chintu - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटु - 29

कुछ देर बाद बाकी सब अपने अपने टेंट में चले जाते है। इवान चिंटु को सोच में पड़ा देख उससे कहता है- अब क्या सोच ने लगा मेरे प्यार को छीन कर?
चिंटु गुस्से में उसे कहता है- मैंने तेरा प्यार नहीं छीन बे। जाकर कह अपने होनेवाले ससुर से तु उस बेला को प्यार करता है, मै नहीं।
इस बात से मानो इवान के दिमाग की बत्ती जल गई। वो कहता है- हां यार! ये सही कहां तूने। मै डायरेक्ट उसके बाप से ही बात करूंगा।
चिंटु- हां, तो कल ही बोलना था ना। अभी क्यों बक रहा है? वैसे भी तू नहीं जाएगा तो मै तो जाने ही वाला हुं मना करने।
इवान कहता है- तो उस वक्त क्यों नहीं मना किया?
चिंटु- उस वक्त मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। कुछ बोलने के बजाय कुछ कर बैठता। और इससे तुम्हे और सुमति को भी परेशानी भुगतनी पड़ती। पर आज तु जानेवाला है बात करने तो मुजे तसल्ली हो गई।
इवान- हा जाऊंगा तो सही ही। पर बेला के बापु के सामने जाने में मेरी थोड़ी फटती है। तू आना साथ में, तो एक मोरल सपोर्ट रहेगा मुजे।
चिंटु उसे चिढ़ाने के लिए कहता है- वो कहां खा जाने वाले है तुजे? जाना है तो जा वरना मै तो शादी कर लूंगा बेला से।
इवान- खबरदार बेला से शादी की तो, खून पी जाऊंगा तेरा मै।
चिंटु हसते हुए कहता है- आदमखोर तो तु वैसे भी लग ही रहा है। भेड़िया कहीं का। पता नहीं बेला ने क्या देखा तुज मे?
इवान गुस्से में कहता है- ओए! मै तेरे जैसा नहीं हुं। जब से यहां आया है अपनी गर्लफ्रेंड को एक भी बार याद किया है कभी?
चिंटु यह सुनकर एकदम चुप हो गया। फिर ना उसने इवान से कोई बात कि ना ही उसकी कोई बात सुनी।

चिंटु अब रिया के बारे में सोचने लगा। वापस जब जाएगा तब क्या कहकर उससे रिश्ता तोड़ूंगा। कहना क्या है? कारण तो है ही मेरे पास। और मुझे 100% पता है वह यहां से नौ दो ग्यारह हो गई होगी। उसको मुजसे ज्यादा अब कोई नहीं पहचान सकता। और उसके बाप को भी...।😡 ये लल्लू उस सरदार से बात करे न करे पर मुझे इस शादी से इंकार करना ही होगा। फिर आगे जो होगा देखा जायेगा।

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बेला सुमति से कहती है- यार ये बाबा ने क्या नया तुत रखा है सामने? मै कोई चिंटु जी से शादी नहीं करनेवाली।
सुमति (मुंह बिगड़ते हुए)- तो उस वक्त नहीं मना कर सकती थी? अब क्या??
बेला- बाबा ने अचानक ये कह डाला तो मै कुछ बोल नहीं पाई थी। पर मुजे इवान पसंद है।
सुमति- सच में?
बेला- हां...! तभी तो चिंटु जी से शादी नहीं करना चाहती।
सुमति- वरना कर लेती चिंटु से शादी?
बेला- पता नहीं।
सुमति- क्या पता नहीं? एसे कैसे किसी अंजान व्यक्ति पर भरोसा करके तुम शादी के लिए हां कह दोगी? (सुमति बेला के जवाब से गुस्सा हो जाती है) ऊपर से ये बारिश... पता नहीं कब थमेगी। तुम अपने बाबा से बात करो और हमे छुड़ाओ अब। न जाने कब तुम्हारे भाई को पुलिस छोड़ेगी और न जाने हम वापस घर कब जाएंगे? हमारे घर पर भी हमारे माता पिता को चिंता हो रही होगी। न जाने क्या हालत होगी मम्मी की?

