Adhure Pyaar ki Kahaani - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

अधूरे प्यार की कहानी - 3

❤️ लोकतंत्र प्रेम की एक अधूरी कहानी

कुर्ता1605
तांबे का योगदानकर्ता

‎अप्रैल 28 2021 03:41 पूर्वाह्न

प्यार वो एहसास है. जो अंदर जाने का दिल करता है। यही एक एहसास मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ।

शाम का समय था. मैं अपने दोस्त का इंतजार कर रहा था। स्टेशन के बाहर.

हमलोग का बाहर खीरी यात्रा पर जाने का प्लान था और मैं जल्दी पहुंच गया था।

कुछ समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ। मैं स्टेशन के पास जा बैठा, तभी कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिंदगी एक अलग मोड़ लेने वाली थी।

स्टेशन की तरफ मैं देख रहा था कि मेरा दोस्त आया कि नहीं अचानक से मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी।

वो जो चुभ गया था मैं पूरी तरह से कुछ देर के लिए उसे सा गया था। मैं सब भूल गया था की मैंने कहा हूँ क्यों हूँ ?

बस मेरी नजर उस लड़की की तरफ से हट ही रही थी और इस तरह से मैंने उसे देखा ही जा रहा था।

उसका मासूम चेहरा, उसकी छोटी-छोटी आंखें, उसका मासूम सा चेहरा पे वो मासूम सी मासूम सी मासूम सी मानो कोई परी हो वो..उसे पहली नजर में मानो दिल को कुछ होने लगा था।

क्या प्यार था वो??

मुझे नहीं पता बस दिल बोल रहा था कि मेरा दोस्त कुछ देर बाद आये या ये रुक जाये।

मुझे उसका नाम पता था. उसके बारे में बहुत कुछ पता चल रहा था लेकिन कैसे करूँ ये समझ नहीं आ रहा था।

जब कुछ समझ नहीं आया तब मैंने बस भगवान से प्रार्थना की कि ये मेरी लड़की मेरे जीवन में आ जाए।

वो जा रही थी. मेरी आँखों से मुझे दूर का फायदा हुआ। वो बातें करना था. उसकी दोस्ती निभानी थी और उसे अपने दिल की बात बतानी थी।

लेकिन कैसे ???

यही सवाल बस बार-बार मेरे मन में आ रहा था और मुझे बैकैन लेने जा रहा था।

मैंने फिर सोचा कि मेरी आंखें दूर होने से पहले मुझे इसका नाम पता चल जाए तो मैं इसे अपना बनल और प्रिय भगवान ने ही उसे भेजा था मेरे लिए ये मुझे समझ आया कि भगवान ने चमत्कार कर दिया.. रूप से आवाज आई प्रिय यहाँ हूँ।

फिर वो पीछे देखा तो मैंने वहां देखा कि एक लड़की ने आवाज दी थी और वो उसके पास चली गई..तब मुझे समझ आया कि उस लड़की का नाम प्रिया था।

मैं खुश हो गया और उस लड़की को धन्यवाद दिया बॉल डू क्योंकि उसी के कारण मुझे उस का नाम पता चला।

बस तभी मैंने ठान लिया अब उसे अपना बनाना है, उसे अपनी जिंदगी में लाना है।

फिर तभी मुझे उसके पिचे जाने लगा कि अचानक ही पीछे से एक हाथ आ गया।

पीछे देखा तो दोस्त बन गया था। अब मैं क्या करूँ समझ नहीं आ रहा था..मैं क्या करूँ उनसे..कैसे मन करूँ उनसे?..कैसे जाऊँ मैं उसके पीछे?

मुझे इसी सोच में तब तक लगा जब तक वो मेरी आँखों से दूर जा चुकी थी, दिल रोने लगा था और तभी मुझे ऐसा लगा कि जैसे सब कुछ एक सपना सा था बस और आँख खुली तो सपना टूट गया।

मैं अपने दोस्त के साथ गया था लेकिन पूरी तरह से उसी के बारे में सोच रहा था।

मानो मेरा दिल अब उसकी प्रॉस्पेक्ट से अरेस्ट को तैयार ही नहीं था।

दूसरे दिन मैंने कॉलेज की तैयारी की और मैं कॉलेज पंहुचा।

और बेंच पे जा बैठा..तभी दोस्त ने फोन किया और कहा देखो तुम्हारे कॉलेज में एक नई लड़की आई है।

मेरा मन अभी भी बस वही के बारेमे सोच रहा था पर मुझे पता चला कि वो किसी और को चाहती थी वही मैने मेरे मेरी चाहत का गला घोंटा दिया। ओर में वही पर थम गया ।