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क्रिथिका रेड्डी

क्रिथिगा रेड्डी

मोनिका शर्मा

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अनुक्रमणिका

1ण्जन्म, शिक्षा व प्रारंभिक जीवन

2ण्करियर की शुरुआत

3ण्करियर में प्रमुख उपलब्धियां

4ण्महिलाओं के लिए संदेश

जन्म, शिक्षा व प्रारंभिक जीवन

श्रीमती क्रिथिगा रेड्डी का जन्म भारत में हुआ था और वे एक मद्धम वर्गीय परिवार में पैदा हुईं । उनके पिताजी एक सरकारी कर्मचारी थे जो कि हर चार सालों में स्थानांतर होते रहते थे । वे बताती है कि इन्ही चीजों ने उन्हें एक अनुकूलनीय व्यसक बनाया । मुंबई, चेन्नई और छोटे शहर जैसे कि दंदेली और नांदेड वे जगह है जहाँ उन्होंने अपने रचनात्मक ४ साल बिताएं है । वो यह भी बताती हैं कि उनकी माताजी और पिताजी यह विश्वास रखते थे कि अगर पढोस में कोई वि।ालय होगा तो मै उसी वि।ालय में पढने जाउंगी यही कारण है कि हर स्थिति को कैसे संभालना है मैंने सिखा है

श्रीमती रेड्डी ने अपना कंप्यूटर इंजीनियरिंग एम जी एम इंजीनियरिंग कॉलेज, नांदेड से खत्म किया और वहां वह दूसरे स्थान पर आई । यह उनकी स्नातकर स्तर कि पढाई की बात है जब उनके माता—पिता नागपुर चले गये और वे भी उनके साथ चली गयी । उन्होंने बताया कि नागपुर में जब उन्होंने सॉफ्टवेयर भूमिकाओं के बारे में पूछा तब सभी ने उन्हें कनेटकर के बारे में बताया (लेखक जिसने लेट उस सी और एक्सप्लोरिंग सी लिखी हैं), और जो एन्गिन्नेरिंग कॉलेजों में प्रयोग हो रही है ।

करियर की शुरुआत

यह उनका पहला रोजगार कार्य था और इसमें उनकी भूमिका थी, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग, प्रशिक्षण और कनेटकर उनकी पुस्तुकों में महत्वपूर्ण अवधारणों का वर्णन करने के लिए प्रोग्रामिंग उदहारण देने में उनकी सहायता करना । वह बताती हैं कि वहां पर वह उनका समय था जिसने उन्हें विश्व स्तरीय उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए उन्हें एक मंच प्रदान किया । और वैसे भी वह किसी छोटी प्रारंभिक वातावरण में काम करने का उनका पहला अनुभव था जहाँ एक इंसान को कई कार्य एक साथ करना पड़ते है और जहाँ एक को अपनी रचनात्मकता और नवाचार को एक साथ प्रयोग करना पडता है ।

उन्होंने बड़ी ही सप्रेम से अपने उस समय को स्मरण करते हुए कहा कि तब मैं अपने जीमैट के लिए पढना शुरू किया था और मुझे अच्छी तरह से याद हैं मेरे कॉलेज के सहयोगियों ने विराम के दौरान मेरी मदद कि जिससे मेरे जीमैंट में अच्छे अंक आ सके। उसके बाद वह अपने परिवार से पहली इंसान बनी जिसने तकनिकी और कारोबार में डिग्री ली यूनाइटेड स्टेट्‌स से ।

श्रीमती रेड्डी ने स्टैनफोर्ड विश्वि।ालय से व्यवसाय प्रशासन में मास्टर्स डिग्री और सिरैक्यूज विश्ववि।ालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में एमएस कि डिग्री ली हैं । स्वभाव से प्रयोगात्मक उन्होंने सिलिकॉन ग्राफिक्स और मोटोरोला जैसी स्थापित कंपनियों संग काम किया हैं । सिलिकॉन ग्राफिक्स में तो वे सबसे कम उम्र कि इंजीनियरिंग की निदेशक थी और अकेली माहिला जो कि अपने समूह के उस स्तर पर थी । उनके करियर का वह चुनौती पूर्ण निर्णय था जब वह मोटोरोला कि उत्पाद प्रबंधक की भूमिका से हठ कर भारत में आने के लिए उन्होंने १८ महीने का सामान्य प्रबंधन का असाइनमेंट स्वीकार किया ।

