Had kar di aapne books and stories free download online pdf in Hindi

हद कर दी आपने - सुभाष चंदर

जब कभी आप धीर गंभीर मुद्रा में कोई किताब पढ़ रहे हों और बीच-बीच में ही अचानक पढ़ना छोड़, ठठा कर हँसने लगें तो आसपास बैठे लोगों का चौंक कर देखना लाज़मी है। ऐसा ही कुछ इस बार हुआ जब मैं प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर जी की किताब "हद कर दी आपने" अपने मेट्रो के सफ़र के दौरान पढ़ रहा था। सच में हद ही कर दी उन्होंने तो। क्या कोई इस तरह...इतना ग़ज़ब का लिखता है कि पढ़ते वक्त आपका, आपके जज़्बातों पर ही नियंत्रण ना रहे? कम से कम सोचना चाहिए उन्हें कि ऐसे..किसी की सरेराह भद्द पिटवाना क्या सही है?

मेरा मानना है कि किसी को हँसाना सबसे कठिन है और उसमें भी शुद्ध..मौलिक हास्य रचना और भी मुश्किल है लेकिन व्यंग्यकार सुभाष चंदर जी इस कला में सिद्धहस्त हैं। पढ़ते वक्त कहीं पर भी नहीं लगता कि उन्हें अपने पाठकों को हँसाने के लिए किसी तरह के अतिरिक्त प्रयास करने पड़ रहे हैं और उसमें भी भाषा का प्रवाह ऐसा कि लगता है कि सब कुछ स्वत: ही उनकी लेखनी के ज़रिए अपने आप कुदरती तौर पर प्रस्फुटित होता जा रहा है।

इस किताब में उन्होंने व्यंग्यात्मक हास्य कहानियाँ लिखी हैं और उन कहानियों की भाषा ऐसी है जैसे कोई ठेठ देहाती या कस्बाई अंदाज़ में आपके सामने खड़ा हो किस्सागोई कर रहा हो। उनके लिखे शब्दों को पढ़ते वक्त आप उस किरदार...उस माहौल में पहुँच सब कुछ साक्षात अपने सामने घटता हुए देखने लगते हैं। उनकी लिखी कहानियों के लगभग हर पैराग्राफ में गहरा व्यंग्य या फिर हँसी के पल मौजूद होते हैं। अपनी कहानियों के ज़रिए वे समाज की विसंगतियों पर चोट करना नहीं भूलते हैं और मज़े की बात ये कि उनकी गंभीर बातों से भी हास्य उत्पन्न होता है। उनकी हास्य कहानियों को पढ़ कर लगता है कि वे श्रीलाल शुक्ल और ज्ञान चतुर्वेदी जी की ही शैली को और आगे बढ़ा रहे हैं।

इस संकलन में उनकी किसी कहानी में फेसबुक के ज़रिए इश्क की संभावनाएं तलाशी गयी हैं तो किसी कहानी में ड्राइविंग सीख कर अपनी शान बढ़ाने के शॉर्टकट को अपनाया गया है। उनकी किसी कहानी में गांव की सैर के बहाने पहले सेहत और बाद में शादी तक के सपने देखे गए हैं। इसी संकलन की एक कहानी में खुद को कहीं से दावत न्योता ना मिलने से परेशान व्यक्ति की व्यथा को लेकर सारी कहानी का ताना बाना बुना गया है। कहने का तात्पर्य ये कि उन्हें अपनी कहानियों के किरदारों के लिए कहीं इधर उधर नहीं भटकना पड़ता बल्कि बड़ी ही आसानी से वे हमारे आसपास से ही अपनी पसंद के मध्यमवर्गीय किरदार चुन एवं गढ़ लेते हैं। अगर आप विशुद्ध हास्य के शौकीन हैं तो ये संग्रह आपके मतलब का है।

136 पृष्ठीय इस हास्य कहानी संग्रह के हार्ड बाउंड संस्करण को छापा है भारत पुस्तक भण्डार ने और इसका मूल्य रखा गया है ₹300/- जो कि थोड़ा ज़्यादा तो लगता है मगर कंटैंट की वजह से फिर भी संग्रणीय की श्रेणी में आता है। आने वाले भविष्य के लिए लेखक तथा प्रकाशक को अनेकों अनेक शुभकामनाएं।