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सफेद रंग से नफरत

राजा उदय सिंह का सफेद रंग से नफरत करने का कारण यह था कि राजा उदय सिंह जब बालक था तो वह एक दिन राज्य के प्रमुख घुड़सवार से घुड़सवारी सीख रहा था, तो उसी समय कुछ लोग एक मृत व्यक्ति को सफेद कपड़े में लपेट कर श्मशान घाट उसका अंतिम संस्कार करने ले जा रहे थे।

राजा उदय सिंह ने बचपन से उस दिन तक अपने महल में सिर्फ रंग बिरंगी चीजेंं ही देखी थी। उस दिन राजा उदय सिंह ने सफेद रंग का कपड़ा बचपन सेेे उस दिन पहली बार देखा वह भी किसी मृतक व्यक्ति के शरीर के ऊपर, इस घटना के बाद उस दिन से राजा उदय सिंह को सफेद रंग से नफरत हो गई थी।

राजा उदय सिंह को जब कभी अपने राज्य में कोई व्यक्ति सफेद रंग के कपड़े पहने या सफेद वस्त्द वस्तु हाथ में लिए या सफेद मिठाई सफेद चीज खाते हुए दिखता था, तो राजा अपने चतुर बुद्धिमान महामंत्री सूर्यभान को आदेश देकर उस व्यक्ति को सैनिकों से जब तक कोड़े लगवाता था, जब तक कि वह व्यक्ति बेहोश ना हो जाए।

राजा उदय सिंह की प्रजा अपने घर में सफेद रंग की वस्तु रखने से डरती थी।

राजा उदय सिंह की जुबान पर दिन रात सुबह शाम सिर्फ सफेद रंग से नफरत की बातें ही रहती थी। सफेद रंग से नफरत की वजह राजा उदय सिंह अपने राजपाट पर भी बिल्कुल ध्यान नहीं दे पाता था।

राजा उदय सिंह के अंदर एक और अवगुण था, वह अपने जीवन का मूल्य नहीं समझता था।

एक दिन राजा उदय सिंह और महामंत्री सूर्यभान अपने अपने घोड़े पर बैठकर किसी गांव से गुजर रहे थे, तो उस समय गांव के लोग अपनी अपनी गाय भैसों का दूध दोहन कर रहे थे। उस समय राजा उदय सिंह की नजर बर्तन में रखें सफेद रंग के दूध पर पड़ती हैै। और दूध का सफेद रंग देखकर राजा उदय सिंह को बहुत क्रोध आ जाता है। और वह उसी समय महामंत्री सूर्यभान को आदेश देता है, कि "राज्य के सारे दुधारू पशुओं को राज्य की सीमा से बाहर निकाल दो।"

एक दिन महामंत्री सूर्यभान दर्पण के सामने खड़ा होकर अपने शीश का मुकुट संभाल रहा था, तभी महामंत्री सूर्यभान की नजर अपनी आंखों की पर पड़ती हैै। अपनी आंखों का सफेद रंग देखकर महामंत्री सूर्यभान अपने मन में सोचता है कि अगर कभी हमारे राजा उदय सिंह की सफेद आंखों पर नजर पड़ गई तो उस दिन वह प्रजा की आंखों के साथ अपनी आंखें भी निकलवा देंगे।

महामंत्री सूर्यभान इस बात से बहुत चिंतित हो जाता हैै। और उसी समय महामंत्री सूर्यभान अपने राजा उदय सिंह के मन से सफेद रंग के लिए नफरत निकालने की योजना बनाता है।

राजा उदय सिंह के पड़ोस के राज्य का राजा उसकी पत्नी का सगा भाई था। यानी कि उसका सगा साला था इसलिए महामंत्री सूर्यभान पड़ोसी राज्य के राजा के पास मदद मांगने जाता है।

और अपने राजा उदय सिंह के मन में सफेद रंग के लिए जो नफरत है, वह सारी बात पड़ोसी राजा को बताता है और उससेेे कहता कि "आपको हमारे राज्य से दिखावे का नकली युद्ध करना होगा।"

