Hatkadi - 2 in Hindi Short Stories by Ashish Bagerwal books and stories PDF | हथकड़ी - 2

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हथकड़ी - 2

रात्रि के समय सभी के उपस्थित होने पर हीरालाल जी ने आज जो बात विनायक जी ने कही वह सभी को बताई।
राजेश - पिताजी हमारे घर में से अवश्य किसी ना किसी को व्यापार मंडल के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ना चाहिए।
संदीप - जी पिताजी, मुझे भी लगता है राजेश सही कह रहा है।
हीरालाल जी - मैं तुम दोनों की बातों से सहमत हूं परंतु अगर मैं तुम दोनों में से किसी एक को चुनाव में खड़ा किया तो इस चुनाव पर निष्पक्षता का प्रश्न चिन्ह प्रकट हो जाएगा।
संदीप - परंतु, पिताजी आपको सभी व्यापारी अच्छे से जानते हैं कि आप कभी भी कुछ गलत नहीं कर सकते।
राजेश - हां पिताजी भैया सही कह रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि इस चुनाव में हमारे परिवार में से किसी व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर निष्पक्षता का प्रश्न प्रकट होगा।
कविता - पिताजी क्या मैं कुछ बोल सकती हूं।
हीरालाल जी - बोलो बेटी यह भी कोई पूछने की बात है।
कविता - पिताजी आप महिला सशक्तिकरण का भी ध्यान रखते हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है क्यों ना इस चुनाव में वाणी दीदी को चुनाव में खड़ा किया जाए।
वाणी - तुम कैसी बात करती हो कविता जानती नहीं हो क्या यह व्यापार महिलाओं के बस की बात नहीं है, और वैसे भी यह फैसला पिताजी करेंगे कि हमें चुनाव लड़ना है या नहीं।
हीरालाल जी - हम कविता के दिए हुए सुझाव से सहमत है, परंतु यदि फिर भी हम पर कोई पक्षपात का आरोप लगा तो हम उसी समय अपने परिवार में से किसी को भी चुनाव नहीं लड़वाएंगे।
कुछ देर तक इसी बात पर सभी लोगों में बहस होती है और अंत में फैसला लिया जाता है की वाणी को व्यापार मंडल चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया जाएगा।
हीरालाल जी अगले दिन व्यापार मंडल की बैठक में उपस्थित होते हैं और बताते हैं कि क्यों ना इस बार महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देते हुए किसी महिला को अध्यक्ष के रूप में चुना जाए, सभी सर्वसम्मति इस निर्णय को स्वीकार कर लेते हैं। वाणी और कीर्ति पटेल दोनों के बीच रोमांचक मुकाबले में वाणी को जीत मिलती है।
वाणी 2 वर्ष के लिए अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होती है।
घरेलू कार्य में दक्ष वाणी धीरे-धीरे व्यापार मंडल के निर्णयों में भी दक्ष हो जाती हैं। वाणी के अध्यक्ष बनने से पूर्व व्यापार मंडल की वर्ष में तीन बार ही मीटिंग हो पाती थी परंतु अब 6 मीटिंग हो जाती है, इस बात से व्यापार मंडल में खुशी की लहर है, क्योंकि सभी को अपनी बात निष्पक्षता से रखने का अधिक अवसर मिलता है।
हीरालाल जी भी इस बात से बड़े उत्सुक है कि उनके परिवार का कोई सदस्य इतनी प्रतिष्ठा से उनका मान सम्मान बढ़ा रहा है। एक रात हीरालाल जी स्वप्न में कुछ ऐसा देखते हैं कि उनकी अचानक नींद खुल जाती है। वह देखते हैं कि लोग उनकी ओर बड़े जा रहे हैं हाथों में हथकड़ी लेकर परंतु ऐसा क्यों हुआ वह इस बात से बेखबर थे, परंतु उन्हें अनहोनी का आभास हो चुका था और इस समय वह टार्च लेकर निकल पड़ते हैं सुनसान गलियों से होते हुए एक खाली गोदाम में।