Dream to real journey - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

कल्पना से वास्तविकता तक। - 18



अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।


जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है कि हम सब पाने के लालच में अपना बहुत कुछ पीछे ही छोड़ जाते हैं...और जब सब पाने की स्थिति बनती है तब मालूम पड़ता है कि जो सबसे पीछे छूट गया है वही तो सब था , वही तो सबसे कीमती था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

बामी युवी को एक बार पैनी नजरों से देखता हुआ वहां से चला जाता है, वो एक घर से बाहर निकलता है जो अंदर से भले ही सामान्य लगता हो लेकिन बाहर से वो एक विशाल पेड़ के अलावा कुछ भी नहीं लग रहा था। एक विशाल पेड़ जिसकी गीनी चुनी लेकिन लम्बी टहनियाँ थी, इन टहनियों को अगर पेड़ के तने के अंदर से जाकर देखा जाता तो एक कमरे समान दिखाई देती थी। वो पास पास ही लगे हुए दो पेड़ थे पेड़ की बजाय उन्हें घर कहना ज्यादा उचित होगा। एक पेड़ के तने में बने छेद से बामी बाहर आता है, और पास ही बने दूसरे पेड़ के पास चला जाता है, वो पेड़ जो कुछ देर पहले सामान्य पेड़ ही लग रहा था, लेकिन बामी उसके क़रीब जाकर उसको छूता है तो बिलकुल वैसा ही छेद जो कुछ देर पहले दूसरे पेड़ में दिख रहा था वो उसमें भी दिखाई देना शुरू हो जाता है। बामी धीरे से उस छेद से अंदर चला जाता है, वो पेड़ भी अपने अंदर एक घरनुमा आकार लिए हुए था। बामी उस घर का एक बार पूरा मुआयना करता है वो पूरा घर एक बर्फ़ समान दिखने वाली सफेद चादर से ढका हुआ था, हर घुमाव के बाद आप नए कमरे में पहुंच सकते थे, हर कमरा टहनी की भांति हवा में लटका हुआ सा प्रतीत होता था। बामी तीन घुमाव पुरे करने के बाद एक कमरे में प्रवेश करता है। वो कमरा दूसरे कमरों की अपेक्षा आकार में थोड़ा ज्यादा बड़ा था, उसकी एक दिवार पर हल्के हल्के छेद बने हुए थे जिस से रौशनी छंट कर कमरे के अंदर आ रही थी जिसकी वजह से उस कमरे की सफेद दीवारें भी चमक रही थी। एक तरफ एक गहरे स्याह रंग की मेज़ रखी हुई थी या यूँ कहे कि सामान गहरे तख्ते पर हवा में ही लटका हुआ था। दूसरी और एक गहरे हरे रंग का बड़ा सा मेज़ रखा हुआ था लेकिन उसकी सतह मखमल सी मुलायम जान पड़ रही थी, बामी धीरे धीरे उसकी और बढ़ता है और एक हाथ से उसकी सतह को छूता है, धीरे धीरे उसकी ऊपरी सतह खुद में ही सिमटना शुरू हो जाती है। जब वो पूरी तरह सिमट जाती है तो बामी धीरे से उसको अपने नाखूनों में फसा लेता है और उसका एक झटका ही उस चादर को पूरी साफ़ कर देता है, वो धीरे से वापिस से उसको वहीं रख देता है और उसके हाथ से छूटते ही वो फिर से उसी मेज पर व्यवस्थित हो जाती है। बामी धीरे से एक तीसरी दिवार के पास जाता है और उसकी एक ऊपरी परत हटा देता है, अंदर से देखने पर वो एक अलमारी जैसी लग रही थी, वो उसमें से दो मोटे और मुलायम से कपडे निकाल लेता है और उसको मख़मली मेज़ पर रख देता है,वो अब तकिये जैसे लग रहे थे और अब जाकर वो किसी बिस्तर जैसा लग रहा था। बामी उस कमरे की छत भी साफ़ कर देता है, जिसकी वजह से उसकी हर दिवार और ज्यादा चमक रही थी। उस कमरे का पूरा फर्श अलग अलग रंगो के फूलो के संगम से भरा पड़ा हुआ था। बामी पूरा कमरा सजाने के बाद एक बार फिर से पुरे कमरे को देखता है , पूरा कमरा अब अपनी दमक से आँखों को सुकून दे रहा था, बामी अपने काम से संतुष्ट होकर वहां से चला जाता है।


