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एकता


यह कहानी है जमशेदपुर के व्यापारी के बारे में है। उसके चार पुत्र होते हैं। बचपन में तो घुल मिलकर रहते हैं लेकिन बड़ा होने पर वे आपस में झगड़ने लगते हैं पर जो व्यापारी है वह इस बात से परेशान है कि उसके बेटे बात-बात पर झगड़ा शुरू कर देते हैं काम की कोई बात नहीं करते । मां का पहले ही देहांत हो जाता है उन्हें प्यार करने वाला कोईनहीं था और समझने वाला भी कोई नहीं था ।
व्यापारीअपने व्यापार में व्यस्त रहता था उसे अप
ने बेटों के बारे में कोई ध्यान नहीं था बस पैसा ही कमाने में लगा रहता था। वह चारों बेटों को बहुत अधिक बढ़ाना चाहता है इसलिए अधिक से अधिक मेहनत करके पैसे कमाना चाहता है और अपने बेटों को अधिक से अधिक पढ़ाना चाहता है। परंतु वह जैसा चाहता है वैसा हो नहीं रहा था। मैं अपने बेटों को समझता है कि मैं तो बूढ़ा हो चुका हूं अगर तुम ऐसे लड़ते रहे तो तुम्हारी जिंदगी कैसे कटेगी वह उन्हें दुनिया की जानकारी देता है। दुनिया बहुत निराली है इसमें बहुत अलग-अलग प्रकार के लोग रहते हैं कई भला करना चाहते हैं और कई बर्बाद करना चाहते हैं परंतु उन बातों का लड़कों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा । वह अपने बेटों को एकता का महत्व समझाने के लिए बहुत से यत्न करता है पर वह खुद को असफल पाता है फिर उसके दिमाग में युक्ति सूझती है वह अपने चारों बेटों को बुला लेता है। उनके सामने एक लकड़ी का लट्ठा रख लेता है और उनके हाथ एक एक‌ लकड़ी देता है मैं उसे लकड़ी को तोड़ने के लिए कहता है । चारों पुत्र उन लड़कियों को तोड़ देते हैं। खुश हो जाते हैं कि हमने लड़कियों को तोड़ दिया है फिर किस उनको वह लकड़ी का लट्ठा तोड़ने के लिए कहता है । चारों पुत्र सोच में पड़ जाते हैं कि हम इस लकड़ी के लट्ठे को कैसे तोड़ पाएंगे। चारों पुत्र एक-एक करके लकड़ी के लट्ठे तोड़ने का प्रयास करते हैं पर वह कुछ नहीं कर पाते। उसके विपरीत वह दूसरे हथियारों से लकड़ी के लट्ठे को तोड़ने का प्रयास करते हैं । फिर किस उन्हें समझाता है कि अगर वह लकड़ी की तरह अकेले अकेले रहेंगे तो कोई भी उनका नाश कर सकता है उन्हें हानि पहुंचा सकता है लेकिन अगर वह लकड़ी के लट्ठे की तरह एकजुट होकर रहेंगे तो वह हर समस्या का समाधान कर लेंगे । चारों पुत्र अपने पिता की बात समझ जाते हैं और एकजुट होकर रहने लगते हैं । व्यापारी अपने चारों बेटों में प्यार देखकर बहुत खुश होता है



इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें एकजुट होकर रहना चाहिए ताकि कोई भी हमें नुकसान ना पहुंचा सके । अगर हमें देश को मजबूत बनाना है तो देश के सरकार के सभी अंगों को मिलजुल कर कार्य करना होगा । अकेला व्यक्ति कभी पूरी फसल नहीं उगा सकता उसी प्रकार अकेला व्यक्ति देश भी नहीं चला सकता । जिस प्रकार से शरीर का एक अंग शरीर को नहीं चला सकता। इसलिए कहा जाता है कि एकता में बल होता है।