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खुशी का रास्ता


सुबह के छः बजे बस स्टॉप की कुर्सी पर हाथ में मोबाइल लिए बैठी एक युवा लड़की बहुत ही तनावग्रस्त है। लड़की बार-बार अपना मोबाइल देखकर कभी सर पर हाथ रखती है, कभी क्रोध से अपने घूटने पर मुक्का मारती है और कभी अपने सर के खुले बालों को पीछे करती है।

इस बीच एक युवा लड़का गहरी सोच में डूबा हुआ कंधे पर ऑफ़िस बैग लटकाए लड़की के सामने से गुजरते हुए लड़खड़ाकर  गिर जाता है।

लड़की चुपचाप उसकी ओर देखती है।

लड़का कुछ देर सड़क पर पड़ा रहने के बाद धीरे-धीरे सीधा होकर बैठकर अपनी कोहनी और अपने घूटने को सहलाने लगता है।

लड़की मुह फेर लेती है।

लड़का दर्द अनुभव करता हुआ धीरे-धीरे खड़ा होकर लगड़ाते हुए चलकर बस स्टॉप की दूसरे किनारे वाली कुर्सी पर आकर बैठता है। लड़के और लड़की के बीच तीन खाली कुर्सी है। लड़की मुँह फेरकर चुपचाप बैठी रहती है। लड़के का ध्यान अपनी कोहनी और घूटने को सहलाते हुए बीच-बीच में लड़की की तरफ़ जाता है, लेकिन लड़की की नज़र पड़ते ही लड़का मुँह फेर लेता है। लड़के को बार-बार अपनी ओर देखता देखकर लड़की गंभीरता से लड़के की ओर देखती है।

लड़के ने मुस्कुराकर कहा- "मैं गिर गया।"

लड़की ने गंभीरता से कहा- "हाँ, देखा मैनें।"

लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा- "हाँ, आप तो यहीं बैठी है। मुझे कोहनी और घूटने में बहुत दर्द हो रहा है। गिरने के कारण चोट लगी गई।"

लड़की- "आपको देखकर चलना चाहिए।"

लड़का- "ये भी सही है। वो क्या है, मैं थोड़ा परेशान हूँ, इसलिए वो पत्थर मुझे दिखा नहीं।"

लड़की चुपचाप मुँह फेरकर सामने की ओर देखने लगती है।

लड़के ने कहा- "आप ये मत सोचो, मैं आपको अकैली देखकर यहाँ बैठा हूँ। असल में मुझसे चला नहीं जा रहा है, इसलिए थोड़ी देर यहाँ बैठ गया।"

लड़की ने कठोरता से कहा- "एक्सक्यूज मी ! मैनें कुछ नहीं सोचा। बैठना है, तो बैठो। वरना जाओ।"

लड़के ने मासूमियत से कहा- "ओह ! एम सॉ सॉरी। कई बार लड़कियाँ ऐसा सोच लेती है, इसलिए मैं तो बस अपनी तरफ़ से सफाई दे रहा था। आपको बुरा लगा, तो प्लीज माफ़ कर दीजिए।"

लड़की- "इट्स ओके।"

लड़का चुपचाप लड़की से ध्यान हटा लेता है।

कुछ देर बाद लड़के ने अपने बैग से पानी की खाली बोतल निकालकर मुस्कुराते हुए लड़की से कहा- "आप मेरी एक हेल्प करेंगी ?"

लड़की ने लड़के की ओर देखकर कहा- "कहिए ?"

लड़का- "मुझे बहुत प्यास लगी है। आप ये पानी की बोतल भरकर ले आएँगी। मैं खुद ले आता, लेकिन मुझसे चला नहीं जा रहा है।"

लड़की ने खड़ी होते हुए हाथ बढ़ाकर कहा- "लाओ।"

लड़के ने बोतल देकर इशारा करके बताते हुए कहा- "वो वहाँ फ्रीज है। वहाँ से ले आईए।"

लड़की पानी लेने जाने लगती है। लड़का जाती हुई लड़की को देखकर मन ही मन मुस्कुराता है। लड़की बोतल भरकर मुड़कर गंभीर मुद्रा में चलती हुई वापस आने लगती है। लड़का मुस्कुराते हुए उसे देखता है। लड़की ने आकर बोतल लड़के को दी और वापस उसी कुर्सी पर बैठ गई।

लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा- "बहुत-बहुत शुक्रिया। माफ़ कीजिए, मुझे पानी पीने के लिए आपको कष्ट देना पड़ा।"

लड़की ने कहा- "अरे, कोई बात नहीं। एक बोतल पानी ही तो मंगाया, कौनसा पहाड़ उठवा लिया मुझसे ?"

