TABSUUR RAHMAAN - SUB EDITOR in Hindi Short Stories by SURENDRA ARORA books and stories PDF | तबस्सुम रहमान - सब एडिटर

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तबस्सुम रहमान - सब एडिटर

तबस्सुम रहमान - सब एडिटर

" विजय साहब , मुझे मेरा हक़ चाहिए । "

" तबस्सुम मेम , जिसकी तुम्हें तमन्ना थी , वो सब कुछ तो तुम्हें दे दिया गया था ।इतने सालों बाद , अब बाकी क्या रह गया ?"

" जो मुझे मिला था , वो तो मेरा ही था । मैं अच्छा लिखती थी , हर मुश्किल स्टोरी को कवर करने में माहिर थी । बेहद खतरनाक सीन भी मेरी नजर से बच नहीं पाते थे । मेरे बहुत से आर्टिकल्स ने आपको ही नहीं आपके अखबार को कम समय में सत्ता के गलियारों में बहुत ऊँचा उठा दिया था ।हर बड़ी शख्सियत आपके अखबार की कवरेज चाहती थी । मेरे सेन्स आफ ह्यूमर से सभी प्रभावित थे । "

" तुम्हारी काबलियत को वो सारी सहूलतें भी दी गईं थी ,जो तुम चाहती थी । तुम्हें पूरी इज्जत और शोहरत मिली थी ।"

" वो इज्जत तो कागजों में सिमट कर रह गयी बाद में जब आपकी नजरें , उस सीमा महाजन पर मेहरबान हो गयीं जो किसी लोकल अखबार के काबिल भी नहीं थी । "

" तुम्हें दिया तो था सब एडिटर का दर्जा ? "

" आप जानते हैं , वो दर्जा मुझे कैसे मिला था ! आपकी बेहद करीबी पार करने के बाद ही न ! "

" उन सब बातों में तुम्हारी रजा - मंदी थी । वे हसीन पल हम दोनों के थे हर बार तुम भी मेरा शुक्रिया अदा करतीं थी ।इतने सालों बाद तुम्हें ये सब बातें नहीं दोहरानी चाहिए . पेशा बदनाम होगा । अच्छा होगा कि वो गढ़े मुर्दे , न उखाड़ें जाएँ । "

" विजय साहब , जिंदगी में होने वाली बहुत सी घटनाएं सिर्फ हादसे नहीं होते , वो घटते हैं तो हमारे अंदर बहुत गहरे छप जाते हैं । । हम चाहकर भी उन्हें भूल नहीं पाते । "

" इतने साल बाद इन बातों का क्या मतलब है ? "

" मैं जानना चाहती हूँ कि सीमा महाजन को आपने मुझ पर तरजीह क्यों दी ? "

" छोड़ कर जाने का फैसला तुम्हारा था तबस्सुम ! तुम खुद विदेशी मिडिया से जुड़ना चाहती थीं ।"

" मैं सीमा महाजन की जूनियर केपेसिटी में रह लेती , यही चाहते थे न आप ? "

" लम्बी पारी के लिए कभी - कभी रक्षात्मक होना पड़ता है , यह धैर्य तुम नहीं रख पायीं । यह मेरी गलती नहीं है । "

" ठीक है , आप अड़े रहिये । मैं कल दस बजे प्रेस - कांफ्रेंस बुला रही हूँ और इस बार मुझसे कोई गलती नहीं होगी । "

तबस्सुम ने फोन रख दिया ।

अगले दिन के ग्यारह बजे उन्हें मंत्री पद की शपथ लेनी थी । तबस्सुम रहमान की पत्रकारिता पर अगर उसकी औरत हावी हो गयी तो उनकी पत्रकारिता से राजनीती के सारे सफर पर ग्रहण लग सकता है। गहन सोच - विचार के बाद सीमा महाजन को सक्रिय कर दिया गया ।

" हेलो , तबस्सुम ! मैं सीमा बोल रही हूँ , सीमा महाजन । पहचाना ? "

" हेलो सीमा , भला तुम्हें नहीं पहचानूंगीं ? तुम तो मेरी सबसे मुखर प्रशंसक रही हो , क्या तुम्हें भूल सकती हूँ ? तुम्हारी वजह से ही तो मैं विदेश चली गयी थी । "

" गिले - शिकवे छोड़ न यार , एक खास ऑफर है तेरे लिए , सर की काबलियत को मंत्री पद मिल रहा है , उसमें उन्होंने तेरे लिए विशेष अधिकारी का पद सृजित किया है , मोटी पगार ही नहीं , भरपूर पैकेज के साथ । "

अगले दिन नियत समय पर पांच सितारा होटल में प्रेस कांफ्रेंस हुई । पत्रकार इकट्ठे हुए । उन्हें मोटे तोहफे दिए गए और साथ ही नए मंत्री महोदय की निजी सचिव सीमा महाजन की ओर से ये सूचना वितरित कर दी गयी , " पत्रकारिता के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय अनुभवो की धनी पत्रकार मैडम तबस्सुम रहमान को विदेश में देश का सांस्कृतिक सचिव नियुक्त किया गया है ।"

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सुरेंद्र कुमार अरोड़ा

( मो . 9911127277 )