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आस्था की शक्ति

आस्था की शक्ति

कहते हैं आस्था यानी की विश्वास एक ऐसे शक्ति है जो पत्थर को भी भगवान बना देती है !

इसलिए यह कहानी एक बुढ़िया के विश्वास की है ! जो एक पाखंडी पर पूरा विश्वास करती है !

यह कहानी शुरू होती है एक डाकू और ठग से जो दोनों ही अपने काम में काफी माहिर थे डाकू जिसका नाम कालू है!

और ठग जिस जिस का नाम लालू है ! एक दिन कालू एक घर में चोरी करने के लिए घुसा लेकिन कहते है ना की हर किसी का एक बूरा दिन आता है इस लिए कह सकते है की कालू का भी वो बुरा दिन था और वो जैसे ही उस सेठ के घर से चोरी कर के निकल ही रहा था की उस सेठ की नींद खुल गयी और इससे पहले कालू कुछ कर पता सेठ उसे पकड़ चूका था ! सेठ ने कालू को पुलिस के हवाले कर दिया और पुलिस ने उसे जेल में डाल दिया !

और उसी दिन शायद लालू का भी दिन ख़राब था ! क्यों की वो जब एक आदमी को ठग के जा ही रहा था की पुलिस ने उसे भी पकड़ लिया और उसे भी उसी लॉकप में डाल दिया जहा कालू पहले से बंद था ! लालू ने जब उसे जैल में देखा तो क्यों की लालू बहुत बातूनी था इसलिए उससे रहा नहीं गया और कालू से उस ने पूछ ही लिया की भाई आप कौन हो और यहां कैसे आ गए ! इस पे कालू बोलता है में एक खुनी डाकू हु अब तक 49 खून कर चूका हु 50वा कर देता पर किस्मत ख़राब थी पकड़ा गया ! इस पे लालू बोलता है अरे वाह क्या आवाज है इतनी मधूर आवाज है की यदि आप किसी को अपशब्द भी बोलो गे तो वो भी मुस्करा के चला जाये गा ! इस पे कालू बोलता है की वो तो ठीक है पर तू है कौन और यहां कैसे आ गया ? इस पे लालू बोलता है की भाई में एक ठग हु मेरा काम है लोगो को टोपी पहनना इधर उधर कर के अपना काम चला लेता हु ! आज दिन ख़राब था इस लिए पकड़ा गया ! कालू बोलता है अच्छा ठीक है ! अब आगे क्या करना है !

इस पे ठग बोलता है देख भाई आज के टाइम में सिर्फ 2 चीझे ही no. 1 है ! एक तो दादागिरी और दूसरी बाबागिरी ! देख बुरा मत मानना तू दादागिरी तो कर नहीं पाए गा क्यों की उसके लिए तुझे लासो के ढेर से होकर गुजरना होगा और इस काम जोखिम भी बहुत है ! इस लिए तू बाबागिरी शुरू कर से तेरी वाणी इतनी मधुर है की क्या बताऊ लोग पागल हो जाये गे ! इस काम में कोई जोखिम भी नहीं है ज्यादा मेहनत भी नहीं है और तो तो और पुलिस का भी कोई डर नहीं है ! क्या बोलता है मुझे अपना चेला बना लेना जो भी कमाएगे बराबर- बराबर बाँट लिया करेगे ! कालू बोलता है बात तो तू ठीक बोल रहा है ! पर पहले यहां से निकले तो सही ! ठग बोलता है ! वो सब मुझ पे छोड़ दो तुम सिर्फ तैयार रहो आज रात को हम इस जेल से भाग जायेगे ! इस लिए लालू एक हवलदार को बुलाता है और उसे कुछ पैसे देकर बोलता है ! आज रात को यहां से निकलने का इंतजाम कर दो और साथ में गीता का भी ! हवलदार वैसा ही करता है ! करीब रात के 12 बजे वो उन दोनों को एक गीता दे कर वहा से भगा देता है ! और आपात्कालीन घंटी बजा देता है ! जिस के कारण पुलिस उन दोनों के पीछे पड़ जाती है !