लड़के ने बोतल का ढक्कन खोलकर बोतल लड़की की ओर बढ़ाकर कहा- "ये भी सही है। आप पीयेगी ? पानी।"

लड़की- "नहीं, थैंक्स। आप पीजिए।"

लड़का पानी पीकर बोतल बन्द करके चुपचाप बैठा रहता है।

लड़की बैचेन होकर बार-बार अपने मोबाइल को देखकर कभी सर पर हाथ रखती है, कभी दोनों हाथ कुर्सी के किनारों पर रखती है।

लड़के ने लड़की के हावभाव नोटिस करके कहा- "आप कुछ परेशान लग रही है ?"

लड़की- "नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।"

लड़के ने मासूमियत से कहा- "मैं बुरा इन्सान नहीं हूँ। आप चाहे तो अपनी प्रोब्लम मुझे बता सकती है। मैं आपकी हेल्प करने की कोशिश करूँगा।"

लड़की ने क्रोध से उँगली दिखाते हुए कहा- "बोला ना, ऐसा कुछ नहीं है। ज्यादा ऑवर स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो। चुपचाप बैठे रहो, वरना, , , , ,"

लड़की बोलती-बोलती चुप होकर मुठ्ठी भींचकर जोर से अपने घूटने पर मारती है।

लड़के ने कहा- "अरे,,,,, आप गुस्सा मत कीजिए। मैनें बस आपको परेशान देखकर पूछ लिया। मैनें ये नहीं सोचा, मैं तो आपके लिए अजनबी हूँ। प्लीज ! मुझे माफ़ कर दीजिए।"

लड़की ने बिफरते हुए कहा- "क्या माफ़ कर दीजिए, माफ़ कर दीजिए लगा रखा है ? आप अपना देखो, दूसरों पर ध्यान मत दो ?"

लड़का- "ये भी सही है।"

लड़का चुप हो जाता है।

लड़की अन्दर ही अन्दर घूटन सी महसूस करके बैचेन होकर सिसकने लगती है। लड़की का कभी बैचेनी से इधर-उधर देखना, कभी माथे पर हाथ रखना, कभी मोबाइल देखना, कभी कुर्सी के किनारे पकड़ना, कभी सर के बाल पीछे करना और कभी घूटने पर मुक्का मारना जारी रहता हैं। कुछ देर बाद अचानक लड़की फूट-फूटकर बुरी तरह रोना शुरू कर देती है।

लड़का घबराकर लड़की की ओर देखकर हकलाते हुए बोला- "क्क्क्या हुआ ?"

लड़की बुरी तरह रोती हुई अत्यधिक क्रोध से अपना मोबाइल सड़क पर फेंककर दोनों हाथों से अपना चेहरा ढ़क लेती है। मोबाइल टूटकर टुकड़ों में बिखर जाता है। लड़का चुपचाप लड़की की ओर देखता है। कुछ देर बाद लड़की रोना बन्द करके सिसकती हुई अपने चेहरे से हाथ हटाती है और अपनी लाल हो चुकी आँखों से आँसू पोंछकर एक छोटी बच्ची की तरह सिसकती हुई सामने की ओर देखने लगती है।

लड़के ने बोतल का ढक्कन खोलकर बोतल लड़की की ओर बढ़ाते हुए कहा- "प्लीज!"

लड़की ने लड़के की ओर देखा।

लड़के ने मुस्कुराकर कहा- "पानी तो आप ही लेकर आयी थी और मैंने अभी पानी पीया था। देखिए ! मुझे कुछ नहीं हुआ।"

लड़की ने चकित होकर कहा- "वॉट।"

लड़के ने मासूमियत से कहा- "मेरा मतलब। मैंने पानी पिलाकर आपको बेहोश करने के लिए पानी में कुछ मिलाया नहीं है। यू नो, आजकल का माहौल। अकैली लड़की देखकर, परेशान लड़की देखकर, कुछ नशीला पदार्थ खिला-पिलाकर, अपनापन दिखाकर, हमदर्दी जताकर, समथिंग समथिंग। लोग ऐसा सोच लेते हैं।"

लड़की आश्चर्य से लड़के को देखती है।

लड़के ने कहा- "ऐसा सोचने में कोई बुराई नहीं है। क्योंकि बहुत से लोग इस तरह से धोखा भी देते हैं। फोर एग्जामपल, पानी आप लेकर आयी, लेकिन हो सकता है, मैंने पहले ही बोतल में कुछ डाल रखा हो।"

लड़की ने बीच में टोककर कहा- "ओके-ओके, इतनी सफाई देने की जरूरत नहीं है। थोड़ी-बहुत अक्ल लड़कियों में भी होती है।"

लड़का मुस्कुराने लगता है। लड़की खड़ी होती हुई बोतल लेकर आँखों में पानी के छींटे मारती है और मुंह धोकर पानी पीने के बाद बोतल वापस देकर लड़के के पास वाली कुर्सी पर बैठती है। लड़का ढक्कन लगाकर बोतल बन्द कर देता है। लड़की शांत होकर सामने की ओर देखने लगती है।

