Bete ghar kab aaonge books and stories free download online pdf in Hindi

बेटे घर कब आओगे

आज - कल खुश कम और परेशान इंसान ज्यादा दिखते हैं, जबकि आज के समय में हर कोई कामयाब है और अच्छा पैसा कमा रहा है। फिर ऐसा क्या है ? कि इंसान के पास सब कुछ होते हुए भी वह दुखी रहता है इसकी बहुत सारी वजह हो सकती हैं, उनमे से एक वजह जिसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया आज मैं उसे आपके लिए एक कहानी के रूप में लिख हूँ;ध्यान से समझना अच्छी लगे तो शेयर करना।

बेटे घर कब आओगे

राम निवास। 7 अगस्त 2018


रोहन एक कंपनी का मालिक है, उसके पास अच्छा पैसा है; अच्छी लाइफ - स्टाइल है। फिर भी जब वह ऑफिस आता है, तो उसके चेहरे पर उदासी देखने को जरूर मिलती वह बहुत परेशान दिखता है। कंपनी का कोई भी कर्मचारी रोहन की इस परेशानी की वजह नहीं जानता क्योकि वह किसी से ज्यादा बात ही नहीं करता। रोहन इतना दुखी क्यों है ? क्या वह वजह जो उसे इतना परेशान करती है, की उसकी झलक उसके चेहरे पर उतर आती है। यह सब सवाल हैं जो आज - तक सवाल ही बनके रहेगे। आज 20 जनवरी 2010 है आज ऑफिस का माहौल कुछ बदला - बदला सा लग रहा है लगता है, कोई कार्यक्रम है जानने पर पता चला कि दीपक नाम एक नया एम्प्लॉई कंपनी में काम करने आया है वह कंपनी में सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर काम करेगा। इसीलिए दीपक ने ऑफिस के सभी कर्मचारियों को ऑफिस में ही पार्टी दी है, दीपक को आते ही आभास हो गया की उसका बॉस रोहन परेशान रहता है। दीपक ने एक प्लान बनाया की क्यों न बॉस को आज रात एक डिनर पार्टी दी जाये जिससे उनकी परेशानी की वजह भी जान पाऊंगा और हमारी जॉइनिंग की पार्टी भी हो जाएगी। आपको बता दे की दीपक मिडल क्लास फैमिली से है, वह बहुत मेहनती है और अपने परिवार वालों के साथ रहता है।

दीपक अपने बॉस रोहन के केबिन में गया और कुछ समय बाद मुस्कराते हुए बाहर निकल आया उसे देख के लग रहा था की बॉस पार्टी के लिए मान गए, शाम के 6 बज चुके थे ऑफिस बंद होने के बाद सभी कर्मचारी अपने - अपने घर जा चुके थे। रोहन पार्टी के लिए तैयार हो रहा था, कि तभी घर के किसी कोने से एक कपकपाती आवाज़ आयी बेटा रोहन कहा जा रहे हो यंहा आओ, रोहन बोलता है पापा मैं लेट हो रहा हूँ मुझे पार्टी में जाना है आपसे लौट के आके बात करता हूँ और मुझे रोज का टोकना बंद कर दीजिए अब मैं छोटा बच्चा नहीं रहा बड़ा हो चुका हूँ। यह कपकपाती आवाज़ रोहन के पिता जी की थी, जो लगभग 65 साल के लग रहे थे। रोहन की मां जो आज से पांच साल पहले एक सड़क दुर्धटना का शिकार हो गयीं, तभी से रोहन के पिता जी घर के किसी एक कमरे में अपनी जिंदगी के बचे दिन रोहन की मां की यादों के साहरे बिता रहे हैं क्योकि रोहन अपने पिता से ज्यादा बात नहीं करता और अब तो रोहन ने एक नया घर भी ले लिया। रोहन यह सोच के भी परेशान रहता है कि वह नए घर में अकेले शिफ्ट हो जाए या पिता के साथ उसका मन अकेले शिफ्ट होने का है पर समाज के तानों से डरता की लोग कहेंगे बूढ़े बाप को छोड़ कर अपने आप मजे से रह रहा है आखिर रोहन भी एक इंसान है इतना तो सोचना जरुरी है। रोहन बिना बताये पार्टी के लिए घर से निकल जाता है और अपनी ऑडी 5421 से लगभग आधे घंटे का सफर तय करने बाद रोहन के घर पहुंच जाता है। दीपक को पहले से ही पता है इसीलिए वह पार्टी की सारी तैयारी कर चुका है उसके साथ उसके पापा और उसकी बीबी रहती है मां इस संसार को अलविदा कह चुकी हैं। रोहन डोर वेल बजाता है, दीपक दरवाजा खोलता और रोहन को हैलो बोलते हुए पूछता कैसा रहा सफर कोई परेशानी तो नहीं हुई घर तक आने में; रोहन नहीं ! तो।


