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युद्ध

स कहानी की शुरुआत अमेरिका के छोटे से शहर कोलम्बिया मे होती है । जहाँ पर थामस पेन नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी इलिया के साथ खुशी से रहता था । उन्होने एक छोटा सा रेस्टोरेन्ट अपने (स्वीट हैवन ) घर के पीछे वाले कमरे मे खोल था । जिस ये दोनों मिलकर चलाया करते । इस तरह इनका छोटा सा परिवार खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहा था । यह खुशी तब दुगनी हो गयी जब इलिया ने दो जुड़वा बच्चो को जन्म दिया । मगर यह खुशी ज्यादा देर तक टिक नहीं पायी ,क्योकि एक नर्स ने उन्हे बताया कि आपकी पत्नी की तबियत लगातार बिगड़ती चली जा रही है सच तो यह है कि उनके बचने की उम्मीद बहुत कम है । यह सुनते ही थामस पेन की आंखो मे आँसू आ गये। वह अपने आँसू पोछ कर इलिया के कमरे मे पहुँचा । अपने पति की आंखो मे आँसू देखकर इलिया समझ गयी कि उसके पास ज्यादा समय नहीं है । इलिया थामस पेन से कहती है कि “ इन बच्चो को गोद मे उठाकर जल्दी से मेरे पास लाओ ।” थामस पेन ने वैसा ही किया जैसा इलिया ने कहा था । अपने दोनों बच्चो का माथा चूमकर इलिया थामस पेन से कहती है कि “ अब से इनकी सारी ज़िम्मेदारी तुम्हारी है । ” थामस पेन इलिया से कहता है कि “ ऐसा मत कहो ! तुम्हे कुछ नहीं होगा ।” उसकी तरफ देखकर मुसकुराते हुए इलिया ने अपनी आंखे हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर ली । पूरे परिवार की मौजूदगी मे इलिया का अंतिम-संस्कार कर दिया गया । अचानक कब्रिस्तान मे तेजी से बरसात होने लगी । थामस पेन इलिया के कब्र के सामने अपने दोनों बच्चो को गोद मे लेकर कहता है कि “ मै हमेशा इनका ख्याल रखूँगा ये मेरा वादा है। ” थामस पेन अपने बेटे का नाम काटर और बेटी का नाम जेनीफर रखा । धीरे –धीरे समय बिताने लगा और उसके दोनों बच्चे बड़े हो गये । जब भी काटर और जेनीफ़र बाहर से खेलकर घर पहुँचते तब अपने पिता से सिर्फ एक ही सवाल पूछते “ पापा हमारी मम्मी कहाँ पर है । ” यह बात सुनते ही थामस पेन की आंखे थोड़ी देर के लिए नम हो गयी। वह इलिया की फोटो की तरफ देखकर कहता है कि “तुम्हारी मम्मी यहाँ बहुत दूर पारियो के देश मे रहती है । ” इतना कहकर थामस पेन ने काटर और जेनीफ़र को अपने गले से लगा लिया ।

फिर शुरुआत हुई नयी सुबह की –थामस पेन घर और रेस्टोरेन्ट दोनों की देखभाल अच्छी तरह से करने लगा । कुछ महीने बाद-काटर और जेनीफ़र अपने घर के पास वाले स्कूल मे जाने लगे । स्कूल से आने पर दोनों मिलकर रेस्टोरेन्ट काम किया करते और रात मे एक साथ पढ़ाई। जब भी दोनो अच्छे नंबर से पास होते तो थामस पेन अपने पड़ोसियो को रेस्टोरेन्ट मे शानदार पार्टी दिया करता । इस तरह समय बीतते चला गया काटर और जेनीफ़र आगे की पढ़ाई के लिए शहर के सबसे बड़े कॉलेज डिवान –कोलीन मे दाखिल ले लिया । इस कॉलेज मे दोनों भाई –बहन अलग हो गये