और अपने राज्य के सेनापति को अपनी योजना समझता है। और राज्य के सेनापति से कहता है कि "मुझे अपने राजा केेेेेे दिल से सफेद रंग के लिए नफरत खत्म करनी है। पड़ोसी राज्य हमारे राज्य पर दिखावेे का नकली आक्रमण करेगा बस आपको इतना कार्य करना होगा कि युद्ध के मैदान से सारे सैनिकों को युद्ध का मैदान छोड़कर भागने का आपको आदेश देना होगा।"

और पड़ोसी राज्य नकली दिखावे का उदय सिंह के राज्य पर आक्रमण कर देता है। और महामंत्री सूर्यभान की योजना के मुताबिक राजा उदय सिंह की सेना युद्ध के मैदान को छोड़कर भाग जाती है।

युद्ध के मैदान से सारी सेना मैदान छोड़कर भाग जाती है तब राजा उदय सिंह को अपना जीवन खतरे में नजर आने लगता है, तो उस दिन उसे अपने अनमोल जीवन का मूल्य समझ आता है।

राजा उदय सिंह को जब मृत्यु सामने साफ दिखाएं देने लगती है, तो उसे अपने प्राण बचाने का कोई रास्ता दिखाई नहीं देता तो वह तब हार मान कर अपने बुद्धिमान चतुर महामंत्री सूर्यभान से पहुंचता है कि "अब कोई आपकेेे पास अपनेेे और मेरे प्राणों की रक्षा का उपाय है।"

महामंत्री सूर्यभान चारों तरफ देखकर राजा उदय सिंह से कहता है कि "आपके और अपने प्राणों की रक्षा करनेे का एक उपाय है मेरेेे पास।"

और उसी समय महामंत्री सूर्यभान भागकर एक छोटी सी झील के पास जाता है। और वहां से एक सफेद रंग का बगुला लाकर राजा उदय सिंह के सर पर खड़ा कर देता हैै। और राजा उदय सिंह से कहता है "महाराज इस सफेद रंग केे बगुले को दोनोंं हाथों पकड़ कर अपनेेेेे सर के ऊपर खड़ा करके आप सीधे खड़े रहे।"

प्राण की रक्षा करने का उदय सिंह राजा को कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखाई देे रहा था, इसलिए वह सफेद रंग से नफरत होने के बावजूद सफेेेेद रंग के बगुले को अपने सर पर खड़ा करने के लिए तैयार हो जाता है।

सफेद रंग के बगुले को देखकर दूसरे राज्य की सेना युद्ध के मैदान से पीछे हटने लगती हैै।

पड़ोसी राज्य की सेना जब युद्ध के मैदान से पीछे हटनेे लगती तब
राजा उदय सिंह अपने महामंत्री सूर्यभान से पूछता है "सफेद रंग के बगुले को देखकर पड़ोसी राज्य की सेना युद्ध के मैदान से पीछे कैसे और क्यों हट गई है।

महामंत्री सूर्यभान राजा उदय सिंह से कहता है कि "महाराज सफेद रंग पवित्र शुद्धता विद्या और शांति का प्रतीक है। इससे मानसिक बौद्धिक और नैतिक स्वच्छता प्रगट होती है। इसलिए सफेद रंग के बगुले को देखकर पड़ोसी राज्य कि सेना समझ गई है कि आप शांति चाहते। और महाराज सभी रंगों का अपना अलग-अलग महत्व होता हैै। रंगों के बिना बेरंग दुनिया बहुत ही बुरी लगेगी।

उस दिन के बाद ज्झ राजा उदय सिंह की नजरों में सफेद रंग के साथ-साथ सभी रंगो का महत्व बढ़ जाता हैै। और अपने अनमोल जीवन के मोल के साथ-साथ उस दिन के बाद वह आलतू फालतू विचार अपने मन में ना लाकर राज्य को सुचारू रूप से चलाता है। और सारे काम अपनी भलाई को देखकर नहीं प्रजा कि भलाई को देखकर करता है।