रोहन घर के अंदर दाखिल होता है सामने दीपक के पिता खड़े हैं रोहन उनसे नमस्ते करते हुए चरण - स्पर्श करता है दीपक के पिता जी रोहन को सदा खुस रहने का आशीर्वाद देते हैं। दीपक की पिता जी कहते बेटा रोहन टाइम बहुत हो गया चलो पहले डिनर कर ले फिर बैठ के बात करते हैं, सभी लोग डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ते हैं। दीपक की बीबी सबके लिए खाना लगाती है लगभग 40 मिनट बाद सभी लोग खाना खाके फ्री हो जाते हैं। फिर दीपक अपने पिता जो कुछ इशारा करता है उसका इशारा है की रोहन के साथ अकेले में बैठ कर उसकी परेशानी का कारण पूछिए। दीपक के पिता रोहन को लेकर घर से बाहर बने गार्डन में टहलने चले जाते हैं, दीपक के पिता जी रोहन से कहते बेटा अगर तुमसे कुछ पूछे तो सच - सच बताओगे; रोहन कहता हाँ अंकल पूछिए।
दीपक कह रहा था की तुम बहुत परेशान रहते है? हमेशा उदास रहते रहे हो बेटा तुम्हारे पास सब कुछ है घर है, महँगी गाड़ी है फिर किस बात की परेशानी, पहले तो दीपक बोलता कुछ नहीं अंकल ! बाद में बहुत पूछने पर कहता है कि अपने पापा की वजह से परेशान रहता है। दीपक के पिता जी बोलते हैं मतलब ! मैं कुछ समझा नहीं। रोहन बोलता है जबसे मां का देहांत हुआ है पापा घर पर ही रहते न कंही जाना और नहीं कंही जाने देना, बात - बात पे टोकना कहा जा रहा है; जरा सभल के जाना। अब आप ही बताएँ मैं क्या छोटा बच्चा रहे गया हूँ और तो और अब मैंने फैसला किया है कि मैं अपने नए घर में अकेले शिफ्ट हो जाऊंगा। दीपक के पिता यह सब सुनकर कहते बेटा यह तुम्हारी परेशानी के कारण नहीं हैं यह तुम्हारी जो सोच है उसकी वहज से तुम परेशान हो इसे बदल दोगे तो तुम हमेशा दीपक की तरह खुश रहने लगो गे। क्या मतलब ! रोहन कहता है, दीपक के पिता जी रोहन को समझाते हुए बोलते जो समझा रहा हूँ ध्यान से समझना।


यह जो आज कल की जनरेशन है वह रिश्ते से ज्यादा अपने काम को अपनी कामयाबी को समझती है जबकि कुछ रिश्तो को निभाने के लिए जज्बातो की जरुरत होती पैसों की नहीं उसी में से एक रिश्ता तुम्हारे और तुम्हारे पिता जी बीच है जिसे पिता और बेटे का रिश्ता कहते हैं। आज तुम्हारे पिता जी लगभग 65 साल के हो गए हैं उनको तुम्हारे साहरे की जरुरत है तुम्हारे नए घर की नहीं। इस उम्र में इकलौता साहरा होती है बीबी पर उनके पास वह भी नहीं रोहन तुम्हारे पिता जी किस कदर अकेले पड़ गए हैं यह महसूस किया तुमने कभी, तुम्हे अपने काम से फुर्सत है। अपना कुछ समय उन्हें दो जिसने तुम्हे यंहा तक पहुंचाने में अपनी पूरी जिंदगी कुर्बान कर दी। महसूस करो जब तुम बिल्कुल अकेले हो और तुम्हारे अपने ही तुम्हारे साथ न हो तो कैसा लगता होगा; रोहन दीपक के पिता की सभी बाते ध्यान से सुन रहा था और उसे अपनी गलती का अहसास भी हो रो रहा था। बेटा जब तुम छोटे रहे होगे तब अगर तुम बिना बातये घर से बाहर जाते होगे तब भी पिता जी ने टोका होगा क्या उस बक्त परेशानी थी कोई परेशानी नहीं फिर आज क्यों ? आज भी तुम उनके लिए उनके वही छोटे बेटे हो वह टोकते नहीं तुम्हारी चिन्ता करते हैं। आज जब तुम्हें उनके साथ रहना चाहिए तब तुम उनसे दूर नए घर में शिफ्ट होना चाहते हो। बेटा दुनिया के किसी कोने में चले जाओ घर जैसा सुख और मां - पिता जैसा प्यार तुम्हे कोई नहीं दे पायेगा और तुम उन्हें खोना चाहते हो उस कामयाबी के लिए जो उनकी वजह से ही मिली हैं। घर जाके उनके साथ बैठो उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाओ; हफ्ते में कभी कबार घुमाने ले जाया करो फिर देखना तुम्हारी सारी खुशियां तुम्हारे पास होंगी। रोहन भावुक हो गया था उसके पास कोई शब्द नहीं थे, शेयर करने के लिए उसको अपने किये पे पच्छ्तावा हो रहा, रोहन की आँखे आँसुंओं से भरी हुयी थी।

