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अच्छाईयां – १२

भाग – १२

अब तक आपने देखा की....

सूरज को फुटपाथ से नई जिन्दगी देनेवाले उनके दादाजी दीनानाथ भी उनसे नफ़रत करने लगे थे | संगीत की विश्व की प्रतियोगितामे फर्स्ट होने के बाद उनको ड्रग्स सप्लाय में पाच साल केद हुई थी | उनका अतीत आज भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था | वो फिर फुटपाथ पे आ गया वहा उनकी मुलाक़ात छोटू और फिर गुलाब जामुन से हुई और उनकी जिंदगी के कई सवाल खड़े हो गए......

अब आगे....

सरगम को निंद नहीं आ रही थी | दादाजी भी आज बैचेन थे | वो आज की कोलेज की बात कहना चाहते थे मगर रुक गए थे | सरगमने देखा की सुगम सो गई है | वे धीरे से अलमारी के पास गई और उस मोती की माला को बहार निकाला | उसने उसे अपने गले पर लगाया और वो पूराने दिन याद करने लगी |

कोलेज की संगीत प्रतियोगिता में वर्ल्ड चेम्पियन बनाने के बाद सरगमने सूरज को प्यार का इजहार करना भी चाहा था मगर उस भीड़में वो कह नहीं पाई थी | सूरज जब वापस आएगा तो उसे कहेगी की वो भी उनसे प्यार करती है | उस वक्त मैं बेसब्री से इंतज़ार करती थी, मगर सूरज ड्रग्स सप्लाय में पकड़ा गया, उसकी रूम से भी ड्रग्स पकड़ा गया तो हमारा विश्वास टूट गया |

मुझे सफ़ेद मोती पसंद है इसलिए वो ये मेरे लिए ही लाया होगा | मगर वो मुझे मिले बिना क्यों चला गया ? सालो पहले सूरज को मिलने की कोशिश की थी मगर उस देशमें नारकोटिक्स डिपार्टमेंटने सूरज को मिलना भी नामंजूर कर दिया था | यदि वो मिल भी जाती तो क्या करती ? वहां ड्रग्स के कायदे इतने सख्त थे की सरगम चाहती तो भी कुछ नहीं कर शकती |

ये दो दिन सरगम शहर गई थी, वो भी दादाजी को सच बताये बिना | सरगम को पता था की यदि वो दादाजी को सच्ची बात कहेगी तो वो भी मुझे जाने नहीं देंगे और नाराज भी हो जायेंगे |

‘सूरज चार दिन के बाद मुंबई इस फ्लाईट से आनेवाला है’ ऐसी एक बेनाम चिठ्ठी कोलेजमें कोई लड़का उसको दे गया था | उसमे ये भी लिखा था की सूरज का ध्यान रखना और वो आते ही तुम्हे मिलेगा और उसकी जान को खतरा है...| ये पढ़ के वो खुद उनसे मिलने चली गई |

दादाजी को बिना बताए वो अकेली सूरज को मिलने और सच्ची बात जानने के लिए वो मुंबई गई थी | दादाजी के पास वे काम का बहाना करके मुंबई के लिए निकली थी | सुगम भी उन्हें जाने नही देना चाहती थी | सरगम चाचाजी की घर रुकी थी | वो सूरज से मिलके पूछना चाहती थी की उसने हम सबके साथ धोखा क्यों किया ? वो पहलीबार झूठ का सहारा लेके अकेली अनजान शहरमें चली गई |

एरपोर्ट पर से पता चला की सूरज उसी फ्लाईट से आया था मगर वो उसे मिल नहीं पाई | कई घंटो वे उसका इंतज़ार करती रही मगर सूरज कही दिखा भी नहीं | पूछताछ विभाग से पता चला की सूरज फ्लाईट में आया है |

मगर कोई अनजान आदमी उसके करीब आया और बोला था की तुम यदि सूरज को लेने आई हो तो वो तुमसे नहीं मिलेगा | कस्टम डिपार्टमेंटवाले उसे तलाशी के लिए ले गए है और वो फिर वहा से उसे पुलिस को सौपनेवाले है | यहाँ भारत की पुलिसमें भी उसकी पूछताछ बाकी है, शायद ड्रग्स की हेराफेरी का मामला है | ये सुनते ही सरगमने उसे पूछना चाहा की वो कौन है और वो उसे क्यूँ बता रहा है ? मगर वो तेजी से निकल गया | सरगम कस्टम डिपार्टमेंट में गई थी और वहा पूछताछ भी की मगर वहा उसे कुछ भी बताने से इनकार किया |

अब उसके पास वापस लोटने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था उनकी दो दिन के बाद रिटर्न टिकट थी और वो जब वापस आई तो सूरज कोलेज आके भी निकल गया था |

सरगम अभी आईने के सामने बैठी थी | उसने मोती की माला वापस रख दी | कोलेज में बेनाम चिठ्ठी को भेजना, उस चिठ्ठी में उसकी जान को खतरा है ऐसा लिखना, एरपोर्ट पर अनजान आदमी के द्वारा सूरज की बात करना, सूरज का कोलेज आना और बदमाशो के साथ हाथापाई होना... ये सब से तो यही लग रहा था की सूरज अभी भी ड्रग्स के सप्लाय करता है या वो उससे जुडा हुआ है |

जब तक सूरज नहीं मिलेगा तब तक इन सारे सवालों के जवाब मिलना मुश्किल है |

सरगम अब बिस्तर पर लेटी और सूरज को याद करते करते सो गई |

दूसरी और सूरज भी फूटपाथ के एक कोने में अपनी रात बीता रहा था | वो चाहता तो गुलाबो के घर भी रुक शकता था मगर उसे वो पसंद नहीं था | गुलाबो के साथ रहेने से अच्छा है की वो फूटपाथ पर सोये |

मगर वो भी सोच रहा था की मेरी जिंदगी के कई सारे सच है जो गुलाबो जानती है और मुझे उसे मिलाना तो पडेगा ही |

सूरज और सरगम दोनों की आँखों में निंद थी मगर साथ कई सारे सवाल भी खड़े थे, जिसके जवाब दोनों को चाहिए थे मगर दोनों अनजान थे की ये जवाब वे ढूँढ पायेंगे के नही |

क्रमश: