adhuri havas - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

अधूरी हवस - 5

राज को पता चलता है कि खुशी पहेले से ही शादी शुदा है तो, राज के पेर तले से जमीन खिसक जाती है, जेसे किसीने उसका कत्ल कर दिया हो वैसी स्थिति हो जाती है पर जेसे तेसे कर के अपने आप को संभालता है और खुशी की बात सुनता, तो चले आगे बढ़ते हैं कहानी मे राज आखिर क्या फेसला करता है

खुशी : हा तुमने सही सुना मेरी शादी को पूरे ૪ साल हो गये हैं, आकाश के साथ मध्यम परिवार मे मेरी शादी हुई है, बहोत खुश थी मे और आकाश भी वोह मेरा बहोत ही खयाल रखता है मेरी हर खुशी का खयाल रखता है, मुजे कभी महसुस ही नहीं होने दिया के छोटे से घर मे कम आमदनी मे भी कुछ कमी नहीं होने दी,


पर कहते हैं ना कि खुशी जयदा देर नहीं रुकती हर किसी की जिंदगी मे, जेसे में तुम्हारी जिंदगी से कुछ कहे बिना ही चली गई, तुम्हारे पास भी खुशी नहीं रही,वेसे ही छोटे परिवार मे रिश्तेदारों का ज्याद सोचा जाता हे ना कि खुद के घर का, शादी को तीन साल हो गया था पर मे घर मे कोई बच्चा नहीं दे पाई थी,

आकाश ने और मेने कभी इस बारे मे नही सोचा था जब होगा तब होगा करके इश्वर के ऊपर छोड़ दिया था, पर समाज के बनाए गए सवालों को जबाव देना हर किसी को पड़ता है,

कई सवाल शुरू हुवे क्या मे माँ बनने लायक नहीं हू सीधा सवाल मुझ पर ही उठा, फिर वहीं सरकारी हस्पताल का चक्कर काटने का दौर चालू हुवा,कभी ये टेस्ट तो कभी वोह टेस्ट के बहाने हर बार मुजे और मेरे स्वाभिमान को नगा किया,

कभी कोई ढोंगी बाबा के पास धागा करवाने को तो कभी मेरा अभिषेक करने के बहाने कई मठ मे मेरे अस्तित्व को ललकारा गया

फिर भी कुछ नहीं हाथ लगा, तो रोटी से ज्यादा ताने खाने से ही मेरा पेट भर जाता था

राज : तुम्हारा पति आकाश कुछ नहीं कहता था? वोह तो तुम्हें बहोत खुश रखता था बताती थी अभी

खुशी : जब मर्दों की मर्दानगी की बात होती है तो सब वादे बाते छू हो जाती है राज ये शायद तुम महसुस कर पावों या नहीं मुजे नहीं पता पर इतना पता हे मुजे तुम उसकी जगह होते तो कभी मेरे अस्तित्व पे उंगली नहीं उठने देते, तुम दोनों पहलू मे बारीकी से संभालते.

राज :मतलब ?
खुशी : आकाश ने कभी भी अपनी चिकित्सा करवाऊंगा ये बात आपने मुह से नहीं कही

राज :तो तुम तो कहे सकती थी ना तुम्हारे मुह से जुबान कट गई थी क्या?

खुशी :हा कुछ ऎसा ही समज लो, मेरे हर रंग उड़ चुके थे मे दिनों दिन डिप्रेशन मे चली जाती थी, बच्चा करना अब आकाश के लिए एक जंग जितने जेसा था वोह रोज मेरी आत्मा की हत्या करता था , और मुजे ऎसा लगता था कि जेसे गिद्ध मुर्दों को नोचने आते हो, लोगों को तो चहरे पे दाग दिखे तो देखने की फितरत बदल जाती हे, ए तो मेरे दामन पे दाग था उन्होंने लगाया हुवा,

राज :तुम अपने खुद के परिवार को कहें सकती थी तुम्हारी माँ से बात करती, आकाश के साथ की शादी तोड़ देती, कई रास्ते मिलते कोई तो रास्ता अपनाती.

