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वो कौन था ?

इस कहानी की शुरुआत बर्लिन (जर्मनी ) से लगभग 60 किलोमीटर दूर पौलेंड के छोटे से गाँव ओसिनोवा डोलनी मे होती है । जिनमे से करीब 150 लोग बाल-काटने का काम करते है । सभी लोगो ने अपने-अपने सैलून (दुकान) के ऊपर आने वाले ग्राहको के लिए जर्मनी भाषा मे स्वागत व शुक्रिया का बोर्ड लगा रख थे । उसी गाँव मे बिलग्रेट नाम की महिला अपनी माँ हेलरी और 18 वर्षीय बेटा यूरो के साथ वहाँ पर रहा करती थी । वह सैलून मे आने वाले महिला और पुरुषो का बाल काटकर अपने घर का खर्च चलाया करती। उसका बेटा यूरो कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ सुबह अखबार बांटने का काम किया करता। ताकि वो घर चलाने मे अपनी मम्मी की मदद कर सके । इतनी गरीबी हालातो मे भी उनका पूरा परिवार खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहा था । एक दिन कॉलेज से लौटने के बाद यूरो की तबियत अचानक बहुत खराब हो गयी । उसकी लगातार बिगड़ती हालत को देखकर हैलरी और बिलग्रेट ने यूरो को सरकारी हॉस्पिटल मे भर्ती करवा दिया । इसी बीच बरसात का मौसम भी नजदीक आ गया। घर की टूटी हुई छत की मरम्मत तथा यूरो की दवा के लिए बिलग्रेट के पास बिल्कुल पैसे नहीं थे । इसलिये किसी को बताये बिना ही उसने अपनी सगाई वाली अंगूठी बेच दी । कुछ ही हफ्तों के अंदर यूरो की तबियत ठीक हो जाने पर बिलग्रेट और हैलरी उसको डिस्चार्ज करवा कर घर ले गयी । इस तरह बरसात का मौसम भी निकल गया ; चारो तरफ हरियाली और पक्षियो की मधुर आवाज़े सुनायी देने लगी । एक बार फिर से बिलग्रेट का परिवार सामान्य हो गया । रोजाना की तरह अखबार बांटकर जा रहे यूरो को कब्रिस्तान के गेट के बाहर एक आदमी खड़ा मिला । जिसने काले रंग का कोट पैंट और सफेद रंग की शर्ट पहन रखी थी । वह यूरो से एक अखबार खरीदकर उसको 100 रुपये (पौलेंड मे रुपये को ज्योती कहते है ) देते हुए वहाँ से जाने लगा । तभी यूरो पीछे से आवाज देकर उस आदमी से कहता है कि “ सर ! अपने पैसे तो लेते जाइये ? ” । उसकी बात सुनकर वह आदमी मुसकुराते हुए कहता है कि “ उसको इनाम के तौर पर इसे अपना पास रख लो ।” यूरो उसकी बात को सुनकर हैरान हो गया । वह मन मे सोचने लगा कि “ 100 रुपये मे एक अखबार भला कौन खरीदता है । ” देखते ही देखते वह आदमी घने कोहरे मे कही गायब हो गया । यह सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा। उन पैसो की वजह से यूरो के परिवार की हालत काफी बेहतर हो गयी । धीरे-धीरे यह घटना जंगल मे लगी आग की तरह पूरे ओसिनोवा-डोलनी मे फैलती चली गयी । कुछ लोग अखबार लेकर उसी कब्रिस्तान वाले रास्ते से गुजरते है मगर वह अजनबी आदमी किसी को दिखायी नहीं दिया । यह घटना सब के लिए पहेली बनती चली गयी कि आखिरकार वो कौन था ? जो यूरो से 100 रुपये मे अखबार खरीदता था । आस – पास के लोग कहने लगे कि ये सब उसकी काल्पनिक कहानी है दरअसल वो रात मे कही चोरी करता है । इसलिये उसका पूरा परिवार अच्छे से खा-पी रहा है । रूटस कॉलेज मे पढ़ने वाले सारे स्टूडेंट यूरो को पागल और चोर कहकर परेशान करने लगे । जिसे से इसका सीधा असर उसके पढ़ायी पर पड़ रहा था । लेकिन उसी के साथ पढ़ने वाली एंजिलना इन सब बात को नजरंदाज करते हुए यूरो से अपनी दोस्ती नहीं तोड़ी । इस बात से नाराज होकर एंजलिना की सहेलिया भी उस से मिलना-जुलाना बंद कर दी । जब यह बात यूरो को पता चली कि उसने मेरे लिये अपने सहेलियों