********

गोलक्ष पर अब धीरे धीरे सूरज की रौशनी कम हो रही थी और बादल भी और ज्यादा घने हो रहे थे। हर एक पेड़ अपने आप में एक अनोखी रौशनी उत्पन्न कर रहा था। ये सब इतना जल्दी बदल रहा था कि गोलक्षियों के अलावा वे सब चौंक गए थे। वो सब तो बस कुछ ही देर में वहां से निकलने की तैयारी कर रहे थे कि तभी उन्होंने अचानक ही हुए इन बदलावों को महसूस किया था।


“ शायद अब जाना सही नहीं होगा।” रेयॉन ने अपने चारों और देखते हुए कहा।

“ लेकिन क्यों जाना सही नहीं होगा अंकल ? और ये सब हो क्या रहा है। “ नेत्रा ने भी अपने आस पास हुए बदलावों को महसूस करते हुए कहा।

“क्यूंकि रात हो चुकी है ,और रात में यहाँ गोलक्षी भी अक्सर धोखा खा जाते तो हम सब तो यकींनन कहीं न कहीं फ़स ही जायेंगे। “ रेयॉन ने उन्हें चेतावनी भरे लहज़े से कहा।

“ क्या रात ? वो भी इतनी अजीब “ कल्कि ने मुँह बनाते हुए कहा।

“ हाँ यहाँ रात ऐसे ही होती है ,हर ग्रह पृथ्वी के जितना सौभग्यशाली नहीं होता है कि उनको सूरज जैसा कोई ग्रह मिल जाए। गोलक्ष का कोई सूरज नहीं है यहाँ का जितना भी प्रकाश है वो गोलक्ष का स्वयं का है, और यहाँ रात होने का मतलब है सब रंगो के प्रकाश का एक सफेद रंग में परिवर्तित हो जाना,ये जो अब तुम भांति भांति रंगो का प्रकाश देख रहे हो ना कुछ ही समय पश्चात ये सभी श्वेत वर्ण धारण कर लेंगे और इनके तेज़ प्रकाश की वज़ह से इनमें भेद कर पाना बेहद ही कठिन कार्य हो जाएगा।” रेयॉन ने अपनी कही बात को स्पष्ट करते हुए कहा।

“ यू मीन डिस्पैरज़ेन ऑफ़ लाइट “ नेत्रा ने कहा।

“येह काइंड ऑफ़, हेअर डिस्पैरज़ेन ऑफ़ लाइट इज़ दा बेसिक नीड फॉर द डे एंड नाईट “ रेयॉन ने नेत्रा की बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा।

“ ये कैसे रात हुई भला ,ना कोई चाँद न कोई अँधेरा, ऐसे तो हमारे यहाँ होता सवेरा “कल्कि ने बेतुकी सी शायरी गढ़ते हुए कहा।

“ रात का मतलब सिर्फ अँधेरा होना नहीं होता है, रात का मतलब होता है सुकून,आराम, एक नई शुरआत के लिए तैयार होना........ धरती पर भी हमें रात को हर काम से कुछ समय की आजादी ही तो मिलती है, और देखा जाए तो यही आजादी ही तो मिल रही है न हमें यहाँ भी, जब हम किसी भी जगह वस्तु या स्थान को आसानी से भेद नहीं कर पाएंगे तो कोई भी कार्य करना कठिन हो जाता है और इस तरह गोलक्षी इस समय में आराम करते है। तुम्हे पता है धरती की अपेक्षा यहाँ एक हफ़्ते में एक रात आती है “ रेयॉन ने फिर कल्कि को समझाते हुए कहा।