खुशी : हा अपना सकती थी आकाश से अलग हो सकती थी तुम्हारी नजरो से देखे तो, पर मेरी नजर से मेरे लिए सारे दरवाजे बंध थे कोई रास्ता नहीं था, सिर्फ दो रास्ते थे या मौत को गले लगाऊ या जो हो रहा था उसे खामोशी सी से सहु सब कुछ

मेरे खुद के परिवार मे मेरी माँ नहीं हे उसका देहांत हो गया था और मेरे बाद मेरी चार बहने सबको दादी ने पाला, और मे घर जाने का फेसला नहीं कर सकती थी, मेरे घर वापिस जाने से मेरी बहनो की जिंदगी भी दाव पर नहीं लगा सकती थी,

इसी लिए मेने सब महादेव के भरोसे छोड़ दिया और जो होना हो वोह हो जाए जितना ताना सुनना पडे गालियां खानी पडे पर जुबान नहीं खोलुंगी ना किसी के आगे ना महादेव के आगे.

राज : मुजसे मिल ने के बाद मुजे तो बता सकती थी ना क्या मे तुम्हें नहीं अपनाता भरोसा नहीं था तुम्हें.

खुशी :तुम पर भरोसा तो महादेव से भी ज्यादा हे, खुद से ज्यादा यकीन तुम पर हे मुजे, मे तुम्हरी जिंदगी मे तूफान लाना नहीं चाहती थी.

राज : तूफान तो मचा दिया और अब कहती हो नहीं लाना चाहती, बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे क्य़ा खूब बना रही हो तुम ने मुजे ईस्तेमाल किया आपनी बदन की भूख ही मिटाई है, (ये सुनते ही खुशी गुस्से मे आके राज को एक थप्पड लगा देती है)

खुशी : क्या समझते हो आखिर तुम हम औरत को मुजे लगा तुम बात को समझते हो पर तुम भी एसी बाते करोगे ये उम्मीद नहीं थी, ये तुम नहीं तुम्हारे अंदर जो गुस्सा भरा हे एक साल से ये बोल रहा है, वेसे वाजिब भी हे, मेने किया भी हे ऎसा, हाँ तुम्हरी और मेरी मुलाकात हुई तब पहेले तो ये मेने नहीं सोचा था कि तुमसे इस हद तक आगे बढ जाऊँगी, एक हफ्ते तक तो मेने कोई फेसला नहीं किया था, बाद मे मेने ये सोचा कि चलो तुमसे जो जरूरत हे वही रिश्ता बनाया जाए,
और तुम्हें हरि झंडी दे दी, तुम तो मेरे पीछे भागे ही फिरते थे, मुजे मेरी सारी तकलीफो को दूर करने जरिया तुम मे नज़र आया, हाँ ये सच है तुमसे जिस्मानी रिश्ता ही रखना था पर तुम्हारी अच्छाई ने मुजे बदल दिया, तुम्हारा प्यार मेने हर बार महसूस किया, कभी तुमने मुजसे कोई सवाल नहीं कोई शर्त नहीं, बस प्यार ही प्यार ही प्यार दिया,

कई बार मेने सोचा कि तुम्हें सारी हकीकत बता दु पर नहीं बता पाई, कई बार दिल मे ख्याल आया के मे जहा मेरी शादी हुई हे वहा उसके साथ अब नहीं रहना, मुजे तुम्हारे साथ पूरी जिंदगी बिताना हे क्या तुम अपनाओगे, ए बाते मेरे दिल मे ही रहे गई कभी जुबा पर नहीं आई. (खुशी की आंखे कहते कहते नम हो गई थी.)

राज : तुमने कोशिश तो कि होती एक बार थोड़ा भी इशारा तो दे देती. पता तो था तुम्हें मे तुमसे कितना प्यार करता हू.

खुशी : वहीं डर था इसी लिए दिल की बात जुबा पर नहीं आई हर वक्त मेरे शादीशुदा होना मुजे नहीं बताने पे रोके रक्खा था उस वक़्त, और नहीं बताना भी तो सही था, तुम्हारे मेरे परिवार का भी सोचना पड़ता था ना, मे कुँआरी होती तो बात अलग थी, वेसे भी एक शादीशुदा से शादी करके तुम्हारी पूरी दुनिया मे मेरी वजह से तुम्हारा मज़ाक बनना मुजे मंजूर नहीं था, इसी लिए मेने तुम्हें नहीं ब्लकि तुम्हारा हिस्सा चुना, तुम मेरे नहीं हो सकते थे तो तुम्हारा अंश चुना जो मुजसे कोई नहीं छिन सकता मुजसे, जो हर वक़्त मुजसे लिपटा रहेगा,

(बीच मे ही राज ने खुशी को रोकते हुवे कहा)
राज :क्या? एक मिनिट मेरा हिस्सा, मेरा अंश क्या हे ठीक से बताओ मुजे

