Kavyajeet - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

काव्यजीत - 3

खाली सी हो गई हूं
खाली सी हो गई हु बिन तेरे
करने लगे हो बड़ा ही आजकल
तुम नजरंदाज
कभी जताते हो अहमियत मेरी
अब बदलने लगे है क्यों तुम्हारे मिजाज
कैसे परखे अब के उलझा बड़ा प्यार का जाल
कल तक थे तुम्हारे लिए खास
आज बेपरवाही के अंदाज
ये तेरा इश्क भी बड़ा है कमाल
खाली सी ही आजकल करने लगे हो जब से नजरंदाज
दिल लगाया ही क्यों जब बदलने थे धड़कनों के साज
खुदगर्ज हो गए हो आजकल तुम
जी रहे मेरी बिन अपनी जिंदगी
समझते नहीं मेरी तड़प
बेखबर रहते हो इस बात से
तेरी याद में मेरी आंखें है कितनी उदास
अब दिल का दर्द आंखो के जरिए बहता है
अच्छा नहीं लगता अब तो जीना भी दिल भी ये ही कहता है
जो करने लगे हो इतना नजरंदाज
हो जाऊंगी दूर किसी रोज तुमसे इतना
पाओगे कहीं नही मुझे फिर दो चाहे कितनी भी आवाज
जो तेरे इश्क वो अपने वजूद का आईना बनाया मैने
गम से उसमें तेरी मुहब्बत के अक्स आज
तेरे इश्क का अक्स दिखाई देता नही उसमें
खाली सा मुहब्बत का हर जर्रा आज
एक तेरे सिवा अक्स हो किसी हसरत नही
गुम यूं हो जाऊंगी जो तुझे भी मेरी जरूरत नहीं
खाली सी हो गई हूं करने लगे हो
जब से नजरंदाज
बदल गए तुम्हारे इश्क के मिजाज
सोती रात में तेरी इंतजार में जगाती हूं
तुम ना नजर आओ तो दिन के उजालों से भी भागती हूं
गुजरे लम्हों में जी रही हूं
दर्द और तड़प के घूंट पी रही हूं
फिक्र ना करो परेशान करना अब छोड़ देंगे
तुम्हारी तरह इश्क से मुंह हम मोड़ लेंगे
खाली सा कर दिया तुमने मुझे कर के नजरंदाज
बंजर हुई मैं दिल भी खंडर हुआ आज


हां की मुहब्बत तुमसे शिद्दत से
हां की थी हमने तुमसे मुहब्बत शिद्दत से
दिनभर रहे तुझ में खोए
रातों में भी तुम्हे ही थे जिए
मन को डोर मुड़ी हर तेरी और
तुम जहां रहे मेरे ख्यालों का बना एक वही ठौर
इश्क को दिखे सिर्फ प्रेम न इश्क देखे कुछ और
जमाना चाहे न हो राज़ी हम तेरे दिल में सिर्फ ये ही शोर
मौसम चाहे पतझड़ का दिल में तो खिले
तेरी मुहब्बत की बहार
जरूरी तो नहीं इश्क पनपे जब हो रिमझिम की फुहार
दिल की बाजी हारकर जीते हम तेरा प्यार
हार बुरी तो नही होती सनम हर बार
बड़ी आसानी से मान लिया खामोशी को बेवफाई
जरूरी तो नहीं मिलावट भरी हो आशनाई
पल में रिश्ता तोड़ने की कर लेते है बात
क्या कभी कोशिश की समझो एक दूजे के हालात
लौट भी आओ अब कही वक्त के दायरे ना सिमट जाए
धुंधली हो यादें निशा इश्क ना मिट जाए
तेरे इश्क की झलक रही मुझ में कमी सी है
खो रही है रौनकें बढ़ती आंखो की नमी सी है

मेरे हर सवाल का तुझे जवाब लिखा है
तुझे अपने इश्क का गुलाब लिखा है
तेरे संग बीते हर लम्हे खूबसूरत है
हर लम्हों को हमने नायब लिखा है
सुना है नशा इश्क का उतर ही जाता है
एक वक्त के बाद
तेरी चढ़ती मुझ पर खुमारी को भी
मैने बेहिसाब लिखा है
तेरी मौजूदगी है ख्यालों से हकीकत का सफ़र
रास्तों से लेकर मंजिलों तक तू शामिल
तुझे अपनी मंजिलों का ख्वाब सा लिखा है
मेरे किस्से का आगाज तुम
मेरी कहानी का अंजाम तुम
जिंदगी के हर पन्ने पर अक्स तेरा
तुझे ही अपने इश्क की किताब लिखा है
अपने हर सवाल का तुझे ही जवाब लिखा है
तुझे ही महकते इस इश्क का गुलाब लिखा है