“ ओह, इसका मतलब हमें यह आये लगभग एक हफ्ता हो चुका है ” कल्कि ने कहा।

“बिलकुल “ रेयॉन ने कहा।

“ लेकिन जैसे हमारे वहां रत को काम करने के लिए अँधेरे में किसी रौशनी का सहारा लेते है , वैसे ही यहाँ की रौशनी को कम करने के लिए हम अँधेरे का सहारा नहीं ले सकते है क्या ? “ नेत्रा ने सोचते हुए कहा।

“ क्या मतलब “ रेयॉन ने पूछा।

“ मतलब काले रंग का चश्मा”

“यू मीन गोगल्स “ कल्कि ने कहा।

“ हाँ ,अर्थ पर भी तो अधिक धुप से बचने के लिए हम वही यूज़ करते हैं ना ?”

“हाँ, कह तो तुम सही रही हो लेकिन यहाँ गॉगल्स के बारें में कोई नहीं जानता है , और अगर अब बनाने का सोचे भी त्तब भी ये बहुत अधिक समय ले लेगा, बेहतर है हम कुछ समय ठहर कर ही आगे का रास्ता तय करें , और वैसे भी तुम सब भी थक गए होंगे तो तुम सबको भी आराम की सख़्त जरूरत है। “ रेयॉन ने नेत्रा और कल्कि की बात काटते हुए कहा।

“हाँ , लेकिन हमें जल्द से जल्द उस मिशेल जो हराना है और। … “

“जल्दी के चक्कर में जल्दबाज़ी मत करो, अगर अब आराम नहीं करोगे तो थक जाओगे और फिर उनकी शक्तियों का सामना करना और भी ज़्यादा मुश्किल हो जायेगा, तो समझदारी भागदौड़ में नहीं कुछ समय के ठहराव में है। “

रेयॉन ने ये सब इतने विश्वास से कहा था कि किसी ने भी उसकी बात काटने की हिम्मत नहीं की थी। कुछ देर बाद वो सभी एक पेड़नुमा घर में थे, वो अलग बात है कि अबतक नींद उनकी आँखों से कोसो दूर थी। सब कुछ न कुछ सोच ही रहे थे।


******

“ आपका कमरा तैयार है “ बामी ने मिशेल के कमरे में आते हुए कहा। वहां इस समय उनके अलावा कोई भी नहीं था। मिशेल एक दिवार की तरफ़ मुँह करके खड़ा हुआ था , और बामी ठीक उसके पीछे दरवाज़े के पास खड़ा हुआ था।

“ वाह इतनी जल्दी सब हो गया , सच में बामी अगर तुम नहीं होते तो मेरा क्या ही होता ना “ मिशेल ने उसकी तरफ़ मुड़ते हुए बनावटी प्यार से अपनी उसी भारी आवाज़ में कहा।

बामी ने उसकी बात को कोई जवाब नहीं दिया बस उसको देखता रहा, क्यूंकि बामी जानता था कि उसका ये रूप मात्र एक छलावा भर है, उसकी हर चाल को बामी बखूबी समझता था।

“क्या हुआ क्या सोच रहे हो माय डिअर “ मिशेल न फिर से कहा , बात बात पर इंग्लिश बोलकर वो अपने आप को उन सबसे अलग दिखाने की कोशिश करता रहता था, ऐसा नहीं था कि किसी को वहां इस भाषा का ज्ञान नहीं था लेकिन बस वो मिशेल की तरह हर बात का दिखावा नहीं करते थे।

“अभी भी मौका है, आप ये सब छोड़ क्यों नहीं देते “ बामी ने कलपते हुए कहा।

“ और उस से क्या होगा ? और क्यों छोड़ दूँ ?क्या ही मिलेगा सब छोड़कर? लेकिन अगर अपनी कमान मैं अच्छे से संभाल कर रखूं तब यकीनन पूरी दुनिया मेरे निशाने पर होगी ।" मिशेल ने गरजते से स्वर में कहा।

