Amanush - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

अमानुष-एक मर्डर मिस्ट्री - भाग(१५)

ये उन दिनों की बात है जब दिव्यजीत सिंघानिया और मेरी बहन जिज्ञासा होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहे थे,उन दोनों की पहली मुलाकात वहीं हुईं थी और फिर दोनों एक दूसरे को पसंद करने,दोनों एक साथ बहुत खुश थे,ये बात कभी कभी हम लोगों को जिज्ञासा बताया करती थी,लेकिन हम दोनों भाई कभी भी दिव्यजीत सिंघानिया से नहीं मिले थे, क्योंकि जिज्ञासा चाहती थी कि जब वो दिव्यजीत से शादी करेगी,तभी वो हम लोगों को दिव्यजीत से मिलवाऐगी...
जब तक जिज्ञासा और दिव्यजीत होटल मैंनेजमेंट का कोर्स करते रहे तब तक दोनों के बीच का रिश्ता बहुत अच्छा था,जिज्ञासा हम दोनों भाइयों से कहा करती थी कि होटल मैनेजमेंट का कोर्स करते ही दोनों शादी कर लेगें और फिर दोनों का होटल मैनेजमेंट का कोर्स भी खतम हो गया और एक दिन जिज्ञासा दीदी का मेरे पास फोन आया,वो उस समय रो रही थी और वो बस इतना ही कह पाई कि मेरी जिन्दगी बर्बाद हो गई है,ना जाने फिर क्यों उसका फोन कट गया,मैंने अपनी तरफ से फोन लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन जिज्ञासा दीदी का फोन नहीं लगा,मैं बहुत डर गया था उस वक्त और मैंने ये बात शिशिर को भी बताई तो उसने भी अपने फोन से जिज्ञासा दीदी को फोन लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसका फोन भी नहीं लगा....
ये बात हम दोनों भाइयों ने मम्मी पापा को भी बताई,तब मम्मी परेशान होकर बोलीं कि वो अभी जिज्ञासा दीदी के पास जाना चाहतीं हैं,किसी तरह से हम दोनों भाइयों ने मम्मी पापा को समझाया और तब शिशिर बोला कि मैं जाऊँगा जिज्ञासा दीदी के पास,इसके बाद शिशिर जिज्ञासा दीदी के पास पहुँचा,लेकिन उसे जिज्ञासा का कोई भी पता ठिकाना नहीं मिला,वो जिज्ञासा को ढूढ़ ढूढ़कर थक गया लेकिन जिज्ञासा उसे कहीं ना मिली और तब उसे उस पी.जी.का पता चला जहाँ जिज्ञासा रहती थी,लेकिन वहाँ भी उन लोगों को जिज्ञासा के बारें में कुछ भी नहीं मालूम था,उन लोगों ने भी जिज्ञासा की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में लिखा रखी थी,ये सब बातें सुनकर शिशिर का माथा चकरा गया....
वो जिज्ञासा के बारें में पता लगाने की कोशिश कर रही रहा था कि तभी एक दिन उसके पास एक लड़की आई जिसका अनामिका था,वो उसके पास आकर बोली कि वो जिज्ञासा के बारें में ज्यादा तो नहीं जानती लेकिन जितना जानती है वो उसे बता सकती है,लेकिन यहाँ नहीं क्योंकि उसकी जान को खतरा हो सकता है,उसने केवल इतना बताया कि वो वी.आर.सी. काँलेज में पढ़ती है और अभी कुछ महीनों से वो उसी पी.जी.में जिज्ञासा के साथ रह रही थी, फिर उसने बताया कि जिज्ञासा का एक ब्वॉयफ्रेंड है,जो उसके साथ होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा था,जिज्ञासा ने कहा था कि वो उसके साथ शादी करना चाहती है,उसने बड़े खुश होकर ये बात मुझसे बताई थी,फिर एक दिन वो बहुत रो रही थी,तब मैंने उससे उसके रोने का कारण पूछा तो वो बोली कि वो दिव्यजीत के बच्चे की माँ बनने वाली है और अब दिव्यजीत इस बच्चे को अपनाने के लिए तैयार नहीं है और उसने मुझसे शादी करने से भी इनकार कर दिया है....