इतना बोलकर यहां आने से आज तक वह पहली बार रो पड़ती है। उसे आज अपने मम्मी पापा की बहुत याद आ रही थी। वह सोच रही थी के- मै यह क्या कर रही हुं? मै इतनी कंफ्यूज क्यों हो रही हुं? मेरा रिश्ता पुनिश से तय हुआ है और मै प्यार चिंटु से कर रही हुं। वापस जाकर मै पुनिश से क्या कहूंगी? मम्मी पापा से क्या कहूंगी? है भगवान! मै क्या करू? कुछ समझ नहीं आ रहा।
बेला सुमति को रोता देखती रहती है। लेकिन उसके हाथ में भी कुछ नहीं था वरना वो खुद इन्हे छुड़वा देती।

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दोपहर का खाना टेंट में ही आ गया था। चिंटु कब से सुमति को मिलना चाहता था। वह साथ बैठे हीरा से कहकर अपनी थाली लेकर सुमति के पास चला जाता है। सुमति और बेला भी खाना खाने बैठी हुई थी। चिंटु को अंदर आता देख बेला 'मै अभी आती हूं ' कहकर बाहर चली जाती है। बाहर जाते ही देखती है तो मोहन उसे ही बुलाने आ रहा था।

सुमति चुपचाप अपना खाना ख़तम करके पास में रखे बर्तन से पानी लेती है। चिंटु कबसे राह देख रहा है की वो कुछ बोलेगी। पर सुमति उसकी तरफ देखती भी नहीं है। इसी कारण चिंटु को गुस्सा आता है और पानी पी रही सुमति के पीछे खड़ा रह जाता है। सुमति जैसे वापस मूड तो चिंटु को देख घबरा गई फिर वह चिंटु के साइड से जाने की कोशिश करती है। चिंटु गुस्से में उसकी बाहें पकड़कर पूछता है- ये क्या एटिट्यूड है तेरा? बात क्यों नहीं कर रही है?
सुमति कोई जवाब नहीं देती और हाथ छुड़ाकर जाने की कोशिश करती है। पर चिंटु ने कसके उसे पकड़े रखा था। वह चिंटु से कहती है मेरी बांहे छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है।
चिंटु कहता है- तेरी बांहों का दर्द तुझे दिखता है पर मेरे दिल का दर्द नहीं दिखता। मैंने बेला से शादी करने के लिए हां नहीं कहा है अबतक। तो इतना गुस्सा किस बात का कर रही हो। हां वे लोग तेरी मेरी शादी करवाना चाहते है तो मुजे कोई ऐतराज़ नहीं।
सुमति- पर मुजे है।
चिंटु- क्या?
सुमति- मै मम्मी पापा को बताए बगैर कुछ नहीं करूंगी। अगर वे तुम्हारे साथ मेरा रिश्ता कबुल करेंगे तभी मै तुमसे शादी करूंगी, वरना...।
चिंटु- वरना...?
सुमति- वरना हम हमेशा दोस्त तो रहेंगे ही।
चिंटु- ये क्या बकवास कर रही हो? तुम मुजसे प्यार करती हो तो वे क्यों माना करेंगे?
सुमति- उन्हें मैंने तुम्हारे बारे में सब बता रखा है। और दूसरा सच ये भी है के मेरा रिश्ता पुनिश के साथ तय हो चुका है। मै पुनिश को क्या कहकर मना करूंगी? यही के अब मुझे मेरा प्यार वापस मिल गया है तो अब तुम साइड हो जाओ? कैसे कहूंगी मै?
चिंटु- तुम नहीं कह सकती तो मै कह दूंगा। वो अच्छा इंसान है, समज जाएगा।
सुमति- वो समज जाएगा पर मै उसे कैसे अपना मुंह दिखाऊंगी? ये एक तरह से उसे धोखा देने बराबर ही होगा।
चिंटु गुस्से में कहता है- तो तुम करना क्या चाहती हो?
सुमति मुजे कुछ नहीं पता कहकर रोने लगती है। चिंटु उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसे रोने देता है। वह रोते हुए ही बोलती जाती है- चिंटु मै क्या करू? मुझे नहीं पता था ऐसा मोड़ भी आएगा मेरी लाइफ मे। मेरी सोचने समजने की शक्ति ही चली गई है। मै मम्मी पापा की मर्जी के बगैर तुमसे शादी नहीं कर सकती और अब हालत यह है कि मै तुम्हारे बगैर रह भी नहीं सकती। अगर मैंने पुनिश के साथ शादी की तो मै एक तरह से उसे धोखा ही दूंगी। मै उससे प्यार नहीं कर पाऊंगी कभी।
चिंटु बोलता है- अभी यह सब मत सोचो। जो होगा देखा जाएगा। पर अभी मुझे उस सरदार को मना करने जाना है बेला से शादी के लिए। अब रोना बंद करो plz। रोते हुए तु अच्छी नहीं लगती। बिलकुल वो नेहा की तरह लगती हो।
सुमति- कौन नेहा?
चिंटु- वहीं जो हमारी खोली के पास रहती थी, जिसकी नाक हमेशा बहती रहती थी।
सुमति- छीईई.. उसके जैसी तो बिलकुल नहीं लगती हं।
चिंटु - अभी यहां आइना लगा नहीं है वरना देख लेती उसमे तुम रोते हुए कैसी लगती हो अभी।