बामी ने एक बार फिर से उसको घुर कर देखा, और चुप चाप वहां से चला गया क्यूंकि वो जानता था कि मिशेल अब सब जानते हुए भी कभी पीछे नहीं हटेगा और बामी ने भी दोबारा उसे कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं समझी थी।

मिशेल ने बामी को जाता हुआ देखा और वो भी उसके बाद ही थोड़े शांत तरीके से वहां से चला गया ,वो सीधा यूवी के पास गया था। यूवी खुद में ही सिमटी हुई सी,शांत सी ,एक कोने में बैठी होती है,उस से दूसरी तरफ बिल्कुल सामने नित्य बैठा हुआ था। दोनों ही एक अलग ही दुनिया में खोए हुए था।

"तो चले मेरी जान ..." मिशेल ने उनके पास आते हुए कहा,मिशेल की आवाज से वो मानो होश में आए हो। दोनों एक बार एक दूसरे की तरफ देखते हैं और फिर यूवी मिशेल को देख कर मुस्कुरा दी।

" बिल्कुल, मैं तो कबसे आपका ही इंतजार कर रही थी।" उसने अपनी जुबान पर चाशनी लपेटते हुए कहा। मिशेल उसकी इस हरकत पर एक बार फिर से मुस्कुरा देता है। मिशेल धीरे से अपने लंबे नाखून उसकी तरफ़ बढ़ा देता है..यूवी एक बार फिर नित्य की तरफ देखती है और फिर धीरे से मिशेल का हाथ पकड़ लेती है।

वो दोनो वहां से चले जाते हैं और नित्य बेध्यानी से उसी ओर देखता रहता है जिस तरफ से कुछ देर पहले यूवी मिशेल के साथ ओझल हुई थी ,उसकी आंखों में उतरा दर्द आसानी से देखा जा सकता था उस समय अगर कोई उसको हाथ लगा देता तो यकीनन जल ही जाता।

युवी और मिशेल अब उसी जगह थे जो कुछ देर पहले बामी संवार कर गया था। एक बार के लिए तो युवी भी उस जगह की चकाचौंध से मोहित सी हो गई थी,क्यूंकि वो उस जगह से बिल्कुल अलग थी जहां से वो अभी अा रही थी। मिशेल धीरे से उसको सामने बैठने का इशारा करता है। युवी की इशारे की समझ से वहां बैठ जाती है और सच में वो जगह आज तक का शायद सबसे आरामदायक और मुलायम बिस्तर होगा जिसे यूवी ने महसूस किया होगा।

" हम्म,काफी अच्छी जगह है।"यूवी नज़र भरकर अपने आस पास देखते हुए कहती है।

" तुम्हारे आने से अच्छी हुई है वरना पहले इसमें कुछ खास कहां था।" मिशेल ने प्रेमपूर्वक युवी की तरफ़ देखते हुए कहा और धीरे से उसके पास ही बैठ गया। .युवी एक बार फिर उसकी इस हरकत पर उसको मुस्कुरा कर देखती है।

“ अच्छा तुम्हे मैं इतनी अच्छी क्यों लगी ? “ युवी ने युहीं बात बढ़ने के ढंग से कहा, और उसके बाद तो मिशेल बह धीरे धीरे सब बताता चला गया। कुछ ही समय में वो दोनों एक दूसरे से बड़े ही आराम से बात कर रहे थे, मिशेल से अब युवी को कतई भी डर नहीं लग रहा था, किसी ने सच ही कहा है कि,

इश्क़ में मुजरिम मुज़रिम कहाँ है,

भले ही पल पल मारता हो किसी की यादों को हर पल।

मिशेल को भी देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता था कि वो युवी पर किस हद तक फ़िदा हो चुका था। युवी लगातार अपनी बातों का दायरा बढ़ा रही थी,मिशेल उसकी हर बात का अपनी तरफ से पूर्ण और सटीक जवाब देने की कोशिश में रहता ताकि युवी भी उसको उसकी तरह ही पसंद करने लगे। वही दूसरी और युवी भी आहिस्ता आहिस्ता मिशेल से वो भी जान लेती है जिसके लिए अब तक वो ये सारा खेल रच रही थी।

