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किरदार - 1

मुझे नही पता कि मै ये सब क्यूँ लिख रहा हूँ !
लेकिन दिल कह रहा है बस आखिरी बार ...बस एक बार । शायद इसीलिए मरना छोड़कर लिखने बैठ गया ।
जी हाँ , मरना ! मै मरने जा रहा हूँ । पंखे से रस्सी भी बांध रखी है , रूम याद से लॉक कर लिया है और घर पे भी कोई नही है , यूँ कहूँ तो सारी तैयारी हो चुकी है । लेकिन देखो न कमबख्त दिल को पता नही इस वक्त भी न जाने क्यों औऱ किसके लिए लिखने कह रहा है ।तो चलिए शुरू करते है , मेरे पास वक्त भी तो नही है । मेरी जिंदगी आम सी नही रही है बचपन से जैसे कि सभी की होती है , जैसे आप की रही होगी । आज एक नया हिस्सा जुड़ गया ।

दोपहर की कड़ी धूप थी और अप्रैल का महीना मतलब आप समज सकते है । और आज हमारी 12th ट्यूशन क्लासिस का पहला दिन था । मै पहले दिन ही देर से नही जाना चाहता था । लेकिन आप कुछ कर भी नही सकते जब आपके थोड़े कमीने दोस्त भी आपके साथ हो । हमें 3 बजे का वक्त दिया गया था और हमे घर से पैदल जाना था यानी कम से कम आधे घंटे पहले तो निकलना ही था । लेकिन लेकिन लेकिन जब बात जल्दी की आती है तो हमारे ग्रुप का एक बंदा हमेशा देर करता है नाम उसका भौतिक कुकड़िया । हमारी दोस्ती को छह साल होने को आये है लेकिन मुझे नही याद की वो आज तक वक्त से पहले तो दूर कभी टाइम पे भी आया हो । मै तो 2:30 में भी अभी दस मिनट का वक्त बाकी था तब तक तैयार हो गया । नही ... नही पढ़ने का मुझे कुछ ज्यादा शोख नही है लेकिन हाँ मै ये जरूर कह सकता हूँ कि मुझे थोड़ी जल्दी थी जाने की क्योकि में अपनी 10वी क्लास में भी वही जाया करता था ।

मुझे पता था कि सबसे पहले मै ही सोसाइटी के गेट पर पहोचूंगा । फिर भी मैं निकल गया घर से । मैं गेट पर पहोचा और मुझे बस थोड़ा ही वक्त लगा था तब तक मैने देखा कि सामने से बद्री आ रहा था । उसकी आँखें देखकर मैं बता सकता था कि वो सोकर आया है । बद्री का नाम तो वैसे बद्रीश था लेकिन हम सभी बद्री बुलाते थे । बद्री को जाने हुए मुझे महज एक साल हुआ है क्योंकि बस एक साल पहले ही उसने हमारी स्कूल जॉइन की थी । लेकिन कूछ भी कहो मेरी और बद्री की बॉन्डिंग काफी अच्छी थी । हम दोनों मिलकर अच्छे अच्छो का मजाक बनाते थे ।बद्री आकर मेरे पास खड़ा हो गया और कुछ देर बाद देखा तो एनपी आ रहा था । वो बंदा ऐसा था कि वो बस अपनी ही मौज में रहता था चाहे कुछ भी क्यो न हो जाये । एनपी याने की नीरव लेकिन उसको सभी एनपी बुलाए के ज्यादा पसंद था । बद्री की तरह ही मैं एनपी को भी एक साल से ही जानता था । एनपी गाँव से आया था और इसीलिए शायद वो इतना बेफिक्र था । जब भी स्कूल जाते या फिर लौट रहे होते थे तो अक्सर वो गायों के सींग पकड़ लिया करता था , और कभी कभी तो अपने जूते निकालकर उसे हाथ मे लेकर नंगे पांव चलने लगता था । उसे कोई फर्क नही पड़ता था कि लोग उसे देख रहे है । शायद यही उसकी सब से बड़ी ताक़त थी ।

