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योगिनी - 7

योगिनी

7

योगी के अकारण रुष्ट रहने के कारण मीता कुछ समय से अवसादग्रस्त सी रहने लगी थी- महिलाओं के पुरुषों द्वारा दबाये जाने की बात ने उसकी हृत्त्ंात्री को इस प्रकार झंकृत कर दिया जैसे ध्वनि के दो स्रोंतों की आवृत्ति एक हो जाने पर उनका सम्मिलित तरंगदैध्र्य (एम्प्लीच्यूड) कई गुना बढ़ जाता है। अनुज ने भी सदैव डोमीनेंट रोल निभाने के बावजूद उसके साथ धोखा किया था जिससे अंततः मीता योगिनी बन गई थी। अब योगी अपनी कमियों केा दूर करने के बजाय उस पर अपनी पुरुष-अहम् से जनित अवांछनीय प्रतिक्रिया को थोपने का प्रयत्न कर रहा था। फिर योगी के अहम् को अंगीकार करके भी उसे सामान्य बनाये रखने के उसके समस्त प्रयत्न योगी के मन पर उल्टा प्रभाव ही डाल रहे थे। मीता को माइक की शोध का विषय बड़ा रुचिकर लगा और उसने उस पर विस्तार से माइक से पूछना प्ररम्भ कर दिया। माइक ने बताया कि अमेरिका के विमेंस लिबरेशन मूवमेंट की सदस्याओं के साक्षात्कार से शोध प्रारम्भ कर वह इथियोपिया, सउूदी अरेबिया, पाकिस्तान होता हुआ भारत आया है और मैदानी गर्मी सहन न होने पर यहां की ख्याति सुनकर मानिला चला आया है। यहां पहाडी़ क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति पर शोध का अच्छा अवसर भी मिल गया है।

अंग्रेजी़ भाषा का ज्ञान न होने के कारण योगी उन दोनों की बात स्पष्ट समझ नहीं पा रहा था, परंतु माइक एवं योगिनी की मुद्राओं से उसकी समझ मे जो भी आ रहा था, उससे योगी तिलमिला रहा था। योगिनी यह सोचकर चुप रही कि माइक की बात का अर्थ बताने से योगी और तिलमिला जायेगा, परंतु आज वह योगी की अनुचित प्रतिक्रियाओं पर अपने मन को दबा नहीं पा रही थी। आज योगिनी के मन में क्षोभ भी उत्पन्न हो रहा था।

‘‘ह्वेयर डू यू लिव इन दी स्टेट्स माइक?’’- दूसरी सायं जब योगिनी मंदिर के परिसर के बाहर फूलों की क्यारियों की देखभाल में लगी थी, तभी माइक टहलते हुए उधर आ गया था। ‘गुड ईवनिंग’ के औपचारिक आदान प्रदान के उपरांत माइक योगिनी को अपने दक्ष हाथों से पौधों को सहलाते सम्हालते देख रहा था। माइक द्वारा इस प्रकार चुपचाप देखे जाने पर योगिनी को कुछ असहजता की अनुभूति हो रही थी, अतः उसने माइक से बातचीत प्रारम्भ करने हेतु उपरोक्त प्रश्न किया था।

‘‘आई लिव इन शिकागो नियर दीवान मार्केट।’’

दीवान शब्द सुनकर योगिनी को उत्सुकता हुई और उसने कहा,

‘‘दीवान इज़ ऐन इंडियन नेम। इज़ इट देयर इन अमेरिका टू?’’

माइक प्रसन्न होकर बोला,

‘‘यू हैव राइट्ली गेस्ड दैट। इट इज़ ऐन इंडियन नेम। अर्लियर इट वाज़ डीवन मार्केट, बट ग्रेजुअली इंडियन्स ऐंड पाकिस्तानीज़ पर्चेज़्ड ईच ऐंड एवरी शाप आफ़ इट ऐंड स्टार्टेड कौलिंग इट दीवान मार्केट। आई मेक मोस्ट आफ़ माई पर्चेजे़ज़्ा फ़्राम दिस मार्केट ओन्ली ऐंड हैव क्वाइट ए फ़्यू फ्रेंड्स एमंग इंडियन्स।’’

फिर अपनी बात में योगिनी को रूचि आते देखकर आगे बोला,

‘‘आई पार्टीकुलर्ली एंज्वाय ईटिंग दोशा-इडली इन ‘गांधी इंडियन रेस्ट्रां’ ऐंड इट्स हेड बेयरर अनुज हैज़ बिकम माई फ्रेंड। इन हिज़ कम्पनी आई हैव लर्टं एनफ़ हिंदी टु स्पीक।......... लेकिन मैं हिंडी रुक रुक कर बोल पाता हूं।’’