तब मैंने उससे कहा कि वो दिव्यजीत के घर जाकर ये बात उसके घरवालों को बताएँ,शायद इस समस्या का कोई हल निकल आए,हो सकता है उसके घरवाले दिव्यजीत को समझाएँ और वो तुमसे शादी कर ले,तब जिज्ञासा बोली कि दिव्यजीत के पिता नहीं चाहते कि मैं उनके घर की बहू बनूँ और मैं डाक्टर के पास भी गई थी,डाक्टर बोली की अब मैं इस बच्चे को अबार्ट भी नहीं करा सकती,समय ज्यादा हो गया है,फिर वो रोते हुए बोली कि मैं किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रही,दिव्यजीत ने मुझे धोखा दिया,मेरा फायदा उठाया,अब ना जाने मेरा क्या होगा?
और तभी जिज्ञासा के फोन पर एक फोन आया ,जो दिव्यजीत का था,फिर जिज्ञासा फोन उठाकर दिव्यजीत से बातें करने लगी,वो उस समय खुश थी क्योंकि दिव्यजीत ने उससे कहा था कि वो अभी इसी वक्त बाहर आ जाएंँ,मैंने घर छोड़ दिया है अब मैं तुमसे शादी कर सकता हूँ,शादी करके हम कहीं और चले जाऐगें,जिज्ञासा ने फोन रखने के बाद मुझे ये सारी बातें बताई और कुछ कपड़े बैग में पैक करके पी.जी. से उसी वक्त बाहर निकल गई,जाते जाते मुझसे कह गई कि मैं ये बात किसी को ना बताऊँ और मैंने ये बात किसी से नहीं बताई, उस दिन के बाद ना तो जिज्ञासा मुझसे कभी मिलने आई और ना ही उसका कोई फोन आया,मैंने कई बार उसके फोन पर फोन लगाकर देखा ,लेकिन मेरा फोन नहीं लगा,फिर मुझे कुछ दिनों के बाद पता चला कि दिव्यजीत सिंघानिया ने शादी कर ली है,लेकिन उसने जिज्ञासा से नहीं किसी देविका नाम की लड़की से शादी की थी,अगर दिव्यजीत ने देविका से शादी की थी तो फिर जिज्ञासा कहाँ गई,तब मैंने ये बात पी.जी. वाली आण्टी को बताई तो उन्होंने जिज्ञासा की गुमशुदगी की पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी.....
फिर मुझे ये सुनकर बड़ा ताज्जुब हुआ कि दिव्यजीत ने अपनी उम्र से काफी छोटी लड़की से शादी की थी,लेकिन फिर जिज्ञासा कहाँ गई,उसके साथ क्या हुआ और यही जानने के लिए एक दिन मैं दिव्यजीत से मिलने गई,तब उसने मुझे धमकी देकर कहा कि अगर मैंने ये बात किसी से कही की जिज्ञासा के साथ मेरा कोई रिश्ता था तो ये तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा,इसलिए फिर मैंने जिज्ञासा का जिक्र करना ही बंद कर दिया,वो मुझसे उम्र में बड़ी थी,इसलिए मैं उसे दीदी कहकर पुकारती थी,उसके ऐसे चले से मुझे बहुत दुख हुआ था..
इतना कहकर अनामिका वहाँ से चली गई और फिर उसने शिशिर को मिलने के लिए किसी पार्क में बुलाया,शिशिर अनामिका से मिलने उस पार्क पहुँचा लेकिन अनामिका वहाँ नहीं पहुँची,दूसरे दिन पता चला कि अनामिका गायब हो चुकी है,उसके माँ बाप और पी.जी.वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई है,शिशिर को इन सब में कोई बड़ा घपला लग रहा था,इसलिए फिर उसने यहाँ आकर दिव्यजीत सिंघानिया पर नज़र रखना शुरू कर दिया,वो कैंसे भी करके जिज्ञासा के बारें में जानना चाहता था,इसलिए उसने इस काम के लिए देविका को चुना,देविका की कमजोरी हसीन मर्द थे,वो उनसे बहुत जल्दी आकर्षित हो जाती थी,उसने सिंघानिया से शादी उसकी दौलत के लिए की थी और फिर शिशिर ने इसी बात का फायदा उठाकर देविका पर डोरे डालने शुरू कर दिए...

क्रमशः...
सरोज वर्मा....