काफी दूर भागने के बाद वो दोनों पुलिस से बच जाते है ! और भागते भागते कही दूर जा एक गांव के खेतो में छोटा सा मंदिर होता है ! वही पर सो जाते है !

अगली सुबह जब गांव की कुछ औरते वही नदी से पानी भरने के लिए आती है तो उसे वहां सोते हुए देखती है ! पर क्यों की वो दोनों सोये होते है ! इस लिए उन से बिना कुछ पूछे वहा से चली जाती है ! अगले दिन भी ऐसा ही होता है ! इस लिए अब औरते जब भी वहा पानी भरने जाती तो घर का बचा हुआ खाना साथ में लेजाती और वही पर रख देती ! जिसे खा कर कालू और लालू अपने दिनचर्या का गुजारा कर लेते ! 3 महीने ऐसा ही चलता रहा इसलिए गांव की उन औरतो से रहा नहीं गया और क्यों की 3 महीने में दोनों की भैस भूसा बाबा जैसी हो गयी थी ! इस लिए उन औरतो ने पुछा बाबा आप कौन हो और यहां कैसे आये हम लोग कई महीनो से आप को देख रहे हे! इस पे कालू ने अपने मधुर स्वर में गीता का एक श्लोक सुना दिया ! और जब औरतो ने बाबा की आवाज सुनी तो पागल सी हो गयी और बोला अरे ये तो बहुत पहुंचे हुए बाबा है महान सन्त है ! और सभी औरते बाबा की जय -जय कार करने लगी ! ये सब देख कर लालू बरा खुस हुआ और बोला बाबा सही जा रहे हो आ गया सही टाइम अपने काम का ! बाबा की बाते सुनकर जब सभी औरते अपने -अपने घर गयी तो बात पुरे गांव में सनसनी की तरह फैला दिया की गांव के भाहर बहुत पहुंचे हुए संत आये है ! अगले दिन बड़ी भीड़ में लोग बाबा के दरसन और उनका सत्संग सुनने के लिए गये ! और अब बाबा सत्संग करने लगे ! बाबा लोगो में बहुत ज़्यदा लोकप्रिय हो गए लोग दूर -दूर से लोग बाबा का सत्संग सुनने के लिए आने लगे बाबा को चंदा और दान भी बरी मात्रा में आने लगा बाबा ने अपना सतसंग करने के लिए टेन्ट और कई सारी दसिया रख ली ! बाबा का काम अब बहुतअच्छा चल रहा था ! इसलिए कालू और लालू सत्संग के बाद अपनी मस्ती करते थे दारू पीना, भोग -विलास आदि ! क्यों की भले ही वो दुनिया के लिए बाबा हो अंदर से तो अभी भी एक चोर और एक ठग ही थे !

बाबा की बाते अब हर कोई करता था की बाबा बड़े अच्छे है ! बहुत पहुंचे हुये है ! और ये बात नदी उस पार एक गांव में रह रही 85 साल की बुढ़िया को पता चली ! जिस की केवल एक ही इक्छा थी की कोई उसे भगवान से मिला दे! और जब उस ने बाबा के बारे में सुना तो उसे लगा की बाबा ही वो व्यक्ति है जो उसे भगवान से मिला सकते है इसलिए वो अब बाबा से मिलना चाहती थी ! पर उस की सबसे बड़ी समस्या ये थी की आख़िरकार वो नदी पार कैसे करेगी ! क्यों की नदी पार करने का एक ही साधन था ! वो था नाव और कोई भी नाव वाला नदी पार करवाने का 1 रूपया लेता था ! और बुढ़िया पुरे दिन काम कर के सिर्फ 1 रूपया ही कमा पाती थी ! जिस से वो अपना पेट भरती थी ! लेकिन उसे बाबा से मिलना था और सत्संग भी सुनना था ! इस लिए उस ने एक मटके का इतंजाम किया और उस के ऊपर तेल की परत चढ़ा के उस की मदत से नदी पार कर के जैसे तैसे बाबा के सत्संग में पहुंची और बाबा का सत्संग सुना और सत्संग सुन कर उसे ऐसा लगा जैसे ये वही बाबा है जो उसे भगवान से मिलाने आये है ! बुढ़िया बहुत खुस हुई और सतसंग सुन कर खुसी -खुसी घर गयी ! अब बुढ़िया रोज ऐसा ही करती ! पर अब उसके सामने समस्या ये थी की जब वो नदी पार करती तो पूरा भीग जाती जिसके कारना वो वही दूर एक पेड़ के पास बैठ कर सतसंग सुनती ! वो इस समस्या का समाधान चाहती थी ! और एक दिन ऐसा हुआ की बाबा ने जोश -जोश में आकर सतसंग में ये बोल दिया की में कालू बाबा ये बोल रहा हु की यदि किसी व्यक्ति को अपने आरध्ये पर पूर्ण विस्वास है ! यदि वो उन में पूरी आस्था रखता है ! तो में बोल रहा हु की वो पानी में भी चलेगा तो नहीं डुबेगा !