हेड बेयरर का नाम सुनकर योगिनी के हृदय का एक तार झंकृत हुआ था परंतु तभी योगी, जो मंदिर के बाहर आकर चबूतरे पर खड़े होकर दोनों को देखने लगा था, का तीक्ष्ण स्वर सुनाई दिया,

‘‘मीता, ज़रा अंदर आना।’’

योगिनी इस स्वर से कुछ चैंक सी गई और उसे लगा कि योगी उन दोनों की जासूसी कर रहा है- अतः वह अंदर को चल तो दी परंतु अवज्ञा दर्शाने वाले मंथर कदमो के साथ। योगी भी उस मंथर चाल का अर्थ समझ रहा था और उसका मन उद्विग्न हो रहा था। उस दिन योगी एवं योगिनी में अन्य कोई बात नहीं हुई।

योगिनी का मन आशान्वित था कि योगी किसी न किसी समय उससे माइक के विषय में बात छेड़ेगा और तब सम्भवतः उसके द्वारा स्थिति को स्पष्ट कर देने पर योगी की निराधार आशंकायें बहुत कुछ समाप्त हो जायेंगी। योगी को और अधिक भड़क जाने से बचाने के उद्देश्य से योगिनी ने अगले तीन दिन तक सप्रयत्न माइक के समक्ष अकेले में पड़ने से अपने को बचाया भी, परंतु योगी बस अन्यमनस्क रहा, उसने मजबूरी मे ही कोई बात की। योगी अब सायंकाल वन भ्र्रमण हेतु भी नहीं निकलता था, वरन् सायं होने से पूर्व ही वह घ्यानावस्थित हो जाता था। यह असहज स्थिति योगिनी को असह्य लगने लगी थी कि चैथी सायं माइक ने आकर योगिनी से कहा,

‘‘योगिनी जी, क्या आप मेरे साथ फ़ौरेस्ट में थोड़ा धूमना पसंद करेंगी?’’

योगिनी के मन की दशा ऐसी हो रही थी कि उसके मुंह से अनायास ‘यस’ निकल गया और वह बिना योगी को कुछ बताये माइक के साथ वन में निकल पड़ी। ध्यानावस्थित होते हुए भी योगी उसके बाहर जाते प्रत्येक कदम को ऐसे अनुभव कर रहा था जैसे वे उसके हृदय के उूपर से होकर गुज़र रहे हों। योगिनी के कदम भी ऐसे उठ रहे थे जैसे मन-मन भर के हों, परंतु वह उन्हें रोक भी नहीं पा रही थी।

ऊंचे ऊंचे वृक्षों के बीच आते ही माइक ने योगिनी से कहा,

‘‘मुझे लगता है कि उस दिन जब मै ‘गांधी इंडियन रेस्ट्रां’ की बात कर रहा था तब आप मुझसे कुछ पूछना चाहतीं थी, परंतु योगी जी द्वारा आप को बुला लेने पर बात अधूरी रह गई थी।’’

योगिनी को लगा कि माइक तो जैसे दूसरे का मन पढ़ लेने वाला जादूगर है। उससे कोई बात छिपाना बेकार है। अतः उसने स्पष्ट कहा,

‘‘माइक, तुम उस हेड बेयरर का नाम क्या बता रहे थे?’’

माइक बोला,

‘‘अरे वह अनुज।..........ही ऐपियर्स टु बी ए हाइली एजूकेटेड गाई ...... उसने बताया था कि उसके पास इंडिया में सौफ़्टवेयर की अच्छी सी जौब थी, और वह इंडिया गवर्नमेंट द्वारा अमेरिका भेजा गया था। वहां आकर वह किसी छिछोरी लड़की के प्यार के चक्कर में फंस कर वहीं रुक गया। वह लड़की एक दिन उसके एपार्टमेंट से उसके पासपोर्ट सहित सब सामान लेकर गायब हो गई। चूंकि वह इंडियन और अमेरिकन सरकार की अनुमति के बिना अवैध रुक गया था और अब अपना पासपोर्ट भी खो चुका था, इसलिये इंडिया वापस भी न जा सका। तब ‘गांधी इंडियन रेस्टोरेंट’ के ओनर ने मेहरबानी करके उसे अपने रेस्ट्रां में चुपचाप वेटर की जौब दे दी थी। वर्क परमिट न होने के कारण वह और कहीं तो जौब पा नहीं सकता है। अतः तब से वहीं काम कर रहा है और अब रेंस्ट्रां का सबसे सीनियर वेटर बन गया है।’’

