Dr. Pradeep Kumar Sharma Ki Laghukathayen - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ - 3

डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 03


जैसी करनी वैसी भरनी

"महाराज, मुझ पर रहम कीजिए। कृपया अपने निर्णय पर एक बार पुनर्विचार कीजिए। ऐसा कैसे हो सकता है कि अपना पूरा जीवन मंदिर में दिन-रात माता-रानी की सेवा में बिताने वाला मैं मुख्य पुजारी नर्क में जाऊँ और उसी मंदिर में झाड़ू-पोंछा करने वाला भंगी स्वर्ग में जाए ? महाराज मुझे लगता है कि चित्रगुप्त जी की गणना सही नहीं है। कृपया एक बार फिर से मेरे लेखा-बही की जाँच करवाइए।" पंडित जी ने यमराज से आग्रहपूर्वक कहा।
"पंडित जी, यह मृत्युलोक नहीं है, जहाँ दुबारा गणना से परिणाम बदल जाए। चित्रगुप्त जी की गणना बिलकुल सही है और हमारा निर्णय भी। आप मंदिर में पुजारी जरूर थे, पर आपका ध्यान माता-रानी की सेवा में कम, मंदिर में आने वाले धनाढ्य लोगों की सेवा-खातिर में ज्यादा रहता था। आप जीवनभर इस जोड़-तोड़ में लगे रहे कि कैसे भक्तों की जेब ढीली की जा सके, जबकि ये भंगी हमेशा माता-रानी का ध्यान कर निस्वार्थ भाव से मंदिर की साफ़-सफाई में लगा रहता था। इसलिए जाइए, अब अपना कर्मफल भोगिए।" यमराज ने पंडित जी को नर्क का द्वार दिखाते हुए चित्रगुप्त से कहा, "नेक्स्ट... ?"

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निर्णय

"चलो, इसी वक्त हम थाने चलकर बलात्कारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराते हैं।" श्रीमान् जी के स्वर में आक्रोश था।
"पागल हो गए हैं क्या आप ? हमारी बेटी के साथ गैंगरेप हुआ है, ये जानने के बाद समाज में हमारी क्या इज्जत रह जाएगी ? पुलिस भी तरह-तरह के ऊटपटांग सवाल करके परेशान करेगी, सो अलग। ऊपर से बलात्कारियों ने बलात्कार का विडियो बनाकर धमकी दी है कि यदि मुंह खोलेगी, तो वे उसे वायरल कर देंगे। जरा दिमाग से काम लीजिए।" श्रीमती जी के स्वर में भय था।
"मैं दिमाग से ही काम ले रहा हूँ। हम रिपोर्ट दर्ज कराने में जितनी देर करेंगे, हमारे लिए वह उतनी ही हानिकारक सिद्ध होगी। आज यदि हम चुप बैठ गए, तो बलात्कारियों के हौंसले और भी बुलंद हो जाएँगे। और फिर क्या गारंटी है कि वे उस विडियो की आड़ में हमें बाद में ब्लैकमेल नहीं करेंगे ?" श्रीमान् जी ने समझते हुए कहा।
"लेकिन अगर वह विडियो वायरल हो गया तो..." श्रीमती जी आशंकित थीं।
"देखो, हमारी बेटी के साथ गैंगरेप हो गया, हमारे लिए इससे बड़ी बात विडियो का वायरल होना कदापि नहीं हो सकता। मैं शांत बैठने वाला नहीं हूँ। दोषियों को दंड दिए बिना मैं चुप नहीं बैठूँगा। तुम्हें हमारे साथ में चलना है तो चलो, वरना मैं अपनी बेटी को लेकर थाने चला।" श्रीमान् जी ने अपना अंतिम निर्णय सुना दिया।
"चलिए, मैं आप लोगों के साथ चलने को तैयार हूँ।" श्रीमती जी ने कहा और उन तीनों के कदम दृढ़ निश्चय के साथ थाने की ओर बढ़ चले।
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कामकाजी बहू

सिविल लाइन्स की आठ होममेकर महिलाओं की एक अच्छी टीम थी। उनकी किटी पार्टी हर हफ्ते अलग-अलग सदस्याओं के घर में होती थी। इसमें वे सब महिलायें एक साथ मिलकर बढ़िया पार्टी करती थीं। सामान्य तौर पर एक सदस्या की बारी हर दो महीने में एक बार ही आती थी। इस बहाने सबका आपस में मिलना-जुलना, हँसी-मजाक और मनोरंजन हो जाता था।
इस बार मिसेज रमा के यहाँ किटी पार्टी थी। पिछले महीने ही उनके बेटे की शादी हुई थी। आज जब सब लोग वहाँ पहुँची, तो आशा के विपरीत नई बहू स्वीटी को न देख मिसेज शर्मा ने रमा से पूछ ही लिया, "रमा जी, स्वीटी नहीं दिख रही है। मायके गई है क्या ?"
रमा ने बताया, "मायके नहीं, ड्यूटी पर गई है।"
मिसेज डोंगरे बोली, "क्या ड्यूटी ? आपकी बहू कोई जॉब करती है क्या ?"
रमा ने कहा, "हाँ, वह स्कूल में टीचर है।"
मिसेज डोंगरे बोली, "आपके हसबेंड और बेटा दोनों इतने अच्छे पोस्ट पर हैं। क्या जरुरत है आपकी बहू को जॉब करने की ?
रमा ने कहा, "सवाल जरुरत की नहीं, शौक की है। अब समय बदल गया है। वह पढ़ी-लिखी और आज के जमाने की लडकी है। उसे बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है। और फिर घर में बैठकर करेगी भी क्या ?"
मिसेज शर्मा ने विषय को बदलते हुए कहा, "अच्छा... तो कहने का मतलब यह है कि आज भी हमें बहू के हाथ का नहीं, आपके हाथ का बना खाना ही खाने को मिलेगा ?"
रमा ने बताया, "क्यों नहीं मिलेगा ? बिलकुल मिलेगा। वह हम सबके लिए लंच बनाकर गई है। उसके फ्रेंड सर्कल में कुछ लडकियाँ ऐसी हैं जो कि अपने घर से साफ़-सुथरी और शुद्ध चीजों से बनी डिश बनाकर सप्लाई करती हैं। उसने उनमें से कुछ लोगों को ऑनलाइन आर्डर भी कर दिया था।"
मिसेज डोंगरे ने कहा, "वाह, तुम्हें तो बहुत ही समझदार बहू मिली है।"
रमा ने कहा, "आइये, डायनिंग हॉल में बैठते हैं। लंच तैयार है। दो घंटे बाद बहू स्कूल से लौट आयेगी। उसने कहा है कि उनके आते तक सबको रुकना है। शाम की चाय वह खुद बनाकर पिलाएगी।"
डायनिंग हॉल में कई प्रकार की खाने-पीने की चीजें देखकर मिसेज वर्मा बोल पड़ीं, "वाओ, सो नाइस यार रमा। कमाल की बहू लाई हो तुम तो।"
सब लोग मजे से भोजन का आनंद लेने लगे।

- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़