ये बात सुन कर बुढ़िया के खुसी का ठिकाना नहीं रहा ! उसे लगा ये बात बाबा ने सिर्फ उसके लिए ही बोला है !

इसलिए बुढ़िया ने मटका वही फोड़ दिया और घर को जाने लगी ! जब वो नदी के पास पहुंची तो अब उस ने अपनी आँख बंद की और बाबा को याद किया और पैर पानी में डाल दिया और चमतकार हुआ बुढ़िया पानी में डूबी नहीं बल्कि पानी पर चलने लगी ! अब बुढ़िया की सारी परेशानी दूर हो गयी थी ! अब वो रोज ठुमक -ठुमक कर आती सतसंग सुनती और चली जाती ! अब जैसे बुढ़िया की सारी अभिलास पूरी हो रही थी इसलिए उस के मन में एक विचार आया की बाबा ने उसे इतना सब दिया क्यों न एक दिन बाबा को दावत दी जाये ! इसलिए अगले दिन वो बाबा के पास गयी और उन के पैर पकर लिए ये सब वहा की भीड़ देख रही थी की एक बुढ़िया बाबा के पैरो में गीर रही है ! बाबा को थोड़ा सरमिनदी महसूस हुई उस ने बोला माते उठिये क्या बात है बोलिये ! बुढ़िया बोलती है ! बाबा मेरी बस एक इक्छा है की आप मेरे घर पे चले और भोजन ग्रहण करे ! इस पे कालू बाबा बोलते है की बस इतनी सी बात ! चलो अभी चले ! ये बात सुन कर बुढ़िया के खुसी का ठिकाना नहीं रहा और उधर जब लोगो ने ये बात सुनी तो बाबा की जय जयकार के नारे लगाने लगे ! चारो तरफ एक ही आवाज थी ! कालू बाबा की जय कालू बाबा की जय ! ये सब देख कर लालू मन ही मन में सोच रहा था की अरे वाह बाबा की तो मौज आगयी पहले तो शिर्फ़ दक्षिणा आती थी ! अब तो नेवते भी आने लगे !

