The Moon Night in Hindi Short Stories by Rupal Mehta books and stories PDF | चाँदनी रात

Featured Books
Categories
Share

चाँदनी रात

बहुत ही सुन्दर चाँदनी रात थी। चाँद भी जैसे इन्तजार करता हो।
 वही से शुरू हूई एक कहानी। कोलेेज के छाात्रों सब दो दिन  के लिए trip पेे आए थे।
सब लोग लकडी जला के केम्प फायर कर रहे थे।
वहां कोलेेेेज के सबसे अवल जोडी भी थी।जो पढाई  केे ईलावा कोलेेज के हर पवृतिि में भी आगे रहेेते थे।
सची और पृृथ्वी।
सची बेेेहद खुबसुुुरत थी।पृथ्वी भी देेेखने में अच्छा लगता था। पढने मेंं भी पहेले नंंबर पर होते थे।
लेेेकिन दोनों ही बहुुत घमंडी थे। हा लेकिन एक दुसरे को पसंद करतेें थे लेकिन ,,कौन पहेेेल करें ??
वहां कोलेेज में तो दोस्तो  केे साथ रहेते।
          आज पुरा मोका था । मगर नसीब ने कुछ और लिखा था। सब लोग घुमने मे मशगूल थे। अचानक झाड़ी मे से कुछ आवाज़ आई।
        सब ने आवाज़ सुनी पर अनसुनी कर दी। बेफिक्र होकर चलते रहे। तभी हाथों में बंदूके लेकर डाकू जैसे लोग दिखाई दिये। सब लोग डरकर क्या करें अब ये सोचे ,,तब तक तो सब गिरफ में आ गए। वो बदमाशो के।
       कोलेेज के छात्रों ने पहले तो बात चित से शुरू किया । फिर भी नहीं मानें वो डाकू ,,सब के मन में सवाल एक जैसे ही। कब हम बहार निकलेगें???
            सब चुपचाप देखने लगे एक-दुसरे को। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला सबकी आँखो में सिफॅ सवाल ही दिखाई दीए।
तभी पृथ्वी कुछ अलग ही सोच रहाँ था। दिमाग उसका तैज दौड़ ने लगा था।
         उसने अपनें सूझबूज से एक तुक्का दौडाया।

part..1or 2c next..

              वो धीरे-धीरे झाड़ी ओ में छूप गया । और अकेला था पर होसला बुलंद था।उसने पुरी ताकत लगाकर एक ऐसी आग लगाई के ,,,डाकू सोच थे के ये क्या  हुआ तब तक तो उसने मीटी भी डाल दी । बस फिर तो पुछो ही मत,,सब लड़कों को भी हिम्मत आ गईं । कब क्या हुआ ,,
कुछ पता नहीं डाकू भी भाग गयें ।
            पृथ्वी की तारीफ पर तारीफ,,,सनमान भी खूब हुआ।
        अब यही से तो कहानि शुरू हुई। चाँदनी रात थी। एकचाँद धरती पर एक चाँद आसमान में ।



सची और पृथ्वी की।
 सची का नजरिया बदल गया। पृथ्वी की चाहत उसके पास जो उसके पास आ रही थी ।
            दोनों का प्यार अब आँखो से दिखाई दे रहाँ था।
अब प्यार भरे शब्दो ने ले ली। अब तो हाथों में हाथ।
जहां सची वही पृथ्वी। जहां पृथ्वी वहां सची।
    घर आकर कोलेेज के दिन भी सुनहरे सपनें देखकर गुझर  गये।   अब,,,,,,,,,
            घर पर कहेने का समय आ गया था। क्युकी पृथ्वी को अपने पैरो पर खडा होना था। सची की रिश्ते की बात चल रही थी।
       तभी मदद में सखा या सखी आ ही जाते है।
लेकिन सची के पापा ने ये रिश्ता ना मंजूर कर दिया।
सची अपने पापा को भी बेहद प्यार करती थी और पृथ्वी को भी।
    लेकिन पृथ्वी ने दिल पर पत्थर रखकर सची को आगे बढने को कह दिया। 
   दोनों अपनी जीवन में आगे बढने गये थे।
बरसों बितुम गये । अचानक सची और पृथ्वी मिल गये।हाल चाल पूछा एक-दुसरे का। सची ने सफेद सारी पहनी थी। उसकी दास्तान पृथ्वी को करी ।पृथ्वी ने कहा मेने भी शादी नही की ।तुम्हारे प्यार को आज भी जिंदा रखा है।
      अगर तुम चाहो तो मेरे पास आ शक्ती हो। यादो में तो रोज आते हो।
      सची भी पृथ्वी का प्यार पाना चाहते थी। पुरे रिति रिवाज के साथ दोनो जुड़ गयें।एक नई खुशियाँ और उम्मीदों भरकर। आज भी चाँदनी रात थी। और चाँद भी मुशकुराऐ हुए सोचता होंगा। ईश्वर वो जिसे मिलाना चाहता हो वो उसे मिला ही देता है।