Adhuri havas - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

अधूरी हवस - 3

 राज अपने अतीत के पन्ने खोलता हे मिताली के सामने ओर मिताली को भी बड़ी उत्सुकता होती ही जानने की अखिर ऎसा क्या राज हे राज की लाइफ मे जो लोग उसे हवस का पुजारी मानते हे, पर राज मे अकेला जिम्मेदार नहीं हु कुछ कमाल तो आप मोहतरमाओ का भी हे कहे रहा था तो जानते हे आगे की कहानी राज ओर मिताली की

राज ने कहा हर बार भंवरे पर ही क्यो हाथ उठाया जाता है, फुलो को मासूमियत से ही देखा जाता है, दोष फूल का होता हे फिरभी दगा बाज भँवरे ही हुवा, एक कली को फूल बनाने मे भंवरा अपने अंदर का पूरा प्राण वायु भर देता है फूल के अंदर तब वो परिपक्व होता है ओर उसमे महक आती है, ओर जेसे ही महेक आती हे तो उसे माली तोड़ के प्रभु के चरणों मे या उसके गले का हार बना देता है,पर भंवरे को क्या मिला जुदाई ना उसका प्रेम परिपक्व हुवा तो छीन लिया माली द्वारा या कोई प्रेमी उगल के प्यार का प्रतीक बना, किसीके माथे का गज़रा बना, लेकिन भंवरा तो उस फूल की तलाश मे हर फूल को अपना प्राण वायु देता हे कि उस फूल की महक जो उसके आत्मा मे बसी हे वोह मिले पर हर फूल की अलग ही खुश्बू उभरती हे ओर वोह पहेले फूल की खुसबू का मेल नहीं होता, फिर भंवरे को फूल का रस निचोड़ ने का दोषी मानते हैं,

मिताली ने कहा ये क्या फूल भंवरा लगा रखा है जो बात हे सीधे तरीके से बतावो ऎसे घुमा के मुजे समज नहीं आता.

मतलब मेने किसी का दिल नहीं दिखाया, या ना तो किसीके साथ फरेब किया, हम पर ही उंगली उठाई जाती हे, लड़किया को तो मासूम का किताब मे लपेट कर ही इस जहा मे उतारा गया है,

मतलब तुम ये कहते हो कि गलत आपके साथ हुवा हे, तुम ने किसीसे कुछ गलत नहीं किया?

हा यही हकीकत हे, जरूरी तो नहीं जो दिखे वोही सच हो, हर कोई एक ही नाजुक पहेलु
को ही देखते हैं, ओर साथ भी उनका ही देते हैं

अच्छा हे अपने दोशो का पोटला किसी ओर पे लाद दो ओर हम बेफिक्र हो जाए मिताली जरा ऊंचा आवाज करके बोली,

आखिर कर तुम भी लड़की हो तो अपनी ही नात के पल्ले मे बेठौगी ना, खेर जो भी हो पर ये सुनलो बाद तुम जो सोचो मुजे कोई परवा नहीं,

ठीक है बको क्या बकना चाहते हो.

छह साल पहले की बात है,
हमारे इलाके मे जो भोले बाबा का बड़ा मंदिर हे ना वहा मेरी ओर खुशी की मुलाकात हुई थी, तब तो मे नाम नहीं जानता था पर उसे देखते ही कुछ अलग ही कस्मकश मच गई, सफेद सलवार मे जेसे कोई मोरनी ठुमक
के चल रही हो, हिरनी जेसी आँखे, सेब जेसे होठ

बस बस जो भी हो मुजे वोह नहीं जान ना आगे बतावो

बता तो रहा हू, फिर मेने उसका पीछा किया

वही तो काम हे आपका

अब चुप भी रहोगी या फोन काट दु

ओके बाबा नहीं बीच मे टोकूँगी

मेने  उसके घर तक पीछा किया, इसने भी ये बात नोटिस की के मे उसका पीछा कर रहा हूं, ओर ए एक हफ्ता चला, फिर मुजसे रहा नहीं गया तो सीधे बात ही कर ली,

