Jivan ke rang in Hindi Poems by Hitesh Rajpurohit books and stories PDF | जीवन के रंग

Featured Books
  • ભૂલ છે કે નહીં ? - ભાગ 96

    આમ, જાણે જીવનની બીજી ઈનિંગ શરૂ થઈ હતી. પણ હવે, મમ્મીની કોઈ પ...

  • લાગણીનો સેતુ - 3

    શિખર માટે આ લંચ માત્ર માફી માંગવાનું નહોતું. તેના મનમાં ઊંડે...

  • NICE TO MEET YOU - 5

    NICE TO MEET YOU                               પ્રકરણ - 5 (...

  • Krishna 2.0

    --- કૃષ્ણ 2.0 : કલિયુગનો અવતાર(એક આધ્યાત્મિક – વિજ્ઞાન – ઍક્...

  • અસવાર - ભાગ 1

    પંચાળનો શુરવીર અસવાર દેવાયત એક ગોઝારા અકસ્માતમાં પોતાના પગ ગ...

Categories
Share

जीवन के रंग

विषय सूची

1. माँ

2. पिता

3. गाँव का आँगन

4. शादी

5. वो मेंले

6. अखबार

7. ख्यालात

8. राजनीति

9. मित्रता

10. हमसफ़र

माँ

माँ तुम ईश्वर का वरदान वो वरदान हो

जो संतान के सारे सुख हर दे

अभिषाप में भी सुकून भर दे

माँ तुम ईश्वर का वरदान हो

बीमार संतान के लिए चिकित्सक हो

नन्हीं जान के लिये प्रथम शिक्षक हो

माँ तुम ममता का भंडार हो

हर संतान का पहला प्यार हो

माँ तुम ममता की मूरत हो

दुनिया मे सबसे खूबसूरत हो

माँ तुम सुबह की आरती की गूंज हो

माँ तुम भटके हुए का संभल हो

माँ तुम नवजात का कम्बल हो

माँ तुम ईश्वर का वरदान हो

पिता

उस वक्त में पिता को समझ पाया था।

मेरे बुखार में आपने जब भरी आँखों से मेरा सिर सहलाया था

तब मैंने एक सख्त इंसान में माँ का हृदय पाया था।

आज तक मै आपको समझ न पाया था

उस वक्त आपको देख मेरा भी गला भर आया था

उस दिन में एक पिता को समझ पाया था

मेरी बचपन की हर जिद पूरी करने को आपने अपना सुख चैन भुलाया था

मेरे सुखद भविष्य के निर्माण को आपने लहू बना के पसीना बहाया था

अपने बचपन से आपने पूरे परिवार का बोझ उठाया था

क्योकि आपने अपने पिता का प्यार नही पाया था

मुश्किलो से ना घबराना डट कर पार पाना आपने ही तो सिखलाया था

उस वक्त में पिता को समझ पाया था

गाँव का आँगन

बहुत याद आता है वो आँगन

बचपन का खेल मैदान था वो आँगन

सर्द दिनो मे दिनभर खटिया का स्थान था वो आँगन

ग्रीष्म रातो में लोककथाओं का मंच था वो आँगन

दादी के मसाले बनाने का स्थान था वो आँगन

माँ तुलसी का पावन प्रमाण था वो आँगन

नीम का निवास था वो आँगन

माँ की सहेलियों के जमघट था वो आँगन

थके हुए का विश्राम था वो आँगन

पड़ोस के भोजन की खुश्बू देता था वो आँगन

परिवार के आनन्द का कारण था वो आँगन

शहरी फ्लैट वाली जिंन्दगी में

बहुत याद आता वो आँगन

शादी

न जाने ये कितने चेहरो पर ले आती है । मुस्कान

ये उन्हें मिलाती जिनकी एक दूसरे में बसी होती है जान

हर वो इन्सान है बेचारा जो तीस बाद भी है कुंवारा

हर कोई देखे ये ख्वाब

उनकी जिन्दगी में दिन आये ये लाजवाब

मिलने लगे चहुँओर से बधाई

सब एक दुसरे को खिलाए मिठाई

गूंजने लगती है हरदम शहनाई

शादी की बेला जो आई

