Series - It's okay to not be okay
देश - दक्षिण कोरिया
भाषा - कोरियन, हिंदी
Available -Netflix
Cast -Seo yea ji, Kim soo hyun , Oh Jung - se
लेखक - Jo Yong
निर्देशक - park Shin - woo
Episodes - 16
समीक्षा -
तो भाई लोग देखो, बहुत कम ऐसी सीरीज बन पाती हैं जिसे देखने के बाद से ही पेट में मरोड़े उठने लगे, कि जितना संभव हो उतने लोगो को बता दिया जाए, काश कोई होता जिससे इस सीरीज पे घंटो बात हो सकती।
और ये सीरीज उस लिस्ट में Top 5 में आएगी । मैंने आज तक कोई भी K - Drama नहीं देखा है और ये सीरीज देखने के बाद मैं ये कहूंगा कि अपनी बेवकूफी की वजह से मैं मजबूर था, आप नहीं हैं , तो बिल्कुल देख डालिए ।
अगर इस सीरीज की बात करें तो भाई साहब क्या गजब की सीरीज बनाई है कोरिया वालों ने। मैं उनका फैन हो गया । चाहे आप story की बात करें, Direction की बात करें, screenplay की बात करें, acting , cinematography की बात करे सब कुछ perfect है ।
इस सीरीज की एक और बात अच्छी लगी कि ये हमें सिर्फ पूर्णतः मनोरंजन नहीं देती बल्कि जिंदगी की बहुत सी बातों को बहुत प्यारे तरीके से समझा जाती है जैसे -
कैसे एक लड़का और लड़की , सोच में बिल्कुल विपरीत होने के बावजूद अपने घमंड में रिश्ता ख़तम करने की बजाय वो एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं, खुद को एक दूसरे के लायक बनाने की कोशिश करते हैं।
कैसे एक मां किसी अनजान लड़के का इतना ख्याल रख सकती है जिसने उसी की बेटी का प्यार नामंजूर कर दिया हो।
कैसे एक लड़का अपने परिवार की जिम्मेदारी आने के बाद परिवार को वरीयता देते हुए अपनी महत्वाकाक्षाओं और सपनो को कहीं दफना देता है ।
ऐसे ही अनगिनत खूबसूरत बातों को बताते और दिखाते हुए ये सीरीज आगे बढ़ती है। ये सीरीज देखने के बाद मै भावुक हो गया था, दुख से नहीं बल्कि खुशी से । मैंने इतनी ज्यादा प्यारी सीरीज कभी नहीं देखी । इसके सारे पात्र इतने ज्यादा प्यारें हैं कि आपको कई दिनों तक याद रहेंगे।
लगभग 20 घंटे की सीरीज होने के बावजूद इसके मुझे एक सेकंड के लिए भी बोर नहीं किया । ये हमे
अपने आप में पूरी तरह से समा लेती है । सबने बहुत बेहतर काम किया है ।
इसे देखते समय अंदर एक प्रश्न बार बार उठ रहा था कि हमारे देश में ऐसी सीरीज या फिल्में क्यों नहीं बन पाती । हमसे कहा चूक हो रही है।
शायद बॉलीवुड के film makers western culture की तरफ कुछ ज्यादा ही आकर्षित हो चुके हैं, जिन्हें अपनी सभ्यता और संस्कृति पे फिल्म बनाना असहज लगता है । यही वजह से कि अपनी फिल्में चाहे पैसा कितना ही कमा ले पर वो सम्मान नहीं पाती , बावजूद इसके Film makers का अपनी ही धुन में है। और ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हम खुद अपनी ही फिल्में देखना बंद कर देंगे ।