चुके थे।

अब इनसे निपटना असम्भव लग रहा था....बचे पुलिस वाले अपनी जान बचा कर भागने का प्रयास तो कर रहे थे पर इन रक्तपिपासुओ से बचना इतना आसान भी नही था।

इंस्पेक्टर हरजीत सिंह भी खुद को बचाने की लाख कोशिश करने के बाद भी वैम्पायरो के चक्रव्यूह के बीचोबीच खड़े थे.....चारो ओर से शैतानों ने उनको घेर रखा था....पर कोई भी उन पर हमला नही कर रहा था....तभी पुलिस वैन के ऊपर से सीधी छलांग लगाकर वो सबसे खतरनाक वाला वैम्पायर इंस्पेक्टर के सामने आ खड़ा हुआ......शायद अपने दुश्मन का खून वह स्वयं ही पीना चाह रहा हो इसी वजह से अन्य वैम्पायर उस पर हमला नही कर रहे हो।

हरजीत सिंह पर वह वैम्पायर टूट पड़ा था.....उसके दांत और हरजीत सिंह की गर्दन के बीच बस अब कुछ इंच मात्र का फासला था,हरजीत सिंह अब अपने आप को मरा हुआ ही मान चुके थे....तभी एक तेज रोशनी से सबकी आंखे चकाचौंध हो गई।

हरजीत सिंह ने अगले ही पल खुद को सुरक्षित पाया,सारे वैम्पायर जमीन पर पड़े थे....और वह खतरनाक वैम्पायर भी घुटनो पर खड़ा लड़खड़ा रहा था।

एक बार मे तो आंखों पर विश्वास नही हो रहा था....पर सामने देखा तो एक लड़की खड़ी थी.....कुछ अजीब सी वेशभूषा..... गोरा रंग....नीली आंखे.…..सुनहरे बाल....यह पक्का विदेशी ही थी कोई.....चेहरे पर गजब का तेज.....हाथ मे एक बंदूक के जैसा दिखने वाला कोई हथियार, जिसमे से निकलती रोशनी से यह वैम्पायर गिरते चले जा रहे थे.....पर वो लड़की अकेली नही थी....उसके साथ एक लड़का भी था....एक इंडियन लड़का.....हाथ मे वैसा ही हथियार उसके भी था...इंस्पेक्टर हरजीत सिंह तुरंत उसको पहचान गए.....बचने की हर उम्मीद छोड़ चुके हरजीत सिंह के मुंह से खुशी और विस्मय से मिश्रित तेज आवाज निकली......
" विवेक...तुम "

यह दो लोग सारे वैम्पायर पर भारी पड़ रहे थे...इनके हथियारों से निकल रहे प्रकाश के घेरे में आते ही वैम्पायर चीख चीख कर नीचे गिरते जा रहे थे....इस अजीब से प्रकाश की खास बात यह थी कि इसका असर सिर्फ वैम्पायरो पर ही हो रहा था....आम पुलिसवालों एवं अन्य लोगो को इससे कोई नुकसान नही हो रहा था।

उस पुराने वाले वैम्पायर ने लड़की के हाथ से हथियार झपटने की नाकाम कोशिश की....विवेक की गन से निकलती रोशनी ने उसको अपने घेरे में ले लिया था....कभी कोई दर्द महसूस न करने वाला वह वैम्पायर भी दर्द से कराहने लगा.....फिर पूरी ताकत लगाकर उसने एक जोरदार छलांग लगाई......विवेक उसके पीछे भागा पर गिरता पड़ता हुआ वह वैम्पायर सबकी आंखों से ओझल हो चुका था।

तभी वहां वैम्पायर बन चुके सभी पुलिस वाले एवं अन्य लोग अब एकदम सामान्य हो चुके थे।

"थैंक यू विवेक.....पर ये सब क्या हो रहा है...कुछ समझ नही आ रहा....और ये मैडम कौन है?"

पसीने से नहाए हुए इंस्पेक्टर हरजीत सिंह का दिमाग कई सारे सवालों का जबाब पाने के लिये व्याकुल था।

"सब कुछ बताता हूँ सर.. पहले आप यह पानी पीजिए"

पानी की बोतल इंस्पेक्टर की ओर बढ़ाते हुए विवेक ने कहा।

"विभेक...खटरा अबी बी बहोत बडा है.....पेट्रो बाग गिया...हमखो खैसे बी उसे खटम खरना होगा" टूटी फूटी हिंदी बोलते हुए उस विदेशी लड़की ने अपनी चिंता जाहिर की।

इंस्पेक्टर हरजीत के अभी भी पल्ले कुछ भी न पड़ रहा था....उनकी मनोस्थिति को भांपते हुए विवेक ने बताना शुरू किया।

"सर... यह एक बड़े खतरे की शुरुआत मात्र है.....इस कहानी की शुरुआत होती है यूरोपियन देश रोमानिया से....जहां आज से सैकड़ो साल पहले एक खूनी शैतान का राज था....ड्रैकुला.... वैम्पायर सम्राट...अपार शैतानी शक्तियों का स्वामी.....जिसको न कोई मार सकता था और न ही नष्ट कर सकता था.....सारे यूरोप में उसने और उसकी वैम्पायर फौज ने दहशत मचा रखी थी....सभी बड़े देश या तो उसके आगे नतमस्तक हो गए या फिर उनको नेस्तनाबूद कर दिया गया....फिर एक बार उसका सामना हुआ रोम के महान संत यूलेजियन से...यूलेजियन की दिव्य ईश्वरीय शक्तियां ड्रैकुला पर हावी हो गयी और फिर उन्होंने एक पवित्र अभिमंत्रित क्रॉस ड्रैकुला के सीने में धंसा दिया.....ड्रैकुला अमर है उसको कभी मारा नही जा सकता...पर सन्त के प्रहार ने उसको सशरीर ब्रह्मांड की किसी दूसरी अंधेरी दुनिया मे अनन्तकाल के लिए भटकने के लिए मजबूर कर दिया था....ड्रैकुला के नष्ट होते ही उसकी वैम्पायर फौज भी सामान्य हो गयी...क्योकि उसमे वही लोग शामिल थे जिनका खून पी कर ड्रैकुला ने उनको वैम्पायर बनाया था......और इस प्रकार इस दुनिया को एक खूनी दरिंदे से छुटकारा मिला"