मीता समझ गई कि यह अनुज और कोइ्र्र दूसरा नहीं वरन् उसका ही पति अनुज है। उसकी दुर्दशा की बात सुनकर मीता का हृदय भर आया, परंतु साथ ही अनुज द्वारा धोखा दिये जाने की बात यादकर वह ऐसी द्विविधा में पड़ गई कि उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह हंसे या रोये। आगे वह माइक की बातों पर केवल हूं-हां करती रही, कुछ सुन-समझ नहीं पाई। उस रात मीता का मन इतना उद्विग्न रहा कि पल भर को सो नहीं पाई। जब शरीर एवं मन क्लांत होकर शांत हो गये तो वह दिवास्वप्न सा देखने लगी। उसे लगा कि वह पूर्णतः अंधकारमय एवं शांत आकाश में तैर रही है एवं पूर्ण एकांत चाहती है। तभी अनुज उसके समक्ष आकर उससे क्षमा मांगने का उपक्रम करने लगता है और वह जब उससे बचने का प्रयत्न करती है तो योगी उसके समक्ष आकर उससे अपने मन का दुखड़ा रोने लगता है। मीता घबराकर अपने कान बंद कर लेती है और सुदूर आकाश में उड़ जाने का प्रयत्न करती है परंतु उसके हाथ-पैर अचानक बोझिल हो जाते हैं और वह अपने स्थान पर बंघ सी जाती है। अपनी असमर्थता से खीझकर उसकी श्वांसे तीव्रता से चलने लगती हैं और वह अपने पलंग पर घबराकर उठ बैठती है। उठ कर बैठने पर उसे लगा कि कितना अच्छा होता यदि वह दोनेां पुरुषों के संसार से कहीं दूर जाकर बस जाती।

माइक अगले दिन सायं होते ही पुनः उसी समय उसे टहलने हेतु बुलाने आया। मीता ने कोई उत्तर देने से पहले योगी की ओर देखा परंतु योगी ने पूर्ववत घ्यानमुद्रा धारण कर ली थी। योगी के इस व्यवहार से मीता का पारा चढ़ गया और फिर वह पीछे देखे बिना माइक के साथ टहलने चल दी थी। आगे यह सब कुछ तीनों की दिनचर्या का अंग बन गया था और सायं होते होते मीता साथ टहलने जाने हेतु माइक की प्रतीक्षा करने लगी थी। माइक न केवल वाक्पटु था वरन् आधुनिक विषयों का अच्छा ज्ञाता भी था। वह योगिनी से अनेक आधुनिक विषयों जैसे ‘जैव-विज्ञान की नई खोजें और मानव के जीवन एवं अस्तित्व पर उनका प्रभाव’, ‘ब्रह्मंाड के तारासमूहों, तारों, ग्रहों आदि की नवीन खोजें एवं मानव के वहां कालोनियां बनाकर बसने के प्रयत्न’, ‘ऐंटीमैटर एवं ऐंटी-वल्र्ड को जानने की दिशा में प्रगति’, लैंगिक स्वातंत्र्य को मानवीय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में स्थापित करने का प्रयत्न’ एवं ‘पश्चिम में स्त्री-पुरुष में वर्चस्व का संघर्ष’ आदि पर विस्तार से बोलता था और योगिनी बडे़ मनोयोग से उसे सुनती थी। माइक के विभिन्न विषयों के गहन ज्ञान ने योगिनी को अत्यंत प्रभावित किया था। उसकी बातें सुनकर योगिनी को लगता था कि मानिला की पहाड़ियों की गोद में यदि उसने प्रकृति की निकटता का भरपूर आस्वादन किया है, तो ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में मानव द्वारा उत्तरोत्तर लगाई जाने वाली छलांगों के रांमांच से वह वंचित भी रही है।

बातों बातों में एक दिन माइक मुस्कराते हुए बोला था,

‘‘यू नो योगिनी, आई विल नौट बी सर्पराइज़्ड इफ़ मेन मे सून बिकम रिडंडेंट आन दिस अर्थं।’’