क्योकि दोनों का विषय अलग –अलग था । इस बात को लेकर जेनीफ़र काफी नाराज हुई । रात के डिनर पर जेनीफ़र का उदास चेहरा देखकर थामस पेन उसकी तरफ इशारा करते हुए काटर से पूछता है कि “इसे हुआ क्या है ? ” तब काटर थामस पेन से कहता है कि “दरअसल पापा हम दोनों का सब्जेक्ट ( विषय ) अलग होने कारण क्लास भी अलग हो गया है। इस बात को लेकर जेनीफ़र काफी नाराज है । ” थामस पेन जेनीफ़र को पास बुलाकर समझाने लगे । आखिरकार उसके उदास चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी । इसके बाद काटर अपने हाथो से उसको खाना खिलाने लगा । भाई –बहन का प्यार देखकर थामस पेन बहुत खुश हुआ और अपनी पत्नी की फोटो की तरफ देखने लगा । अगली सुबह कॉलेज कैम्पस मे –काटर जेनीफ़र को उसके क्लास मे छोडकर अपने क्लास रूम मे चला गया । एक दिन उसकी मुलाक़ात ऐनी नाम की एक खूबसूरत लड़की से हुई । धीरे –धीरे उन दोनों की दोस्ती प्यार मे बदल गयी । मगर ये बात जेनीफ़र को बिल्कुल मालूम नहीं थी । काटर और ऐनी कॉलेज कैम्पस मे छिप –छिपकर मिला करते । एक दिन जेनीफ़र की सहेली हाबी अपने बर्थ डे पार्टी पर सभी दोस्तो को घर पर बुलाया । जेनीफ़र भी अपने भाई काटर को साथ लेकर उसके बर्थ डे पार्टी पर गयी । हाबी जेनीफ़र को देखते ही देर से आने का कारण पूछती है । तब जेनीफ़र हाबी को गले लगाकर हैप्पी बर्थ डे बोलते हुए कहती है कि “ माफ करना यार तुम्हारे लिए तोहफ लाना भी तो जरूरी था । ” यह कहकर अपने साथ लाये हुआ तोहफा उसके हाथ मे दे दी । अचानक काटर की नजर ऐनी पर गयी । जो हाबी के बर्थ पार्टी पर अपनी सहेलियों के साथ आयी हुई थी । ऐनी को बर्थ डे पार्टी मे देखकर काटर बहुत खुश हुआ । दोनों एक –दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे । हाबी के पार्टी को धमाकेदार बनाने के लिये सारे दोस्त म्यूजिक बजाकर एक –दूसरे के साथ डांस करने लगे । काटर को ऐनी के साथ डांस करता देखकर जेनीफ़र हाबी से कहती है कि “ मेरा भाई पहले तो तुम्हारे बर्थ डे पार्टी पर बिलकुल आना नहीं चाहता था लेकिन अब देखो कितने खुशी से उस लड़की के साथ डांस कर रहा है । ” हाबी जेनीफ़र से कहती है कि “खुश क्यो नहीं होगे सच बात तो यह है कि ये दोनों एक –दूसरे को बहुत पसंद करते है । ” यह सुनकर जेनीफ़र अपनी सहेली हाबी की तरफ देखने लगी । पार्टी के खत्म होते ही सब अपने-अपने घर चले गये । अगले दिन जेनीफ़र ऐनी को कॉलेज के मैदान मे बुलायी । जहाँ पर वो कई सहेलियों के साथ उसका इंतजार कर रही थी । जेनीफ़र ऐनी को डर धमकार ये सच्चाई उगलावा ली कि दोनों एक- दूसरे से बेहद प्यार करते है । यही बात उसने अपने पापा थामस पेन को बतायी । शाम को जेनीफ़र काटर को बिना बताये ऐनी के घर जाकर उसके माता (लिमन) और पिता (शोन) को कल रात के खाने के लिये अपने यहाँ इन्वाइटड कर ली । घर से निकलते समय जेनीफ़र ऐनी से कहती है कि “ यह बात भाई को मत बताना ! ” ऐनी ने मुस्कुराकर