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मनाली की दूसरी यात्रा

"मनाली की दूसरी यात्रा"
साथियों,हमें अपने जिंदगी के 52 सालों के सफर में परंपरागत व्यवसाय करते हुए कभी भी बाहर निकल कर घूमने  का मौका नही मिल सका।
यहाँ तक की मेरे पिता जी झारखंड  के जमशेदपुर में सेवानिवृत्त होकर मेरे छोटे भाई विनोद केसरी के साथ ही रह रहे है । लेकिन वहाँ मैं केवल अपनी जिंदगी में एक बार 16 वर्ष पहले बीबी बच्चो के साथ गया था।
लेकिन धन्यवाद अमूल्या हर्ब्स का जिसके बदौलत हमने मात्र 3 साल 6 माह में  देश के  कई भागों की यात्राएं  की, वह भी मुफ्त में। आप सोचेंगे कैसे तो बताता हूं हमने  आज से चार साल पहले अमूल्या हर्ब्स कंपनी जो कि आयुर्वेदिक दवाएं बनाती है,और इन दवाओं को डायरेक्ट सेलिंग मेथड से बेचती है, से जुड़ गया, जिससे हमें 30% मुनाफा भी मिला और साथ मे एक टारगेट के साथ देश विदेश का टूर भी मिलता गया।जिसकी वजह से मैंने चंडीगढ़,शिमला,पटना, मनाली और हवाई जहाज से गोआ की यात्रा भी बिल्कुल मुफ्त में किया।
आज 15 जुलाई 2018 को अमूल्या हर्ब्स कंपनी का  सातवाँ"AAN"फंक्शन है। कार्यक्रम के बाद हम भारत भर से लगभग 700 लोग लक्सरी ए.सी.बसों द्वारा 5 दिन की यात्रा पर पुनः मनाली जा रहे हैं ।
अब इसी क्रम में मैं आज सपत्नीक पुनः मनाली की यात्रा पर हूँ।  यात्रा दुर्गम है बरसात की शुरुवात हो गई है, बर्फ से पिंड छूट गया है। मौसम सुहाना है। दिन में 17℃ से 20℃ का तापक्रम है।रात का तापक्रम पहुँचने पर पता चलेगा। सच कहूं हरीवादियों ने मन मोह लिया है। मेरे साथ मेरे मित्र डॉ विनोद कुमार, अंकित मिश्रा, डॉ राकेश कुमार सपत्नीक, डॉ अमानतुल्लाह जी, डॉ ओंकारनाथ सिंह जी, ओमप्रकाश जी और ग्रुप टीम लीडर अल्ताफ़ हुसैन अंसारी जी अपने माँ के साथ हम सभी के साथ है।
15 जुलाई को इंद्रधनुष आडिटोरियम चंडीगढ़ के कार्यक्रम में भाग लेने के बाद  8 बजे कुल 13 बसे चल पड़ी,रात्रि का भोजन चंडीगढ़ से 30 km दूर होटल हवेली में किया गया, बस 11 बजे रात्रि 16 जुलाई 2018 को करीब 1बजे दोपहर में हम होटल  knilworth मनाली पहुचे,और कमरा 404 में आराम किया।
  अपनी यात्रा के क्रम में हमने अपने अमूल्यन्स ग्रुप के साथ सोलंग वैली का आनंद उठाया, रोप वे पर चढ़ा गया, और साथ ही हिडम्बा मंदिर, वशिष्ट मंदिर  के दर्शन पूजन किया, शाम में मनाली वनविहार में नौकायन और नदी के वेग को पास से देखने का मौका मिला , साथ ही मनाली के मेन मार्केट में कुछ गर्म कपड़े भी खरीदे। 18 जुलाई के दोपहर में अटल बिहारी माउंटेरियन स्पोर्ट इंस्टीटयूट के आडिटोरियम में अमूल्या लीडर्स के वास्ते अड्रेसिंग प्रोग्राम हुआ। रात्रि में होटल maplle में गाला डिनर पार्टी और डांस प्रोग्राम हुआ। कल 19 जुलाई को सुबह 10 बजे वापसी है।कल रास्ते मे कुल्लू के विलासपुर में दोपहर का भोजन का प्रोग्राम है। कुल मिलाकर यात्रा बहुत ही सुखद रही।
यात्रा के लौटते क्रम में हमने हिमांचली संस्कृति से ओतप्रोत वाला धाम भोज का लुफ़्त डोभी रायसेन स्थित orchid के रेसॉर्ट & रेस्टोरेंट में पंगत में बैठ कर  किया गया।