लड़के ने कहा- "रोने के बाद दिल हल्का हो जाता है।"

लड़की- "शायद ? लेकिन बदलता कुछ नहीं।"

लड़का- "ये भी सही है। जो हो गया, उसे बदल नहीं सकते, लेकिन प्रजेन्ट में पास्ट के कारण दुःखी होने की बजाय फ्यूचर को बेहतर बनाने की कोशिश जरूर कर सकते हैं।"

लड़की- "कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है, जिसके कारण फ्यूचर को बेहतर बनाने के लिए प्रजेन्ट में कुछ बचता ही नहीं है।"

लड़का- "तो प्रजेन्ट में कुछ नया बनाओ। जब इन्सान दुनिया में आता है, तब उसके पास कुछ भी नहीं होता। वो अपने माता-पिता, भाई-बहन, दोस्तों की मदद से दुनिया में आने के बाद ही सब कुछ बनाता या हासिल करता है। अगर जीवन में कुछ ऐसा हो गया है, जिसके कारण अब आपके पास कुछ नहीं रहा। तो जीवन को दूबारा शुरू करो। जब आप कोशिश करोगे, तो आपको मदद भी मिलेगी। माता-पिता से, भाई-बहनों से, दोस्तों से।"

लड़की ने निराश मुद्रा में कहा- "कुछ बातें ऐसी होती है, जिसमें कोई मदद नहीं कर सकता।"

लड़का- "कभी-कभी जब हम टूटकर बिखर जाते हैं, तब हमें ऐसा लगता है, अब कुछ नहीं हो सकता, अब कोई हमारी मदद नहीं कर सकता, लेकिन ऐसा है नहीं। मौत से पहले जिन्दगी में कुछ भी आखरी नहीं है, बस हमारे अन्दर जीने की चाहत जिन्दा रहनी चाहिए।"

लड़की की आँखें फिर से नम हो गई और आँसू आने लगे।

लड़के ने कहा- "आप रोईए मत। रोने से सब कुछ ठीक थोड़े ही हो जाएँगा। अगर कुछ ठीक हो सकता है, तो वो आपके प्रयास करने से हो सकता है और अगर कुछ ठीक नहीं हो सकता, तो फिर रोने से क्या फायदा ? खुश रहने की कोशिश करो। अगर आप ये सोच लो, के कोई मुश्किल आए, कोई परेशानी आए, मैं हर हाल में हमेशा खुश रहूँगी। मैं हर मुसीबत का सामना दुःखी होकर करने की बजाय खुश होकर करूँगी, तो कोई भी आपको दुःखी नहीं कर सकता।"

लड़की ने कठोरता से कहा- "ये सब बातें कहने और सुनने में बहुत अच्छी लगती है, लेकिन रियल में ऐसा भी हैं नहीं। कोई जानबूझकर हमें हर्ट करें, और हम खुश होकर कहें। वाह ! क्या बात है ? मजा आ गया। मुझे बहुत खुशी हुई धोखा खाकर। ब्लडी नॉनसेन्स।"

लड़का- "ये भी सही है।"

लड़की ने क्रोध से कहा- "अरे, ये ही सही है। ऐसे बोलो।"

लड़का- "देखिए ! लोग हमें हर्ट क्यों करते हैं ? किसी को धोखा देकर लोगों को क्या मिलता है ? आपने कभी सोचा है, इस बारे में ?"

लड़की- "यार ! मुझे ये सब करने में कोई इन्टरेस्ट नहीं है, तो मैं इसके बारे में क्यों सोचूंगी ?"

लड़का- "ये जरूरी थोड़े ही है, जिसमें हमें इन्टरेस्ट ना हो, उसमें दूसरों को भी इन्टरेस्ट नहीं होगा। आप किसी के साथ ऐसा नहीं करना चाहती इसका मतलब ये थोड़े ही है, के कोई आपके साथ ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए हर सिचुएशन के बारे में सोचना चाहिए और हर सिचुएशन को हैंडल करने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।"

लड़की- "ओ गॉड ! जब कोई हमारी लाइफ़ में आता है, तो बोलकर नहीं आता। मैं आगे चलकर ये-ये करूँगा।"

लड़का- "ये भी सही है। अगर हर इन्सान अपने असली इरादे पहले ही बताने लग गया, तो दुनिया में बहुत सारी प्रोब्लम सोल्व नहीं हो जाएँगी।"

लड़की- "हाँ, तो फिर पहले से क्या तैयारी करें ? जब कोई मुश्किल में हमारी हेल्प करें, हमारी केयर करें, हमारी रिस्पेक्ट करें, हमें खुश रखें, हमसे अच्छी दोस्ती निभाए, हमसे प्यार करें, तो उन लोगों पर शक करें ?"