उसने दूर से देखा कि मैं और बद्री खड़े है । हमेशा की तरह उसने हमारे पास आने से पहले च्विंगम खरीदी और हमे दी।

फिर एनपी बात शुरू की ," साहब तो अभी आये नही होंगे , पता नही ये साला अपनी ये आदत कब सुधारेगा ।"

मैने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा ,"मुझे तो लगता है कि ये पैदा भी देर से हुआ होगा इसलिए हमेशा देर से आता है ।"

वैसे हम तीनों में राजू को सबसे पहले से मैं ही जानता था । इसीलिए उसकी देर से आने की इस आदत को सबसे ज्यादा मैंने ही झेला है ।ओह हाँ .... राजू कोई नया किरदार नही है। राजू ही भौतिक कुकड़िया। उसके पापा का नाम राजू भाई था इसलिए सभी उसे राजू बुलाते थे । शायद पाँच मिनट उसका इंतजार करने के बाद वो नजर आया । उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट थी । वो हमारे पास आने की बजाए सीधे चलने लगा मतलब वो समज चुका था कि अब उसकी खैर नही है । फिर हम भी ट्यूशन वाले रास्ते पर चल दिये । हमारे कुछ कहने से पहले ही वो बोला ।

"यार , आँख लग गयी थी , इसलिए देर हो गई । "
मैने आँख दिखाते हुए उसकी ओर देखा वो तिरछी नजर से मेरे सामने देख रहा था और हँस रहा था ।फिर मैंने भी जोर से उसकी पीठ पर एक मुक्का मारा जो कि उसके मिलने पर हमेशा मैं मारता हूँ । वो चुपचाप खा लेता है और एक दो गाली भी दे देता है । फिर चलते चलते वो ट्यूशन के बारे में बात करने लगे और मैं चुपचाप सुन रहा था क्योंकि वो 11वी में भी उसी जगह पढ़ने जाते थे । वो सब सारे टीचर्स की बाते कर रहे थे और उस साल उन सबने क्या क्या कांड किये वो सब मुझे बता रहे थे जो कि शायद वो यह सब कई बार बता चुके थे । लेकिन मैं फिर भी सुनता रहा । थोड़ी देर में हम हमारी मंजिल तक पहोच गए । काफी स्टूडेंट्स नीचे बैठे हुए थे । उन में से काफी लोगो को मै पहले से ही जानता था और बाकी को पहली बार देखा था । तब शायद मैं नही बता सकता था कि ये सभी लोग मेरे इस साल को कितना बेहतर बनाएंगे और मुझे जिंदगी में कितनी यादो के साथ विदा करेंगे ।थोड़ी देर बाद खड़ा रहने के बाद एक मोटे से आदमी ने लगभग तीसरी मंजिल से ताली बजाते हुए आवाज लगाई। मैंने ऊपर देखा और इस आदमी को मैं पहले से जानता था । उनका नाम एसपी सर था । एसपी याने की शैलेश इटालिया । लेकिन वो एसपी के नाम से ही मशहुर थे ।

फिर हम सभी लोग ऊपर क्लास में गए और अपनी अपनी जगह ली । राजू , बद्री और एनपी थोड़ी दूर अपने पुराने दोस्तों के साथ बैठे थे जिनको मै नही जानता था। जिसको मै जानता था उसके साथ बैठ गया । तुरंत एक एकदम पतला सा एक लड़का अंदर आया । पहले तो मुझे लगा कि ये कोई स्टूडेंट है , लेकिन बाद में जब सभी लोग उसका मजाक उड़ा रहे थे मैं समझ गया कि ये कोई स्टूडेंट नही पर यहाँ का अस्सिस्टेंट है । लेकिन सच कहूँ तो उसे पहली बार देखकर आप भी हँस पड़े ऐसा उसका चेहरा था और शायद उसके बदन मै सिर्फ हड्डियां ही थी क्योंकि खून तो कही नजर नही आ रहा था । सब उसे चिड़ा रहे थे । इस लिए वो गुस्से में बोला ,

