ye mausam ki baarish - 10 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

ए मौसम की बारिश - १० - अंतिम भाग






उन्हों ने बताया की रघु को में लेकर आई। उसी दिन से तुम मुझसे नफरत करने लगे। धीरे धीरे तुम्हारी मेरे प्रति बढ़ती नफरत ने मेरी आंखे खोल दी। लगा की शायद में ही गलत थी। इसीलिए तुम्हे पाने से पहले ही खो दिया।
* * *
छ महीने बाद तुम्हारी ओर नंदनी की शादी तैय हुई शादी के कार्ड पर तुम्हारे साथ नंदनी का नाम देखकर मुजे लगने लगा की मेने तुम्हे खो दिया।
तुम्हे पाने की चाहत में मेने नंदनी से तुम्हारे प्यार की भीख भी मांगी।
शादीवाले दिन ही में जाकर उसके पैर पकड़ लिए।
'नंदनी प्लीज़ में देव के बिना नही रह शकती प्लीज़ उसे मुझसे मत छीनो'
उसने कहा
'नही में देव को नही छोड़ शकती में भी उससे बहुत प्यार करती हु'
में उसके सामने रोइ गिड़गिड़ाई पर वो नही मानी आखिर गुस्से में मेने उससे कह दिया।
'ठीक है कर लो शादी में भी देखती हु की तुम ये शादी कैसे कर रही हो'
में उस पर चिल्लाई
'तुम मेरे देव को नही छीन सकती'
उस वक़्त उसे लगा की में उसकी शादी में रुकावट बनूँगी इसीलिए उसने मुजे एक कमरे में धक्का दे दिया ओर बहार से दरवाजा बंध करकर कुंडी लगा दी। उस पल उसका धक्का लगने से मीरा सिर कमरे की सामनेवाली दीवार से टकराया। ओर कुछ ही घण्टो में.. में वही तड़पकर मर गई।

उधर फेरो के दौरान नंदनी को पाने के लिए रघु फिर से आया।
उसने अपनी बंधूक निकाली। ओर चिल्लाकर कहा।
'सुन अगर ये मरी नही हुई तो में इसे तेरी भी नही होने दूंगा इस जनम में ना सही अगले जनममें.. में नंदनी को पाकर रहूंगा'
ओर उसने नंदनी को गोली मार दी।
नंदनी चींखते हुए वही गिर पड़ी..
नंदनी के गिरते ही तुम रघु को मारने के लिए आगे बढ़े। उसने तुम पर भी गोली चलाई।
तुम दोनो के बीच हाथापाई हुई ओर इन्ही हाथापाई में तुमने रघु को जान से मार दिया।
फिर नंदनी को अपनी बाहों में लेकर तुमने भी अपनी साँसे छोड़ दी।
ओर ये उस जनम में कहानी अधूरी रह गई।
तुम्हे लगता है की तुम्हारी माही को मेने मारना चाहा.. नही उसे मारनेवाला रघु था। वही रघु जो इस जनम में राघव बनकर वापस आया। जब जब उसने तुम्हे ओर माही को मारना चाहा मे आंधी बनकर बीच में आती रही।
जब तुम ओर माही सीढिया उतर रहे थे। तब तुम्हारे पीछे पीछे राघव भी आ रहा था। इस जनम में वो माही को पा ना शका इसिलए पाना उसने माही को पीछे से धका दिया। पर उसके उस वार से माही बच गई। वो माही को जान से मार देना चाहता था इसीलिए तुम्हारे हॉस्पिटल से निकलते ही वो वहाँ आया था।
माही के कमरे में जाकर उसने उसे मारने के लिए चाकू निकाला
तूने मुजे ठुकराकर उस राइटर से शादी कर ली.. अब मर.. जैसे ही वो उसके सीने में चाकू से वार करने गया की तभी हॉस्पिटल की सारी लाइटे अपने आप चालु बंध चालु बंध होने लगी। वो एकदम से घबरा गया उसके काँपते हाथो से चाकू नीचे गिर गया।
नीचे जुकर जैसे ही उसने चाकू उठाया की वहां में आ गई।
हा में..
अपने सामने अपने काल को देखकर वो डरके मारे वहां से दरवाजे की ओर भागा की तभी उसे में दरवाजे पर दिखी।
गले से उसको दबोचते हुवे मेने उसे खिड़की से बहार सातवे माले से नीचे की ओर फेंक दिया।
उसके बाद बारिश की उन आखरी बूंदों के साथ वो मुस्कुराते हुवे वहां से अदृश्य हो गई। में फ़ौरन हॉस्पिटल की ओर भागा। ओर वहाँ जाकर देखा तो माही को होश आ गया था।

'अचानक ही पीछे से मुजे किसी की आवाज आई अरे जयदेव भीग क्यों रहे हो बीमार हो जावोगे'
पीछे मुड़कर देखा तो माही खड़ी थी।
'माही इन मौसम का जी भरकर मजा ले लेने चाइए क्योकि ए कभी वापस नही आएगी ऐसा मीरा कहती थी'
मेरी बात सुनकर माही मेरे पास आई ओर मुझसे लिपट गयी।
आज माही को मेरे साथ देखकर मीरा बहुत खुश है क्योंकि उसने ये जान लिया की सच्चा प्यार क्या है। सच्चा प्यार किसीकी खुशियाँ छीनना नही किसी को खुशियाँ देना है।

समाप्त
©Paresh Makwana

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