Muje yaad rakhna - 2 books and stories free download online pdf in Hindi मुझे याद रखना - 2 (21) 3.5k 9.5k " मुझे याद रखना " इतना कहकर वह गायब हो गई और यह सुनते ही मैं बुरी तरह से काँपने लगा और उस घने अंधेरे में भी मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया और मैं बेहोश हो गया। मुझे होश आया तो देखा कि मैं हॉस्पीटल में हूँ और सामने अमन और रागिनी खड़े हुए हैं, मेरे बगल वाले बैड पर अर्जुन सोया हुआ है और उसके पैर पर प्लास्टर लगा हुआ है। मैंने अमन से पूछा " अर्जुन ठीक है न? और मुझे क्या हो गया था और वो कहा गई? " तो अमन बोला " सर अर्जुन बिल्कुल ठीक है बस पैर में फ्रैक्चर हुआ है और सर आप अचानक से काँपने लगे और बेहोश हो गए तो हम आपको यहाँ ले आए और रागिनी यहीं तो खड़ी है और डेड बौडी हमने पोस्ट मॉर्टम के लिए भिजवा दी है। " " अरे मैं उस लाल आँखों वाली की बात कर रहा हूँ, कहाँ गई वो? " मैंने खीजते हुए कहा। " क्यों मजाक करते हैं सर भला लाल आँखें भी किसी की होती हैं? " मैंने भी सोचा चलो ठीक है इन लोगों को मजाक लग रहा है वरना अगर इसे पता चल गया कि मैंने चुड़ैल देखी है तो यह पूरे आॅफिस में गा देगा इससे अच्छा तो यह है कि ये सब इसे मजाक ही समझें।" वो रागिनी वहाँ चुड़ैल चुड़ैल कर रही थी तो मैंने सोचा मैं भी थोड़ा मजाक कर लूँ " मैंने बनावटी हँसी हँसते हुए कहा। पर शायद अमन और रागिनी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते थे।शाम तक मुझे हॉस्पीटल से डिस्चार्ज मिल गया तो मैं क्वार्टर के लिए निकला। रास्ते में रोड लाइट्स नहीं थी और एक बार फिर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मेरी कार के ठीक सामने वही दो लाल आँखें चमक रही थीं। मैंने ड्राइवर को तुरंत कार रोकने के लिए कहा। तभी फोन पर कॉल आ गया.... भैया का कॉल था। ड्राइवर बोला " क्या हुआ सर कार क्यों रुकवाई? " तो मैं चिल्लाकर बोला " तुम्हें दिखता नहीं क्या सामने? " तो वो थोड़ा सहम कर बोला " सर आगे तो कुछ भी नहीं है " तब मुझे समझ आया कि गलती मेरी है क्योंकि उस चुड़ैल को अभी तक सिर्फ मैं ही देख सकता था। मैंने कहा " मेरा मतलब तुम इतने अंधेरे में कार कैसे ड्राइव कर रहे हो " तो उसने भी हँसकर कहा " सर रोड पर लाइट नहीं है तो क्या हुआ कार में तो लाइट्स हैं " मैंने कहा ठीक है चलो अब।इतनी देर में कॉल मिस्ड कॉल में तबदील हो चुका था तो मैंने भैया को कॉल बैक किया। "आज हो क्या गया है तुझे सुबह से दस बार कॉल कर चुके हैं हम लोग और तू है कि कॉल बैक करना तो दूर रिसीव भी नहीं कर रहा। कहाँ था सुबह से? यहाँ सबको चिंता में डाल देता है। कब बड़ा होगा तू? "भैया जब डाँटना शुरू करते हैं तो रुकते ही नहीं हैं। पर सच तो यह है कि मैं भैया की चिंता और उनकी प्यार भरी डाँट सुनकर दिन भर की घटनाएं भूल गया और बोला " कुछ नहीं हुआ भैया वो एक मर्डर केस के सिलसिले में काफी देर तक छान बीन कर रहे थे, तो इसलिए बात नहीं हो पाई और फोन भी कार में रह गया था। और आप सब मेरा इतना ध्यान रखते हैं तो मैं बड़ा कैसे हो पाउंगा " " शर्म कर थोड़ी बच्चा नहीं है तू जो कैसे बड़ा हो पाउंगा " भैया फिर डाँटने लगे पर मैं उनसे चुड़ैल वाली बात छिपा गया क्योंकि अभी तो मैं खुद ही उलझन में था कि क्या सच में कोई चुड़ैल मेरे पीछे पड़ गई है या यह सब मेरा वहम है तो उन्हें कुछ भी बता के परेशान करने का क्या फायदा। उनसे बात करते करते कब क्वार्टर आ गया पता ही नहीं चला।क्वार्टर आते ही मैंने रामू काका से कहा " काका बहुत भूख लगी है जल्दी खाना बना दिजिए तब तक मैं अपने कमरे में हूँ " रामू काका " ठीक है " कहकर चले गए। और मैं चेंज करके अनन्या से व्हॅाट्स ऐप पर चैट करने लगा। वह भी पूछने लगी दिन भर बात क्यों नहीं की? मैंने फिर वही जवाब दिया जो अब तक देता आ रहा था फोन कार में रह गया और मैं बहुत बिज़ी था केस के सिलसिले में। अभी मुझे अनन्या से बात करते ज्यादा देर नहीं हुई थी कि रामू काका ने बुला लिया। उन्होने कहा "खाना तैयार है बैठो मैं लगा देता हूँ " उन्होने खाना लगाया और खुद भी वहीं बैठ गए। यूँ तो मैंने उन्हें कभी भी नौकर नहीं समझा पर वे खुद ही कभी मेरे बराबर में नहीं बैठते थे और आज यूँ उनका मेरे बराबर में बैठना मुझे कुछ समझ नहीं आया।