“ अच्छा मिशेल जी, मुझे आपसे एक और बात पूछनी थी अगर आप इजाज़त दे तो।”

“ अरे, भला तुम्हे इजाज़त ली जरूरत है अब, तुम्हारा जो मन करे तुम वो पूछ सकती हो मुझसे। “

“ तुमने मुझसे कहा था कि तुम्हे हरा पाना इतना आसान नहीं, तो तुम इतने शक्तिशाली कैसे हो ? क्या तुम्हे कोई भी नहीं मार सकता ?” युवी ने सकुचाते हुए कहा।

“ तुम ये सब क्यों पूछ रही हो ?” मिशेल ने नजर भर युवी को हल्का सा घूरते हुए कहा।

“ अरे बस ऐसे ही ताकि जब मैं अपने दोस्तों से मिलूं तो उन्हें बता सकूं की मैंने आपको क्यों चुना , और आप कितने शक्तिशाली है। और वैसे भी मुझे भी तो देखना है न कि मैं आपके काबिल हूँ भी या नहीं“

“ तुम अपनी क़ाबिलियत पर शक मत करो, तुम जैसी हो हमें पसंद हो, और रही बात शक्तिशाली होने की तो गोलाक्षियों के मुकाबले मैं थोड़ा ज्यादा शक्तिशाली हूँ, क्यूंकि मुझे उनके मुकाबले मारना थोड़ा ज्यादा कठिन है। “

“ मतलब , मैं आपके कहने का मीनिंग नहीं समझीं “

“ मुझे मारने का अर्थ है कि कोई एक साथ सात लोगों को मार रहा है ,क्यूंकि मुझे समाप्त करने

के लिए मेरे सातों हिस्से एक साथ समाप्त करने होंगे, मैं तो बस आखिरी हिस्सा मात्र हूँ और छह हिस्से भी है मेरे जो मैंने मेहफ़ूज़ किये हुए है..... अब मतलब समझ आया मेरी आग “मिशेल अपने उसी गूंजते शब्दों को बिल्कुल नरम करते हुए कहा।

“ जी, आप तो सच में बहुत शक्तिशाली हो, ये तो मेरा सौभाग्य है कि आपने मुझे चुना है “ युवी ने फिर से उसकी तारीफ़ का नकली पुल बनाते हुए कहा। मिशेल भी उसकी बातें सुनकर इठला रहा था। उसके बाद भी वो दोनों कुछ देर और बातें ही करते रहते है और फ़िर कुछ समय बाद युवी की आँखों पर नींद हावी हो जाती है, मिशेल चुपचाप उसको वहां सोता देख बाहर चला जाता है, उसके चेहर पर जाते समय भी एक विजयी मुस्कान थी।

******

अगली सुबह का रंगीन मौसम चारों तरफ अपने अलग ही रंग बिखरा रहा था, नेत्रा, कल्कि और सभी को भी नहीं पता चला था कि वो स्पचते सोचते कब सो गए थे, तब के बाद उनकी सुबह ही आँख खुली थी। वो सब अब उन पेड़ रूपी घरों के बाहर खड़े हुए थे , और सब छः हिस्सों में बँटकर चलने को तैयार थे। सब एक बार एक दूसरे की तरफ देखकर अपना एक हाथ उठाते है , जिसकी वजह से वहां के रंग कुछ पल के लिए गहरे हो जाते है। वो सब अब अपनी अपनी मंजिल तरफ निकल चुके थे और कुछ ही देर बाद वो अपने गंतव्य पर पहुंचने वाले थे। सभी ने निकलने से पहले ही मिशेल के हर अंश को समाप्त करने का एक समय तय भी कर लिया था। वहीँ दूसरी और युवी, और नित्य को भी वो समय बता दिए गया था।युवी भी आँख खुलने के तुरंत बाद वहां से बाहर आ जाती है, अब युवी और नित्य एक बार फिर साथ थे और बस मिशेल के आने का इंतज़ार कर रहे थे।