इस रिसोर्ट की खूबसूरती देखते ही बनती थी चारों तरफ सेव से लदे पेड़ो के बीच का खूबसूरत सा रिहायसी बँगला। भोजन के बाद  बसों द्वारा हम हाथीथान, मनिकरण, शलिंण,वराण,पतलीकुच्छ, कतराई होते हुए हम भुंतर पहुंचे जँहा पर सब्जी मंडी,हवाई अड्डा,भी है। बसें आगे पंडोह पहुंची।पंडोह में ही जवाहर नवोदय विद्यालय,और फलों की मंडी है।फिर हम कलहैली, बजरौआ, नागवाई, टकोली पहुंचे यहां पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच है फिर आया मनाली की मशहूर ओट सुरंग जो लगभग 4.5 किलोमीटर लंबी है ओट में मौजूद इस सुरंग से बसों को पार करने में 7 मिनट का समय  लगा। इसके बाद बसें यात्रियों को  लेकर रात्रि 10 बजे बिलाशपुर पहुंची। जँहा रात्रि भोज के रूप में पुनः हमें धाम खिलाया गया , जिसमे चावल के साथ सात तरह की  सब्जियों को भी खिलाया गया। इसके  बाद सभी को पानी की बोतलें दे दी गयी और साथ ही बस की अंदर की लाइट बन्द करके  सोने के निर्देश  दिए गए। साथ  ही हम बसों में सोने चले गए, ड्राइवर अपनी आंखों को फाड़कर बस चलाते हुए चंडीगढ़ की यात्रा पर निकल पड़ा।मनाली वापसी के लिए आज चौथा दिन था, 3 रातें कैसे बित गयी पता ही नहीं चल पाया , वहाँ की खूबसूरत वादियों में बहुत ही ऊंचे देवदार बृक्षों की घनी लड़ियों के कदमो में तेज आवाज से बहती  कल- कल करती, उछलती, बलखाती उमड़ती नदियों के किनारे का आनंद ,अजब,गज़ब तरह के बोलियो वाले पक्षियों का समूह , याक के झुंड के साथ चरवाहे, दोनों बाजुओं के बीच मे  सफ़ेद खरगोश के साथ,हिमांचली परिधान, गहने, भेष-भूषा में फोटो खिंचाने का आग्रह करती पहाड़ी हिमांचली महिलाएं, डोंगरी,हिमांचली भाषा पश्तो, कश्मीरी में बात करते हुए नवजवानों की टोली, पावर बाइक की राइडिंग के लिए आग्रह करते और रोमांचकारी करतब दिखाते बच्चे, मनाली का सोलांग वैली का विशाल मैदान,चारो तरफ पहाड़, रोपवे,  फले सेव के बगीचे,बगीचे की चौकदारी करती बूढ़ी पहाड़न की नजरें सेव के बगीचे के बीच बने रिसोर्ट, रेस्टोरेंट, और रिहायसी मकान, घुमावदार,अचानक मोड़ वाली संकरी तीखी सड़क पर दौड़ती बसे, कारें और सैलानियों की बिभिन्न पहनावे, बोली वाली टोलिया, मनाली मार्केट के चौक पर कई तरह के सुगंधित दर्द निवारक तेलों से युवाओँ, युवतियों के पैरों के मालिश करते नवजवान बच्चे,घूम घूम कर पर्यटन के स्थानों पर बाजार  थोक रेट से भी 10 गुना सस्ते रेट में केसर की डिब्बियां, और शिलाजीत बेचते पहाड़ी मर्द और औरते, हालांकि सब नकली ही होता है। मार्केट में शाल,स्वेटर,एंटिक बस्तुओं की दुकानें, और उन पर मोलभाव करके लगभग आधे दाम मे खरीदारी करते सेलानी रुद्राक्ष,जड़ी बूटी मेवे अखरोट बादाम की दुकाने फल ,सब्जियो की मंडियां में काम करते पहाड़ी मजदूरो  के फ़ौलादी ताकत का एहसास कराता मनाली, इन्ही के बीच हम सात सौ करीब अमूल्यन्स ,और हम सबका परिवार मानो  मनाली अब सदा के लिए रहने आये है।