लड़का- "शक नहीं करना चाहिए, लेकिन सोचना जरूर चाहिए। अगर कोई हमसे दोस्ती करता है, हमें प्यार करता है, तो दोस्ती या प्यार के बदले में वो क्या चाहता है ? और अपनी चाहत को किस तरह जाहिर करता है ? डायरेक्ट या इनडाइरेक्ट ? यू नो, मोस्टली लोग अपनी बात सीधे-सीधे बोलने की बजाय घुमा-फिराकर बोलते हैं।"

लड़की- "हाँ, लेकिन कुछ लोग जब मिलते हैं, तब बहुत अच्छे होते हैं। बाद में बदल जाते हैं।"

लड़का- "ये भी सही है। देखिए, बदलाव प्रकृति का नियम है। बदलाव बेजान चीज़ों में भी आता है। फिर इन्सान तो संजीव प्राणी है। इन्सान में बदलाव आना तो नैचूरल है। कोई भी इन्सान हमेशा एक जैसा नहीं रहता। हमें इस बात को एक्सेप्ट करना चाहिए।"

लड़की- "अरे यार ! बदलाव चलता है, लेकिन लोग हमें चीट करते रहें। ये सहन नहीं होता ?"

लड़का- "अब चीटिंग हो चुकी है, तब तो कुछ नहीं हो सकता। बस फ्यूचर में सावधान रहिए, जिससे कोई फिर से आपके साथ चीटिंग ना सकें। और अगर अभी-भी कोई आपके साथ चीटिंग कर रहा है, तो उससे दूर हो जाईए। आप उसे और चीटिंग करने का मौका क्यों दे रही है ?"

लड़की- "लेकिन मुझे बहुत हर्ट हुआ। मेरी बेस्ट फ्रैंड और मेरे बॉयफ्रैंड ने मेरे साथ ऐसा किया ?"

लड़का- "अगर बताने में कोई प्रोब्लम ना हो, तो क्या आप बता सकती है, उन दोनों ने क्या किया ?"

लड़की- "हम्म, सुनिए ! एक साल पहले मेरी एक लड़के से दोस्ती हुई थी। दोस्ती होने के बाद उसने मुझे प्रपोज किया। मैनें सोचने के लिए थोड़ा टाइम मांगा और कुछ दिन बाद मेरे लिए उसका प्यार देखकर मैंने हाँ बोल दिया। पिछले छः महीने से हम दोनों में फिजिकल रिलेशन भी हैं। मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता।"

लड़का- "अगर फिजिकल रिलेशन दोनों की सहमति से बने हैं, तो कोई बुराई नहीं है।"

लड़की- "हाँ, सहमति से ही बने है। उसने कहा था, मैं तुम्हारे साथ फिजिकल रिलेशन बनाना चाहता हूँ, लेकिन तुमसे इजाजत लेकर। तुम नहीं चाहती, तो जरूरी नहीं है।"

लड़का- "ये तो बहुत अच्छी बात है। वरना आमतौर पर लोग प्यार-व्यार की बातें करके लड़की को मजबूर करते हैं।"

लड़की- "नहीं, उसने ऐसा कुछ नहीं किया। उसने तो ये भी कहा था, मैं मना करूँ, तब भी वो फिजिकल रिलेशन के लिए किसी और के पास नहीं जाएँगा। और सच कहूँ, तो मैं खुद उसके साथ फिजिकल रिलेशन बनाना चाहती थी।"

लड़के ने मुस्कुराकर कहा- "अगर सभी लोग फिजिकल रिलेशन के लिए ऐसी ईमानदारी अपना ले, तो इससे जुड़ी सारी प्रोब्लम अपने आप खत्म हो जाएँगी। लेकिन लोग गलत रास्ते अपनाते हैं। कोई झूठ बोलता है, कोई प्यार-मोहब्बत का नाटक करता है, कोई डरा-धमकाकर ब्लैकमेल करता है, कहीं पति के साथ धोखा होता है, कहीं पत्नी के साथ धोखा होता है। ये सच्चाई और ईमानदारी वाला रास्ता कोई अपनाना ही नहीं चाहता।"

लड़की- "लेकिन विकल्प हमेशा साफ़-साफ़ बात करता था और मुझे उसकी यहीं बातें अच्छी लगी।"

लड़का- "विकल्प आपके बॉयफ्रैंड का नाम है ?"

लड़की- "हाँ।"

लड़का- "और आपका नाम क्या है ?"

लड़की- "चंचल।"

लड़का- "आपकी बातों से तो विकल्प अच्छा लड़का लग रहा है। फिर प्रोब्लम कैसे शुरू हुई ?"

