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बाजी अठन्नी की 

आकांक्षाओं से भरे वो दिन , जब हम नन्हे - नन्हे कदमो से दौड़ने की होड़ में गिरते - सम्हलते मंजिल तक पहुंच जाया करते थे ! तब भी हमें एक दूसरे को हराने की सोच हुआ करती थी, लेकिन उस वक़्त हमें किसी को छोड़ देने या बातें करना बंद कर देने की आदत या सोच नहीं हुआ करती थी ! और हम आसानी से हार - जीत कर के भी एक साथ खुशियां मनाया करते थे, और तो और ख़ुशी भी इस तरीके की हुआ करती थी की आनंद ही आ जाता था ! हारने वाली टीम पैसा दिया करती थी और जीतने वाली टीम दुनिया के नंबर वन कंपनी वाली बिस्कुट पार्ले-जी से सबका मुँह मीठा करवाती थी, होता ये था की जीतने वाली टीम के खिलाड़ी हारने वाली टीम के खिलाड़ी (मतलब) अपने दोस्तों को अपने हिस्से के बिस्कुट को बांटा करते थे और सब एक साथ शाम ढलते-ढलते अपने घर आ जाया करते थे!

एक बार की बात है हम लोग आपस में क्रिकेट मैच खेलने की योजना बना कर प्रतिद्वंदी टीम को पत्र लिखे कि, रविवार के दिन दोपहर १२ बजे क्रिकेट मैदान (पिंटू की बारी) में अपने सभी खिलाड़ियों के साथ समय पर पहुंचे ! और मैच के लिए लगी हुई बाजी का पैसा पिंटू के पास पहले से ही जमा किया जायेगा धन्यवाद् !

इस तरह से रविवार के दिन दोपहर १२ बजे मैच प्रारम्भ हुआ और कुछ ही देर में वहाँ बड़े लोगों कि भीड़ इकठ्ठा हो गयी और वो लोग भी खेलने कि जिद करने लगे, हम लोग ठहरे छोटे खिलाड़ी भला कब तक मना करते, उन्हें भी शामिल करना ही पड़ा और हुआ ये कि मैच रोमांचक मुकाबले की ओर जा पहुँचा ! ५ ओवर के मैच में विरोधी टीम ने ४५ रन बनाये और हमारी टीम को ४६ रन बना कर जीतने की चुनौती दिए, खेलने गए बड़े खिलाड़ियों ने मैच को उस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया जहाँ हर विरोधी खिलाड़ी अपना दोस्त हो कर भी दुश्मन नजर आ रहा था और अंततः मैच का फैसला हुआ की मुकाबला हमारे हाथ में आया मतलब मैच हम लोग जीत गए ! बात आ गयी जीते हुए पैसे लेने की तब पिंटू को खोजा जाने लगा वो वहाँ मौजूद हुआ और दोनों की ओर से जमा कराये गए अठन्नी - अठन्नी निकाल कर हमारे टीम के कप्तान को दे दिया ! बड़े खिलाडियों ने देखा तो बस देखते ही रह गए की ये क्या पार्ले-जी खरीदने तक के पैसे नहीं हुए तो फिर क्या होगा ऐसे जीत का ! हमने कहा अभी मैच ख़त्म नहीं हुआ है अभी एक पाली और भी खेलने है फिर जो जीतेगा वो पार्ले-जी खिलायेगा या फिर हम चूस ही खा कर खुशियाँ मना लेंगे आज-कल पैसे ज्यादा नहीं मिले स्कूल के लिए लेकि अगले हप्ते इंतजाम हो ही जायेगा एक बड़े मुकाबले के लिए !

उन दिनों हमारे झूठ और सच बोलने का पता बस इसी बात से चल जाता था जब किसी को अपने विद्या माँ की कसम खिलाई जाती थी !

मित्रों आप लोगों से बस इतना ही कहना है की चाहे किसी भी अवस्था में हो अपने मित्रो से हमेशा जुड़े रहने का प्रयास करें और घर परिवार के सभी सदस्यों का ख्याल रखें और अपनों से कभी झूठ न बोलें किसी भी हाल में हो अपनों के साथ हो अच्छे बर्ताव से ही सब कुछ है धन्यवाद् !