अभी मैंने पहला निवाला तोड़ा ही था कि वे बोले " हर्षद " उन्होने कभी भी मेरा नाम नहीं लिया हमेशा बेटा ही कहते थे और आज यूँ नाम ले रहे हैं, मैंने सोचा अपनेपन में ऐसे बोला होगा। " हर्षद " मैं अभी तक आश्चर्य में था। अब उन्होने तीसरी बार कहा " हर्षद " तो मैंने " हाँ " बोला। उन्होने कहा " मुझे याद रखना "। अब जो निवाला मेरे हाथ में था वह फेंक कर मैं उनसे उल्टी तरफ भागा तो किसी से टकरा गया और सामने देखा तो हालत खराब हो गई सामने रामू काका थे। वे पूछने लगे " क्या हुआ बेटा सब ठीक है न भाग क्यों रहे हो? " मैंने पीछे देखा तो कोई भी नहीं था। मैं समझ नहीं पा रहा था ये रामू काका हैं या चुड़ैल। वे फिर बोले " खाना लगा दूँ क्या? " मैने कहा " रहने दीजिए काका भूख नहीं है, आप खा लीजिए " अब जिसको एक दिन में तीन तीन बार चुड़ैल के दर्शन हो जाएं उसे क्या खाना अच्छा लगेगा। पर मैं इतना तो समझ गया कि चुड़ैल दिखना मेरा कोई भ्रम नहीं है और यही असली रामू काका है पहले जिन रामू काका से मैं बात कर रहा था वो मुझे याद रखना वाली चुड़ैल थी जो रामू काका के वेष में मुझे न जाने क्या खिलाना चाहती थी। मेरा मन बहुत खराब हो गया था तो कमरे में जाकर बैठ गया तभी मूझे याद आया माँ अक्सर कहती हैं कि कोई भी बुरी आत्मा तीन बार आवाज देती है और जब शक हो तो चौथी बार ही जवाब देना चाहिए। पर अब तो मैं तीसरी बार में ही हाँ बोल चुका था और माँ की बात याद आते ही मैं और डर गया पर अब कुछ नहीं हो सकता था। यही सब सोच सोचकर दिमाग बहुत ज्यादा खराब हो गया तो सोचा यूट्यूब पर गाने ही सुन लूँ और मैं " सुन रहा है न तू " की वीडियो देखने लगा। अचानक से वीडियो में ऐक्टरैस की जगह एक लड़की आ गई जिसका उस साँग और फिल्म तो क्या, फिल्म इंडस्ट्री से भी शायद कोई नाता नहीं था। यह देखकर फोन फेंककर मैं दूर खड़ा हो गया और बाहर जाने की कोशिश करने लगा पर कोई फायदा नहीं....... दरवाजा खुल ही नहीं रहा था, तभी मेरा फोन हवा में तैरता हुआ मेरी आँखों के सामने आकर रुक गया, मैं कुछ नहीं देखना चाहता था पर आँखें बंद ही नहीं हो रही थी क्योंकि कहीं न कहीं मैं जानना चाहता था कि क्या कड़ी है जो एक चुड़ैल को मुझसे जोड़ रही है और मैंने देखा वही लड़की जो ऐक्टरैस की जगह दिख रही थी, एक पेड़ से बंधी हुई है और उसने पुराने जमाने के कपड़े पहन रखे हैं और उसके आस पास काले कपड़े की काफी सारी गुड़िया पड़ी हुई हैं। उसके सामने कुछ लोग खड़े हुए हैं जिनके चेहरे उसकी तरफ हैं और पीठ मेरी तरफ, उन सभी ने भी पुराने जमाने के कपड़े पहन रखे हैं और उनके हाथों में जलती हुई मशालें हैं, उनमें से एक आदमी आगे बढ़ता है और उस लड़की के ऊपर मशाल फेंक देता है और कुछ ही पलों में वह लड़की जल कर राख हो जाती है। इसके बाद मेरा फोन आॅफ होकर फर्श पर गिर जाता है।अब मेरी हालत ऐसी थी कि कमरे में मैं रुक नहीं सकता था और बाहर मैं जा नहीं पा रहा था, दरवाजा अभी तक नहीं खुल रहा था। कल के सफर और आज की थकान के कारण कुछ देर बाद मैं करवट करके सो गया। क्रमशः © आयुषी सिंह ‹ Previous Chapterमुझे याद रखना - 1 › Next Chapterमुझे याद रखना - 3 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything आयुषी सिंह Follow Novel by आयुषी सिंह in Hindi Horror Stories Total Episodes : 6 Share NEW REALESED Spiritual Stories શ્રીમદ્ વલ્લભાચાર્ય Rajesh Kariya Book Reviews કૂવો - સમીક્ષા Dr. Ranjan Joshi Short Stories લાગણીના પવિત્ર સંબંધો - ભાગ 13 Mausam Classic Stories કાંતા ધ ક્લીનર - 1 SUNIL ANJARIA Thriller બદલો - ભાગ 4 Kanu Bhagdev Horror Stories સંભાવના - ભાગ 16 Aarti Garval Fiction Stories રાજર્ષિ કુમારપાલ - 39 Dhumketu Love Stories ભાવ ભીનાં હૈયાં - 1 Mausam Women Focused એક ષડયંત્ર.... - ભાગ 3 Mittal Shah Love Stories જોગ લગા દે રે પ્રેમ કા રોગ લગા દે રે... - 61 શૈમી ઓઝા લફ્ઝ,મીરાં