वह कहती है कि हालाँकि परिवर्तन बहुत कठिन होता है लेकिन बाद में समझ में आता है कि वह एक बहुत ही महान करियर निर्णय था और उसने मुझे आज एक ऐसी भूमिका कि और नेतृत्व किया है एक ऐसा अवसर जो सबको उनको उनके जीवन में एक बार ही मिलता है । उनके जीवन के इस परिवर्तनकाल में उनकी सबसे बड़ी समर्थन प्रणाली उनका परिवार था । वह कहती हैं कि उनके माता—पिता और उनके पतिदेव , सही मायनो में मेरे जीवन में शक्ति के खम्बे हैं, इन्होने मुझे मेरे जीवन के हर कदम पर मुझे प्रोत्साहित किया और मेरे अन्दर से सर्वश्रेष्ठ निकालने के लिए मुझे हमेशा मार्ग दिखाते रहें । आज के मेरे विकास और मेरी सफलता का कारण ये लोग ही हैं ।

क्रिथिगा के करियर की प्रमुख उपलब्धियां

देश में तेजी से बढ़ रही सामाजिक नेटवकिर्ंग वेबसाइटों में से एक के प्रमुख के रूप में , 40 वर्षीय क्रिथिगा रेड्डी , जो कि फेसबुक इंडिया की निदेशक और प्रमुख हैं, आज एक व्यस्त औरत हैं । हम उन्हें एक त्वरित फोटो शूट और एक साक्षात्कार के लिए बैठकों के बीच के विराम में ही मिल सकते हैं । उनके मिलनसार मोह और साथ में उनका गो—गेत्टर अभिवृत्ति उनको इस देश में सफलता का सबसे ताजा चेहरा बनाता है । वह कंपनी जो की भारत में पिछले साल ही संचालित हुई है आज उस कंपनी ने न ही भारत के उपयोगकर्ताओं का आधार बढाने में सफलता पाई है बल्कि उसने अपने वैश्विक व्यव्साय में विज्ञापन बिक्री और १ साल में अपने बढ़ते संबंधों से महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।

फेसबुक का भारत में अपनी शाखा संचालित करना फेसबुक के लिए अन्तराष्ट्रीय बाजार में फायदेमंद था क्यूंकि ७५ प्रतिशत से ज्यादा लगभग ८०० मिलियन से ज्यादा फेसबुक के ग्राहक यूनाइटेड स्टेट्‌स के बाहर से हैं । अकेले भारत में फेसबुक तेजी से विकसित हुआ है । पिछले साल, जब कंपनी ने भारत में अपनी साखा संचालित करने का निर्णय लिया तब फेसबुक के पास ८ मिलियन ग्राहक थे जो कि सक्रिय रूप से फेसबुक से जुड़े थे ।

एक वर्ष के भीतर यह संख्या बढ़ कर २५ मिलियन लोगो कि हो गयी जो कि इस सामाजिक (सोशल) नेटवकिर्ंग वेबसाइट का उपयोग करके अपने परिवार और अपने दोस्तों से सम्बन्ध रखते थे । क्रिथिगा रेड्डी ने कहा कि हम अपनी एक शाखा भारत में इसलिए खोल रहे हैं जिससे हम उपयोगकर्ताओं , विज्ञापनदाताओं और डेवेलपर्स की बढती संख्या से जो लोगों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने के लिए फेसबुक को वैश्विक सेवा पर मूल बना रहे हैं , अपनी कंपनी का समर्थन कर सके और अपने नए उपयोगकर्ताओं तक स्थानीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहुँच सके ।

देश में पिछले एक साल में कंपनी के पहले कर्मचारी के रूप में उन्होंने न सिर्फ भारत में कार्य का प्रबंध शून्य से शुरू किया बल्कि वास्तव में उन्होंने पहले दिन अपने दफ्तर का किवाड़ भी खोला था । उन्होंने अपने उस समय को ‘ ए.एच.ए ' पल बताया । सिर्फ एक सालों में उन्होंने ग्राहकों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने में मदद की । उदहारण के तौर पर पेप्सिको इंडिया क्रिकेट विश्व कप के समय फेसबुक का मंच इस्तेमाल कर ‘ चेंज द गेम ‘ अभियान के दौरान ग्राहकों के साथ उच्च स्तरीय कार्य किया । उन्हें २२ मिलियन से ज्यादा सफलताएँ मिली, जो कि उनकी अभियान के लक्ष्य से कई ज्यादा थी ।

