Ek Jungle Ek Bhasha books and stories free download online pdf in Hindi

एक जंगल एक भाषा

एक बार जंगल की सत्ता सियारों के हाथ लग गयी। उन्होंने "हुआ-हुआ" की आवाज़ को ही जंगल की राष्ट्रभाषा घोषित करने का निश्चय किया और अंदर ही अंदर जंगल के नियम कानून ताक पर रख कर, घालमेल कर "हुआ-हुआ" कि आवाज़ को ही राष्ट्रभाषा घोषित कर भी दिया क्योंकि पूर्ण बहुमत की सत्ता थी।

अब तो क्या कोयल, क्या कौआ सभी को एक ही भाषा बोलनी थी वो भी हुआ-हुआ। सियारों को छोड़ कर बाकी पूरे जंगल मे हंगामा मच गया कि ये तो सर्वथा अनुचित है। जंगल के कोने कोने से बुद्धिजीवी जानवरों ने विरोध में अपने स्वर उठाये लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार में सुनता कौन है। जंगल की बिकी हुई मीडिया भी सत्ता के गुण गाये जा रही। वह गुड़ खा कर बीमार हुए पशुओं को भी गुड़ के फायदे गिनाए जा रही थी। कुछ जानवरों को उनकी यह चाल समझ भी आ रही थी लेकिन बन्दरों ने जो कि सियारों के पत्तलचाट थे उनको समझाया कि हमारे जंगल में पड़ोसी जंगलों से भी कुछ घुसपैठिए आ गए हैं जिनको जंगल से निकालने के लिए यह फार्मूला ज़रूरी है और इससे जंगल के वास्तविक निवासियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन कौआ, मैना, हाथी, बुलबुल, हिरन, तोता, भालू आदि को पता था कि इनका उद्देश्य सिर्फ सियारों का जंगल बनाने का है। सियारों को जंगल के उज्ज्वल भविष्य और जंगल की एकता, अखण्डता के लिए भयानक खतरा मानते हुए चिंकी गिलहरी ने मन ही मन योजना बना डाली। चिंकी गिलहरी को सभी जानवर बहुत सम्मान देते थे क्योंकि वह उन सभी मे सबसे अधिक बुद्धिमान थी। उसने विदेश से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की थी। चिंकी ने सभी जानवरों से विचार विमर्श करने के बाद सियारों के साथ बातचीत का प्रस्ताव रखा। सियारों ने बातचीत करने के प्रस्ताव पर सहमति जता दी। चिंकी गिलहरी के साथ कालू हाथी, गुड्डू गेंडा, रुनझुन हिरन, चुनमुन चिड़िया और टिल्लू खरगोश भी मीटिंग में शामिल हुए। काफी गहन वार्ता के बाद भी बात न बनती देख चिंकी और उसके साथियों ने सदन से वाक-आउट कर दिया। फिर जंगल की एकता और अखण्डता के इन रखवालों ने सभी पशु-पक्षियों की एक सभा कर डाली जिसमें हर वर्ग के पशु-पक्षियों से उनके प्रतिनिधि आये। जैसे ही इस सभा की भनक सियारों को लगी तो उन्हें ये भरम हुआ कि कहीं ये हमारे खिलाफ षड्यंत्र तो नहीं रचा जा रहा क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत तो आपने भी सुनी होगी। बस फिर क्या था सियारों ने बिना बुद्धि-विवेक से काम लिए असहाय जानवरों और पक्षियों पर हमला कर दिया। इस अचानक हुए हमले से चिंकी, कालू, और टिल्लू थोड़ा सहम गए लेकिन फिर उन लोगों ने बहादुरी और हिम्मत से काम लेते हुए उन सियारों पर जवाबी हमले शुरू कर दिए। कालू हाथी, भोलू भालू, गुड्डू गैंडे और उसके साथियों ने ज़रा सी देर में सभी सियारों को ठिकाने लगा दिया।
इस तरह सभी जानवरों ने जंगल की एकता और अखंडता की रक्षा की। चिंकी गिलहरी ने राजा के पद के लिए एक नाम सुझाया "शेरा"। जो युवा होने केे साथ ही बलशाली तथा विवेेेकशील भी था। सभी नेे सर्वसम्मति से उसे अपना राजा मान लिया और प्रेमपूर्वक रहने लगे।