उसकी बात मान ली । अगले दिन शाम को अपने यहाँ बढ़िया खाना बनाता देखकर किचन मे काम कर रही जेनीफ़र से काटर पूछता है कि “ आज किसी का बर्थ डे है क्या ?। ”मगर जेनीफ़र उसके सवाल का जवाब दिये बिना ही उसको किचन से निकाल दी । दूसरी तरफ –थामस पेन को तैयार होता देखकर काटर उनसे पूछता है कि “ पापा आप कही जा रहे है क्या ? । ” थामस पेन टाई बांधते हुए कहते है कि “ सर्प्राइज़ है तुम्हें क्यो बताये ? । ” उसी समय घर के बाहर लगी डोर - बेल बज उठी । यह आवाज सुनते ही जेनीफ़र और थामस पेन दरवाजा खोलने के लिए दौड़ पड़े । उन दोनों की हरकत देखकर काटर मन ही मन कहता है कि “ ये दोनों कभी नहीं सुधरेगे । पता नहीं आज क्या खिचड़ी पका रहे है ? । ” यह कहकर वह अपने कमरे मे चला गया । तभी उसको ऐनी की आवाज सुनायी दी ; जिसे वह घबराकर कमरे से बाहर आया । तब उसने देखा कि थामस पेन ऐनी के माता पिता लिमन और शोन से बातचीत कर रहे थे । तो दूसरी तरफ –ऐनी जेनीफ़र के साथ मिलकर किचन से खान निकाल कर टेबल पर लगा रही थी । खाने के टेबल पर थामस पेन ने लिमन और शोन से उनकी बेटी का हांथ अपने बेटे काटर के लिये मांगा । यह बात सुनते ही लिमन और शोन इस रिश्ते के लिये राजी हो गये और उन्होने फैसला किया कि दोनों बच्चो की पढ़ाई खत्म होते ही इनकी शादी करवा दी जायेगी । यह बात सुनते ही जेनीफ़र बहुत खुश होकर ऐनी को गले से लगा लिया । इसी बीच अमेरिका की जानी –मानी लोक्स कम्पनी सभी कॉलेज मे आकर नर्स , रिपोर्टर , और सेना मे भर्ती के लिए सभी स्टुडेन्ट का इंटरव्यू लेने लगी । जिसमे से 150 स्टुडेन्ट को सेलेक्ट किया गया । जिसमे जेनीफ़र को नर्स , ऐनी को रिपोर्टर और काटर को सेना के लिए सेलेक्ट कर लिया गया । कॉलेज कैम्पस के बोर्ड पर अपना –अपना नाम लिखा देखकर तीनों बहुत खुश हुए । सेलेक्ट किये गये इन स्टुडेन्ट की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी ट्रेनिग भी कॉलेज के अंदर होने लगी । 28 जुलाई सन 1914 ई0 मे प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ । जिसमे करोड़ो लोग मारे गये और लाखो लोग घायल होकर हॉस्पिटल मे भर्ती थे । युद्ध वाले देशो मे घायल लोगो की देखभाल के लिए नर्स और दवाओ के साथ –साथ डॉक्टर की भी कमी पड़ने लगी । इस कमी को देखते हुए सभी देशो ने अपने यहाँ से कुछ न कुछ मदद भेजने लगे । इधर अमेरिकी सरकार ने भी अपने शहर से डॉक्टर और नर्स की एक टीम रूस के युद्ध वाले जगह पर भेजने का फैसला किया। ताकि घायल लोगो का इलाज किया जा सके । रूस मे जाने वाले नर्स की लिस्ट मे जेनीफ़र अपना नाम सबसे ऊपर लिखा था । यह देखकर जेनीफ़र बहुत खुश हुई , कॉलेज के सभी स्टुडेन्ट उसको बधाई देने लगे । जब यह बात वह घर आकर बतायी तो थामस पेन और काटर ने उसको रूस जाने की इजाजत नहीं दी । इस बात से जेनीफ़र नाराज होकर अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर ली । जब उसका दरवाजा ना