फेसबुक का मंच सभी बड़ी, छोटी ब्रांड्‌स और मध्यवर्गीय व्यवसाय एक समान तरीके से उपयोग करते हैं जिससे कि वे एक बड़े पैमाने पर इसका लाभ उठा सके । श्रीमती रेड्डी तब यू एस आधारित फीनिक्स टेक्नोलॉजीज में काम कर रही थी जब फेसबुक ने उन्हें यह काम प्रस्तुत किया । यह उनका एक सपना था जो कि सच हो गया था और वो तुरंत ही इस अवसर का लाभ उठाया । उनके बेस स्थानान्तरण का तथ्य यह था कि उनके ऊपर कोई बाधा नहीं थी और भारत में बारंबार काम सम्बंधित मुआयने के बाद कोई भी यह समझ सकता है कि यहाँ क्या परिवर्तन हो रहा है और यह जगह व्यावसायिक और व्यक्तिगत रूप में कैसी हो सकती है । २००८ में उन्होंने कई देश भ्रमण किये, उन्होंने बताया कि यह वह समय था जब वे फेसबुक के एक सक्रिय उपयोगकर्ता बनी जिससे वे अपने पति, जो कि उस समय यू एस में थे ( और अब भारत में हैं ) जिससे कि उनसे वह अपनी दो बेटियों आशना (९ साल) और अरिया (६ साल) के विषय में उनसे संपर्क कर सके । उन्होंने यह भी बताया कि यू एस में १४ साल रहते हुए भी फेसबुक ने उन्हें उनके दोस्तों से संपर्क में रहने के लिए उन्हें अनुमति दी और यह उनकी मनवांछित नौकरी थी ।

वे कहती हैं कि और कोई कंपनी ऐसी नहीं है जो कि इस तरह से एक मौलिक तरीके से जीवन को छू रही हो और जो कि इन्सान कि बुनियादी आवश्यकतायें जैसेकि कनेक्ट करना, शेयर करना और एक बड़े समुदाय का हिस्सा बनना को पूरा करती है । मै बहुत ही दीन और भाग्यशाली हूँ कि मुझे एक ऐसी कंपनी में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ जो कि दुनिया को बदल रही है, उसे और विवृत और जोड़ रही है ।

महिलाओं के लिए संदेश

वे बताती है कि उनकी यह समझ कि ये सब कामदृजीवन कि नम्यता है और कामदृजीवन का एकीकरण हैं न कि काम—जीवन का संतुलन ही उन्हें अधिक काम करने कि उदासियत से बचाता हैं । एक उदहारण देकर वे समझती हैं कि जब उनकी दूसरी बेटी, अरिया, का जन्म हुआ था तब वह बहुत चिंतित थी कि क्या अब उन्हें काम में उत्कृष्टता लानी है जिसमे यात्रा करना शामिल है और एक अच्छी माँ बनना हैं और पहले साल उसके साथ रहना हैं में से किसी एक का चुनाव करना होगा लेकिन मैंने सोचा मैं दोनो चीजे कर सकती हूँ । जबकि मुझे यात्रा का ढेर सारा काम सौंपा गया था, लगभग हर समय में अपनी बेटी के साथ ही यात्रा करती थी और कभी—कभी एक दिन के लिए स्थानीय ध्यान रखने वाला ढूँढ लेती जब मुझे ज्यादा काम होता था । जब आप निश्चय कर लेते हो कि कुछ चीजे आप के लिए जरूरत है तब यह देखना कि प्रकृति भी आप को उसे खत्म करने में मदद करती हैं तब आप को अधभुत सा प्रतीत होता है । वह कहती हैं कि आप अपना विकल्प स्वयं बनाइये और ‘और' का उत्पीडन को स्वीकार न करके ‘एंड' कि ताकत को आलंगिन करना चाहिए।

पिछले एक साल से फेसबुक इंडिया की नींव पर निर्माण के बारे में वे बहुत उत्साहित हैं, उनका अब सबसे बडा मिशन विश्व स्तर पर फेसबुक के लिए फेसबुक इंडिया एडवांटेज बनाना और साथ ही भारत में माहिला नेताओं कि अगली पीढ़ी को बढावा देना, बच्चों को जीवन सुरक्षा और उनकी पढाई को बढ़ावा देना और इन सबसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव देना है । युवा और बेचौन लोग यहाँ कल के लिए एक नेता है ।

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