खुशी : जब हम पहेली बार एक हुवे थे उसके एक बाद मुजे पता चल चुका था कि मे माँ बनने वाली हू, जब ये बात मेने घर पर बताई तो पूरे घर वालो का रवैया बदल गया, ताने मारना बंध हो गया, फिरसे मुजे वोह पहेले वाला सम्मान मिलने लगा था, पर मे खुश नहीं थी, ये सोच कर जिसके कारण मे के स्त्री होने का सुख मुजे मिल रहा है उसको मुजे छोड़ ना होगा और वोह भी कई बाते उससे छुपाये हुवे, ये सब मे केसे कर पाऊँगी
तुम साथ थे मेरे पर मे अकेली हो गई थी मे
घुट घुट कर मर रही थी अंदर ही अंदर, तुमको सब बता देती तो तुम जमी आसमा एक कर के तुम मुजे माना लेते और मे आखिर कर मान भी जाती तुम्हें मना नहीं पाती, इसीलिये मेने तुमको कुछ भी नहीं बताने का फेसला किया और तुमसे दूर जाने का रास्ता चुना कई बार आखिरी मुलाकात समज के तुमसे मिलने आई पर तुमसे दूर जाना भी मुजे मंजूर नहीं था, नहीं हो पाता था,

आखिरी बार हम होटल से बाहर निकलने के बाद हम पार्क मे बेठे तो उस वक़्त मे ज्यादा बैठती तुम्हारे साथ सब बता देती इस लिए तुम पूछ रहे पर तुम्हारी कोई भी बात का जबाव दिए बिना ही जाना सही समजा मूड कर देखती तो नहीं जा पाती,

कई रात सोई नहीं तुम्हें याद किए बिना
पूरी रात खामोशी मे रोते रोते गुजर तो जाती
पर तुम्हारा कंधा मुजे नहीं मिलने वाला ये मुजे पता था मेरे आंसू पोछने तुम्हारे हाथ को ही मेने अपने हाथो से ही तो दूर किया था

ये तुम्हारा अंश हे राज इसकी रागों मे तुम्हारा खून दोड़ रहा हे, तुम्हारे और मेरे प्यार की निशानी हे,
(ये बात सुनकर राज मानो पत्थर जेसे हो गया जेसे कोई पुतला हो)

थोड़ी देर के लिए तो खुशी की आवाज भी सुनाई देना बंध हो गई थी, जाम खुशी ने राज को हाथ लगाया तब जाके वो होश मे आया

राज : खुशी के सामने देखते हुवे कहा तुमने बहोत बड़ी गलती की ही तुमको ऎसा नहीं करना चाहिए था

खुशी :हा मेने गलती की तुमसे प्यार कर बेठि गलती की सच्चा कर बेठि और खुद से ज्यादा कर बेठि, माफ करना मुजे तुमसे मुहोबत नहीं करनी चाहिए थी मुजे, हर उस पल के लिए जो हमने साथ बिताए, अच्छा हुवा हमारी मुलाकात हो गई वर्ना ये बोझ लेके ही मुजे जीना पड़ता, मोत के वक्त भी ये बात मुजे परेशान करती के तुमसे मिलके माफी भी नहीं मांग पायी अब जाके चेन से मर सकूंगी (राज ने एक थप्पड़ खुशी को लगा दी और गले लगा लिया)

खुशी बहोत रोई राज को लिपट कर , जेसे तेसे दोनों शांत हुवे फिर राज ने उसके बच्चे को गोद मे उठाया सीने से भी लगाया गले से चेन निकल कर उसके गले मे डाल दी
राज :खुशी इसका नाम क्या रखा हे?
खुशी : जो तुम्हारी बुआ ने तुम्हारा रखा है वहीं हस्ते हुवे बोली
राज :क्या?
खुशी :हा सही सुना एसे नहीं तो एसे मेने तुम्हारे साथ रहना का फेसला जो किया था मेने, और हाँ मुजे तुमसे एक वादा चाहिए

राज : वादा दिया तुमको बोलो क्या चाहिए?

खुशी : हम आज के बाद कभी नहीं मिलेंगे तुम मुजे तुम्हारे दिए अंश के साथ जीने दोगे
तुम अपने आप को कभी हानि नहीं करोगे
तुम अच्छी लड़की देख शादी कर लोगे,

इतना सुनते ही राज ने खुशी और बच्चे के माथे को चूमा और एक भी लफ्ज कहे बिना वहा से चलाता बना