रात के बारह बज चुके थे रोहन ने दीपक के पिता से कहा अंकल अब चलना चाहिए बहुत रात हो गयी हैं। रोहन अपनी गाड़ी में जाके बैठ जाता है और गाड़ी स्टार्ट करके अपने घर की ओर चलने लगता है, रोहन की आँखों में आंसू हैं और उसका दिमांग अब उसके कंट्रोल में नहीं है। उसे दीपक के पिता जी की बाते याद आ रही हैं वह सोच रहा अब घर जाके सबसे पहले पापा के पास जाऊंगा उनसे उनकी तबियत के बारे में पूछूँगा और अभी से उनके साथ एक नयी ज़िन्दगी की शुरुआत करूँगा; यह सब सोचते हुए रोहन बहुत भावुक था उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। पर शायद यह आंसू ख़ुशी के थे, वह सोचे जा रहा कि हर संडे को वह पापा के साथ रहेगा कुछ भी हो जाये नए घर में उनके साथ ही शिफ्ट होगा यह सब सोचते - सोचते रोहन का घर आ चुका था उसने गाड़ी पार्क की और अपने पिता के कमरे की ओर बढ़ा ओर कमरे के पास पहुंच के अपने पिता को आवाज़ लगाई पर अंदर से कोई आवाज़ न आने पर वह कमरे के अंदर गया पिता जी बिस्तर पर बिल्कुल सीधे लेटे हुए थे। रोहन उनके नज़दीक गया और उनको पकड़ कर आवाज़ देने लगा जैसे एक छोटा बच्चा अपने मम्मी - पापा को जगाता है ठीक वैसे ही रोहन जगा रहा था, रोहन के बार - बार आवाज़ लगाने पर जब पिता जी नहीं जागे तब रोहन ने पिता के हाथ को थामा जैसे एक छोटा बच्चा पहली बार अपने पिता का हाथ पकड़ता पर आज रोहन ने चलने के लिए नहीं नबज़ देखने के लिए पकड़ा, रोहन के नबज़ पकड़ते ही रोहन की आंखे समुंदर बन चुकी थी। रोहन के पिता हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कहके जा चुके थे। रोहन ने डॉक्टर को फ़ोन किया डॉक्टर आया उसने कहा ई ऍम सॉरी बहुत देर हो गयी रोहन। रोहन एक छोटे बच्चे की तरह पापा से कह था इस नालायक बेटे को माफ़ कर दो और प्लीज एक बार मुझे टोक दो रोहन कहा जा रहा हैं, रोहन के शब्द सुनते ही उसके पिता की आँखों से आँसुंओं की एक आखरी धार निकली शायद रोहन के पिता की आत्मा रोहन के इस प्यार को तरसती रही इसीलिए प्यार पाते ही रो दी। रोहन हमेशा लिए गम के सागर में डूब चुका था उसके दुःख कोई अंत नहीं था अब उसे दीपक के पिता की सारी बातें याद आ रहीं थी और कहते हुए रोता जा रहा था काश अंकल पहले मिले होते। पर अब इन बातों का कोई महत्व नहीं था रोहन के लिए रोहन को जब - जब ये बातें याद आएँगी तब - तब रोहन पच्छ्ताएंगा और अपने पिता को याद करके रोएगा। रोहन अपने पिता जी के साथ नए घर में शिफ्ट हो गया पर जैसे होना चाहिए वैसे नहीं उनकी फोटो के साथ, रोहन के पिता की आत्मा को शांति मिल गयी होगी क्योंकि उनका बेटा रोहन अब घर लौट चुका था।

नोट - दोस्तों मेरा संदेस है उन सभी के लिए जो रोहन की तरह ज़िन्दगी जी रहे हैं कृपया अपने - अपनों को समय दे क्योकि पैसा आता जाता रहता है पर अगर कोई अपना रूठ के दुनिया से दूर चला गया तो वह फिर कभी वापस नहीं आएगा, कहानी अच्छी लगी हो तो शेयर करें हमें अपना comments दे और बताएं आपने इससे क्या समझा; धन्यवाद।