" सब चुप चाप बैठो सर अभी आते ही होंगे । ये क्या पहले ही दिन हल्ला मचा रखा है । भौतिक , तुझे सुनाई नही दे रहा तुझे अलग से कहना पड़ेगा ।"
मैंने राजू की ओर देखा और वो उसकी आदत से मजबूर हाँ कह रहा था कि हाँ मुझे अलग से बोलना पड़ेगा । उसके हाँ कहने पर पूरी क्लास फिर से हँसने लगी और पहले से ज्यादा शोर होने लगा। मै दरवाजे बिल्कुल पास बैठा था और मैंने देखा सर आ रहे थे । व्हाइट टीशर्ट , उसमे से उनका मोटा पेट बाहर की ओर जाक रहा हो ऐसा लग रहा था । वो अंदर आये और क्लास के जो शैतान तत्वों को वो पहले से जानते थे उनसे मुस्कुराके कहा,
" क्या सभी जंगल से आ रहे हो , वेकेशन में कही जंगल मे तो शिफ्ट नही हो गए ना । वो क्या है ना फिर ये लोगो की बस्ती है और आप सब की जंगल वाली आदत जाने में अभी वक्त लगेगा । ध्यान रखना कोई जंगली समजकर चिड़ियाघर में न भेज दे । "

पता नही क्यू मैंने राजू की ओर सर घुमाया , मुझे लगा कि उसकी आदत से मजबूर वो जरूर कुछ बोलेगा । और मैंने देखा उसने जवाब दिया ,

" अरे ! नही - नही सर बाकियों का तो मैं नही बता सकता , लेकिन मैं जंगल मे घूमकर आया हूँ और असली मजा तो वही रहने में है । आप कहे तो हम भी वही पढ़ने चलते है । वैसे आप काफी जानते है जंगल को क्या आप भी वही रहते थे पहले । "

उसने अपनी आवाज धीमी करते हुए और चेहरे पर हँसी लाते हुए कहा । ताकि सर को ये न लगे कि वो उनकी बेइज्जती कर रहा है । फिर सर ने सब को शान्त करते हुए कहा ,

" बस बस , मस्ती बहोत हुई । आज आप सबका पहला दिन है अपनी 12वी क्लास में । आप सब में से कुछ अगले साल भी यहाँ आते थे जिनको मै पहले से जानता हूँ ।

उन्होंने बद्री , एनपी , राजू और बाकी लड़को को देखकर कहाँ । फिर आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहाँ ,

" लेकिन आप में से कई स्टूडेंट्स के बड़े भाई बहन को भी हमनें ही पढ़ाया है । क्या कोई ऐसे है जिनके बड़े भाई बहन को हमने पढ़ाया हो तो आप उनका नाम बता सकते है ।"
मैंने देखा लगभग आधी क्लास के हाथ हवा में थे । वैसे मेरी बात करु तो मेरे परिवार में से पिछले सात या आठ सालों से हर कोई यहाँ पर ट्यूशन लेने आता था । इसिलए मै सभी सर को काफी अच्छे से जनता था । और तो ओर मेरा एक चचेरा भाई यही पर स्टेट विषय पढ़ाता था । सभी एक एक कर अपने भाई या फिर बहन का नाम ले रहे थे । और सर भी उनको उनके भाई या बहन के बारे में बता रहे थे कि वो कितने शरारती या पढ़ाई में कितने अच्छे थे । फिर मेरी बारी आई । वैसे मैं सारे चचरे भाई बहन का नाम ले सकता था लेकिन मैंने खड़े होकर मेरी बहन का नाम बोल दिया ।