से लड़ाई की है । तब वो इसका कारण पूछता है – एंजलिना ने यूरो को बताया कि “ मुसीबत मे पड़े दोस्तो को यू अकेला छोड़कर जाना मैंने नहीं सीखा । उसकी बात सुनकर यूरो का टूटा हुआ आत्म-विश्वास एक बार फिर से वापस आ गया । इस घटना के दो महीने बाद− यूरो अपने जन्मदिन के पार्टी मे सभी दोस्तो को अपने घर बुलाया । जिसमे से कुछ ही लोग उसके यहाँ पहुँचे । यूरो अपने दोस्तो से बातचीत कर रहा था । तो वही दूसरी तरफ− उसकी मम्मी और नानी हैलरी जन्मदिन की पार्टी की तैयारी मे लगी हुई थी कि अचानक यूरो की नजर घर के सामने वाले पेड़ पर गयी जहां पर कब्रिस्तान वाला आदमी उसके लिये तोहफा लेकर खड़ा था। वह तुरंत ही बाहर आकर उस आदमी से कहता है कि “ आज आपकी वजह से यहाँ के सब लोग मुझे पागल समझ रहे है । ” इस से पहले की वो उन से और कुछ कह पता । वह कब्रिस्तान वाला आदमी जन्मदिन की बधाई देकर अपने साथ लाया हुआ तोहफा उसको दे दिया । यूरो उस कब्रिस्तान वाले आदमी से कहता है कि “ आपको कैसे पता चला कि आज मेरा जन्मदिन है । ” कब्रिस्तान वाला आदमी लंबी सांस लेकर यूरो से कहता है कि “ तुम्हारे घर के अंदर बन रही चाकलेट वाली केक की खुशबू से ; वैसे तुम्हारी नानी हैलरी उर्फ हेलु चाकलेट केक काफी अच्छा बनती है । कई साल हो गये उसके हाथ के बने केक खाये हुए। ” यह कहकर उस कब्रिस्तान वाले आदमी ने यूरो को एक लिफाफा दिया । जब यूरो ने उस लिफाफा को खोला तब उसमे 50.000 रुपये को देखते ही घबराह गया और उन्हे वापस कर दिया । कब्रिस्तान वाला आदमी उसे समझाते हुए कहता है कि “ ये रुपये अपनी मम्मी बिलग्रेट को देकर कहना कि वो सगाई वाली अंगूठी वापस खरीद ले ।” जाते समय कब्रिस्तान वाला आदमी यूरो के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है कि “ एंजलिना बहुत अच्छी लड़की है और वो तुमसे बहुत प्यार करती है। ” यूरो ज़ोर से चिल्लाकर उनका नाम पूछा मगर कब्रिस्तान वाला आदमी अपना नाम बताये बिना ही अंधेरी रात की काली चादर मे कही गुम हो गया । ठीक उसी समय एंजलिना की कार वहाँ पर आकार रुकी । यूरो को घर के बाहर खड़ा देखकर एंजलिना उस से पूछती है कि “ किसी का इंतजार कर रहे हो क्या ? ” यूरो एंजलिना को तोहफा और 50.000 रुपये दिखाते हुए कहता है कि “ कब्रिस्तान वाला आदमी यहाँ पर आया था मुझे जन्मदिन की बधाई देने के लिये । ” इस बात पर एंजलिना उसको डांटते हुए कहती है कि “ अब बस भी करो ; मै भी उसी रास्ते से यहाँ आयी हो लेकिन मुझे तो कोई दिखायी नहीं दिया । ये बात किसी और से मत कहना वरना आज के दिन भी सब तुम्हारा मज़ाक उड़ाएगे । उसकी बात सुनकर यूरो चुपचाप एंजलिना के साथ घर के अंदर चला गया। जहां पर सब ने मिल-जुलकर उसका जन्मदिन मनाया। जन्मदिन की पार्टी खत्म होते ही सब एक- दूसरे से हाथ मिलते हुए अपने घर चले गये। यूरो रुपये वाला लिफाफा बिलग्रेट को देकर कहता है कि “ मम्मी अपनी सगाई वाली अंगूठी वापस खरीद लो ; क्योकि वो नानी की है इसलिये देर मत करो । ” यह बात सुनते ही बिलग्रेट एक पल के लिये चौक उठी कि इसे कैसे पता चला ?” हैलरी बिलग्रेट की तरफ इशारा करके पूछती है कि “ वाकइया मे तुमने सगाई वाली अंगूठी बेच दी है । ” बिलग्रेट अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज मे कहती है कि “ हाँ मम्मी घर की छत की मरम्मत और यूरो की दवा के लिये मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं थे इसलिये मजबूर होकर अपनी सगाई वाली अंगूठी बेच दी । ” उसकी आंखो मे नमी देखकर हैलरी ने तुरंत ही अपनी बेटी को गले लगा लिया । दोनों मिलकर यूरो से पूछते है कि “ ये बात तुम्हें किसने बतायी ? ” यूरो उन दोनों से कहता है कि “ उस कब्रिस्तान वाले आदमी ने मुझे बताया और हाँ नानी वो किसी को हेलु कह रहे थे । ” यह बात सुनते ही हैलरी और बिलग्रेट के आंखो मे आँसू आ गये। इसके बाद यूरो ने उस कब्रिस्तान वाले आदमी के लाये हुए तोहफे को खोलने लगा । बिलग्रेट और हैलरी यूरो से पूछती है कि “ वो दिखाता कैसा था । ” यूरो एक-एक करके उनका हुलिया बताने लगा इसी बीच हैलरी वहाँ से उठकर अपने कमरे मे चली गयी । कुछ देर बाद हैलरी अपने परिवार की पुरानी एलबम लेकर बाहर आयी। जिसमे उसके पूरे परिवार की फोटो सही सलामत रखी हुई थी । एलबम को खोलकर हैलरी और बिलग्रेट उसमे लगी फोटो दिखाते हुए यूरो से पूछती है कि “ क्या वो इस तरह दिखायी देते है । ” एलबम मे लगी फोटो को देखते ही यूरो ज़ोर से बोल उठा हाँ नानी ये वही है मगर इनकी फोटो आपके पास कैसे ? हैलरी की आंखो से आँसू निकल कर फोटो पर गिरने लगी । बिलग्रेट हैलरी के पास बैठकर उन्हे गले लगाते हुए कहती है कि “ अब चुप हो जाओ मम्मा । ” अपनी मम्मी और नानी को इस तरह रोता देखकर यूरो इसका कारण पूछने लगा । बिलग्रेट रुमाल से आँसू पोछकर उसको बतायी कि “ दरअसल कब्रिस्तान वाला आदमी तुम्हारे नाना जी है जिन्हे मारे हुए कई साल हो चुके है और सिर्फ वो ही तुम्हारी नानी को हेलु कहकर पुकारते थे। वो जर्मनी के अरबपतियों मे से एक थे जब उन्हे पता चला कि मैंने बिना बताये ही एक जर्मन सैनिक से यानी तुम्हारे पापा के साथ शादी कर ली है ; तो वो मुझसे काफी नाराज हुए और हमदोनों से रिश्ता तोड़ लिया। दितीय विश्व युद्ध के दौरान तुम्हारे पापा अपने बटालियन के साथ दुश्मनों से लड़ते मारे गये । यह खबर सुनते ही वह मुझसे मिलने के लिए आ ही रहे थे कि अचानक रास्ते मे उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया और उनकी मौत घटना स्थल पर हो गयी। मरने से पहले उन्होने एक वसीयत बनवायी थी जिसका पता आज तक नहीं चला पाया कि वो कहाँ पर रखी है। जिसकी वजह से हमारी सारी संपति जर्मन सरकार के कब्जे मे चली गयी । इस घटना के बाद मै और तुम्हारी नानी ओसिनोवा-डोलनी मे आकर रहने लगे। जब तुम्हारा जन्म हुआ तो हमारी खोयी खुशियाँ एकबार फिर से वापस आ गयी। उनकी बात सुनकर यूरो का दिल भर आया। वह अपने नाना जी का दिया हुआ तोहफा बड़े प्यार से खोलने लगा । तभी यूरो हैलरी से कहता है कि “ नानी इसके ऊपर कुछ लिखा है । ” यह बात सुनते ही हैलरी और बिलग्रेट उसके पास आकर तोहफा के ऊपर लिखा शब्द पढ़ने लगी। बिलग्रेट हैलरी से कहती है कि “ मम्मा ये किसी बैंक के लॉकर का नंबर लगता है। ” हैलरी और बिलग्रेट से कहती है कि “ जरा मुझे देना तो । ” वह चश्मा लगाकर उस नंबर के आस-पास देखने लगी । तभी उन्हे होली - क्रास का लगा हुआ मार्क (चिन्ह) दिखायी पड़ा। हैलरी यूरो और बिलग्रेट को बतायी कि “ ये होली बैंक का निशान है जो जर्मन मे है और लॉकर नंबर 206 है। शायद तुम्हारे पापा की वसीयत इसी लॉकर मे हो ।” अगली सुबह तीनों जर्मनी के लिये रवाना हो गये। होली बैंक पहुँचते ही उनकी मुलाक़ात बैंक मैनेजर जॉन हुई। वो उन तीनों को लॉकर की चाबी देकर वहाँ से चला गया। जब हैलरी और बिलग्रेट लॉकर नंबर 206 को खोलकर देखी। तब उसमे एक बैग पड़ा हुआ मिला । जिसके अंदर 200 सौ करोड़ रुपये के साथ एक चिट्ठी और वसीयत पड़ी हुई मिली ।