तुम्हारा मोबाइल नंबर मिलेगा क्या?
क्यू?
बात करनी हे.
क्या बात करनी है?
हे कुछ जरूरी.
पर मुजे नहीं करनी
बस एक बार बात करलो फिर चाहो तो कभी मत करना मुजसे बात
अच्छा तो बतावो क्या बात करनी हे मेरे पास टाइम नहीं है,
अरे यहा?
तो कहा?
तुम अपना मोबाईल नंबर देदो मे फोन पे बात कहदूँगा
मे मोबाइल नहीं रखती
ठीक है तो मेरा नमबर देता हु तुम कॉल तो करोगी ना?
सोउचुंगी
ओर तुम्हारा नाम तो बतावो
खुशी इतना बता के वोह निकल पड़ी
ओर मे उसके फोन का इंतज़ार करने लगा.

मिताली : बस येही तो तुम काम बचता है तुम लड़ाको का काम धंधा तो करते नहीं ओर बाप के पेसो पे एस करते रहेते हो.

ओ हेलो मे अपने पेरो पे खुद खड़ा हुवा हू
कभी पिताजी से खर्चे के लिए भी नहीं मांगा कि नहीं धंधे के लिए सब अपने दम पर किया मेरी शादी भी मेरे ही दम पर कि थी, पढ़ाई के बाद पिताजी पे बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए ए फेसला किया था.

चलो तुम मे एक बात तो अच्छी दिखाई दी
आगे बतावो ओर दूसरी बात के जो बात बता रहे हो जरा शॉर्ट मे बतावो मेरे उनका फोन आने वाला है सो प्लीज़ फास्ट.

दो दिन बाद उसका pco से कॉल आया
ऎसा एक विक चला फिर कही मिलने को मेने कहा तो वोह रेडी हो गई हम लॉन्ग ड्राइव पर गए ओर ढेरो बाते हुई हमारे बीच फिर ए सिलसिला तो चला जब वक्त मिलता बस कभी बगीचे, रेस्टोरेंट, मूवी, बीच हाथो मे हाथ डालके घुमा करते थे, एक दिन उसने मुजे उसके घर खाने पे बुलाया वोह घर पर अकेली ही थी तो मे भी चला गया, बड़े प्यार से उसने अपने हाथो से मुजे खाना खिलाया
फिर उसका बेडरूम दिखाने ले गई, फिर नजाने कब हम एक दूसरे मे खो गए ओर अपनी सीमा ये लांघ दी ओर हम दो मे से एक हो गए,

वहा से निकल ने के बाद मुजे ये फील हुवा ये अभी नहीं होना चाहिए था, कल खुशी को मे बता दूंगा जो हुवा अब दुबारा नहीं होंगा जो होंगा वोह अब शादी के बाद होगा.

ए बात मेने खुशी का नहीं बताई थी कि मे तुमसे शादी करना चाहता हू, पर अब तय कर लिया था ये बताने का,

दूसरे दिन जब खुशी का फोन आया तो अगले दिन के किस्से को याद करते मे बात कर ही रहा था कि खुशी ने बीच मे ही टोकते हुवे कहा, जो हुवा दोनों की मर्जी से हुवा तुम ज्यादा मत सोचो
फिर हमारी मुलाकातें ज्यादा होने लगी, पर मुलाकातों मे बातो से ज्यादा एक दूसरो को भोग ने में ही चला जाता था मुजे अजीब भी लगता था, पर एक तरफ से शिकायत भी नहीं हो रही थी खुशी से शायद प्यार करने के येही तरीके होंगे, कही पढ़ा था कि लड़की तभी अपने आप को समर्पित करती हे जिसे वोह सबसे ज्यादा प्यार करती है, पर मुजे ये नहीं पता था कि ये खुशी के पास से मिल रहा प्यार बस चंद दिनो का ही हे,

मिताली : मतलब क्यो चंद दिनो का ही इतना सब कुछ हुवा तुम दोनों के बीच सारी हदें पार कर दी ओर वो भी शादी से पहेले, ऎसा क्या हुवा?