अमूल्या हर्ब्स द्वारा कराए गए मनाली केआनंददायक भ्रमण के बाद आई बारी मनाली छोड़ने का,  मन में रचे बसे मनाली से नाता तोडना, जैसे प्रियतम से जबरदस्ती मुह मोड़ना, बहुत ही कष्टदायक लगा , 12℃ के ठंडे मौसम का भरपूर आनंद, लेने की आदत जो बन गयी थी।
   यादों को संजोए हम सारे अमूल्यन्स आज 19जुलाई 18 को दिन के 11 बजे 13 बसों में पूरे मैनेजमेंट के साथ घर के लिए चल पड़ा। रास्ते मे वापसी के लिए अमूल्या हर्ब्स ने 360 किलोमीटर की दूरी में दोपहर के लंच और रात्रि  डिनर की भी व्यवस्था की गई थी ।यात्रा के लौटते क्रम में हमने हिमांचली संस्कृति वाला 'धाम 'भोज का लुफ़्त डोभी रायसेन स्थित orchid के रेसॉर्ट & रेस्टोरेंट में पंगत में किया गया। इस रिसोर्ट की खूबसूरती देखते ही बनती थी चारों तरफ सेव से  पेड़ो के बीच का बागान। भोजन के बाद  बसों द्वारा हम हाथीथान, मनिकरण, शलिंण वराण पतलीकुच्छल , कतराई होते हुए हम भुंतर पहुंचे जँहा पर सब्जी मंडी,हवाई अड्डा भी है। बसें आगे पंडोह पहुंची।पंडोह में ही जवाहर नवोदय विद्यालय, और फलों की मंडी है।फिर हम कलहैली,बजरौआ, नागवाई, टकोली पहुंचे यहां पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच है फिर आया मनाली की मशहूर ओट सुरंग जो लगभग 4.5 किलोमीटर लंबी है ओट में मौजूद इस सुरंग से बसों को पार करने में 7 मिनिट का समय  लगा। इसके बाद बसें यात्रियों को  लेकर रात्रि 10 बजे बिलाशपुर पहुंची। जँहा रात्रि भोज के रूप में पुनः धाम खिलाया गया , जिसमे चावल के साथ सात तरह की  सब्जियों को भी खिलाया गया। इसके सभी को पानी की बोतलें के साथ बस की अंदर की लाइट बन्द करके  सोने के निर्देश  दिए गए। साथ  ही हम बसों में सोने चले गए।  पंजाबी मूल का लगभग 40 साल के तजुर्बेदार ड्राइवर अपनी आंखों को फाड़कर बस चलाते हुए चंडीगढ़ की यात्रा पर निकल पड़ा।हमारी बसें  चंडीगढ़ लगभग 3 बजे भोर तक पहुंच   गयी थी। जँहा सेक्टर14 के किसान भवन में हमें टिकाया गया था। हम ग्रुप में अपने साथियों,महिलाओं के साथ अपनी आफिस दिखाने करीब 10 बजे  पंचकूला भी गये,जहाँ  पर हम सभी ने आयुर्वेद की डॉ कनिका गुप्ता से मुलाकात भी की और कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष मारवाह सर से भी अच्छी मुलाकात भी हुई। साथ अब आफिस से विदा लेने का समय आ गया,करीब 1बजे रहा था , हम लोगो की ट्रेन  जम्मू से टाटानगर (जलियांवाला बाग एक्सप्रेस) 5 बजे की थी, जो अम्बाला छावनी से खुलनी थी, उसे पकड़ने के लिए अम्बाला कैंट से ड्राइवर पवन को बुलाया जिसने अपना नंबर मुझे पहले ही दे रखा था काम आया। वह समय भी आया जब हम 6 जने एक ट्रेन में और 6 लोग दूसरी ट्रैन बेगमपुरा से अल्ताफ़ सर के नेतृत्व में निकल पड़े अभी सभी अभी भी ट्रेन में ही है। साथ साथ बारिश हमारे साथ हमारे गंतव्य की तरफ जा रही है।सुखद आश्चर्य की, बारिश हमारे घर पहुचने के साथ मेरे घर पहुंच रही है। यात्रा के सभी सहयात्रियों के मंगल कामना के साथ आपका प्रिय....
प्रस्तूति:- डॉ राधेश्याम केसरी
ग्राम,पोस्ट देवरिया
9415864534