Kuchh tuta tha.. uska dil books and stories free download online pdf in Hindi

कुछ टूटा था...उसका दिल


क्या हुआ .... आज कहाँ गया तुम्हारा प्यार तुम्हारा विश्वास ? बहुत प्यार करते थे ना तुम मुझसे .... ?? इसी प्यार के लिये तुमने सबसे लड़कर ज़िन्दगी भर के लिये मेरा हाथ थामा था ना ? आज मेरी एक छोटी सी सफलता ने तुम्हारे प्यार को शक और नफरत में बदल दिया । स्वाति ये सब अपने पति रजत से कहना चाहती थी। लेकिन नहीं कह पायी ।


स्वाति आज बहुत खुश थी । नौकरी के एक साल में ही उसे उसकी मेहनत और काबिलियत से प्रमोशन मिल गया । ऑफिस में सबने उसे बधाई दी और पार्टी मांगने लगे । लेकिन उसका मन तो बस जल्दी से जल्दी अपने पति रजत को ये खुशखबरी सुनाने को बेचैन था । वो आफिस टाइम खत्म होने का इंतज़ार कर रही थी । ये बात तो वो फोन पर भी बता सकती थी .... लेकिन उसे रजत के चेहरे की खुशी भी तो देखनी थी ।

घर आकर स्वाति रजत का इंतजार करने लगी । वक्त जल्दी बीत ही नहीं रहा था । थोड़ी देर बाद रजत भी आ गया और स्वाति ने उसके गले लगकर उसे अपने प्रमोशन की बात बतायी ।

लेकिन ये क्या .... अभी जो रजत मुस्कुरा रहा था अब उसके चेहरे के भाव ही बदल गये । वो अचानक से स्वाति पर चीखने लगा । उसने कहा कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि तुम प्रमोशन के लिये इतना नीचे गिर जाओगी । अरे लोगों को तो दो तीन साल में भी प्रमोशन नहीं मिलता ... तुम्हें एक ही साल में कैसे मिल गया । मैं भी तो काम करता हूँ। लेकिन मुझे तो कोई प्रमोशन नहीं मिला । कब से चल रहा है ये सब .....। तुम आगे बढ़ने के लिये अपनी मान मर्यादा से समझौता कर लोगी...मुझे ये नहीं पता था।

रजत के कहे शब्द छलनी कर रहे थे स्वाति को...उसके वजूद को। वो रजत को समझाना चाहती थी....बताना चाहती थी कि 'मैंने बहुत मेहनत की है। मेरी उस मेहनत को देखा है तुमने। रात रात भर तुम भी जागे हो मेरे साथ....। साथ दिया है तुमने मेरा मेरे काम में। फिर आज ये क्या हो गया तुम्हें ।

स्वाति कहना चाहती थी कि मैं एक औरत हूँ तो मेरी सफलता बस मेरी मर्यादा से समझौते का परिणाम है, मेरी मेहनत मेरी काबिलियत कुछ भी नहीं और तुम्हारी सफलता तुम्हारी काबिलियत से । लेकिन वो कुछ भी ना कह सकी ।

शायद एक पति अपनी पत्नी को खुद से आगे बढ़ते नहीं देख पाया। उसका दंभ टूट गया और उसकी हीन भावना ऐसे अमर्यादित शब्दों के रूप में स्वाति के चरित्र पर उंगली उठा रही थी... उसे नीचे गिरा रही थी। जब रजत ने कहा मेरे साथ रहना है तो नौकरी छोड़नी पड़ेगी। बस उसी पल स्वाति ने ये फैसला कर लिया था कि उसे रजत जैसे इंसान के साथ अब नहीं रहना।

और भी बहुत कुछ कहा रजत ने लेकिन स्वाति कुछ भी नहीं सुन पायी। सुनी थी तो बस कुछ टूटने की आवाज़...। कुछ टूटा था......हाँ.....उसका दिल था।

✍? शिल्पी सक्सेना