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जुदाई

जुदाई

जब वो मुस्कुराती तो ऐसा लगता जैसे गगन से फूलो की बरसात हो रही है। उसकी खुबसूरत अदाएं, मखमली चाल, उसका चंचलापन। जो उसे देखता उसपे मर मिटता था। लेकिन न जाने वो किसपे मर मिटी थी ।

ऐसा लगता उसकी जिन्दगी मे कोई दर्द, कोई गम नही। हर वक्त वो खुश रहती लेकिन कोई ऐसा था जिसकी याद में वो खोई रहती । जिसे याद कर उसके आँखों से कभी-कभी आंसू छलक जाते । शायद वो उससे बहुत मोहब्बत करती है। वो विल्कुल अपने नाम की तरह की थी मुस्कान। उसकी उम्र शादी की हो चुकी थी। घर वाले जोर देते कब तक अकेली रहेगी शादी करले। लेकिन वो सिर्फ इतना कहती मै समीर से बहुत मोहब्बत करती हूँ और उसके अलावा किसी और की नही हो सकती । इतना सुनकर घर वाले चुप हो जाते। उसे दुनिया वालों की भी कोई फिक्र नही कि लोग क्या कहेंगे क्या शोचेंगे। वो अपने परिवार के साथ खुश थी और जब कोई शादी के लिए जिद्द करता तो वह बस ये कहती मेरी शादी तो समीर की यादो के साथ हो चुकी है। घर वाले उसकी बाते सुनकर परेषान थे लेकिन वो खुश थी।

एक दिन अचानक उसके कालेज की दोस्त उससे मिलने आई। बातो ही बातो में मुस्कान ने समीर का नाम ले लिया। मुस्कान की दोस्त अर्चना को समीर के बारे में कुछ पता नही था । वो बोली समीर कौन है क्या करता है कहा रहता है इसपे मुस्कान की आँखे भर आई। ऐसा लगा कोई दर्द आज फिर से उभर गया हो। अर्चना को लगा ष्शायद मुस्कान समीर से मोहब्बत करती है। तो बोली मुस्कान जब तू समीर से इतनी मोहब्बत करती है तो शादी क्यो नही कर लेती। इस पर मुस्कान हल्की सी मुस्कुराई और बातों की कही और मोड़ देने लगी। लेकिन अर्चना पूछती रही, जिद्द करती रही आखिरकार मुस्कान को समीर के बारे में बताना ही पड़ा।

उसने बताया कि जब मुस्कान बैंगलोर में थी तो उसके घर के सामने एक मुस्लिम लड़का रहता था जिसका नाम समीर था । मुस्कान और समीर दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे । इनकी दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नही चला । उसने बताया कि हम दोनों के परिवारो के बीच अच्छे संबंध थे । उन्हे लगता हम दोनो अच्छे दोस्त है। उन्हे हमारी दोस्ती पे कोई आपत्ति नही थी। वे लोग खुष थे और हम भी।

और एक दिन अचानक समीर मेरे घर आया और मेरे परिवार वालो के सामने अपनी मोहब्बत को इजहार किया कि मै मुस्कान से मोहब्बत करता हूँ और उससे ष्शादी करना चाहता हूँ। अगर आप लोग को कबूल हो तो । तब मेरी माँ बोली बेटा मै जानती हूँ तुम अच्छे लड़के हो अच्छे परिवार से हो लेकिन मुस्कान हिन्दू और तुम मुसलमान हो। दुनिया वाले क्या कहेंगे। समीर बोला मुझे इस बाता का इल्म है कि मै मुस्लिम हूँ और मै एक हिन्दु लड़की से शादी करना चाहता हूँ। क्योकि मै उससे मोहब्बत करता हॅू। और मोहब्बत धर्म-जाति, जात-पात देख कर नही होता । ये तो बस हो जाता है । और मोहब्बत करना कोई गुनाह नही होता। फिर पिताजी मुझसे पुछे बेटी क्या तुम समीर से शादी करना चाहती हो? क्या तुम भी समीर को पसन्द करती हो तब मुस्कान बोली अगर आप लोगो की इच्छा हो तो आपकी इच्छा के बगैर हम शादी नही करेगे । पिताजी ने कहा समीर मै तुम्हारे परिवार से बात करूंगा फिर निर्णय लूंगा।