चंचल- "शायद मेरी बेस्ट फ्रैंड के कारण। मैं दूसरे शहर की हूँ और यहाँ रेन्ट पे रूम लेकर अपनी एक बेस्ट फ्रैंड के साथ रहती हूँ। मेरी बेस्ट फ्रैंड को हमारे बारे में शुरू से ही सब कुछ मालूम है। अभी कुछ दिन पहले मैं अपने घर गई थी। कल शाम जब मैं वापस आई, तो मैनें देखा, हमारे रूम के बाथरूम में मेरे बॉयफ्रैंड के कपड़े पड़े थे। मैनें मधु से पूछा, ये विकल्प के कपड़े यहाँ कैसे आए ? तो वो बोली, मुझे नहीं मालूम। फिर हम दोनों में बहुत झगड़ा हुआ और आखिर में मधु ने कहा, जाकर विकल्प से पूछ। मेरे साथ उलझने की कोई जरूरत नहीं है। मैनें विकल्प को कॉल करके पूछा, तो वो कहता हैं, खुद ही समझ जाओ। मैनें कहा, क्या समझ जाऊँ ? तो कहता है, मुझे मधु से प्यार हो गया हैं। हम दोनों दो महिने से रिलेशन में हैं। तुम यहाँ नहीं थी, तो हमने सोचा रूम पर ही इंजॉय कर लेते हैं। और जब मैंने पूछा, मुझमें क्या कमी है ? दो महिने से मुझे क्यों धोखा दे रहे हो ? तो कहता हैं, प्यार पर किसी का बस नहीं चलता। मैं पहले ही तुम्हें सब बताना चाहता था, लेकिन तुम्हारा दिल टूट जाएँगा। इसलिए बता नहीं पाया। अब जब तुम सब जान ही गई हो, तो प्लीज मुझे भूल जाओ। ये बोलकर मेरी कोई बात सुने बिना उसने कॉल काट दिया। कल सारी रात मधु मेरे सामने ही विकल्प के साथ कॉल पर बातें कर रही थी। इस बात पर हमारा बहुत झगड़ा भी हुआ और विकल्प कल रात से मेरा कॉल ही रिसींव नहीं कर रहा, इसलिए सुबह मैनें उसे मैसेज करके यहाँ मिलने बुलाया है। अभी मैं उसी का ईंतजार कर रही हूँ। अगर वो नहीं आया।"

चंचल बोलते-बोलते रोने लगती है।

लड़का- "सबसे पहले तो आप रोईए मत। जीवन में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। किसी के जाने से जिन्दगी खत्म नहीं होती। ठीक है, एक लड़का आपकी लाइफ़ में आया। आप उसके साथ रिलेशन में रही। अब वो चला गया। जैसे उसने आपकी इजाजत के बिना आपके साथ कुछ नहीं किया, उसी तरह आप भी अगर वो आपसे अलग होना चाहता है, तो होने दो। खुशी-खुशी मिले, खुशी-खुशी दोस्ती हुई, खुशी-खुशी रिलेशन में आए, तो अलग होते समय दुःख क्यों हो रहा है ?"

चंचल ने आँखें पोंछकर कहा- "ये क्या बात हुई ? मैं उससे प्यार करती हूँ, टाइमपास नहीं। प्यार क्या बस फिजिकल रिलेशन के लिए होता है ? पहले मेरे साथ, अब मधु के साथ।"

लड़का- "देखिए, प्यार का फिजिकल रिलेशन से कोई संबंध नहीं है। फिजिकल रिलेशन शारीरिक सुख और बच्चे पैदा करने के लिए बनाए जाते हैं। ये आपसी सहमति से बने, तो बहुत अच्छी बात है और झूठे वादे करके धोखे से, डरा-धमकाकर, जोर-जबरदस्ती से, किसी का बुरा करके या किसी को दुःख देकर बनाए जाए, तो गलत है। प्यार के बिना फिजिकल रिलेशन सिर्फ हवस का खेल है, जो किसी कॉलगर्ल के साथ भी खेला जा सकता है। प्यार में फिजिकल रिलेशन जरूरी नहीं हैं, लेकिन फिजिकल रिलेशन में प्यार होना बहुत जरूरी है।"

चंचल- "फिजिकल रिलेशन आई डॉट केयर। बट अगर उसे मधु पसन्द थी, तो मुझसे रिलेशन क्यों बनाए ? और मधु ने मेरी बेस्ट फ्रैंड होकर मेरे और उसके रिलेशन के बारे में सब कुछ जानते हुए भी। ये सब सही है ?"

लड़का- "नहीं ! ये बिल्कुल गलत है। उन दोनों ने आपके साथ बहुत गलत किया। उन दोनों को मालूम था, उनके रिलेशन में आने से आपको दुःख होगा, इसलिए विकल्प को पहले आपसे अलग होना चाहिए था। आपसे अलग होकर वो मधु के साथ रिलेशन रखें या किसी और के साथ। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। और मधु आपकी बेस्ट फ्रैंड है, फिर भी उसने वो काम किया, जिससे आपको तकलीफ़ हो। ये भी बहुत गलत है। लेकिन गलत वो दोनों है। वो दोनों गलती करके भी खुश है और आपकी कोई गलती नहीं, फिर भी उनकी गलती के कारण आप दुःखी हो रही है। क्या ये बेवकूफी नहीं है ?"