तो रात मे खुला और ना ही सुबह । तब दोनों ने घबराकर ऐनी को फोन किया । ताकि वो यहाँ आकर जेनीफ़र को समझाये । ऐनी अपने माता-पिता के साथ काटर के घर पहुँची । थामस पेन लिमन और शोन से कहते है कि “ रूस मे युद्ध का माहौल चल रहा । ना जाने कब जर्मनी की हवाई सेना वहाँ पर हमला कर दे ये किसी को मालूम नहीं । मगर ये पागल लड़की रूस जाने की जिद कर रही है । अब आप ही बताइये कि मै क्या करूँ ? ”तभी ऐनी नाश्ते का ट्रे लेकर उसके कमरे के पास गयी और जेनीफर को बाहर से आवाज दी । ऐनी का आवाज सुनते ही जेनीफर ने अपने कमरे का दरवाजा खोल दिया । उसको सही देखकर काटर और थामस पेन ने राहत की सांस ली । लिमन और शोन थामस पेन से कहते है कि “ आप चिंता मत कीजिये हम सब मिलकर उसे समझने की कोशिश करेगे । ” यह कहकर लिमन और शोन उसके कमरे मे गये । सब ने मिलकर जेनीफर को बहुत समझाने की कोशिश की । कि वो रूस जाने की जिद छोड़ दे । मगर जेनीफर अपनी बात पर अड़ी रही । आखिरकार थामस पेन उसको रूस भेजने के लिए राजी हो गये । यह बात सुनते ही जेनीफर ने अपने पापा को गले से लगा लिया । अगली सुबह – सारे लोग जेनीफर को छोड़ने के लिये अमेरिका के बन्दरगाह पर पहुँचे । जहाँ पर पहले से ही डॉक्टर और नर्स की टीम उसका इंतजार कर रही थी । आखिरी बार उन सभी को अलविदा करते हुए जेनीफर अपने टीम के साथ समुंदर मे खड़ी लुसातिनिया नाम की पनडुब्बी मे बैठकर वहाँ से चली गयी । इसके बाद ऐनी और उसका पूरा परिवार थामस पेन के कंधो पर हांथ रखकर यह बताने की कोशिश की , कि वो सब उसके साथ है । लुसातिनिया नाम की पनडुब्बी बड़ी तेजी के साथ रूस की तरफ बढ़ती चली जा रही थी कि तभी जर्मन की पनडुब्बी तारपीड़ो सामने से आ रही लुसातिनिया नाम की पनडुब्बी पर मिसाइल से हमला करके सुमंदर के गहरे सतह मे डूबो दिया । जिसमे सारे लोग मारे गये । इस घटना की जानकारी मिलते ही अमेरिका की सरकार ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी । यह खबर पूरे कोलम्बिया शहर के रेडियो चैनल और टेलीविज़न के साथ –साथ अखबार मे भी छाप दी गयी कि जर्मन की लड़ाकू पनडुब्बी ने लुसातिनिया नाम की पनडुब्बी को सुमंदर की गहरी तली मे डुबो कर उसमे बैठे सारे यात्री को मार डाला । रेडियो मे यह खबर सुनते ही थामस पेन को दिल का दौरा पड़ा और वो बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े । काटर तुरंत ही उन्हे हॉस्पिटल मे भर्ती करवा दिया । यह खबर सुनते ही ऐनी और उसका पूरा परिवार थामस पेन से मिलने के लिये हॉस्पिटल मे आये । काटर से उन्हे पता चल की उनकी हालत काफी गंभीर है । इस तरह एक हँसता खेलता परिवार युद्ध की आग मे जलकर पूरी तरह से तबाह हो गया । सात दिन बाद - कोलम्बिया सरकार ने सभी के शवों को एक सुंदर से ताबूत मे लेटकर उनके घरो पर भेजवा दिया गया । जेनीफ़र से आखिरी बार मिलने के लिये उसके कॉलेज के सभी दोस्त , प्रिन्सिपल और ऐनी के माता -पिता भी थामस पेन के घर पहुँचे । लिमन और शोन अकेले बैठकर रो रहे थामस पेन को इस मुश्किल हालत मे हिम्मत बनाये रखने की सलाह दे रहे थे । कुछ देर बाद जेनीफ़र के शव को कब्रिस्तान मे ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया । थामस पेन अपने दर्द को सीने मे दबाकर चुप-चुपा से रेस्टोरेन्ट मे काम करने लगे । मगर जेनीफ़र की मौत का सबसे बड़ा सदमा काटर को लगा। वह कई घंटो तक जेनीफ़र के कमरे मे अकेला बैठकर वहाँ रखे सामानो को बस देखता रहता। इस तरह दोनों लोग उसकी मौत को भूलाने की पूरी कोशिश कर रहे थे । इसी बीच काटर की आर्मी ट्रेनिग भी पूरी हो गयी । युद्ध के बादल एक बार फिर से मंडराने लगे और सभी देश अंदर ही अंदर युद्ध की तैयारी करने लगे । बस कमी थी तो एक आग सुलगाने की । यह काम जर्मनी ने 1 सितम्बर 1939 ई 0 मे पौलेंड पर हमला करके दितीया विश्व युद्ध की घोषणा कर दी । इस बार दितीय विश्वयुद्ध मे अमेरिका भी शामिल हुआ । जिसके कारण मित्र राष्ट्रो की शक्ति कई गुना बढ़ गयी । अमेरिकी सरकार ने छुट्टी पर गये सैनिको को अपने-अपने आर्मी हेडर्क्वाटर पहुँचने का आर्डर दिया गया । इस खबर को रेडियो ; टेलीविज़न और अखबारो के साथ-साथ चिट्ठी मे लिखकर सभी के घरो पर पोस्ट कर दिया गया । अगली सुबह – ऐसी ही एक चिट्ठी थामस पेन को अपने घर के बाहर पड़ी हुई मिली । उस चिट्ठी को पढ़ते ही उनकी आंखो मे आँसू आ गये । वह घर के अंदर आकर काटर का सारा सामान बैग मे पैक करने लगे । यह देखकर काटर थामस पेन से पूछता है कि “ पापा आप कही जा रहे है क्या ? ” थामस पेन काटर को चिट्ठी दिखते हुए कहता है कि “ आज शाम की ट्रेन से तुम्हें आर्मी हेडक्वार्टर पहुँचना होगा । इसलिए जल्दी से जाकर तैयार हो जाओ । ” थामस पेन अपने दिल पर पत्थर रखकर काटर को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गये । जहाँ पर सभी के माता-पिता अपने-अपने बेटो को छोड़ने के लिये आये हुए थे । देखते-देखते ही पूरा स्टेशन आर्मी कैम्प मे बदल गया । जैसे ही काटर ट्रेन के अंदर चढ़ने के लिये अपना पहला कदम रखा । तभी उसे सामने से दौड़ती हुई ऐनी दिखायी दी । जिस से वह रुक गया , ऐनी काटर से पूछती है कि “ युद्ध मे जाना जरूरी है क्या । कभी तुमने पापा के बारे मे सोचा कि उनका क्या होगा ? ” काटर ऐनी से कहता है कि “ मुझे तुम पर पूरा भरोसा है कि चाहे मै इस युद्ध से वापस आऊ या ना आऊ । तुम हमेशा उनका ख्याल रखोगी । ” यह सुनकर ऐनी की आंखो मे आँसू आ गये । ऐनी को वही रोता छोड़कर काटर वहाँ से चला गया । इधर दितीय विश्व युद्ध की शुरुआत बहुत ही भयानक और दर्दनाक थी । चारो तरफ से मशीन गन और टैंक की आवाज से पूरी पृथ्वी काँप उठी । युद्ध की पल –पल की खबर रेडियो ; टेलीविज़न और अखबारो मे दिखायी व छापी जा रही थी । एक दिन मित्र राष्ट्रो की सेना को पता चला की दुश्मन की सेना गहरे खाई मे छिपी हुई है । इसके बाद मित्र राष्ट्रो की सेना ने वहाँ पर हमला कर दिया। काटर भी उस सेना मे शामिल था । कई महीनो तक मित्र राष्ट्रो की सेना भूखी- प्यासी लड़ती रही। अचानक मित्र राष्ट्रो की सेना पर जैविक मिसाइल से हमला हुआ । जिस से सारे लोग एक खतरनाक वायरस के चपेट मे आ गये और उनकी मौत हो गयी । उसी सेना की टुकड़ी मे काटर भी शामिल था । 