“ उसमे लिखा था कि बेटी बिलग्रेट मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ तुमने मुझे बिना बताये ही एक जर्मन सैनिक से शादी कर ली । इस बात से मुझे काफी दु:ख पहुंचा; भले ही गुस्से मे आकर मैंने तुम्हें घर से बाहर निकल दिया हो। मगर अपने दिल से नहीं निकल पाया। मै चाहता हूँ कि तुम हमेशा खुश रहो इसलिये मै अपनी सारी संपति और ये कुछ रुपये तुम्हारे नाम पर लिख दिया है।

तुम्हारा पापा

विक्टर

यह पढ़ते ही बिलग्रेट रोते हुए कहती है कि “ मुझे माफ कर दीजिये पापा । ” हैलरी-बिलग्रेट के कंधो पर अपना हाथ रखकर कहती है कि “ चुप हो जाओ बेटा । तुम्हारे पापा की आत्मा यही- कही आस-पास मौजूद है तुम्हें इस हालत मे देखेगे तो उन्हे काफी दु:ख पहुँचेगा । ” दूसरे दिन तीनों अपने गाँव ओसिनोव डोलनी मे वापस आ गये। अपने पापा की खोयी हुई वसीयत जर्मनी सरकार को दिखाकर सारी संपति वापस ले ली। इस तरह बिलग्रेट का पूरा परिवार एक बार फिर से अरबपतियों की लिस्ट मे शामिल हो गये। इधर यूरो कॉलेज मे अच्छे नंबर से पास हो गया। इस खुशी के अवसर पर पास हो चुके सारे स्टूडेंट के लिए कॉलेज ने अपनी तरफ से एक शानदार अलविदा पार्टी दी । जिसमे सब लोग अपने माता-पिता और भाई- बहन को साथ लेकर वंहा पर जमा होने लगे। उसी पार्टी मे बिलग्रेट और हैलरी की मुलाक़ात एंजलिना के माता-पिता सेनरी और बोन से हुई। दोनों परिवार के लोगो ने आपस मे बातचीत करके एंजलिना और यूरो की शादी तय कर ली। शादी वाली बात पार्टी मे फैलते ही वंहा पर मौजूद सारे स्टूडेंट उन दोनों को बधाई देने लगे। छ : महीने बाद जर्मन के सेंट पीटरबर्ग चर्च में यूरो और एंजलिना सब के सामने एक-दूसरे को अंगूठी पहनाकर शादी के पवित्र रिश्ते मे बंध गये। चर्च के पादरी ने उन दोनों को पति-पत्नी घोषित कर दिया। यह बात सुनते ही वंहा पर बैठे सारे लोग खड़े होकर ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बजाने लगे। अचानक यूरो की नजर चर्च के सबसे पीछे वाले सीट पर गयी। जहां पर उसके नाना जी भी सब के साथ मिलकर उसकी शादी पर तालियाँ बजा रहे थे। यूरो चर्च के सबसे आखरी वाली सीट की तरफ इशारा करते हुए नानी और बिलग्रेट को बताया कि “ नाना जी उस सीट पर बैठे हुए और हम सब को देखा रहे है।” यह बात सुनते ही दोनों की आंखो में आँसू आ गये । ठीक उसी समय चर्च की छत को चीरते हुए एक रोशनी वहाँ पर दिखायी दी। उसके नाना जी उन दोनों के तरफ हाथ हिलाकर कहते है कि “ मेरे जाने का वक़्त आ गया है। ” उसी समय तेज रोशनी चर्च के अंदर चारो तरफ फैल गयी। तभी के एक आदमी कुर्सी से उठा और तेज रोशनी के अंदर चला गया। जिस किसने भी यह घटना देखी ; उन सब के पैरो तले से जमीन खिसक गयी। अब सब को पूरा यकीन हो गया कि यूरो झूठ नहीं बोल रहा था। बिलग्रेट और हैलरी ने भी आखरी बार विक्टर की आत्मा को वहाँ पर देखा। इसके बाद वो रोशनी कही गायब हो गयी ।

इस तरह उनकी भटकती आत्मा को शांति मिल गयी।

द एंड

सिकंदर