दोनों एकदुसरे की बांहों में लिपटे हुए थे। चिंटु सुमति का चेहरा पकड़कर उसके माथे पर चूम लेता है। धीरे धीरे वह उसके आंखों पर, गल पर और फिर होठ पर जैसे आता है सुमति उसे धक्का देने की कोशिश करती है। पर वह चिंटु की पकड़ से छूट नहीं पाती। और चिंटु उसके होंठो पर अपने होंठ रख देता है। वह इतना उत्तेजित हो जाता है कि सुमति को उसे धक्का देकर अलग करना पड़ता है। साथ ही साथ कहती है- बेला आ जाएगी, क्या कर रहे हो तुम?
चिंटु कहता है- वो नहीं आएगी, उसे सब पता ही है। दो प्यार करनेवालों को वो डिस्टर्ब नहीं करेगी।
सुमति- हां हां, ये कोई फाइव स्टार होटल नहीं है कि बाहर घूमती फिरेगी। अंदर तो आयेगी न?
चिंटु- तब की तब देखेंगे। क्या पता फिर ऐसा मौका कब मिले?
ऐसा कहकर फिर से सुमति को अपनी ओर खींच नीचे लेटाकर पूरे बदन पर चूमने लगता है। सुमति थोड़ी छटपटाहट के बाद मदहोश होकर उसे साथ देने लगती है।
दोपहर का खाना खत्म करके सब सो गए थे। बारिश के कारण ठंड बढ़ गई थी। पर चिंटु और सुमति की जिस्म इस ठंड में गर्म हुए जा रहे थे। । उन दोनों के लिए अच्छा था कि इवान या बेला में से कोई अंदर नहीं आया था। सुमति कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ने लगी थी तो चिंटु तुरंत ही उससे दूर होकर बैठ जाता है। सुमति चिंटु के नजदीक आकर कंधे पर सर रखकर कहती है- चिंटु, क्या हुआ? एसे अलग क्यों हो गए?
चिंटु- एकबार गलती कर चुका हुं अब दोबारा नहीं।
सुमति- वो कैसे?
चिंटु- भूल गई? पहली बार किस किया तो बरसों तक दूर हो गए थे। इस बार तो तुम सब कुछ करने जा रही थी। हमेशा के लिए दूर हो जाते तो?
सुमति- पागल हो क्या? दूर क्यों होंगे? ओह! मम्मी पापा भी मुज पर कितना विश्वास करते है और यह सब कर के मै उनकी नजरों में गिर जाऊंगी। नहीं, नहीं मै कुछ नहीं करूंगी आगे। अच्छा हुआ तुम संभल गए, वरना...। अब ऐसा आगे नहीं करूंगी।
चिंटु- शादी के बाद भी?
सुमति शरमाते हुए- जाओ ना..।
चिंटु- वैसे गलती तुम्हारी नहीं है। ये उम्र का असर है मोहतरमा। इसी उम्र में हमारे हॉरमोनल चेंजिस होते है और हम एकदूसरे से आकर्षित होते है।
सुमति- मैंने तुमसे ज्ञान नहीं मांगा है। यह सब मुझे पता ही है चिंटुबाबा। बस अब यहां से निकले और वापस जाकर भगवान करे सब सही हो। पर एक बात है..
चिंटु- वो क्या?
सुमति- मै पुनिश का सामना नहीं कर पाऊंगी।
चिंटु- अभी यह सब छोड़ो, जो होगा देखा जायेगा। हमारा प्यार पवित्र है और आज के बाद हमे कोई जुदा नहीं कर पाएगा। मुझ पर विश्वास रखना सुमति। खुद से भी ज्यादा तुम्हे चाहने लगा हुं मै।
सुमति भावविभोर होकर चिंटु के गले लग जाती है।

