CHAPPAL WALA DUDH books and stories free download online pdf in Hindi

चप्पल वाला दुध

रमेश को बहुत आश्चर्य हुआ।मोन उसके हाथ में चप्पल पकड़ा रहा था। रमेश ने लेने से मना किया तो मोनू रोने लगा। रमेश के मामा ने समझाया, भाई हाथ में पकड़ लो, वरना मोनू दुध नहीं पियेगा। रमेश ने चप्पल हाथ में ले लिया। फिर मोनू एक एक करके मामा , फिर मामी के हाथ में चप्पल पकड़ाते गया। जब सबके हाथ में चप्पल आ गया, तब रमेश की मामी मोनू को एक ग्लास दुध थमा दी। अब तीनों लोग हाथ में चप्पल लेकर खड़े हो गए और मोनू धीरे धीरे दुध पीने लगा। रमेश को समझ नहीं आया, आखिर ये हो क्या रहा है? फिर मामा ने सारी बात समझाई।


रमेश दिल्ली विश्वविद्यालय में कॉमर्स की पढ़ाई कर रहा था। लक्ष्मी नगर में होस्टल में रह रहा था और साथ साथ कंपनी सेक्रेटरी की भी तैयारी कर रहा था। उसके मामा नोएडा में एक प्राइवेट कंपनी में अकॉउंटेन्ट का काम करते थे। मामा नोएडा में अकेले हीं रहते थे। मामी गाँव मे रहती थी। उनका चार साल का बेटा मोनू बहुत नटखट था। उसपर से सैलरी काम थी। इसलिए मामा नोएडा में अकेले हीं रहते थे। इधर रमेश का मन कभी कभी उदास हो जाता तो मामा के पास चला जाता। इससे उसका मन हल्का हो जाता।


इस बार मामा की सैलरी बढ़ गयी थी। सो मामी को गाँव से बुला लिए।साथ मे मोनू भी पहुंच गया। इस बार दीवाली में मोनू मामा के पास गया। मोनू की शरारतें उसे बहुत भायी। मोनू अपनी तोतली आवाज में हीं सबकी नाकों में दम कर देता। कहाँ गाँव में वो बड़े बड़े मकानों में रहने का आदी था। तितलियों के पीछे भगता। कभी चिड़ियों की आवाज सुनता। कहाँ फ्लैट में आकर बंद हो गया था। आसमान की आदि चिड़िया को सोने के पिंजड़े कहाँ भाते हैं? वो बार बार बाहर बॉलकोनी में जाने की जिद करता पर मामी मना कर देती।


दीवाली में मामी ने रमेश का मनपसंद लिट्टी चोखा, और धनिया का चटनी बनाया था। साथ मे टमाटर और मूली का सलाद भी। जब सब खाने को बैठे, तो मोनू जोर जोर से रोने लगा। पूछने पर बोला, ओआ ,ओआ(यानि कि शौच लगी है)। मामा खाना छोड़कर उसको शौच कराने के लिए बाहर निकले। थोड़ी देर बाद उसको चप्पल से धमकाते हुए लाए। बोले ये बाहर बॉलकोनी की तरफ भाग रहा था। शौच का बहाना कर रहा था। डाँट खाने के बाद मोनू चुप बैठा रहा।


रमेश अपने मामा के साथ लिट्टी चोखा खाने लगा। अचानक मोनू ने खाने की थाली में पेशाब कर दिया। फिर बोला, ओ दया(यानि कि हो गया)। मोनू ने अपना बदला ले लिया था। मामा ने उसकी चप्पल से जमकर कुटाई की। थोड़ी देर बाद जब मामी मोनू को दूध पिलाने की कोशिश की, तो वो आना कानी करने लगा। मजबूरन सबको चप्पल दिखाना पड़ा। चप्पल के डर से मोनू दूध सटासट पी गया।


इस घटना के गुजरे लगभग चार महीने हो गए थे। रमेश होली के मौके पर मामा के पास गया था। तब उसने ये घटना देखी थी। मामा ने समझाया कि पिछली बार चप्पल की कुटाई के बाद से मोनू ने ये नियम बना लिया है। जब तक सारे लोगो के हाथ मे चप्पल ना हो, मोनू दूध पीता हीं नहीं। यही कारण है वो सबके हाथों में चप्पल पकड़ा रहा है। सारे लोग ठहाके मार मार के हंस रहे थे। सबके हाथ में चप्पल थे। मोनू भी ठहाके लगा कर दुघ पी रहा था। चप्पल वाले दुध का लुत्फ सारे उठा रहे थे। मोनू भी।


अजय अमिताभ सुमन
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