Meri jindgi hai Tu - 3 in Hindi Short Stories by Ziya Bagde books and stories PDF | मेरी जिंदगी है तु - 3

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मेरी जिंदगी है तु - 3

सात साल बाद - एक घर जो देखने में बाहर से बहुत ही सुंदर दिख रहा था , बही घर के अंदर की खुबसुरती बाहर से भी कई ज्यादा थी , दीवारो मे बहुत सारी पेंटिंग्स लगी हुई थी।

और साथ मे बहा पर बहुत सी तस्वीरे लगी हुई थी , जिसमे एक लड़की और दो छोटी - छोटी एक जैसे दिखने बाली लड़कियां थी , और उनमें से कुछ फोटो मे उनके साथ एक मिडिल एज औरत भी थी।

तभी वो औरत एक कमरे मे जाती है , जहा पर दो छोटी बच्चियों ने एक लड़की को अपनी बाहों में भर रखा था , वो लेडी उन तीनो को देख बोली निवि उठो बेटा दिन निकल गया है , अब तुम सब उठ जाओ।

इस पर निवि नींद में ही बोली सोने दो बुआ आज तो सनडे हैं , आज तो हमे सोने दो इस पर वो औरत अपनी कमर पर दोनों हाथ रख बोली ये लड़की भी ना बच्चो जैसा बिहेब करती हैं , इसे देख कौन कहेगा.....!!

" की ये खुद दो बच्चो की माँ हैं , फिर वो उन बच्चियों को उठाते हुए बोली रिद्धि, सिद्धि उठो बेटा अब उठ भी जाओ... इस पर वो बच्चियों ने और कस कर अपनी मम्मी को गले से लगा लिया।

' मानो अगर उन्होंने अपनी मम्मा को छोड़ा तो वो उनसे कही दूर चली जायेगी .... जब उस लेडी ने देखा कोई भी उठने को तेयार नही तब उन्होंने कुछ सोचा और साइड टेवल पर रखा जग उठा कर उसका पुरा पानी उन तीनो के ऊपर डाल दिया।

जैसे ही तीनो पर पानी गिरा तीनो जल्दी से उठ कर एक साथ बोले मम्मी बचाओ.... बाड़ आ गयी, हम डूब जायेंगे , जब उन्हे लगा बाड़ जैसा कुछ नही हे , तो तीनों ने अपनी आँखे खोली और अपने सामने गुस्से मे खड़ी लेडी को देख तीनो तुरंत बेड से उतरी और बाथरूम मे चली गई .....!!!!

उन तीनो को ऐसे देख उनके चेहरे पर भी स्माइल आ गयी फिर वो उन्हे आवाज लगा कर बोली जल्दी से रेडी होकर नीचे आ जाओ.... मे नास्ता लगा रही हूँ , और ह्म्म्म आज महीने का लास्ट सनडे है , तो तुम्हे अपनी बनाई पेंटिंग भी बेचने तो जाना है ।


ना इतना बोल वो बहा से चली गई , तो रिद्धि बोली मम्मा हम तो भूल ही गए थे , हमे जाना भी है , तो सिद्धी बोली चलो जल्दी से रेडी हो जाओ... नही तो बड़ी बुआ नाराज हो जायेगी ।

फिर क्या था , वो लोग जल्दी से नहा कर रेडी हो गये... और नीचे जाकर डाइनिंग टेवल पर बैठ गये , फिर उन्होंने जल्दी से नास्ता खत्म किया , और अपनी सारी पेंटिंग और पेंटिंग बनाने का समान लेकर लीला को बाये किया.... और अपनी कार में बैठ निकल गये ।

उनके जाने के बाद लीला खुद से बोली पता नही ये लड़की भी ना अपनी पेंटिंग को यू सड़क पर खड़ी होकर इतने सस्ते में बेच देती हैं , जबकि इसकी यही पेंटिंग ऑकसन में लाखों मे बिकती हैं , ये अपनी एक पेंटिंग बेच कर ही लाखों रुपए कमा लेती है ।

" फिर भी हर महीने के लास्ट सन्डे को ये बस कुछ हजारो मे ही अपनी पेंटिंग बेच दिया करती है , इसके पास इतनी अच्छी जॉब है , और साथ मे इसकी पेंटिंग भी इतनी महंगी बिकती हैं , पर फिर भी इसे सड़क पर लोगो की पेंटिंग बनाने मे पता नही कोनसी खुशी मिलती हैं ।