एक दिन हम होटल रूम से जब बहार निकले तो खुशी ने कहा चलो कही पार्क मे जाते हैं,
मुजे अजीब लगा करीब दो महीने बाद खुशी ने कही पार्क मे जाने को कहा वर्ना तो हर बार होटल रूम मे ही वक्त पूरा करते थे

मिलाती :तुम्हें तो वही चाहिए था जो मिल रहा था खुशी के पास से.

नहीं मेने खुशी के साथ पूरी जिंदगी बिता ने का फेसला कर लिया था एक सही वक्त देख कर उसे बताने वाला था, ओर जानना चाहता था कि क्या खुशी भी येही चाहती है,
ओर उसकी हा मिले तो मे अपने परिवार मे
खुशी के बारे में बताने वाला था पर वोह खाली बात ही रह गई.

मिताली :क्यू ऎसा क्या हो गया?

खुशी ने पार्क मे जाने का दिल था तो हम दोनों पार्क मे गए पूरा पार्क खाली था हम दोनों के सिवा कोई नहीं था, खुशी ने मेरा हाथ उसके हाथो मे मेरा हाथ थामते हुवे कहा तुम्हारा स्थान मेरी लाइफ मे उपर वाले से कम नहीं, मेरे सपनो को तुम ने साकार किए हे, तुम मेरी रूह हो ओर मे भी तुमसे अपनी जान से भी ज्यादा चाहती हू, मुजसे कभी कोई गलती हो जाए तो माफ करना पर कभी मुजसे नफरत मत करना

मे खुशी की आंखो मे सचाई पढ़ पा रहा था
मेरी आँखों मे आँखे डालके बात कर रही थी
बाते करते करते वोह रो पडी बिल्कुल छोटी बच्चि की तरह ओर जोर से सीने से लग गई
मुजे लगा ज्यादा भावुक हो गई है, कुछ बात होगी जो वोह कहना चाहाती हो पर कही नहीं जा रही शायद थोड़ा दिल हल्का करने के बाद बताएगी ऎसा मान के रोने दिया,
फिर अचानक से चुप हो गई ओर चल ने को बोली हम चल पड़े पूरे रास्ते मे वहो चुप रही
मेरी पीठ पे अपना सर रख कर सोती रही
जब उसका घर आया तो जगाया तब जागी वोह उसने पहेली बार मुजे कहा तुम जावो पहेले मे खड़ी हु जब तक तुम दिखते बँध नहीं होते, अजीब सा बर्ताव कर रही थी, पर प्यार भी बरसा रही थी बाई कहे के मे निकल गया गली के मोड़ तक मे पलट के देखा तो वोह अपना हाथ उठाके मुजे बाइ बाइ कर रही थी, पगली हो गई हे मन ही मन बोल दिया,

मुजे नहीं पता था कि वोह मुजे आखरी बार अलविदा कर रही है, नहीं पता था कि अब हमारी मुलाकात नहीं होने वाली, नहीं पता था उसने हमेशा के लिए अलविदा कर रही है, वोह गायब ही हो गई.

मिलाती :मतलब फिर वोह मिली नहीं, क्यू?
ओर एसी क्या बात हुई जो बिना कुछ कहे?

उस वक्त मुजे कुछ पता नहीं था बस वोह जा चुकी थी......

.... क्रमश

एसी क्या बात हुई जो राज ओर खुशी अलग हो गए क्या मिताली को उसके सवालो के जवाब मिलेंगे? 


मेरी लिखी कहानी मे आप कुछ राय देना चाहते हैं तो जरूर दे ताकि मुजे आगे की कहानी लिखने मे सुधार करने का पता चले

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