"सच मे इतना खतरनाक था वह शैतान...क्या अभी इस घटनाक्रम से भी ड्रैकुला का कोई सम्बन्ध है।"
उत्सुकता से इंस्पेक्टर हरजीत सिंह ने विवेक को बीच मे ही टोक दिया।

"हां सर, ड्रैकुला का एक खास सेवक था...पेट्रो....जब सन्त यूलेजियन और ड्रैकुला का युध्द हुआ उस समय वह आधी सेना के साथ इजिप्ट गया हुआ था....ड्रैकुला के सुषुप्त अवस्था मे जाने के बाद सभी सैनिक तो सामान्य हो गए..पर चूंकि वह ड्रैकुला की तरह ही जन्मजात वैम्पायर था...इसलिये वह तब भी वैम्पायर ही रहा.... इजिप्ट की शकितशाली सेना के बीचोबीच वह अकेला ही बचा था....ड्रैकुला जैसी अपार शक्तियां उसमे न थी ...इजिप्ट की सेना ने उसको बन्दी बना कर अभिमंत्रित ताबूत में कैद कर दिया......इजिप्ट के राजा को ड्रैकुला के समाप्त होने का पता नही था....इसलिए उसने अपनी शक्ति को प्रदर्शित करने एवं ड्रैकुला को चेतावनी देने के लिए ताबूत को रोमानिया भिजवा दिया.....जहां सैकड़ो वर्षो तक यह ताबूत कबाड़ में पड़ा रहा।
फिर किसी तरह यह ताबूत भारत आ गया......ड्रैकुला अभी भी जीवित है .....वह दूसरी दुनिया मे कही कैद है...शायद वह क्षेत्र भारत के आसपास ही है...इस वजह से पास आने पर अपने परम सेवक पेट्रो से उसने मस्तिष्क तरंगों से संवाद किया.......और पेट्रो को ताबूत से आजाद होने में मदद की......उसका मकसद है कि इस क्षेत्र में वैम्पायर की एक बड़ी फौज तैयार करके तबाही मचाई जाए....जितने अधिक वैम्पायर होंगे ड्रैकुला उतना अधिक शक्तिशाली हो जाएगा...फिर वह सन्त यूलेजियन की कैद से आजाद हो सकेगा......इस काम की शुरुआत पेट्रो ने कर दी थी...शुरू में वह कमजोर था...लोगो को सिर्फ मार सकता था,वैम्पायर नही बना सकता था....पर अब खून पीने के बाद काफी शक्तिशाली हो चुका है......साथ ही वैम्पायरो की लगातार चहलकदमी के कारण ड्रैकुला की कैद भी कमजोर पड़ती जा रही है।"

"ओह माय गॉड....मतलब यह वैम्पायर ही पेट्रो था...और और जब इसको हमे सम्भालना मुश्किल हो गया....त...तो ड्रैकुला को कैसे सम्भालेंगे अगर वो आजाद हो गया तो...प..पर तुमको यह सब कैसे पता... इतनी डिटेल्स में।
कांपती जुबान में बड़ी ही चिंता के साथ इंस्पेक्टर हरजीत सिंह ने विवेक से पूछा।

"वैसे यह सब मैने कहानियों में पढ़ा था....पर इसकी प्रमाणिकता पर मोहर लीसा मैडम ने लगाई ।"
विदेशी लड़की की ओर इशारा करते हुए विवेक ने आगे बताया
"यह लीसा मैडम है...सन्त यूलेजियन की वंशज....उन महान संत की प्रत्येक पीढ़ी बड़ी जिम्मेदारी के साथ ड्रैकुला पर नजर रखती है...उनकी अस्थियों से निर्मित यह प्राचीन अस्त्र वैम्पायरो को नष्ट करने की क्षमता रखते है.....जब मेरे दोस्त राहुल की मौत हो गई तो मैंने वैम्पायरो के बारे में गहराई से पढ़ा.....हर कहानी में वैम्पायरो का एक ही राजा था...ड्रैकुला.....यह बात पक्की थी कि अगर दुनिया मे वैम्पायरो का होना सत्य है तो फिर इनसे जुड़ी कहानियां भी सत्य ही होंगी .... सन्त यूलेजियन भी सच में रहे होंगे...और उनके वंशज भी.....

फिर मैंने अपने एक रोमानिया में रहने वाले दोस्त के माध्यम से वहां सोशल मीडिया पर 'इंडिया में वैम्पायर अटैक' की खबर वायरल करवाई ....जिसके आधार पर लीसा मैडम ने मुझसे संपर्क किया और भारत आ गयी, पर सबसे बड़ा खतरा अब ड्रैकुला से है.....मैडम का कहना है कि अगर वह आजाद हो गया तो उसको न तो वह रोक पाएगी और न ही सारे देश की आर्मी। "

विवेक की सारी बात सुनकर वहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को सांप सूंघ गया था....खतरा सच मे बहुत बड़ा था।.......................
कहानी जारी रहेगी।