बोल कर वो अपना काम करने लगती हैं , बही वो तीनो जाकर एक जगह पर रुकते है , जहा पर पहले से ही लोगो की भीर मौजूद थी , यहाँ पर लोग अपनी फेमिली के साथ घूमने आया करते थे , ये एक समुद्री एरिया था ।

यहाँ पर बहुत सारी दुकाने भी लगी थी और यहाँ पर आकर लोगो को एक अलग ही शांति मिलती थी , बही निवि पिछले छ: सालो से यहाँ पर आकर लोगो की पेंटिंग बनाया करती और अपनी बनाई पेंटिंग को बेचा करती हैं ।


जैसे ही निवि और उसकी दोनों बेटी बहा पूछती हैं , एक लम्बी कतार मे लोग उनके पास खड़े हो जाते है , कुछ अपनी पेंटिंग बनबाने तो कुछ खरीदने ..... बहा आये हर किसी को ये पता था , की इनकी बनाई गयी ... एक पेंटिंग की कीमत ही 5 लाख रुपए से ज्यादा होती हैं , जो ये ओकशान मे बिकती हैं ।


मगर ये लोग हमेसा यहाँ आकर सस्ते में इसलिए बेचा करती थी , ताकि वो लोग भी इनकी पेंटिंग खरीद सके... जो खरीदना तो चाहते है , पर खरीद नही पाते..... !! इनकी पेंटिंग इतनी नेचरल होती है , की कोई भी इन्हे देख ये नही पता लगा पाता था की ये पेंटिंग है , या हकीकत ....!!!


फिर तीनो मिल कर एक- एक की पेंटिंग बनाते है , और जिनकी बनते जाती वो उसे लेकर बहा से चले जाते , तभी निवि के पास एक कपल आकर बोला हलो निवि मैम मे अखिलेश पिछली बार मे आपकी पेंटिंग खरीदने के लिए गया था , पर खरीद नही पाया था , और मेरी वाइफ की जिद है , की उसे आपसे ही अपनी पेंटिंग बनबानी हे, तो क्या आप बनायगी।।

तो निवि बोली क्यों नही आप दोनों यहाँ बैठिये मे अभी बनाती हूँ बोल कर वो उसकी वाइफ को एक नजर ही गोर से देखती है , फिर बनाने लगती हैं , जब बो बन जाती हैं , तो वो लेडी अपनी पेंटिंग देख बहुत खुश हो जाती है


फिर अखिकेश उसे पैसे देकर चला जाता हैं , तभी उसके कानों मे अपनी बेटी की आवाज पड़ती है , जो बोल रही होती हैं , अंकल आप ये पेंटिंग सिर्फ पाँच हजार मे ही मांग रहे हो जबकि आप जानते हो इसकी कीमत इससे कई ज्यादा है , तो वो आदमी बोला जानता हूँ , बेटा पर मेरे पास अभी इतने ही पेसें है।

निवि उन्हे देख कर बोली कोई बात नही आप उतने ही दे सकते है , ये पेंटिंग आपकी हुई , वो उससे पैसे लेकर वो पेंटिंग उसे दे देती हैं , तब रिद्धि बोली मम्मा आपने उन्हे ये इतने कम मे क्यों दे दिया । तो निवि बोली क्युकी हम यहाँ पर पैसे कमाने नही बल्कि उन्हे अपनी पेंटिंग देने आते हैं , जो इसे खरीदना तो चाहते है , पर ओकशन में इसकी ज्यादा कीमत के कारण खरीद नही पाते समझी....!!!


तो रिद्धि भी हान मे सर हिला देती हैं , कुछ ही देर मे उनकी सारी पेंटिंग बिक जाती हैं , और वो लोग फिर बहा से चले जाते हैं ।


बही एक लड़का रात के अंधेरे मे खड़ा चाँद को देखे जा रहा था , वो चाँद को देख कर बोला कहा हो तुम निवि सात सालो से मे तुम्हे ढूंढ रहा हूँ , मगर तुम्हारी कोई खबर नही मिली आज तक, उस दिन के बाद से तुम कही भी किसी को दिखाई नही दी .... !

कितना ढुंढ चुका हूँ , तुम्हे पर तुम हो की मिलने का नाम ही नही ले रही हो ... प्लीज लौट आओ निवि अब मे भी थक चुका हूँ , तुम्हे खोजते - खोजते अब तो लौट आओ ......!



क्रमश:,,,,,,,,,