दुसरे दिन मेरे घर वाले समीर के घर गये और दोनो परिवार के बीच बाते हुई । तब समीर की माँ ने कहा ये तो मेरी खुषनसीबी होगी कि मुस्कान जैसी लड़की मेरे घर की बहु बनेगी । फिर हम दोनो का रिस्ता पक्का हो गया।

एक महीने बाद हम दोनों की सगाई हो गई। और दो महीने बाद हमारी शादी थी। इतनी बाते कहकर मुस्कान जोर-जोर से रोने लगी। ऐसा सा लगा उसका दर्द और बढ़ गया । अर्चना उसे गले से लगाई और फिर पुछी आगे क्या हुआ मुस्कान। अर्चना को समझ नही आ रहा था कि मुस्कान को हुआ क्या है उसके साथ ऐसा क्या हुआ है जो अपने अंदर इतना दर्द छिपाये बैठी है।

थोड़ी देर बाद मुस्कान खुद को सम्भालती हुई बोली।

एक दिन हम दोनों घुमने गये । अचानक समीर की तबीयत बिगड़ने लगी और वो वेहोस हो गया। मै उसे अस्पताल ले गई फिर घर पे खबर गई तो सब लोग अस्पताल पहुँच गये। तब डाक्टर ने समीर के अब्बा से कहा समीर को ब्लड कैसर हैं। समीर के अब्बा को समझ नही आ रहा था कि वो अब क्या करें। फिर खुद को सम्भालते हुए उन्होने मुस्कान और समीर को छोड़ सबको सच्चाई बता दी । आखिरकार कभी ना कभी तो सच्चाई का सामना करना पड़ता। हम दोनो से कहा गया कि थोड़ी से कमजोरी है। कुछ दिनो में ठिक हो जायेगी ।

कुछ दिन बीत गये लेकिन समीर की तबीयत में कुछ सुधार नही हुआ।फिर समीर को डाक्टर के पास ले गये । तब डाक्टर ने कहा अब इनको एडमिट करना पड़ेगा क्यूकि इनके पास बहुत कम दिन बचे है । ये बात समीर ने सुन ली और रोने लगा । बोला डाक्टर साहब मै अस्पताल में दम तोड़ना नही चाहता । मै आखिरी वक्त अपने परिवार के साथ बीताना चाहता हूँ चाहे कुछ भी हो। आप घर पे ट्रिटमेंट करवा दीजिए। डाक्टर ने हाँ कर दी तभी मै वहा आ गई । समीर ने सबको माना कर दिया था कि कोई मुझे कुछ न बताएं । फिर मै समीर के कमरे में गई पूछी कैसे हो समीर? समीर ने मुस्कुराते हुए कहा - मै एकदम फिट हू । मुझे क्या हो सकता है मेरा ख्याल रखने वाली तुम जो हो । मै बोली चलो समीर मै तुम्हे बाहर से घुमा कर लाती हू । समीर ने कहा कि तुम सिर्फ मेरे पास बैठो आज मै तुमसे बहुत सारी बाते करना चाहता हूँ । मुझे अजीब लगा उस दिन वो कभी बाहर जाने से मना नही करता था । लेकिन मुझे लगा आज इसे क्या हो गया हैं। मै बोली बताओ क्या कहना चाहते हो

तब समीर ने कहा ये बताओ अगर मै इस दुनिया से चला गया तो तुम क्या करोंगी? मुझे लगा वो मजाक कर रहा हैं मै बोली किसी और से शादी कर लूँगी । समीर ने कहा सच तो वादा करों । मै बोली पागल हो तुम्हारे अलावा आज तक किसी के बारे में सोची तक नही और शादी तो दुर की बात है समीर बाबू।फिर समीर ने कहा अगर मैं तुम्हे छोड़ दूँ तो तब मैने कहा मै पुरी जिन्दगी तुम्हारी यादो के सहारे गुजार दूंगी। ये वादा करती हू। समीर ने कहा मुझसे वादा करो मै रहूँ या ना तुम हमेशा खुश रहोगी । कभी अपने चेहरे से इस प्यारी मुस्कान को न जाने देना । वादा करो मुस्कान मै बोली क्या फिजूल की बाते कर रहे हो। हमारी दी है एक माह के बाद उसकी तैयारी करनी है । फिर भी समीर बोलता रहा वादा करों। फिर मै अखिर उसकी बात मान ली । मै बोली मै वादा करती हू हमेषा खुश रहूँगी।

ये वादे भी अजीब होते है

मोहब्बत करने वालो के भी क्या नसीब होते है।

मै समीर से पूछी आज बहकी -बहकी बाते क्यो कर रहे हो क्या बात है बताओ फिर समीर ने मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर कहा -

