Jin ki Mohbbat - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - भाग 5

ज़ीनत की आंखो में जैसे उसे कुछ ओर ही दिखाई दियाl
उसकी आंखे गुस्से से जैसे लाल हो गई थी ।
ये सब देख रफीक ने सबा को बोलाl
" सबा मुझे घर लेे चलो जल्दी सबा को सब कुछ अजीब सा लगाl
कुछ बुरा होने वाला है..! जैसे कोई मुझे यहां रोक लेगा..! भागो जलदी यहां से घर..! "


भाग 5

सबा रफीक को घर ले आई ,लेकिन रफीक बहुत डरा हुए सा था l जैसे उसने कोई बुरी ताकत देख ली हो जैसे।
ज़ीनत उसी बरगद के झूले पर बैठी हुई थीं l उसे इतना भी होश नहीं की सबा उसे अकेला छोड़ कर चली गईं है।
अभी ज़ीनत अपनी दुनिया में नहीं थी सबा को भी इस बात का ख्याल नहीं रहा कि ज़ीनत अब तक घर नहीं आई ।
रशीद खान ने जब देखा घर आकर तो घर पर ताला लगा था वो नूरी के पास आएं ओर कहा नूरी ज़ीनत घर पर नहीं है तुमने देखा उसे कहा गई है।
नूरी ने बताया वो सबा के साथ गई है भाई जान आप सबा के घर जाकर बुला लाओ ।
रशीद खान सबा के घर गए पता लगा कि ज़ीनत वहा भी नहीं है ।
तभी रफीक बोला l
"सबा ज़ीनत तो वहीं थी ना.. बरगद के पेड़ के पास ..? वो हमरे साथ नहीं आई थी वहां से।'
सबा ने कहा l
"हा में तो भूल ही गई ज़ीनत शायद वहीं होगी ।"
रफीक ने हिम्मत करते हुआ कहा l
"चलिए चच्चाजान हम देख लेते है ज़ीनत को।"
रशीदखान और रफीक दोनो ही पेड़ के पास पुहचे देखा तो ज़ीनत पेड़ के नीचे बे होश पड़ी है।
रशीदखान ने ज़ीनत को आवाज़ देते हुआ कहा l
" बेटा ज़ीनत क्या हुआ?"
"उठो बेटा !"
रशीद खान बहुत घबरा गए थेl
ज़ीनत को होश ही नहीं था कि वो कहा है।
ज़ीनत को रशीदखान और रफीक घर ले आएl नूरी आई उसने ज़ीनत की हालत देखते हुए ज़ीनत को ज़ोर से मुंह पर पानी डाला ।
तभी ज़ीनत एक दम गफलत से बाहर आईl और बोली!
" में यहां कैसे आई सबा ?ओर हम तो झूला झूलने गए थे।"
"मुझे घर कोन लेे आया ? अब्बू में तो झूला झूलने गई थी घर कैसे आ गई?"
अब्बू बोलेl
" बेटा कुछ नहीं तुम्हे चक्कर आया था ! ओर तुम बेहोश होकर गिर गई थी ! हम लोग तुम्हे घर लेे आए! तुम फिक्र ना करो कुछ नहीं हुआ।"
ज़ीनत ये सब सुनकर बोलीl
"रफीक जी आप इस वक़्त मेरे घर पर ?सबा कहा है आपको कोई काम था क्या मुझ से ?
रफीक ज़ीनत का ऐसा रवैया देख कर थोड़ा हैरान था कि मैने ज़ीनत को इतना सब बोला उसके बाद वो मुझसे इतने अच्छे से बात कर रही हैं l
रफीक कुछ समझ नहीं पा रहा थाl वो ज़ीनत से बिना कुछ बोले वहा से चला गया।
रशीदखान थोड़े परेशान थे ज़ीनत की तबियत को लेकर l
नूरी से कहा l
"ज़ीनत के साथ ये सब क्या हो रहा है ?कुछ समझ नहीं आ रहा क्या हुआ है उसे?
नूरी ने हौसला देते हुए बोला l
"भाईजान कुछ नहीं हुआ बस कमजोरी की वजह से उसे ऐसा हो रहा होगा l हमे उसके खाने पीने का ख्याल रखना चाहिए।