अब बाबा बुढ़िया के साथ उसके घर की तरफ चल परते है ! और पीछे -पीछे लोगो की भीड़ और एक आवाज बाबा की जय ,बाबा की जय की आवाज गुज रही थी !अब बाबा जब नदी के पास पहुंचे तो देखते है की नदी पार करने के लिए बुढ़िया ने कोई वाहन नहीं किया है ! इस लिए वो बुढ़िया से बोलते है ! की माता आप ने हमारे उस पार जाने के लिए कोई साधन की व्यवस्था नहीं किया है ! इस पे बुढ़िया बोलती है की बाबा आप क्यों मुझ बुढ़िया का मजाक उड़ा रहे है ! आप ने ही तो कहा था की यदि कोई व्यक्तिअपने आराध्ये पर पूर्ण विस्वास रखे और सब कुछ उस पर छोर कर सिर्फ सच्चे दिल से उस का ध्यान करे तो अगर वो पानी पर भी चलेगा तो भी वह नहीं डूबे गा ! इसलिए मैने कोई वाहन नहीं किया है ! और आप जानते है की मेरी आय इतनी नहीं है की में वाहन कर सकू ! ये बात सुन कर बाबा मन में सोचता है की बुढ़िया पागल हो गयी है क्या भला कोई व्यक्ति पानी के ऊपर कैसे चल सकता है ! इतने में पीछे से आवाज आती है की अरे देखो बाबा कितने महान है इन्होने बुढ़िया को पानी के ऊपर चलने की शक्ति दी है ! बाबा की जय बाबा की जय ! उधर बाबा के कुछ समझ में नहीं आ रहा था की अब वो करे क्या ! उधर से लालू बोलता है अरे क्या बोल रही है बुढ़िया ! बाबा बोलता है मेरे तो खुद समज में नहीं आ रहा है की क्या हो रहा हे ! आज लग रहा है जैसे ये मुझे मारवा ही देगी !बुढ़िया बोलती है बाबा चलो ना किस का इंतजार कर रहे हो आप ? बाबा बोलते है हां क्यों नहीं ! बाबा अपने चेले को बोलते है लालू पहले आप चलो !इस पर लालू बोलता है बाबा आज मेरा पेट ठीक नहीं है इसलिए आप जाओ में चला ! अब बाबा पूरी तरह से फस चूका था! क्योकि आगे भी मौत नजर आ रही थी और पीछे भी क्योकि अगर वो आगे नहीं गया तो पीछे भीड़ को उसकी असलियत का पता चल जाये गा और लोग उसे जिन्दा नहीं छोरेगे !

इस लिए वो बुढ़िया को बोलता है माते पहले आप चले फिर में आता हु ! बुढ़िया ने ये बात सुन कर फटाफट आँख बंद किया और पानी में पैर डाल दिया और ठुमक-ठुमक कर नदी पार कर गयी ! जब ये नजारा लोगो ने देखा तो दंग रह गए खुद बाबा भी ये चमत्कार देख कर हकाबका रह गया ! अब उस का दिमाग काम नहीं कर रहा था! और उधर लोगो के जय जयकार करने की गुज और अधिक तेज हो गयी !नदी उस पार से बुढ़िया चीला रही थी बाबा आओ जल्दी आओ ! अब बाबा करे तो करे क्या अब उस का दिमाग दो हिस्सो में बट गया एक दिमाग बोल रहा है की ये शक्ति उसे मुझ से मिली है ! तो अगर वो पानी पे चल सकती है तो में क्यों नहीं ! और दूसरा दिमाग बोल रहा है कही डूब गया तो ! अब यहां बाबा को खुद पे ही विश्वास नहीं है ! फिरभी अब बाबा के पास कोई बहाना नहीं है इसलिए बाबा आँख बंद कर के पानी में पैर डाल देता है और बाबा के साथ वही हुआ जो होना था बाबा पानी में डूब गया ! जब ये नजारा लोगो ने देखा तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ की बाबा पानी में डूब गए इसलिए लोगो ने लालू को पकड़ा और पूछा बता बाबा कैसे डूब गए तब लालू ने हकीकत लोगो को बताया की वो कोई बाबा नहीं है बल्कि एक डाकू है और में ठग हु ! जब ये बात लोगो ने सुनी तो उनके गुस्से का ठिकाना नहीं रहा और लोगो ने लालू को इतना मारा की वो वही मर गया ! इस तरिके से कालू और लालू को उनके किये की सजा मिल गयी ! और बुढ़िया को एक झूठे गुरु पर पूर्ण विस्वास होने के कारण एक शक्ति प्राप्त हुई !

इसलिए दोस्तों आस्था की शक्ति एक ऐसी शक्ति है जो पत्थर को भी भगवान बना देती है !

A Story By Pawan Kishor

(Pk Putr)