14 अगस्त 1945 को दितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ । युद्ध के समाप्त होते ही सारे सैनिक अपने –अपने हेडक्वार्टर पहुँचने लगे । युद्ध के दौरान जिस सेना की टुकड़ी से संपर्क टूट गया था उसे खोज निकालने और राहत का सामान पहुँचने के लिये एक स्पेशल फोर्स निकाल पड़ी । युद्ध मे मारे गये सैनिको की मौत की खबर चिट्ठी मे लिखकर उन सभी के घरो पर भेजवा दी गयी । सन 1 नवम्बर 1945 ई 0 आर्मी हेडक्वार्टर की तरफ से लिखी गयी चिट्ठी थामस पेन को मिली । जिसमे लिखा था कि- “ आपका बेटा काटर बड़ी बहादुरी से लड़ता हुआ अपनी बटालियन के साथ मारा गया । ” उसकी लाश कल सुबह कोलम्बिया एयपोर्ट पर लायी जा रही है । चिट्ठी को पूरा पढ़ते ही उनकी आंखो मे आँसू भर आयी । अगली सुबह –थामस पेन और ऐनी एयरपोर्ट पर पहुंचे जहाँ पर सेना की टुकड़ी ने काटर का ताबूत बड़े सम्मान के साथ उनके घरवालो को सौप दिया । सब लोगो की उपस्थिति मे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया । काटर को जेनीफर के कब्र के बगल मे दफनाया गया । सब एक –एक करके उसके कब्र पर फूल चढ़ा कर वहाँ से जाने लगे। अपने दोनों बच्चो की कब्र के पास खड़ा होकर थामस पेन मन मे सोचता है कि “ काश मै भी इनके साथ मर गया होता तो कितना अच्छा होता । ऐनी एक बेटे के तरह उन्हे सहारा देते हुए अपने साथ वहाँ से ले गयी । बस रह जाती है तो ऐनी के दिल मे काटर के साथ बिताये गये कुछ लम्हे । काटर के मौत के बाद ऐनी अपने –आपको बिल्कुल अकेला और कमजोर महसूस करने लगी । वह दिन – रात काटर की यादों मे खोयी रहने लगी । इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए ऐनी ड्रग्स का सेवन करने लगी । एक दिन ज्यादा ड्रग्स लेने की वजह से उसकी हालत काफी गंभीर हो गयी । यह देखकर लिमन और शोन उसको प्राइवेट हॉस्पिटल मे भर्ती करवा दिया । जहाँ पर ऐनी की तबियत लगतार बिगड़ती चली जा रही थी । वो जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी । जब ऐनी अपने कमरे मे सो रही थी कि तभी उसके कमरे का दरवाजा अपने – आप खुल गया और ठंडी हवा का एक हल्का सा झोका उसके शरीर से टकराया । ऐनी अपनी आंखे खोलकर दरवाजा की तरफ देखने लगी । तभी उसे काटर और जेनीफर की आत्मा दिखायी दी ; जो उसको इशारा करके अपने साथ चलने के लिये कही । यह देखकर ऐनी मुस्कुराने लगी और उसके साथ बिताये गये हर लम्हो को याद करने लगी । ऐनी की आत्मा पलंग से उठाकर उसके साथ चलने के लिए राजी हो गयी । धीरे-धीरे ऐनी की दिल की धड़कन पूरी तरह से शान्त हो गयी और उसकी मौत हो गयी ।

द एंड

मोहम्मद सिकंदर