योगिनी माइक को प्रश्नवाचक निगाह से देखने लगी थी, तो माइक आगे कहने लगा था,

‘‘आप जानतीं होंगी कि स्त्री के एग-सेल्स में एक्स-एक्स क्रोमोजो़म्स होते हैं और पुरुष के स्पर्म मे एक्स- वाई क्रोमोज़ोम्स होते हैं। स्पर्म के एग से मिलन पर यदि एक्स-एक्स क्रेामोजा़ेम्स पहले मिल जाते हैं तो लड़की और यदि एक्स-वाई को्रमोजो़म्स मिल जाते हैं तो लड़का पैदा होता है। आक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी के डा. ब्रायन सायक्स, जो डा. डी. एन. ए. के नाम से प्रसिद्ध हैं, का मत है कि जब स्त्रियों के एक्स क्रोमोजो़म में कोई म्यूटेशन /प्रतिकूल परिवर्तन/ होता है तो दूसरे एक्स क्रोमोजो़म के डी. एन. ए. के सम्पर्क में आकर वह उसे सुधार लेता है, परंतु पुरुष मंें एक्स को्रमोजो़म के अकेला होने के कारण उसे वह सुविधा उपलब्ध नहीं है। अतः पुरुश का एक्स को्रमोजो़म लगातार कमजो़र होता जा रहा है और इस प्रकार लगभग 1,25,000 वर्ष में इस धरा से पुरुषों का अस्तित्व समाप्त होना तय है।......’’

योगिनी को अपनी ओर अवाक् देखते हुए माइक फिर बोलने लगा था,

‘‘परंतु अब वैज्ञनिकों ने स्त्री के बोन-मैरो से स्पर्म-सेल बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है। इससे अब गर्भ धारण हेतु स्त्रियों को पुरुष संसर्ग की आवश्यकता समाप्त हो गई है। स्त्रियों के बोन-मैरो में केवल एक्स क्रोमोजो़म होते हैं अतः उससे बने स्पर्म सेल से केवल स्त्रियों का पैदा करना सम्भव है। अतः यदि स्त्रियां चाहें तो केवल स्त्रियों के बोन मैरो से बच्चे पैदा करके बहुत जल्दी इस संसार से पुरुष का अस्तित्व समाप्त कर सकतीं हैं।....’’

माइक ने पुनः योगिनी को गौर से देखा और कहने लगा,

‘‘और पश्चिमी देशों में स्त्रियों की कुछ इंस्टीट्यशन्स ने इस हेतु अभियान भी छेड़ दिया है कि पुरुषों को संसार से समाप्त कर दिया जावे। इन इंस्टीट्यूशन्स की सदस्यायें स्त्रियों में विपरीतलिंगता पर समलैंगिकता की श्रेष्ठता स्थापित करने के अभियान में भी जुटी हुईं हैं। उनके विचार से पुरुष के स्त्रियों पर वर्चस्व को समाप्त करने का सबसे कारगर उपाय पुरुष के अस्त्तिव को समूल नाश कर देना ही है। अमेरिका का विमेंस लिबरेशन मूवमेंट भी इस प्रयत्न में लगा हुआ है।’’

पुरुषविहीन समाज का विचार योगिनी को अटपटा तो लगा था, परंतु सर्वथा नवीन एवं विचारोत्तेजक भी लगा था। उसे काफी़ समय से लग रहा था कि नारी पुरुष को चाहे जितना भी समर्पण दे, कभी न कभी और किसी न किसी भांति वह पुरुष द्वारा ठगी अवश्य जायेगी; नैसर्गिक प्रवृत्तियों के वशीभूत होकर पुरुष अपने स्ववर्चस्व की इच्छा एवं बहुल-प्रेम की कामना पर नियंत्रण नहीं रख पायेगा और केवल एक का होकर नहीं रह सकेगा। अनुज के प्रति उसके समर्पण में क्या कमी थी अथवा योगी के लिये अपने भूत एवं वर्तमान को होम देने में उसने कौन सी कसर छोड़ी थी, परंतु किसी न किसी बहाने दोनों ही उससे दूर हो गये थे। यद्यपि योगिनी पुरुषविहीन समाज के विचार से सहमत नहीं थी, तथापि उसके मन में यदा कदा यह विचार अवश्य कौंध जाता था कि यदि इस संसार में पुरुष न होते तो उनके द्वारा दिये जाने वाले घात नारियों को न सहने पड़ते।

योगिनी को गम्भीर सोच में डूबे देखकर माइक बोला,

‘‘आज के संसार एवं उसके भविष्य का वास्तविक स्वरूप अमेरिका चलकर ही देखा जा सकता है। आप मेरी वापसी पर मेरे साथ चलें तो आप का वहां के समाज में दिल खोलकर स्वागत होगा। आप का पासपोर्ट एवं वीसा मैं जल्दी ही बनवा दूंगा।’’

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