चंचल- "यार ! आप नहीं समझोगे, मुझे कैसा फील हो रहा है ?"

लड़का- "समझ तो रहा हूँ, लेकिन अपनी गलती ना होते हुए भी, दूसरों के कारण दुःखी होना अक्लमंदी नहीं है। चलिए, मैं आपको एक एग्जामपल देता हूँ। अभी मैं यहाँ गिरा था। मुझे कोहनी और घूटने में चोट भी लगी। अगर मैं वहाँ पड़े-पड़े सोचता, जब लड़की गिरती है, तो लड़के उसकी मदद के लिए दौड़कर आते हैं, लेकिन इस लड़की को तो मेरे गिरने से कोई फर्क ही नहीं पड़ा।"

चंचल बीच में बोली- "ओह ! एम रियली वैरि सॉरी, मैं हेल्प करती, लेकिन आप समझ सकते है, मैं।"

लड़के ने बीच में बोलकर कहा- "कोई बात नहीं, मैं आप पर आरोप नहीं लगा रहा हूँ। आपने मुझे पानी लाकर दिया, मैं तभी समझ गया, आप जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद करती है। मैं यहाँ कुछ ओर बात समझाने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरे कहने का मतलब ये है, अगर मैं वहाँ पड़े-पड़े ये फालतू बातें सोचता रहता, लड़कियाँ ये नहीं करती, लड़कियाँ वो नहीं करती, लड़कियाँ ऐसी, लड़कियाँ वैसी, लड़कियाँ फलाना, लड़कियाँ ढिमका, तो क्या मैं उठकर खड़ा हो सकता था ?"

चंचल- "लेकिन उन दोनों ने।"

लड़के ने बात काटकर कहा- "पहले पूरी बात तो सुनिए।"

चंचल- "ठीक है, बताईए ?"

लड़का- "अच्छा, चलो इस बात को आपके इन्सीडेंट से कम्पेयर करते हैं। आपको बिना वजह विकल्प और मधु ने चोट पहुंचाई। इसमें सारी गलती उन दोनों की है। मान लीजिए, आपने बिना वजह मुझे धक्का देकर, मुझे गिराकर, मुझे चोट पहुंचाई। इसमें सारी गलती आपकी है। जैसे आप विकल्प और मधु के कारण दुःखी होकर उन दोनों को कोस रही हैं, उसी तरह मैं आपके कारण दुःखी होकर आपको कोसता रहूँ, आपके साथ झगड़ा करूँ, तो क्या इससे मेरी चोट ठीक हो जाएँगी ? ठीक हैं, आपको जो करना था, आपने कर दिया। आप हर तरह से गलत है, लेकिन मेरी चोट तभी ठीक होगी, जब मैं उन चोटों का ईलाज करूँगा या किसी डॉक्टर से करवाऊँगा।"

चंचल- "तो क्या मुझे उनको माफ़ कर देना चाहिए ?"

लड़का- "बिल्कुल नहीं। अगर आप बिना वजह मुझे धक्का देकर गिराओगे, तो मैं आपको माफ़ करके दूबारा धक्का देने का मौका थोड़े ही दूँगा। बस इतना है, मैं आपके कारण दुःखी नहीं होऊँगा। आपको भला-बुरा बोलकर, आपसे झगड़े करके अपना दिमाग और अपना टाइम खराब नहीं करूँगा। खुशी-खुशी अपने रास्ते पर चलता रहूँगा और फ्यूचर में इस बात का ध्यान रखूँगा, कि आप या आपकी तरह धक्का देकर कोई और मुझे दूबारा ना गिरा सकें।"

चंचल- "अरे, लेकिन।"

लड़का- "अब आप इस बात की तुलना मत करो, के दिल तोड़ने और धक्का देकर गिराने में बहुत फर्क है। फर्क है, बहुत फर्क है, लेकिन इस तरह से सोचकर बातों को समझना आसान रहता है। इमेजिन करके देखो, ये सब जानने के बाद आप गुस्सा होकर मधु से झगड़ा करने की बजाय एक अच्छी दोस्त की तरह खुश होकर ये सब छुपाने के कारण मधु से नाराज़गी जताती, तो मधु का क्या रिएक्शन आता ? दुःखी होकर विकल्प को कोसने की बजाय खुश होकर विकल्प को कॉग्राचुलेट करती, तो विकल्प कैसे रिएक्ट करता ?"

