Row Agent - 1 - 4 in Hindi Detective stories by bhagwat singh naruka books and stories PDF | रॉ एजेंट सीजन 1 - 4

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रॉ एजेंट सीजन 1 - 4

सारा दिन आराम करने के बाद शाम होते ही अजय सिंह अपने दोस्त विजय डोभाल से मिलने के लिए निकल पड़ा,,।


इंद्र लोक पब
शाम का समय 

अजय सिंह ने गाड़ी पार्किंग में लगा दी और सीधा पब के अंदर गया वहा पर बहुत सारी लड़किया थी ,सभी युवा शराब के साथ साथ सबाब के मजे ले रहे थे , अजय सिंह की नजर विजय को ढूंढ रही थीं,आखिर में उसको दिखाई दे गया ,वो ऊपर वाले फ्लोर पर था उसके आस पास चार लड़किया बैठी है सामने टेबल पर बोतल रखी है । 


अजय सिंह को अपने सामने देखते ही विजय खड़ा हो गया और गिलास एक लड़की को देते हुए बोला ,,,,,, आओ दोस्त आओ मेरे जिगरी यार ,,बहुत दिनों में दर्शन दिए हमे तो लगा की भूल ही गए हमे तो ,,,

और बताओ कैसे हो ??? गले लगते हुए कहता है 

अजय सिंह ____ मैं ठीक हु ,,तुम बताओ कैसे हो और ये क्या हाल बना लिया अपना।

विजय ____ मैं एक दम फिट हु देखो ,, लाइफ के मजे लूट रहा हू,,

(पास खड़ी लड़कियों से कहता है ) अब तुम जा सकती हो , मेरा सबसे प्यारा दोस्त बहुत दिनो में आया है आज के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,, ये लो मजे करो तुम भी  (जेब से नोट को गड्डी निकाल कर उनको दे देता है )

अजय सिंह _____(चौकते हुए) ये सब ,,,,क्या है ये सब इतने पैसे ,,,, क्या यार बहुत बदल गया है यार तू

विजय _____(उसको पास बैठाते हुए)

बोला ना लाइफ के मजे ले रहा हू,, लगता है तुझे भी लाइफ जीना नहीं आता है ,जेसे मेरे डैड,,, खैर छोड़,,वो सब ,, तू बता आज केसे इस दोस्त की याद आ गई जो यहां तक चला आया ,, जहां तक मै जानता हु तू कभी पब, बीयर बार डांस बार कभी नही आता जाता ,,, हा आएगा भी केसे तुझे तो असली लाइफ का आनंद नही पता ,,,,।

अजय सिंह _____ ये आनंद बहुत हुआ दोस्त ,,चल तुझे नए आनंद की तरफ ले चलता हू,, (अजय सिंह मुस्कुराते हुए कहता है )


विजय ____(पैग बनाते हुए अजय सिंह की तरफ बढ़ाते हुए ) मतलब???


अजय सिंह ____ नहीं विजय,,,,,अब तुम भी इसको छोड़ दो ,,,,,,,,पाकिस्तान जा रहा हू और,,,,,,,,,, (बात को बीच में अधूरी छोड़ते हुए  ,।

विजय _____(अपने हिस्से के पैग की घुट मरते हुए ) हू,,,,,, सबसे पहले देश के अन्दर बैठे उन जिहादियों गद्दारों को खत्म कर देना चाहिए पीएम साहब और डैड तो यू ही जिद्द पर अड़ बैठे है ,,,,,, ओर,,, क्या कह रहा था ,, बात बीच में अधूरी रह गई थी तेरी ,, और,,???

अजय सिंह _____तुम भी मेरे साथ मिशन पर साथ जा रहे हो ,,मिशन का नाम होगा pok  और हा ये कोई पिकनिक टूर नही है गुप्त मिशन है हम दोनो को खुफिया एजेंसियों ने चुना है रॉ एजेंट बन कर पाकिस्तान जाना है ,,

विजय ______(फिर एक घूट मारते हुए) मैं,,,मैं क्या करूंगा वहा जाकर  
अजय सिंह _____ देखो विजय ये मौज मस्ती छोड़ो और यही मौका है तुम्हे दूसरे देश में जाकर अपने आपको साबित करने का ,,मुझे पता तुम्हारे साथ जो हुआ वो गलत था ,,लेकिन किस्मत फिर से एक चांस दे रही है ,, तुम्हारे डैड ने शायद तुम्हारा नाम गुप्त मिशन इस लिए दिया की तुम फिर से अपने हुनर को सब के सामने प्रदर्शित कर सको 

शायद तुम्हे वो फिर से परखना चाहते हो ,,

विजय _____(गुस्से से) मेरा हुनर और मेरा काम किसी के प्रदर्शन का मोहताज नहीं है और नही था ,,,, खूफिया एजेंसी में और भी बहुत काबिल रॉ एजेंट है किसी को भी ले जाओ,,मुझे ही क्यू??

अजय सिंह ____ शायद तुम भूल रहे हो विजय ये मेरा निर्णय नही सीएम साहब और पीएम साहब का है ,,और हा इस तरह से तुम नशे में अपनी लाइफ बर्बाद कर दोगे तो इतना बडा अंपायर जो आपके डैड ने खड़ा किया हुआ है उसको कोन संभालेगा,, शायद इसी लिए सीएम साहब ने तेरा नाम रॉ में दिया हो जिससे आगे चल कर सारा कारोबार तुम संभालो,,

विजय _____नहीं तो कोन संभालेगा,,,, तु (एक जोर का हटाका भरते हुए कहता है कहता है इससे अजय को गुस्सा आ जाता है )

अजय सिंह _____ अपनी ips की नौकरी में बहुत खुश हु मुझे किसी के बिजनेस या राजनीति में भाग लेने का शौक नहीं है समझा,,, ओर हा दोस्त होने के नाते तुझे समझा रहा हु ,,,,,, शायद इस मिशन के करने के बाद तेरे बारे में जो लोगो की गलत सोच है वो खत्म हो जाए,,, और वैसे भी अगले सीएम साहब की कुर्सी तुझे ही संभालनी है ,,,और हा यही एक मौका है अपने आपको साबित करने का अभी तक हमने देश के अंदर ऑपरेशन को अंजाम दिया है ,अब पहली बार देश के बाहर पाकिस्तान में है ,,
क्या इसे में भी तुम अब पीछे हटना चाहते हो ,,

विजय ____(खड़ा हो कर ) अजय सिंह ये विजय है विजय ढोभल,, जिसने पीछे हटना सीखा ही नही ,,अपने देश की जब बात है तो उसके शान में पीछे हटने का कोई सवाल नही खड़ा होता है ,, अपने राष्ट्र के लिए कुछ भी कर सकता हु,,,,,,, बोल कब चलना है , बहुत दिन हो गए टीगर दबाए, इस बार तूफान मचा देगे ,,, बहुत हुआ देश में लव जेहाद,, उस जहरीले सांप के फन को कुचलने का समय आ गया है,, ।



कहानी आगे जारी रहेगी 👉

धन्यवाद जय हिन्द

लेखक भगवत सिंह नरूका