Ye Tumhari Meri Baate - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

ये तुम्हारी मेरी बातें - 5


कुंडली भाग्य -2

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पिछले भाग में....

" कार्तिक आर्यन वाला मोनोलॉग ज्यादा अच्छा था! ज्यादा बेहतर डायलॉग थे उसके ! ज़्यादा नहीं बोल गए? मुझे चुहिया तक कह दिया तुमने?"

"अब भी असली मुद्दे से कोसो दूर हैं आप मातेश्वरी, कृपा करें, टाइमपास में क्या ज्ञान अर्जित किया है आपने , जिसके कारण मेरा जीवन अंधकारमय प्रतीत हो रहा मुझे, बताने की कृपा कर दीजिए प्लीज़!!!"


अब आगे.....

"टाइम क्या हुआ है?"

"यहां मेरे दिमाग के १२ बज गए हैं, देखो घड़ी में भी १२ ही बज रहे होंगे शायद!"

"सीधे सवाल का सीधा जवाब दे दोगे तो छोटे हो जाओगे?"

" सुनो, ऐसा है, उम्र में भले बड़ा हूं, लेकिन दिमाग तो तुम्हारा ही बड़ा है, तब से एक बात ना बता रही और दुनिया की बातें कर चुकी हो । ऐसी बातें करने की ट्रेनिंग ली है तुमने या इतनी ही टैलेंटेड पैदा हुई थी ?"

" बहुत सुन लिया , मेरी सुनो और चाय पिलाओ मुझे, तुमसे बात करना यानी सिर दर्द मोल लेना।"

" वाह! नहीं नहीं वाह! यहां मैं कुंडली भाग्य २.० से डर कर बैठा इंसान जिसके बारे में ना जाने क्या ही बता दिया है कुंडली ने, तुम्हें सिर दर्द कैसे दे सकता हूं? हे नारी, मेरा कल्याण करो और पूरी बात एक बार में बताने की कृपा करो।"

" देखो , ये हिंदी का ड्रामा खत्म करो, मुझे चाय पिला दो बस, और आज इलायची वाली बनाना, मौसम इलायची वाली चाय पीने का है, ज़रा जल्दी बनाओ समझे।"

" नौकरी छोड़ चाय की टपरी डाल देता हूं, तुम्हारी ट्रेनिंग से इतना तो सीख ही गया हूं। एक बात बताओ, मौसम इलायची वाला कैसे लग रहा तुम्हें? लाल मिर्च जैसा माहौल तो घर में बना रखा है तुमने, चाय में लाल मिर्च पाउडर डाल दूं क्या ? तुम्हारे मूड के हिसाब से यही सूट करेगा, है ना?"

" क्या कहा ?"

" कुछ नहीं, इतनी जुर्रत नहीं है मेरी, बिना चाय के तुमसे बात करना मतलब यमराज के साक्षात दर्शन करना।"

"अभिषेक!"

"प्रतिमा!"

"चाय पिला दो , तो पूरी बात बताऊं कि क्या ही गुल खिलाने वाले हो तुम!"

"हां हां क्यूं नहीं! मेरी कब्र किस बात पर खुदने वाली है ये जानने से पहले एक आखिरी कप चाय का तो बनता है, स्वर्ग में अप्सरा के हाथों की चाय पसंद आए न आए !"

"बकवास करने की जरूरत क्यों महसूस होती है तुम्हें? और स्वर्ग ही जाओगे जब भी जाओगे! इतना कॉन्फिडेंस कैसे है तुम्हें? वैसे भी यहीं रहना है तुम्हें, वरना मुझे चाय कौन पिलाएगा?"

" सही बात है, मेरे बिना तुम केवल चाय के लिए ही तरसोगी ना? मुझसे बात करने के लिए, मुझे ताना मारने के लिए, मुझे बिना देखे चैन आएगा तुम्हें? मैं तो स्वर्ग ही जाऊंगा , वो पति जो बीवी के इशारों पर नाचने के लिए हमेशा तैयार रहता हो, एक हुकुम पर चाय पिलाता हो, बीवी शक करे ,ये सोच कर खुश होता हो! वो पति सिर्फ और सिर्फ स्वर्ग जाने का अधिकारी है!"

" ये सब करने से स्वर्ग प्राप्ति होती है, ये किसने कहा तुमसे?"

" कुंडली भाग्य २.० ने तो नहीं ही कहा है कम से कम , ये लो चाय का भोग ग्रहण करो और आगे की कथा संपूर्ण करो देवी!"

"इलायची डालने को कहा था तो सिर्फ इलायची डाली?"

" देखो, कसम से सोच रहा था कि थोड़ी अदरक और काली मिर्च डाल दूं लेकिन फिर लगा तुम्हारा मौसम इलायची वाला बना हुआ है , सब कुछ डाला तो गड़बड़ घोटाला ना हो जाए , लेकिन हाय मेरी किस्मत! जो सोच रहा था कर देता तो कम से कम तारीफ तो मिल जाती पहली बार ! "

" मैंने आज तक बुराई की है तुम्हारी चाय पीकर?"

" तारीफ भी तो कभी नहीं की।"

"तुम्हें चाय के लिए तारीफ चाहिए, या बात जाननी है?तुमसे इतनी देर तक बात करने का टाइम नही है मेरे पास, आई बात समझ में!"

" हां हां, टाइमपास में सबकी कुंडली जो पढ़नी होगी तुम्हें, है ना!!!!!"

" सीधे मुंह बात नहीं कर सकते , तो जाओ मुझे भी कोई शौक नहीं तुमसे मुंह जोरी करने का ।"

" मुझे तो है शौक! जब तक तुम्हारी जली कटी ना सुन लूं, मुझे नॉर्मल फील नहीं होता ! शादी के पहले क्या ही सुकून भरी जिंदगी थी, जब से शादी हुई है, सुकून का एक पल भी मिल जाए तो काटने को दौड़ता है, लगता है कौन सी गलती कर बैठा हूं जो तुम शांत हो! तूफान के पहले की शांति सी महसूस होने लगती है तुम्हारी चुप्पी!"

" तुम्हारी बातें बिना क्वेश्चन मार्क के कैसे खत्म हो रहीं?"

" आज मैं तुम, और तुम मैं जो बन गए हैं।"

शेष अगले भाग में.......