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बेला को मोहन बुलाने आया था के उसे सरदार बुला रहे है। बेला अपने बाबा के पास गई तो अंदर रामादेवी और दिग्विजय बैठे हुए थे। दिग्विजय मोहन को इशारे से बाहर भेज देता है।
दिग्विजय बेला से सीधा पूछता है- बेला, तुम्हे ये रिश्ता पसंद है न?
बेला यह सवाल सुनकर एकदम से कुछ बोल नहीं पाती। पर फिर सोचती है, ' अगर अभी सच न बोल पाई तो फिर कभी नहीं बोल पाऊंगी। बहुत उपकार है इनके मुज पर। पर... एकबार बात तो कर ही सकती हुं।'
वह दिग्विजय और रामादेवी से कहती है- मां- बाबा, मुजे आपसे कुछ कहना है।
दिग्विजय और रामादेवी एकदुसरे के सामने देखते है।
दिग्विजय कहता है- बोलो, क्या कहना है?
बेला- बाबा, वो..मै... चिंटूजी से शादी नहीं करना चाहती।
दिग्विजय जोर से पूछते है- क्यों?
बेला घबरा जाती है पर फिर हिम्मत कर के बोलती है- वो चिंटु जी को कोई और पसंद है। और मै...
दिग्विजय बीच में ही पूछता है- तुम्हे क्या..? वह लड़का सही ही है तुम्हारे लिए। शादी हो जायेगी तो वो तुम्हे भी पसंद करने लगेगा।
बेला- नहीं बाबा, मै उनसे कभी प्यार नहीं कर पाऊंगी।
रमादेवी पूछती है- वो क्यु भला?
बेला- मां..! मुजे इवान पसंद है, मै उनसे शादी करना चाहती हुं।
दिग्विजय उससे पूछता है- क्या वो लड़का तुमसे प्यार करता है?
बेला हां में जवाब देती है।
तो रामादेवी दिग्विजय से पूछती है- जी, उस लड़के को भी बुलाकर पूछ ले?

दिग्विजय बाहर से मोहन को आवाज लगाते है। मोहन तुरंत अंदर आ जाता है। दिग्विजय मोहन को इवान को बुलाकर लाने के लिए कहते है। कुछ देर बाद वह इवान को बुलाकर आता है। मोहन उन सब के बीच से वापस बाहर चला जाता है।

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सुमति और चिंटु ने बाहर किसिके पैरो की आवाज सुनी तो दोनों अलग होकर बैठ गए। उन्होंने मोहन को अंदर आते देखा तो सुमति ने पूछ लिया- बेला कहां गई?
मोहन ने जवाब दिया- सरदार ने बुलाया है कुछ बात करने।
सुमति पूछती है- क्या बात करने?
मोहन- अब मुजे क्या पता?

क्रमशः