बेहद in Hindi Love Stories by Kridha Raguvanshi books and stories PDF | बेहद

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बेहद

किस्मत ने एक और बार रिद्धि को अपने भावनाओं को सही मायाने में समझने का अवसर दिया। उनके प्रोफेसर ने प्रोजेक्ट के सिलसिले में उन दोनों को एक ही ग्रुप में डाल दिया। रिद्धि डरने लगा। उसे लगा कि यदि प्रियम को उसकी किसी भी बात पसंद नहीं आयी तो वह उसे हमेशा के लिए दूर हो जाएगा। दिन गुजरने लगे, और रिद्धि ने अपने आप को संभाला। प्रियम धीरे-धीरे आकर रिद्धि के पास बैठता, और उनके बीच बातें शुरू हुईं। रिद्धि एक पल के लिए अपनी सुध-बुध खो देता, उसके हाथ-पांव काँपने लगे, लेकिन प्रियम के साथ बातें करते हुए वह धीरे-धीरे अपने आप में सुरक्षित महसूस करने लगा।

प्रियम ने पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?" रिद्धि ने जवाब दिया, "रिद्धि।" वह दोनों काफी देर तक एक दूसरे के बारे में जानने की कोशिश करते रहे। कॉलेज छुटने के बाद, रिद्धि को बेहद खुशी हुई। उसके मन-तन में हजार सवाल उमड़ रहे थे। वह अपने सारी बातें एक पन्ने में लिखने लगा, पर उसकी हाथ की लिकावट से पता नहीं चल रहा था कि वह क्या लिख रहा था। उसने अपने दिल की गहराई से लिखा था, "मैं उसे अपने आखिरी सांस तक प्यार करूंगा।" उसके आंखों से आंसू की एक बूंद आकर उस पन्ने में गिरी। यह खुशी और दर्द दोनों से भरा था।

ऐसे कुछ दिन बीतने लगे, और रिद्धि का प्यार बढ़ता गया। लेकिन जब कॉलेज वेकेशन की बात आयी, तो उसके आंखों में प्रियम के इंतजार की दीपक जल उठी। उसे पता नहीं था कि यह इंतजार हमेशा के लिए रह जाएगा। फिर उसे पता चला कि प्रियम उसके कॉलेज छोड़कर जा चुका है। वह कहां गया, क्या कर रहा है, यह सबसे अनजान थी रिद्धि। उसके मन में कभी यह बात नहीं आयी थी कि कभी वह प्रियम से दूर हो जाएगी। रिद्धि ने अपने आंसू छुपाने की कोशिश की, पर वह नाकाम रही। वह पागलपन की हद तक प्रियम के बारे में कुछ पता करने की कोशिश कर रही थी।

वह अपने घर जा रही थी, अपने दिल का दर्द न बाहर दिखा पा रही थी न अंदर समेट सकती थी। बरसात उसकी इस दर्द की मरहम बन गई। बारिश की बूंदों के साथ वह अपने आंसू भी टपकने लगी। वह रोते-रोते जमीन पर गिर पड़ी। रिद्धि ने चिल्लाकर कहा, "क्यों डाला मुझे इस आशिकी में जब मुझे नहीं है नसीब वह?" टूटे दिल, वह भी एक तरफा प्यार में, हर किसी ने महसूस किया है, नहीं तो वह प्यार ही नहीं। क्या आपने किया है ऐसा बेहद, बेपनाह आशिकी? रिद्धि का दर्द और प्यार दोनों ही अब एक अनोखी कहानी लिखने लगे थे, जिसमें सिर्फ आंसू और इंतजार की कहानियां थीं।

रिद्धि ने अपने अस्तित्व को भूलने की कोशिश की, पर प्रियम की यादें उसके साथ जुड़ी रही। वह रातों को जागते हुए प्रियम के सपने देखती थी, और सुबह उठकर फिर से उसकी यादों में खो जाती थी। उसने सोचा कि शायद वक्त के साथ यह दर्द कम हो जाएगा, पर हर दिन गुजरता गया, रिद्धि का प्यार और दर्द बढ़ता गया। वह एक अनजान रास्ते पर चलने लगी थी, जहां सिर्फ आंसू और यादें साथ थीं।