Ek Anokhi Kahani - 1 in Hindi Horror Stories by Saud books and stories PDF | एक अनोखी कहानी - 1

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एक अनोखी कहानी - 1

सावन का मौसम था। वोह रात बोहोत तेज़ बारिश हो रही थी,तेज़ हवाओं का चलना। अक्सर ऐसे मौसम में घरों की बिजली का जाना आम बात हैं।यह कहानी है रोयबाब
और सुुुष्मइता की ।दोनों उस रात बैठे अपने
बचपन के किस्सेे एक दूसरे को सुना रहे थे
इस बीच रोयबबू ने कहा मेरे बचपन में जब हम मेरी नानी के घर जाया करते वह पर एक सुनसान हवेली थी जो कई सालों से बंद पड़ी थी।लोग कहते है अक्सर वह से रोने की आवाजे आती है बड़ी ही खौफनाक।तुम्हारा इस पर क्या कहना सुष्मिता
हा ऐसी कहानियां मैंने भी कही बार सुनी है।
मैंने सुना है की यह भूत चुड़ैल बड़े ही दराउन्ने होते है।
और कभी कभी यह पीछे पद जाए टोजलदी किसी को नहीं छोड़ते।
तोह सुष्मिता घर पर बिजली तोह है नहीं
वक्त भी नहीं बीत रहा।क्यों ना हम यह भूत चुड़ैल
को यह पर बुलाए।मेरे पास एक बोर्ड है अगर सही तरीके से ध्यान लगाया जाए तो ये यहां आ सकते है।
रोयबबु मजाक ना करो मुझे दर्र लग रहा है।
अरे दरो मत मै हूं ना ।
तोह इं दोनों ने यह कोशिश की मगर खुच नहीं हुआ
इतने में इनकी गहर की घंटी बजी तोह इन्होंने खिड़की से देखा कि एक आदमी खड़ा हुआ था तोह इन्होंने तै किया कि क्यूं ना इसके सात एक छोटा सा मजाक किया जाए।सुष्मिता ने जाके दरवाज़ा खोला
और उस आदमी से पूछा जी क्या बात है
तोह उसने कहा मेरा नाम कारण है मेरी गाडी खराब हुई है पास मै कोई मैकेनिक भी नहीं है,क्या मै आपका फोन इस्तेमाल कर सकता हूं?
हा अंदर आए।फोन तोह बंद आरहा है।तोह सुष्मिता ने कहा आप बैठिए में छाई लेकर आती हूं।नहीं इसकी कोई जरूरत नही है।मैंने चला जाता हूं। बाहर
इतनी बारिश हो रही है।आपका बाहर जाना सही नहीं होगा।अच्छा फिर ठीक है,ये तस्वीर किसकी है ये मेरे पति की वे अब नहीं रहे।मुझे क्षमा की जिए।
मैं छाई लेकर आती हूं। सुष्मिता ऊपर जाती है किचेन की तरफ।इतने मे रॉय बाबू करण के सामने आकर पूछते है कि कौन हो तुम तोह वो कहता है कि अभी यह एक औरत थी सुष्मिता।रोयाबाबू कहते है कि उससे मरे हुए तोह ५ साल हो गए। कौन हो तुम और क्या चाहिए तुम्हें। करण के पसीने छूट ते है और वे बहुत ही दर गया था।इतने में सुष्मिता आती है और
दोनों पति पत्नी हसने लगते है और कहते है कि हमें माफ करो यह सब रॉय बाबू का प्लान था। वोह क्या है कि वक्त नहीं बीत रहा था तोह क्यूं ना कुछ मजाक किया जाए। अच्छा कोई बात नहीं आप इन सब में विश्वास करते हैं। हा
यह सब म मन्न घड़त बाते है।रॉय बाबू ने कहा चलो क्यूं ना हम फिर से इन्हे बुला कर देखे।करना ने खा ठीक है। दस से बीस मिनट के बाद भी कुछ नहीं होता है।इतने में इनकी घर की घंटी बजती हैै

तोह रोयबाबु जाकर दरवाज़ा खोलते
है।दरवाज़ा खोलने पर एक आदमी बाहर ठहरा कहता है साहब एक गाडी का ऐक्सिडेंट हुआ है ।गाडी मे एक आदमी की मौत हो गई है।तोह रॉयबाबू
तुरंत भागकर उस गाडी की तरफ जाते है तोह उनकी चीक निकल जाती है
उनकी पत्नी सुष्मिता भी जब वो दृश्य देखती है तो मानो उसके पैरो तले जमीन सरख गई हो।उस गाडी मे वही आदमी
करण की लाश होती है।करण की लाश
अगर गाडी में है तोह फिर वह आदमी कौन था।करण की आवाज़ आती है
हा तुम ही तोह अभी थोड़ी देर पहले भूतों को बुला रहे थे ना रॉयबाबु
क्यूं दर गए क्या? हा लेकिन उन्हें वापस भेजना बहुत मुश्किल होता है