चंचल को बहुत ही अजीब-सा महसूस होने लगता है।

लड़का- "सोचकर देखो। उन्होंने आपके साथ गलत किया, लेकिन आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। आप उनके साथ बिल्कुल नॉर्मल विहेव कर रही है।"

चंचल- "यार ! ऐसे नहीं होता।"

लड़का- "अन्दाजा तो लगाईए। अगर ऐसा होता, तो क्या होता ?"

चंचल- "लेकिन ऐसे तो फिर हर कोई अपनी मनमानी करेगा।"

लड़का- "करने दो, हमें क्या फर्क पड़ता है ? अगर कोई किसी का बुरा किये बिना अपनी मनमानी करता है, तो इसमें क्या बुराई है ? जब कोई किसी का बुरा करें, तब हमें अच्छे लोगों के साथ मिलकर उसे सबक सीखाना चाहिए, लेकिन परेशान या दुःखी तब भी नहीं होना चाहिए। जो करना है, वो खुश होकर करो।"

चंचल- "मतलब मैं परेशान और दुःखी होने की बजाय खुश होकर उन दोनों को सबक सिखाऊँ ?"

लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा- "सबक सिखाने के बारे में सोचने से पहले आप ये देखो, उनको सबक सिखाना क्यों जरूरी है ? क्या विकल्प पहले से प्लानिंग करके लड़कियों को फँसाता है ? क्या मधु जानबूझकर दूसरों के बॉयफ्रैंड से रिलेशन बनाती है ?"

चंचल- "नहीं, यार ! ऐसे तो नहीं है, वो दोनों।"

लड़का- "तो क्या सबक सिखाना चाहती है, आप उन्हें ? देखो, विकल्प और मधु एक-दूसरे की तरफ़ अट्रैक्ट हो गए। और अट्रैक्शन का कोई अंत नहीं है। हो सकता है, कुछ टाइम बाद विकल्प किसी और लड़की की तरफ़ अट्रैक्ट हो जाए। मधु किसी और लड़के की तरफ़ अट्रैक्ट हो जाए। ये नेचुरल है और हम इसे बदल नहीं सकते। इसलिए हमें इस नेचर को एक्सेप्ट करना चाहिए। हमारे परेशान या दुःखी होने की सबसे बड़ी वजह यहीं है, कि हम नेचुरल बातों को एक्सेप्ट नहीं करते। ये क्यों हुआ ? ये नहीं होना चाहिए। हम यहीं करते हैं।"

चंचल- "बात तो आपकी ठीक ही लगती है, लेकिन ?"

लड़के ने मुस्कुराकर कहा- "लेकिन हजम नहीं हो रही है। यहीं बात है ना ?"

चंचल ने हँसकर कहा- "हाँ, यार ! बात तो यहीं है। मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ ? वो दोनों एक-दूसरे की तरफ़ अट्रैक्ट क्यों हुए ?"

लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा- "इसका कोई उपाय नहीं है। ऐसे में या तो अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना चाहिए और अगर अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं है, तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे कारण किसी ओर को तकलीफ़ ना हो। अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना इन्सान के बस में है, लेकिन इन्सान ऐसा करते नहीं है।"

चंचल- "और जो लोग ऐसा करते है, उनकी बात कोई मानता नहीं है।"

लड़का- "हाँ, ये भी सही है।"

चंचल- "मुझे विकल्प का हर बात साफ़-साफ़ बोलना अच्छा लगता है, लेकिन अगर वो मुझसे कहता, उसे मधु अच्छी लगने लगी है, तब भी मैं उससे नाराज़ ही होती। और अगर मधु सब कुछ मुझे बताती, तो मधु के साथ भी मैं ऐसा ही करती।"

लड़का- "और ये बात वो दोनों भी अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए दो महिने से आपको धोखा दे रहे थे। विकल्प के बारे में आपने जितना बताया, उस हिसाब से तो वो बहुत अच्छा लड़का है। मधु ने जरूर आपके साथ झगड़ा किया है।"

चंचल- "मधु भी बहुत अच्छी है, यार ! झगड़ा तो मैंने किया था, उसके साथ। मैं अपनी हर बात उससे शेयर करती हूँ। और उससे दोस्ती होने के बाद मैंने अपनी लाइफ़ का हर डिसीजन उसके साथ डिस्कस करने के बाद ही लिया है। मैं कभी सपने में भी ये नहीं सोच सकती थी, के मधु मुझे हर्ट करेंगी।"

लड़का- "इससे पहले कभी मधु के साथ कोई झगड़ा या मनमुटाव जैसा कुछ हुआ है ?"

चंचल- "मनमुटाव जैसा कुछ नहीं हुआ। झगड़े बहुत हुए हैं, लेकिन दोस्तों की तरह। दुश्मनों की तरह कल फर्स्ट टाइम ही हुआ।"

लड़का- "कहीं ऐसा तो नहीं, मधु को आपकी कोई बात बुरी लगी हो और उसने आपको सबक सिखाने या आपसे बदला लेने के लिए आपके बॉयफ्रैंड को आपसे छीन लिया ?"