दिखता है सयुंक्त परिवार का प्यार

हँसी ठिठोली करते बार बार

चेहरो पे ले आति मुस्कान

मिलाती जिनकी एक दूसरे में बसी होती है। जान।

वो मेंले

कितने खूबसूरत होते थे वो मेले

जहा जाकर भूल जाते थे रोज के झमेले

पैदल ही जाना होता था

महिलाओं का हँसना गाना होता था

हर जगह मिठाई चाट के ठेले

कितने प्यारे होते थे वो मेले

झूले सर्कस वाला होता था

पूरे समाज का ताना बाना होता था

बैठे है गुमसुम अकेले

काश लगे फिर वो मेले

अखबार

मेरे प्रिय बन्धु तुम्हें प्रणाम

तुम बिन सुबह रहा न जाए

तुम हर उम्र वर्ग के हो शिक्षक

तुमसे ही तो देश विदेश का हाल जान पाते

तुमसे ही तो सारी दुनिया को अपने समीप पाते

तुम आन्दोलित करते हो दुनिया

तुम ही न्याय दिलवाओ पीड़ित गुड़िया को

देश की आजादी में तुम्हारा बड़ा योगदान है।

आज तुम्हारी महत्ता से कौन अनजान है।

तुमको प्राप्त स्वतंत्र अधिकार है

तुमसे ही सुरक्षित लोकतंत्र की किताब है

उड़कर तुम छु लेते हो संसार

क्योंकि तुम हो मेरे प्रिय मित्र अखबार

ख्यालात

सोचता हर खुशी हासिल करू

सबके दर्द दूर करु

बेरंग जिन्दगी में रंग भर लू

वतन के लिए जी लू मर लु

असंभव है मुश्किलो से हार मान लु

अपनो को साथ लेकर चलु

सात समन्दर की सैर करू

कुरीतियों को तोड़ दु

समाज को नई सभ्यता से जोड़ दु

टूटे दिलो को जोड़ दु

अन्धकार का प्रकाश का मोड़ दु

अपने हर फर्ज अदा करू

हर ख़ुशी हासिल करु

राजनीति

आज में राजनीति मे आया हूँ

सकारात्मक राजनीति का प्रण लेकर आया हूँ

ये मेरे लिए पैसे कमाने का जरिया ना होगा

अब और समस्याओं का दरिया ना होगा

ईश्वर इतनी शक्ति देना

मै अपने वादे , इरादे न भूल आउ

हर दिन अपना प्रण निबाहू

जनता की राजनेता के प्रति सोच बदलू

मै एक जन सेवक के रूप में उभरू

वेतन से अपनी गृहस्थी चलाऊ

गलत पैसे को न हाथ लगाऊ

लोकतंत्र में अपनी आस्था दिखाऊ

राजनीति को नई राह दिखाऊ

मित्रता

इस विषय का मै क्या करूँ बखान

मित्र तो लगता है जैसे गुणों की खान

कृष्ण संग कर मित्रता

सुदामा बना गए पहचान

भटकता है जब मित्र जब किसी मोहजाल में

राह दिखता है सच्चा मित्र हर हाल में

दुनिया की दौलत की किसे दरकरार

मित्र से हूँ मै तो धनवान

बिन कहे समझ लेता हर बात

देता है हर दम तुम्हारा साथ

मित्र मेरे जीवन का अमूल्य हिस्सा है

क्योंकि वो वफा का सच्चा है

हमसफ़र

थामा है जो तुमने हाथ

ये सफर निबाहे रखना

मीठी शरारतें बनाये रखना

जब भी रहू मै उदास

तुम मुझे हँसाए रखना

रेशम से बंधन को बनाये रखना

खो न जाना दुनिया के भँवर में

अपनी सांस मेरी सांस से मिलाएं रखना

मिले किसी मोड़ पर अंधियारा

तुम उसमे उजियारा बनना

मिले जो गम किसी राह पर

तुम उसमे खुशिया भरना

मुझसे ज़्यादा मुझकों पहचानना

कहे बिन दिल की हर बात जानना

भर आये जो मेरे आँख में आंसू तुम इनकी कद्र जानना

हम दोनों की स्वतंत्र पहचान बनाये रखना

हर जन्म मुझे हमसफ़र बनाये रखना