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प्रेम के रंग - 5 - आखरी मुलाक़ात

आखरी मुलाक़ात
(फ़ोन पर बात करते हुए) आदित्य – हैल्लो नंदिनी – आज मेरे साथ थोड़ी देर के लिए मिल सकते हो? आदित्य – क्यों मिलना है तुम्हे? नंदिनी – बात करनी थी। आदित्य – सब तो ख़तम हो गया, अब मिलकर क्या करोगी? नंदिनी – आखरी बार तुम्हे देखना चाहता हूँ। आखरी बार तुमसे बात करना चाहता हूँ। (आदित्य नंदिनी से मिलने के लिए जाती है) आदित्य – बोलो, क्यों बुलाया मुझे? नंदिनी – तुम्हारे लिए ही तो मैंने खाना बनाना सीखा था। पर कभी भी तुम्हे खिला नहीं सकी। इसलिए आज तुम्हारे लिए अपने हाथो से कुछ बनाकर लायी हूँ। इसके बाद तो मौका ही नहीं मिलेगा कभी तुम्हे कुछ बनाकर खिलाने के लिए। 4 साल पहले नंदिनी और आदित्य की मुलाकात हुई थी और तबसे दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। पर कुछ दिनों पहले नंदिनी की शादी उसके घरवालों ने किसी और के साथ तेइ कर दी। नंदिनी ने अपने घरवालों से आदित्य के बारेमे बात भी करि थी लेकिन उसके घरवालों ने उनके इस रिश्ते को मना कर दिया। नंदिनी आदित्य से हमेशा कहती रहती की वह दोनों भाग कर शादी कर ले। लेकिन आदित्य मना कर देता था उसके परिवार के लिए। क्युकी एक वही तो था उसके परिबार में जो उसके परिवार को चलाता था। आदित्य के परिवार में सिर्फ उसकी माँ और एक बहन थी। इसलिए अपने परिवार के चलते उसमे कभी भी यह हिम्मत नहीं आई की वह नंदिनी से भागकर शादी कर ले। आज नंदिनी की शादी है। आखरी बार के लिए वह आदित्य से मिलने आई है। बहुत देर तक आदित्य नंदिनी के सामने सेर झुकाये खड़ा रहा। आदित्य – बहुत देर हो चुकी है। अब हम दोनों को ही यहाँ से चलना चाहिए। नंदिनी – चले तो जायेंगे। थोड़ी देर के लिए रुक जाओ। वैसे भी अब कहाँ हमारी मुलाकात होगी। आदित्य – अगर तुम ऐसी बातें करोगे तो मेरे लिए यहाँ रहना और भी मुश्किल हो जायेगा। नंदिनी – अभी भी बहुत समय है आदित्य। चलो हम दोनों भाग चलते है। एक बार शादी हो गई तो मेरे घरवाले ठीक मान जायेंगे। आदित्य – क्या पागलों जैसी बातें कर रहे हो। शांत हो जाओ और चुपचाप घर जाओ। नंदिनी – क्यों ऐसा कर रहे हो तुम। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। क्या तुम मुझे छोड़कर रह सकते हो? आदित्य – देखो, वक़्त किसी के लिए भी नहीं रुकता है, थोड़ा तकलीफ होगा, दर्द होगा, पर तुम्हे यह मान लेना होगा। फिर देखना एक समय ऐसा आएगा की तुम मुझे ठीक भूल जोओगे। नंदिनी – तुम्हे भूल जाऊँगी, यह तो पता नहीं, लेकिन तुम्हारे बिना मैं बिलकुल भी जी नहीं पाऊँगी। आदित्य – तुम्हे अब घर जाना चाहिए। बहुत देर हो गई है , तुम्हारे घरवाले तुम्हारी चिंता कर रहे होंगे। नंदिनी – हाँ। (उसके बाद नंदिनी आदित्य को एक घड़ी गिफ्ट देती है) आदित्य – मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं ला सका। नंदिनी – किसने कहा की तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं लाये। आज का यह दिन लाये हो तुम मेरे लिए। (आदित्य चुप हो जाता है और नंदिनी कहती है) नंदिनी – समय से घर पहुंच जाना, ज्यादा रात तक बाहर मत रहना और हाँ, कोई भी नशा मत करना। आदित्य – हाँ। नंदिनी – क्या आखरी बार मैं तुम्हे गले लगा सकती हूँ? आदित्य – ठीक है। नंदिनी आदित्य को जोर से पकड़कर रोने लगती है। नंदिनी का रोना देखकर आदित्य भी खुद को संभल नहीं पा रहा था। बहुत समय तक दोनों बस एक दूसरे को पकड़ कर रक्खे थे और फिर नंदिनी वहां से चली जाती है। आदित्य भी अपने आँखों से आंसू पोछकर घर चला जाता है।