चंचल- "नहीं, ऐसा तो कभी कुछ नहीं हुआ।"

लड़का- "और विकल्प के साथ ऐसी कोई बात ? मधु ने उसको कुछ कहा हो या मधु के कारण आपने उसे कुछ कहा हो या फिर विकल्प ने मधु से कुछ कहा हो ?"

चंचल- "नहीं, मेरे सामने तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैंने आज तक विकल्प के मुँह से किसी के लिए कोई गलत बात नहीं सुनी। जितने लोग उसे जानते हैं, सब उसकी बहुत तारीफ़ करते हैं। शायद मेरी किस्मत ही खराब है।"

लड़का- "किस्मत खराब नहीं है। कुछ बातें हमारे बस में नहीं होती। अट्रैक्शन उनमें से एक है। कौन ? कब ? कैसे ? किसकी तरफ़ अट्रैक्ट हो जाए ? कुछ कह नहीं सकते ? जब किसी की तरफ़ अट्रैक्ट होकर उससे शारीरिक सुख पाने की इच्छा होती है, तो लोग इसे प्यार बोलते हैं। ये अट्रैक्शन जब एक तरफा हो, तो एक तरफा प्यार और जब ये अट्रैक्शन दोनों तरफ़ एक जैसा होता है, तो सच्चा प्यार। होता ये सब अट्रैक्शन ही है।"

चंचल- "अगर ये सब सिर्फ अट्रैक्शन है, तो प्यार क्या है ?"

लड़का- "ये तो मुझे भी नहीं मालूम। मैं खुद यहीं जानने और समझने की कोशिश कर रहा हूँ, कि प्यार क्या है ?"

चंचल ने मुस्कुराकर कहा- "अच्छा, प्यार को छोड़ो। आपका नाम क्या है ? ये तो बताईए ?"

लड़का- "वर्मन गढ़वाल।"

चंचल- "थैक्यू सॉ मच, वर्मन जी। आपने काफ़ी हद तक मेरा पैन कम कर दिया, वरना कुछ देर पहले मैं क्या-क्या फील कर रही थी, आप अन्दाजा भी नहीं लगा सकते।"

वर्मन- "मैं समझ सकता हूँ, लेकिन इट्स पार्ट ऑफ लाइफ़। कभी कोई पास आता है, कभी कोई दूर जाता है। जब हम छोटे होते है, तब हम माँ-बाप के बिना नहीं रह पाते। जैसे-जैसे बड़े होते हैं, हमें भाई-बहन और दोस्तों का साथ अच्छा लगने लगता है। जवाँन होने पर लड़कियों की लाइफ़ में बॉयफ्रैंड आता है, लड़कों की लाइफ़ में गर्लफ्रैंड आती है। शादी के बाद लाइफ़ पार्टनर और बच्चों के बिना घर सुना-सुना लगता है। और बड़े होने पर बच्चों के बच्चे पोते-पोती, नाती-नातिन प्यारे लगते हैं। सभी लोग हमेशा साथ थोड़े ही रहते हैं। अगर कोई अपना दुनिया से चला जाए, तो लोग यहीं कहते हैं कि कुछ बातों पर हमारा बस नहीं चलता। इसी तरह लोगों का पास आना और दूर जाना है। आपकी बेस्ट फ्रैंड और आपके बॉयफ्रैंड के साथ तो अभी-भी आप रिलेशन रख सकते हो, कि चलो, जो होना था, हो गया। पहले मैं विकल्प की गर्लफ्रैंड थी, अब मधु विकल्प की गर्लफ्रैंड है। बस इतना ही तो फर्क आया है। कोई दूर थोड़े ही हुआ है। हाँ, दूर करने का ऑप्शन हैं, आपके पास। अगर वो बुरे लोग हैं, बेकार लोग हैं, दूसरों को हर्ट करना, दूसरों का बुरा करना, उनका नेचर(स्वभाव) है, तो उन दोनों को अपनी जिन्दगी से निकालकर दूर फेंक दो।"

चंचल- "नहीं, आपने सही कहा। जो होना था, वो तो हो गया। मैं बस फ्यूचर में ध्यान रखूँगी, दूबारा ऐसा ना हो।"

वर्मन- "और ये भी, कि उन दोनों ने आपका दिल दुखाया, इसलिए आप जानबूझकर किसी और के साथ ऐसा मत कर देना।"

चंचल- "एक बात बोलूँ आपसे ?"

वर्मन- "बोलिए।"

चंचल- "मैं सोच रही हूँ, ऐसा आपके साथ करूँ। फिर देखती हूँ, आप क्या करते हो ?"

चंचल और वर्मन ह