कुछ समय बाद वो समय भी आ जाता है जिसका उन सभी को बेसब्री से इंतज़ार था , मिशेल उन दोनों के सामने खड़े थे और तय समय भी नजदीक ही था। मिशेल अब भी युवी को देखकर मुस्कुरा रहा था और युवी भी उसको ही देख रही थी दोनों की ही नजरे भले ही एक जैसी थी पर नज़रिया बिलकुल अलग़ था।

कुछ क्षण बाद ही मिशेल को खुद में कुछ टूटता सा महसूस होता है,और अचानक से मिशेल की एक दर्दभरी भयानक चीख़ उस पुरे माहौल में गूंज जाती है और धीरे धीरे मिशेल बिल्कुल कमजोर दिखाई देने लग जाता है वो लड़खड़ा कर जमीन पर गर जाता है और युवी को कुछ ही पल में सब समझ आजाता है, और वो धीरे से उसके पास जाती है उसके पीछे नई नित्य भी उसके करीब जाता है , वो दोनों एक साथ व्ही पास में पड़ी एक सफ़ेद शिला वार करते है, और उनका वार तब तक जारी रहता है जबतक की मिशेल छटपटाना बंद नहीं कर देता है।

मिशेल अब उसके सामने ढेर हुआ सा पड़ा था, बामी को जब तक पूरी घटना का एहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ,वो भी निचे पड़े मिशेल को शून्य भाव से देख रहा था बामी को भी खुद के शरीर में कुछ हलचल से महसूस हो रही थी। युवी और नित्य भी मिशेल को ही देख रहे थे, जिसकी वजह से वो इतना कुछ सहन कर रहे थे आज वो उसके सामने मृत पड़ा हुआ था ,उन दोनों के चेहरे पर भी विजयी भाव थे। वो दोनों एक दूसरे को देखते है और ख़ुशी से एक दूसरे को गले लगा लेते है, दोनों की ही आँखें बंद थी, और नित्य के शरीर का तापमान आम के मुकाबले थोड़ा ज्यादा हो गया था , उसके शरीर में एक अजीब से हलचल हो रही थी, जिसको वो हल्का हल्का महसूस कर पा रहा था। उन दोनों को ही एक सुकून का एहसास था जिसके लिए वो अरसे से तरस रहे थे। दोनों ही मन ही मन दुआ कर रहे थे कि वक़्त वहीं ठहर जाए और वो दोनों एक दूसरे से कभी अलग ना हो।

“ मिशेल को मारना इतना आसान नहीं है, जितना तुम सबने सोचा था। “ पीछे से गूंजे बामी के स्वर से उन दोनों की तंद्रा टूटती है। वो दोनों एक साथ बामी को देखते है, और बामी मिशेल को घर रहा था। वो दोनों भी बामी की नजरो का अनुसरण करते है, उन दोनों के चेहरे पर अब डर साफ़ दिख रहा था और आँखें मानो भय से एक जगह ही स्थिर हो गयी थी....... क्यूंकि निचे पड़ा मिशेल का शरीर धीरे धीरे फिर से हिल रहा था , मानो खुद को वो खुद ही फिर से जीवित कर रहा हो। शायद नेत्रा और उसके साथियों से भी पत्थर की चमक में असली खज़ाना कहीं पीछे ही छूट गया था।

क्रमशः

तो दोस्तों ये था हमारी कल्पना का अगला भाग..... उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा। तो अगर पसंद आये या कुछ भी कमी लगे तो आप सब समीक्षा लिखकर जरूर बताएं।आपकी समीक्षाओं का इंतज़ार रहेगा। तो मिलते है अगले भाग पर तब तक पढ़ते रहिये ,समीक्षाएं लिखते रहिये।


© jagGu prajapati ✍️