नही दे सकता मै तुम्हारा साथ क्योकि मौत ने थामा है मेरा हाथ’मै बोली क्या मजाक कर रहे हो। क्या तुम मुझे छोड़ना चाहते हो क्या तुम्हे किसी और से मुहब्बत हो गई है जो तुम ऐसी बात कर रहे हो । तब समीर ने कहा-

जिसने मोहब्बत का नाम भी तुमसे सीखा है

वो सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत में ही बिका है

पूछी मुझसे पहेली न बुझाओ जल्दी बताओ मुझे अजीब लग रहा है। चिल्ला -चिल्ला कर पुछने लगी क्या बात है तब समीर ने मुझे अपनी बाहो में लेकर ’मै बस कुछ दि ही इस धरती पर हूँ । शायद खुदा को हमारी खुशी मंजूर नही । समीर ने अपने दिल पे पत्थर रखकर बोला मुझे ब्लड कैंसर है। मुझे लगा मेरी सांसे रूक गई। कुछ समझ नहीं आया। फिर सब लोगों ने कहो ये सच है। मुझे यकिन नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था काष ये वक्त यही ठहर जाये । हम दोनो के आखो के दर्द के आंसू थम नही रहे थे। फिर समीर ने मुझे घर छोड़ा। हम दोनो दिन भी साथ रहते । कभी रोते-कभी हॅसतें। इसी तरह दस दिन बीत गये । ग्यारहवें दिन समीर की तबीयत काफी बिगड़ने लगी । उसे अस्पताल ले जाया गया । समीर के पास कुछ ही वक्त बचे थे । मै समीर से कुछ दूर पे खड़ी थी । मै अपने आंसू थाम नही पा रही थी। तब समीर ने कहा ।

कुछ देर हो जाएगी हमारी जुदाई

शायद ही है उस खुदा की खुदाई

मौत मेरा दामन थामे खड़ी है

और तु मुझसे दूर खड़ी है।

मै तब दौड़ कर समीर के सीने पर सर रखकर चिल्लाने लगी मत जाओ मुझे छोड़ कर । समीर अपने आसूओ को थामते हुए फिर बोला -

मेरे जाने के बाद ना करना कोई गम

इन आँखों को न होने देना नम

तेरे साथ एहसास बनकर हर बक्त रहेंगे हम।

मुस्कान-

तेरी जुदाई का दर्द मै कैसे सह पाऊॅगी

तेरे बिना मै जिन्दा न रह पाऊॅगी

चल दिये तुम मेरा दिल तोड़कर

जिन्दगी के सफर में हमे तनहा छोड़कर।

कौन सा पाप की हूँ जिसकी मिली है मुझे ऐसी सजा

ऐ खुदा मुझे भी उठा ले मेरी तुझसे यही है रजा।

समीर-

गम इसका नही कि मै दुनिया छोड़ रहा हू

गम इसका है कि मै तेरा दिल तोड़ रहा हूँ

वादा किया था हमने तेरा दिल नही तोड़ेंगे

जिन्दगी भर तेरा साथ नही छोड़ेंगे

लेकिन खुशी है मुझे कि मै तेरे सामने मर रहा हूँ

और तेरी बाहो में अपना दम तोड़ रहा हू।

कौन होगा हमसे खुशनसीब

जिसे मिला है अपनी महबूबा के बाहो में मरने का नसीब।

फिर मै बोली समीर मै तुमसे शादी करना चाहती हू अभी मेरी माँग में सिन्दूर भरो समीर हिचकिचाया लेकिन फिर बोला ठीक है । परिवार वालो को भी अजीब लगा। लेकिन ये वक्त ऐसा था कि पत्थर दिल भी पिघल जाता। समीर ने मुस्कान की माँग में सिन्दूर भरा और उसकी बाहो में दम तोड़ दिया । मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। मै समीर -समीर चिल्लाती रही। ऐसा लगता मै भी समीर के साथ चली जाऊॅ। लेकिन उसके वादे ने मुझे रोक लिया । और आज तक अपने दर्द को छिपाये होठो पर मुस्कान लिए उसकी याद में जी रही हूँ। ये सब सुनकर अर्चना भी रो पड़ी और कही -

ऐ खुदा तेरी ये कैसी खुदाई

गुजारिश है मेरी किसी को ना देना ऐसी जुदाई।