" मेरी बड़ी बहन चार - पांच साल पहले यहाँ पढ़ती थी , रवीना मावाणी "

मुझे लगा था कि शायद उन्हें याद नही होगा । आखिर काफी साल हो गए थे लेकिन उन्होंने मुझे हैरान कर दिया । उन्होंने कहाँ ,

" रवीना , याने जेके की बहन ना । मतलब और एक मावानी । शायद तुम्हारे परिवार के आधे बच्चों को मैने ही पढ़ाया होगा । "

उन्होंने हँसकर कहा । और फिर आगे बोले ,

" वैसे रवीना काफी अच्छी स्टूडेंट थी पढ़ाई में , और हमेशा फर्स्ट बेंच पर ही बैठती थी । और मेरे चोक और डस्टर संभालती थी ।"

उन्होंने फिर से हँसते हुए कहा । जवाब में मैंने भी मुस्कुराहट दिखाई और मैं अपनी जगह पर बैठ गया । फिर बाकी लड़को ने भी अपने भाई बहन के नाम दिए । ये सब हो जाने के बाद उन्होंने पढ़ाई के बारे में थोड़ा लेक्चर दिया । वैसे वो तो हमे बस समजा रहे थे लेकिन उस वक्त सभी को यह लेक्चर ही लगता है । बाद में उन्होंने सभी विषय और उन्हें कौन पढ़ायेगा उनके बारे में बताया । जो कि यह मैं पहले से जानता था । फिर उन्होंने एग्जाम की बात की । जो हर रविवार को होने वाली थी । सिर्फ आनेवाले पहले रविवार को छोड़कर इस साल में हर रविवार को फिर चाहे कोई त्योहार क्यो न हो हमें सुबह एग्जाम देने तो आना ही था । बाद में उन्होंने हमें हैरान कर दिया । क्योंकि उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया । आम तौर पर पहले दिन कौन पढ़ाता है ? मै यही सोच में पड़ गया और शायद सभी यही सोच रहे थे । उन्होंने हमारे हैरान चेहरे देखकर कहा ,

" हैरान होने की कोई जरूरत नही है । और शिकायत करने की भी नही की आप के पास बुक्स नही है । मै जानता हूँ आज आप महान लोग जान बूझकर नही लाये होंगे । इसलिए सिर्फ बोर्ड पर ध्यान दो और इन्हें समझकर लिखलो ।
और अब पढ़ाई से मुँह मत मोड़ो यही साल तुम्हारी आगे की जिंदगी तैय करेगा ।"

फिर उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया । मैं पहले से जानता था कि वो काफी अच्छा पढाते थे आज देख भी लिया । वो हमारा एकाउंट का विषय पढ़ाते थे । वैसे मेरी मेथ्स काफी खराब थी और ये विषय भी उससे मिलता जुलता ही था । लेकिन उनका पढ़ाने का तरीका काफी अच्छा था और मुझे समझ भी आ रहा था । उन्होंने एक ही तरीका बार बार समजाया ताकि सब लोग समझ जाएं । और फिर उन्होंने कहा कि ,

"इस चेप्टर में जितने इसके जैसे प्रश्न है वो कल लिखकर लाना है । और ये लिख ले ने के बाद आप जा सकते है । कल का टाइम में अभी आपको भिजवाता हूँ ।"

इतना कहकर वो चले गए । और सब लिखने में लग गए । लेकिन चुपचाप नही शोर के साथ । शोर सुनकर तुरंत अस्सिस्टेंट अंदर आया । सब थोड़े शांत हो गए । फिर उसने कल का वक्त बताया , जो कि सुबह का था । और फिर जाने को कहा । सबसे पहले राजू खड़ा हुआ । मुझे पता था उसने एक शब्द भी नही लिखा होगा । और फिर हम सब नीचे आ गए । थोड़ी देर खड़े रहे और मस्ती करते रहे और बाद में घर के लिए निकल गए ।




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