रात जब खाना खाकर ज़ीनत ओर उसके अब्बू सो गएl रात करीब 3 बजे ज़ीनत को ऐसा लग जैसे उसके पास में कोई बैठा हो ..! लेकिन उसकी सूरत उसे दिखाई नहीं दे रही थी l ज़ीनत डर से उठने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके सपने में सब कुछ उसे हकीकत होता दिख रहा था।
उसके पास बैठे आदमी ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया l ज़ीनत डर से कलमा पड़ने लगी l ओर चीखने लगी अब्बू अब्बू मुझे बचालो लेकीन उसकी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं दे रही थी।
वो रोते हुए ज़ोर ज़ोर से कलमा पड़ने लगी l पास बैठे शक्स ने उसे कहा ।
तुम्हे क्या लगता है तुम कलमा पढ़ कर मुझे खुद से दूर कर दोगी? में कोई ऐसी चीज नहीं जो डर जाऊ ओर वो खुद भी अयतल कुर्सी का रटने लगा।
जिसे ज़ीनत ओर ज़्यादा डरने लगी l चीखे मरती ज़ीनत ने बहुत कोशिश की अब्बू को बुलाने की अपने हाथ पैर पटकती रही लेकिन कोई उसकी आवाज़ नहीं सुन सकता था।
उस काले लीबास वाले शख्श ने ज़ीनत को बेताहाशा रोता देख कहा l
"तुम मुझसे डरो नहीं में तुम्हे कुछ नहीं होने दुगा l में तुम्हारे साथ ही रहूंगा।"
ये बोल के वो वहां से गायब हो गयाl तभी ज़ीनत की चीखे सुन के रशीदखान घबरा के उसके रूम में आए ।
देखा कि ज़ीनत बिस्तर पे पड़े हुए चीख रही है l उसका पूरा बदन कांप रहा थाl जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो ।
उसकी ऐसी हालत देख रशीदखान ने फैसला किया l
"ज़ीनत को किसी पीर को दिखाना चाहिए।"
सबा ओर रफीक सुबह ज़ीनत के घर आए l उन्होंने बताया की रफीक जा रहा है आज अपने घर ,तो ज़ीनत को मिलने आ गए ।
ज़ीनत अभी ठीक थी उसने दोनों से बहुत अच्छे से बात की ओर कहा रफीक जी आप इतने जल्दी क्यू जा रहे है ओर कुछ दिन रुक जाते ।
ज़ीनत उठी और चाय बनने जाने लगी lसबा ने कहा l
"तू कहा जा रही है ?"
चाय लेने !
सबा ने बोला !
"तू बैठ में चाय बनाती हूं तुम दोनों बाते करो में अभी आई।"
रफीक ज़ीनत का दिवाना हो चुका थाl उसने ज़ीनत की हालत को नजर अंदाज करते हुए फिर से ज़ीनत के करीब आना चाहा l पास बैठ कर कहा l
"ज़ीनत मेरी बात पे गोर करो में सबा से नहीं तुम्हे बेइंतेहा चाहने लगा हूं l तुम हा कर दो में तुम से शादी करना चाहता हूं।"
ज़ीनत बोली l
"आप ये सब क्या बोल रहे है ? आप जानते भी है कुछ दिन में मेरी सगाई होने वाली है?
ओर सबा मेरी बहन है। आपको ज़रा भी शर्म नहीं आई ये सब बोलते हुए?"
रफीक कुछ समझ ना नहीं चाहता है बस उसके सर ज़ीनत की खूबसूरती का बुखार चढ़ा हुआ था।
रफीक ने ज़ीनत को फिर से छुने कि कोशिश की उसने ज़ीनत को कंधे पर हाथ रखना चाहा! उसे जैसे करंट का झटका लगा हो वो ज़ीनत से दूर जा गिरा..! "

क्रमश