Fir tadap uthi maa ki mamta books and stories free download online pdf in Hindi

फिर तड़प उठी मां की ममता

एक गांव में एक औरत रहती है, औरत बहुत गरीब होती है, उसका एक छोटा सा बेटा होता है, उसका नाम अभि होता है|

उस औरत के बेटे के जन्म के 6 माह पहले किसी बीमारी के चलते उसके पति की मृत्यु हो जाती है| अभि अपनी मां के साथ रहता है, उसकी मां अभि को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती है, क्योंकि वही उसके पति की एकमात्र धरोहर होता है| वो मेहनत और मजदूरी करके अपने बच्चे का पालन पोषण करती है, और कभी भी पिता की कमी महसूस नहीं होने देती|

उसे पढ़ाती लिखाती है, ताकि वह पढ़ लिखकर अपने पैर पर खड़ा हो सके, एक कामयाब इंसान बने, ताकि उसे किसी के आगे मांगने के लिए हाथ न फैलाने पड़े|

धीरे धीरे अभि हाईस्कूल पास कर लेता है, तो पढ़ने के लिए उसे गांव से दूर शहर जाना पड़ता है, अभि दिल लगाकर पढ़ाई करता है, और मंडल में टॉप रैंक हासिल करता है, फिर वह शहर के एक नामी महाविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई करता है|

एक दिन अभि अपनी मां से बाहर जाकर पढ़ाई करने की जिद करता है, मां कहती है कि, बेटा मेरी उम्र इतनी नहीं कि अब मैं अकेले रह सकूं, फिर बाहर पढ़ने के लिए पैसा भी तो बहुत लगेगा, और मैं चाहती हूं कि, तू यहां पर ही रह कर पढ़ाई कर, और यहीं पर कोई नौकरी कर ले|

लेकिन अभि कहता है कि, कॉलेज की तरफ से स्कॉलरशिप वीजा पर पढ़ने जा रहा हूँ, और उसका सारा खर्चा भी सरकार खुद ही उठाएगी, और जिद पकड़ लेता है, आखिर में मजबूर होकर मां अभि को, ना चाहते हुए भी, भेजने को राजी हो जाती है|

अभि अमेरिका जाकर मां को पहुंचने की खबर देता है, मां उसे हिदायत देती है, कि ज्यादा दोस्तों के चक्कर में ना पड़े, और अपने काम से काम रखें, और हर रोज अभि मां को फोन करता है, और मां उसे हर रोज हिदायत देती और समझाती है|

पहले तो कुछ दिन फोन रोज आता था, फिर धीरे-धीरे कम होने लगा, कभी हफ्ते में एक बार, और फिर कभी महीने में, और मां यह कह कर खुद को समझा लेती, कि पढ़ाई में ध्यान होगा इसलिए फोन नहीं कर पाता होगा|

फिर कुछ समय बाद फोन आना बंद हो गया, और फिर सालों बाद 1 दिन फोन आता है, तो अभि बताता है, कि मां मेरी पढ़ाई पूरी हो गई है, और नौकरी लग गई है, तो मां बहुत खुश होती है, और पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटती है, अब अभि मां के लिए कुछ पैसे भेज दिया करता था, लेकिन धीरे-धीरे करके वह भी बंद हो गया|

फिर 2 साल बाद फोन आता है, तो अभि बताता है, कि मां मैंने शादी कर ली है, तो मां बहुत खुश होती है, और उसे बीवी को लेकर आने के लिए कहती है, लेकिन अभि बहाना बनाकर टाल देता है, और मां को कहता है, कि मां तुम यहां आ जाओ, मैं आपको बुलाने आ रहा हूं, तो मां मना कर देती है, कि बेटा मैं यहीं पैदा हुई हूं, और यही पर मरूंगी|

फिर डेढ़ साल बाद अभि फोन करता है, कि मां मैं आपको बुलाने आ रहा हूं, आप दादी बन गई हो, आप यहां बच्चों के साथ रहोगी, तो आपका मन भी लगा रहेगा, और मां के मना करने के बाद भी वह आ जाता है, तथा मां को साथ चलने के लिए कहता है, मां मना करती है, लेकिन बेटे की जिद के आगे उसकी एक नहीं चलती|

अभि अपना गांव वाला घर भी बेच देता है, और सामान और मां को लेकर एयरपोर्ट पर आ जाता है, तथा मां को बैठाकर यह कहकर कि मैं टिकट लेकर आता हूं, कह कर चला जाता है, मां बैठी बैठी इंतेजार करती है, 10 मिनट, 30 मिनट, 1 घंटा, 2 घंटा और 5 से 6 घंटे हो जाते हैं, लेकिन अभि वापस नहीं आता, मां परेशान होने लगती है|

मां को परेशान देखकर एक गार्ड उनके पास आता है, और पूछता है, कि मां जी आप परेशान लग रही है, और काफी देर से बैठी है, आप किसी का इंतजार कर रही है क्या? तो वो उसे सारी बात बताती है, कि मेरा बेटा टिकट लेने गया है, और अभी वापस नहीं आया, तो गार्ड नाम पूछता है और बोलता है, कि मैं जाकर पता करके आता हूं, और 5 मिनट बाद आकर बताता है, कि मां जी इस नाम का व्यक्ति तो 2:00 बजे की फ्लाइट से चला गया, जो कि अमेरिका गई है, इतना सुनते ही मां कहती है, कि नहीं मेरा बेटा मुझे छोड़कर नहीं जा सकता, आप फिर से जाकर चेक करिए, शायद आपने गलत पता किया हो|

गार्ड फिर से जाता है, और आकर बताता है कि इस नाम का और कोई व्यक्ति आज जाने वाला नहीं है, आपका बेटा चला गया, बूढी मां की सांस अटकी रह जाती है, आंखों में आंसू और धम्म से गिर पड़ती है, गार्ड उसे उठाकर कुर्सी पर बैठाता है, और पूछता है, कि आपके घर का पता बताइए, मैं आपको घर तक छोड़ दूंगा|

इतना सुनते ही बूढ़ी मां की दबी सी आवाज बाहर आती है, और रोते हुए कहती है, कि बेटा मैंने ऐसा क्या बुरा किया, जो तूने मेरे साथ ऐसा किया, तू अपनी दुनिया में खुश था, मैं अपनी दुनिया में खुश थी, मुझे कोई दिक्कत नहीं तुझसे, शायद मेरी परवरिश में कोई कमी रह गई, मुझे माफ करना|

तू जहां भी रहे, खुश रहना, अगर तुझे यह सब करके खुशी मिली, तो ऐसे ही सही|

और फिर एक बार मां शांत हुई, तो ऐसी, कि फिर कभी ना बोलने के लिए, और उसने वहीं अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन जाते-जाते भी बेटे के लिए उसकी आंखों में इंतजार और जुबान पर दुआएं थीं|

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